Saturday, June 6, 2009

गोवध करते चार दबोचे, हंगामा

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, जलालाबाद (मुजफ्फरनगर)। गांव हसनपुर लुहारी में दो दर्जन से अधिक गाय व बैलों को काटने वाले चार आरोपियों को ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पकड़ लिया, जबकि अन्य आठ भाग गये। ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। मौके से डीसीएम, चार बाइक व मारुति बरामद कर 12 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है।

गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे गांव हसनपुर लुहारी में अवैध कमेले के पास विधवा पिंकी के खेत में बड़े पैमाने पर गाय, बैल, बछड़े काटे जा रहे थे। सूचना पर ग्राम प्रधान पुत्र संजय सैनी के नेतृत्व में लोग मौके पर पहुंचे, तो दर्जनों लोग गोवंश काट रहे थे। इनकी सूचना पर थानाभवन एसओ मुनेन्द्र पाल सिंह दल-बल के साथ पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से गोवंश काट रहे लोगों को घेर लिया। पर मात्र चार आरोपी डीसीएम चालक रामपुर मनिहारन निवासी आफताब, हसनपुर लुहारी निवासी अकरम, असलम व सगीर ही पकड़ में आये और बाकी भाग गये।

पुलिस ने गोमांस ले जाने के लिए लाया गया डीसीएम, चार बाइक व एक मारुति बरामद की है। गोमांस को गड्ढे में दबाने के प्रयास का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया तो कई थानों की पुलिस बुला ली गयी।

शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे भाजपा नेता ठाकुर सुरेश राणा की अध्यक्षता में हुई पंचायत की मांग पर आरोपियों पर गैंगस्टर व रासुका लगाने आदि पर एसपी देहात व एसडीएम शामली ने सहमति जतायी और इसके बाद पुलिस ने गोमांस को मिट्टी में दबा दिया। इस मामले में पकड़े गए चार आरोपियों समेत 12 के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है। एसएसपी विजय प्रकाश ने बताया कि गोकसी के सभी आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर व रासुका की कार्रवाई की जाएगी।

Friday, June 5, 2009

गाय काटते हुए पांच बंदी, तीन फरार

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, रायबरेली। दिनदहाड़े गाय का वध करने के दौरान पांच लोगों को पुलिस ने बंदी बना लिया। उनके तीन सहयोगी मौके से भागने में सफल रहे। घटना शहर कोतवाली क्षेत्र के खतराना मोहल्ले की है।
प्रभारी कोतवाल सुर्खाब खां ने बताया कि गुरुवार को प्रात: मुखबिर से सूचना मिली कि खतराना मोहल्ले में पुराने स्लाटर हाउस के पीछे साड़ियों में कुछ लोग एक गाय का वध कर रहे हैं। सूचना पर तुरंत दबिश दी गयी तो वहां आठ लोग गाय काटते मिले। लेकिन पकड़ में पांच ही लोग आ सके। तीन अन्य भागने में सफल हो गये। मौके से काटी गयी गाय का मांस, औजार तथा तराजू-बांट बरामद हुआ। पकड़े गये लोगों में खतराना मोहल्ले के शहजादे उसका भाई राशिद व रफीक, नदीतीर मोहल्ला निवासी मोनू उर्फ कौआ तथा अमरनगर निवासी रामूपाल शामिल हैं। सभी को गोवध निवारण अधिनियम में बंदी बनाकर जेल भेज दिया गया। पुलिस अधीक्षक डीसी मिश्र ने पुलिस दल को ढाई हजार रूपये का नगद पुरस्कार दिये जाने की घोषणा कर दी है। उधर गाय काटे जाने की सूचना से शहर में आक्रोश फैल गया है। विश्व हिंदु परिषद के जिलाध्यक्ष हरिशचंद्र शर्मा के नेतृत्व में लोग एकत्र होकर तुरंत कोतवाली की ओर चल पड़े। जनाक्रोश को देखते हुए भदोखर व मिलएरिया थानों का फोर्स भी बुला लिया गया। पुलिस उपाधीक्षक रविशंकर निम ने लोगों को आश्वस्त किया कि गोहंताओं को गैंगस्टर एक्ट में निरूद्ध करने के साथ ही उन पर रासुका भी तामील की जायेगी। इस पर लोगों का गुस्सा शांत हो गया।

मामूली कहासुनी पर दो समुदायों के लोग आमने सामने

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, गुलावठी (बुलंदशहर)। मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में मामूली कहासुनी को लेकर दो समुदायों के लोगों में तनाव फैल गया। मौके पर पहुंचे सीओ सिकंदराबाद और तीन थानों की पुलिस ने स्थिति को बेकाबू होने से बचाया और क्षेत्र के सम्मानित बुजुर्गो की मार्फत दोनों पक्षों के बीच समझौता कराकर क्षेत्र में शांति कायम कराई।

मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में बुधवार रात को ईदगाह मस्जिद के इमाम इश्तयाक अहमद की बाइक की टक्कर से मोहल्ले के ही जाटव परिवार का एक बच्चा चोटिल हो गया। इसे लेकर जाटव और दूसरे समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। मामले को क्षेत्र के ही लोगों ने शांत करा दिया था। गुरुवार को उस समय फिर विवाद खड़ा हो गया जब एक राजनैतिक पार्टी से जुड़े दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने जाटव परिवार के लोगों से बुधवार की घटना को लेकर मारपीट कर दी। इससे दोनों पक्षों में तनाव बन गया और जाटव परिवार के दर्जनों लोगों ने थाने में पहुंचकर करीब नौ लोगों के खिलाफ मारपीट करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। दूसरे पक्ष के लोग भी थाने पहुंच गए और पुलिस के सामने ही दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए।

दो समुदायों के बीच तनाव की सूचना पाकर सीओ सिकंदराबाद डीके गौतम गुलावठी थाने आ पहुंचे और उन्होंने थाना बीबीनगर, अगौता, सिकंदराबाद कोतवाली पुलिस को बुलाकर रामनगर क्षेत्र में तैनात कर दिया। जानकारी जिला प्रशासन को भी दे दी गई। इसी बीच दोनों समुदाय के अमनपसंद लोग विवाद को समाप्त कराने के लिए फैसला कराने मे जुट गए। पुलिस ने दोनों समुदायों के सभ्रांत लोगों की मदद से लिखित फैसला कराकर मामला निपटाया।

दरगाह मेले की पाकीजगी हुई तार-तार

दैनिक जागरण, बहराइच, 4 जून 2009 : गुरुवार की सुबह दरगाह शरीफ के मेले के इतिहास में बदनुमा दाग बनकर रह गयी। मेले की पाकीजगी तो तार-तार हुई ही दरगाह शरीफ प्रबंधतंत्र के दामन पर जो दाग लगा उसने यहां की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप बेहद संगीन है।

रात के सर्कस की थकान उतारकर यहां के कर्मचारी पूरी तरह जग भी नहीं पाए थे कि यह धमाका हो गया। दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि कई दिनों से सर्कस के मालिक रजा खां एवं गोली लगने से घायल हुए बसंत अग्निहोत्री से दरगाह प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सर्कस की लड़कियों को मांग करते थे, मगर सर्कस के मालिक इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद प्रबंध समिति के पदाधिकारी द्वारा सर्कस के पास अधिक संख्या में मांग की गयी और सर्कस के लिए जमीन अधिक घेर लेने का आरोप लगाकर उन्हें परेशान कर रहे थे।

इसी बात को लेकर आज सुबह आठ बजे लगभग दस लोगों ने सर्कस परिसर में उस पर गोली चला दी और लूटपाट भी की। आरोप तो यह भी है कि संबंधित पदाधिकारी द्वारा दो लाख रुपए की मांग की गयी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। थानाध्यक्ष दरगाह अजीत कुमार सिंह लूटपाट की घटना को सिरे से खारिज कर रहे हैं वे गोली चलने की घटना को भी संदिग्ध मान रहे हैं।

अब सिखों को घाटी से निकालने की साजिश!

५ जून २००९, श्रीनगर, जागरण ब्यूरो : अल्पसंख्यकों के प्रति सौहार्द की कश्मीर के कट्टरपंथियों के दावों की पोल बुधवार रात खुल गई। आजादी और निजाम-ए -मुस्तफा के नारे लगाती भीड़ ने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र रंगरेथ में सिख समुदाय के मकानों पर हमला कर उनकी संपत्ति को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचाया। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उन्हें घाटी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।

सड़क के किनारे स्थित सिख समुदाय का कोई भी मकान ऐसा नहीं था, जिसमें तोड़फोड़ न हुई हो। रसोई घरों में बिखरा सामान, टूटे दरवाजे व खिड़कियां और क्षतिग्रस्त वाहन हमले की कहानी बयां कर रहे हैं। हमले का कारण सूमो टैक्सी स्टैड विवाद बताया जा रहा है। हमले में बाल-बाल बचे भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सूमो टैक्सी स्टैड के दस्तावेज उनके संगठन के नाम पर है। इसलिए वह बाहर के किसी चालक को यहां से सवारियां नहीं उठाने देते। दूसरे स्टैड पर उन्हें भी सवारियां नहीं भरने दी जाती हैं। इस स्टैड को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कई बार ऐतराज जताया और इस पर कब्जे का प्रयास किया। जब कुछ नहीं बन पाया तो फिर यह हरकत कर डाली। उन्होंने बताया कि उन्हें यहां से भागने के लिए भी कहा गया।

दूसरी ओर, जमायत-ए-अहल-ए-हदीस के प्रमुख मौलाना शौकत व जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के उपाध्यक्ष बशीर भट्ट ने रंगरेथ जाकर पीड़ित सिख समुदाय से मुलाकात की। उन्होंने दोनों समुदाय की एक साझी समिति भी बनवाई। बाद में दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर शांतिमार्च निकाला। शांति मार्च में डीसी बड़गाम, एसएसपी अफादुल मुजतबा भी शामिल हुए। रंगरेथ के पुलिस थाना प्रभारी फिरोज अहमद के मुताबिक, दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

कौन लगाएगा जख्मों पर मरहम

श्रीनगर : वादी में सुख-दुख के हर मौके पर स्थानीय लोगों के साथ रहने वाले सिख रंगरेथ में हुए घटनाक्रम के बाद बेहद आहत महसूस कर रहे हैं। खौफ से आहत हरजीत सिंह ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि उन्होंने हमला क्यों किया। हम सभी ने खुद को एक कमरे में बंद करके अपनी जान बचाई है। पुलिस को फोन किया, लेकिन वह एक घंटे के बाद पहुंची। सरदार सेवा सिंह ने कहा कि उन्होंने सुना था कि दिन में कहीं क्रिकेट खेलते हुए लड़कों की आपस में बंद को लेकर बहस हुई थी। उस समय उनमें मारपीट भी हुई थी, लेकिन मामला सुलझा लिया गया था। रात होते ही मुस्लिम समुदाय के लोगों का सैलाब नारेबाजी करते हुए यहां आ गया। हुकुम सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह को भागने का मौका नहीं मिला और वह दंगा कर रहे लोगों के हत्थे चढ़ गया। इस समय वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।

वहीं, सड़क किनारे अपने नीड़ के तिनके बुन रही जसबीर कौर ने गुस्से में अपने घर के सामने स्थित दुकान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह रोज हमारे यहां पानी लेने आता था, लेकिन कल जब हमला हुआ तो वह भी उनके साथ था। उसके पास ही खडे़ 22 वर्षीय तेजपाल सिंह ने कहा कि ऐसे हालात में कौन यहां रहेगा। कल रात जो हुआ, उसके बाद नहीं लगता कि हमें यहां रहना चाहिए। इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आज यहां एमएलए, डीसी और एसएसपी सभी आए है। हमें मुआवजे का यकीन दिला रहे है, लेकिन जो जख्म लगा है उस पर मरहम कौन लगाएगा।

Thursday, June 4, 2009

Jazia

Daily news analysis, June 4, 2009, Islamabad: In May, dozens of Sikhs living in the Orakzai agency were forced to move out after the Taliban demanded Rs50 million as jazia, or security tax, from them। Locals said the families were impoverished and left the area to avoid any Taliban action.

Chicken injected with beef waste sold in UK

The Independent, 4 June २००९, Cafes and restaurants across Britain have been selling chicken secretly injected with beef and pork waste, The Independent can reveal today.

In a hi-tech fraud run by firms in three EU states, food manufacturers are making bulking agents out of porcine and bovine gristle and bones that help inflate chicken breasts, so that they fetch a higher price.

The swindle was only detected by the Food Standards Agency (FSA) using new scientific techniques because the non-chicken material had been so highly processed it passed standard DNA tests.

Thousands of restaurateurs and cafe owners are likely to have been conned into buying chicken containing the powder – which binds water into chicken breasts – while diners have been unwittingly consuming traces of other animals when eating out.

Britain's two million Muslims, Jews and Hindus are forbidden from eating either pork or beef. Muslims would ordinarily eat halal chicken and Jews kosher chicken sold through approved caterers and butchers.

The Hindu Forum of Britain described news of the adulteration, which will be confirmed publicly today, as "shocking and potentially very distressing". Its secretary general, Bharti Tailor, said: "Eating beef is expressly forbidden because cows are considered to be sacred as they are a representation of the bounty of the gods, even unknowingly. The fact that the protein powders injected into chickens served in restaurants and cafes contain even traces of beef or pork is horrific. And [the fact] that Hindus will have been eating beef contaminated chickens will be mentally agonising. Many will feel that they have broken their religious code of conduct."

The food regulator acknowledged the serious consequences of its findings. "Use of these proteins does not make chicken products unsafe, but it is important that people are given accurate information about their food," the FSA said.

The fraud has been taking place for at least the past two years, and still continues because of inaction by the authorities in three EU states, believed to be Germany, Netherlands and Spain.

The European Commission rebuffed British demands to ban beef and pork proteins from being added to chicken when first detected in the UK and Ireland in 2001 and 2003. Then, action was taken against a chicken company in the Netherlands and the authorities thought the problem had gone away.

When complaints began to surface again last year, the FSA launched a secret investigation to ascertain whether chicken – the most eaten meat in the UK – was being adulterated again. At first, scientists could not find any non-chicken protein because the meat had been "de-natured" (made unrecognisable). The Central Science Laboratory in York and York University developed special DNA market tests.

"It's like Olympic drug tests; they stay one step ahead of the testers," said a source close to the investigation.

Manufacturers in Germany and Spain are thought to be making the protein powders; Dutch firms inject them into chickens sold on to UK wholesalers supplying the catering trade.

Using a new DNA marker technique, the FSA tested five protein powders from three companies. All five were found to contain a non-poultry material identified as bovine collagen. Further tests found the presence of porcine material in two powders.

Tests picked up traces of beef in one of three chicken breasts.

In a report passed to The Independent, the FSA noted: "The study of a small number of injection powders used in chicken breast products has indicated the presence of undeclared, mammalian peptides, i.e., from a non-poultry source in the samples analysed. The analyses applied indicate the presence of bovine collagen in all the powders sampled and suggest the presence of porcine collagen in some of the powders."

It added: "Certification accompanying the powders claim they are produced only from a poultry source, however, the analytical results suggest this claim could not be substantiated."

Manufacturers can legally add water to chicken, for instance to improve succulence, but must declare water content of above 5 per cent. Fresh chicken meat sold by supermarkets or butchers cannot have any added ingredients. When the FSA alerted its continental counterparts, the factories involved were inspected but no legal action has been taken.

Some chicken products state on the label whether they contain hydrolised (chicken) proteins. The FSA advised consumers that they "may wish" to avoid such chicken. "If you are eating food from a restaurant or takeaway you should ask if the chicken served contains hydrolysed animal proteins," the FSA will say today. "Restaurants and catering establishments will have this information available to them."

Sue Davies, chief policy adviser at the consumer group Which?, said: "It's bad enough that when you think you're buying chicken what you're paying for is an awful lot of water and other animal proteins but if you want to avoid beef or pork for religious reasons it's going to be particularly shocking and annoying. There's a need for better enforcement action, or people will carry on doing this."

Religious views: Sacred products

Judaism

Jews are forbidden from eating pork as pigs are considered unclean animals. The Jewish dietary laws are the laws of kashrut (keeping kosher). Hence food in accord with Jewish law is termed kosher, food not in accord is treifah or treif.

Hinduism

Observant Hindus who eat meat almost always abstain from beef. The cow is sacred and beef has been forbidden in the Hindu religion and diet. Hindu society honours the cow and cow-slaughter is banned legally in almost Indian states. The largely pastoral Vedic people and subsequent generations relied heavily on it for dairy products and tilling the fields.

Maoist threat to BJP legislator in Orissa’s Kandhamal

ThaIndian News , June 4th, 2009 , Bhubaneswar, least two posters warning a Bharatiya Janata Party (BJP) legislator and Bajrang Dal activists of dire consequences for having allegedly fuelled last year’s communal violence have been found in Orissa’s Kandhamal district

The posters are suspected to have been put up by Maoist rebels, police said Thursday.


The posters warning that BJP’s Manoj Pradhan and three Bajrang Dal workers would be killed soon were found Wednesday in the Raikia area of Kandhamal, about 200 km from here, District Superintendent of Police S. Praveen Kumar told IANS.

Police have tightened security at the jail in G. Udayagiri, where Pradhan is imprisoned for his alleged involvement in the communal violence.

The district witnessed widespread communal violence after the murder of Vishwa Hindu Parishad (VHP) leader Swami Laxmanananda Saraswati and four of his aides at his ashram Aug 23 last year.

While the police blamed Maoists for the killings, some Hindu organisations alleged Christians were behind the crime and launched attacks on the community.

At least 38 people were killed and over 25,000 Christians forced to flee after their houses were attacked by rampaging mobs in the aftermath of the attack on Saraswati. Nearly 2,500 people are still living in government relief camps.

Although no violence has been reported from the region since October last year, police believe the posters may have been plastered by the rebels to disturb peace.

The BJP Thursday said the rebels had attacked Dilu Pradhan, a Bajrang Dal activist, a few days ago.

“The rebels have prepared a hit list that has the names of at least 14 people associated with the BJP and VHP,” a BJP leader said.

Wednesday, June 3, 2009

मस्जिद निर्माण को लेकर दो समुदाय आमने-सामने

दैनिक जागरण, ३ जून २००९, सहारनपुर। कुतुबशेर थाना क्षेत्र के मोहल्ला पटेल नगर स्थित एक पुरानी मस्जिद में हो रहे निर्माण को लेकर दो समुदायों के लोग आमने सामने आ गए। मामला बिगड़ता देख पुलिस आला अधिकारी भारी फोर्स के साथ वहां पहुंच गए और किसी तरह दोनों पक्षों को समझाया। बाद में पुलिस की मौजूदगी में दो पक्षों की बीच हुई वार्ता में मामला का निपटारा कर दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पुलिस फोर्स तैनात है।

मंगलवार को दोपहर थाना क्षेत्र के मोहल्ला पटेल नगर स्थित पुरानी मस्जिद में कुछ लोग निर्माण कर रहे थे। इस निर्माण का क्षेत्र के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। कुछ देर में ही दोनों समुदाय के लोग आमने सामने आ गए। सूचना मिलते ही कुतुबशेर एसओ मय फोर्स मौके पर पहुंच और किसी तरह मामला शांत कराया। दोपहर बाद दोनों समुदाय के बीच एसओ बीएन पराशर की मध्यस्तता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मस्जिद की स्थिति पहले जैसी बनी रहेगी और उसमें कोई नया निर्माण नहीं हो सकता। गर्मी और बरसात के दौरान उसमें केवल टीन शेड डालने की अनुमति दी गई है। एसओ ने बताया कि इस पर दोनों समुदाय के लोगों ने अपनी सहमति जताई है।

सिब्बल के गले नहीं उतरी केजीबीवी की यह पढ़ाई

दैनिक जागरण , जून ०२, २००९, नई दिल्ली, संप्रग की पिछली सरकार ने बीते पांच वर्षो में मुस्लिम समुदाय की तालीमी [शिक्षा] तरक्की के लिए भले ही लाख शोर मचाया हो, लेकिन जमीनी तस्वीर लगभग जस की तस है। खासकर, लड़कियों की पढ़ाई के मामले में तो लगता है कि सरकार कागजों में ही ज्यादा गंभीर रही है। तभी तो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पढ़ रही ढाई लाख लड़कियों में से सिर्फ 15 हजार ही मुस्लिम समुदाय से हैं। शायद यही वजह है कि यह तालीमी तरक्की नए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के भी गले नहीं उतरी।

मंत्रालय का काम संभालने के बाद सिब्बल के एजेंडे पर जो कुछ खास मसले हैं, उनमें मुसलमानों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर जस्टिस सच्चर की सिफारिशों पर अब तक हुई कार्रवाई भी अहम है। तभी तो उन्होंने काम शुरू करने के महज दो दिनों के भीतर ही इस पर रिपोर्ट तलब कर ली। अफसरों को भी मुंह जबानी ब्यौरा देने की छूट नहीं थी, लिहाजा सोमवार को उन्होंने सच्चर की सिफारिशों पर अमली कार्रवाई को लेकर सोमवार को प्रेजेंटेशन भी दिया।

सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने सिब्बल को बताया कि दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की लड़कियों की पढ़ाई पर खास फोकस के तहत देश भर में चलाए जा रहे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों [केजीबीवी] में कुल ढाई लाख लड़कियां पढ़ रही हैं। लेकिन उनमें मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 15 हजार ही हैं।

बताते हैं कि यह आंकड़ा सिब्बल के भी गले नहीं उतरा। उन्होंने इस स्थिति को कतई असंतोषजनक माना, लेकिन किसी को कोई हिदायत नहीं दी। सूत्रों की मानें तो सिब्बल अभी मंत्रालय से जुड़े विभिन्न मसलों को गहराई से समझने में जुटे हैं। यही वजह है कि वे अफसरों को सतही तौर पर कुछ भी हिदायत देने से बच रहे हैं।

बताते हैं कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा और सच्चर की सिफारिशों को लेकर अफसरों ने सिब्बल के मंत्रालय का रोडमैप रख दिया है। अब उन्हें मंत्री के अगले निर्देश का इंतजार है। अफसरों के मुताबिक मंत्रालय 2004 से अब तक लगभग ढाई हजार केजीबीवी को मंजूरी दे चुका है, जिनमें से 427 मुस्लिम बहुल आबादी वाले विकास खंडों में खोले जाने हैं। उनमें भी 94 शहरी क्षेत्रों की मुस्लिम आबादी वाले मुहल्लों में खुलेंगे।