Sunday, February 24, 2013

रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं

http://www.jagran.com/news/national-wont-tolerate-any-tampering-with-ram-setu-bjp-10160538.html
सेतु समुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर पलटी खाई है। उसने इस मसले पर गठित आरके पचौरी समिति की रपट को खारिज करते हुए कहा है कि वह इस परियोजना का काम आगे बढ़ाना चाहती है। उसने तर्क दिया है कि इस परियोजना पर आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और ऐसे में काम बंद करने का कोई मतलब नहीं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने यह भी कहा है कि रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं। इस परियोजना के तहत रामसेतु कहे जाने वाले एडम ब्रिज को तोड़कर जहाजों के आने-जाने का रास्ता तैयार करना है। भाजपा ने सरकार के ताजा रुख की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि रामसेतु से कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

भारत से बढ़ता 'बीफ' का निर्यात

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/02/130222_beef_global_india_da.shtml
हिंदू बहुल भारत से बीफ़ का बड़े पैमाने पर निर्यात चौंकाने वाली बात लगती है. मगर भारतीय बीफ़ दरअसल भैंस का मांस है जिसकी मांग दुनिया भर में बढ़ रही है.

गोकशी रोकने गए दो दरोगाओं को दबंगों ने रौंदा, 25 मीटर तक घसीटा

http://www.bhaskar.com/article/UP-bold-criminals-tried-to-kill-two-police-inspectors-in-uttar-pradesh-4184744-PHO.html?HT1=
हाथरस. शहर में एक ही रात में एक मेटाडोर ने दो दरोगाओं को जान से मारने की कोशि‍श की। दोनों घटनाएं अलग अलग जगहों पर हुईं। दोनों ही दरोगाओं ने चेकिंग के लि‍ए अज्ञात मेटाडोर को रुकने का इशारा कि‍या, जि‍स पर मेटाडोर में बैठे लोगों ने उन्‍हें जान से मारने की कोशि‍श की।

बंगाल में धार्मिक नेता की हत्या के बाद हिंसा, 200 घर आग के हवाले

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18586619.cms
केनिंग।। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नालीखली गांव में एक धार्मिक नेता की गुंडों द्वारा हत्या के बाद वहां पर हिंसा भड़क गई है। नेता की मौत से गुस्साई भीड़ ने 200 घरों को आग के हवाले कर दिया। हमलावरों ने कई गांवों में लूट-खसोट भी की। इनका आरोप है कि पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया।

मुस्लिम मंत्री को क्यों सौंपी कुंभ की कमान: संघ

http://navbharattimes.indiatimes.com/-/holy-discourse/-/Kumbh-Mela-RSS-questions-Azam-Khans-appointment-as-management-incharge/astroshow/18536803.cms
इलाहाबाद महाकुंभ का जिम्मा मुस्लिम मंत्री आजम खान को सौंपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को रास नहीं आ रहा है। संघ ने यूपी सरकार के खान को महाकुंभ प्रबंधन का प्रभारी बनाए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी बेहतर प्रतिनिधि को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी।

छावनी में तब्दील भोजशाला, पुलिस का लाठीचार्ज

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18514414.cms
धार।। मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में बसंत पंचमी के मौके पर पूजा और नमाज को लेकर चल रहे विवाद के बीच शुक्रवार को भीड़ और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े, जबकि भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया।

सेक्युलर तंत्र पर सवाल

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-questions-on-secular-system-10133330.html

भारतीय संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले की साजिश में शामिल अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा और विरोध प्रदर्शन क्या रेखांकित करता है? क्या भारत की अस्मिता और लोकतंत्र के प्रतीक पर आक्रमण करने का षड्यंत्र रचने वाले आतंकी के मानवाधिकार की चिंता होनी चाहिए? क्या निरपराधों की जान लेने वाले आतंकी की सजा माफ होने योग्य थी? कश्मीर घाटी में चार दिनों का शोक मनाने का निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि इस देश में ऐसे जिहादी तत्व भी हैं जिनका शरीर भारत में भले हो, किंतु उनका मन और आत्मा पाकिस्तान की जिहादी संस्कृति के साथ है। ऐसे ही लोगों के सहयोग से पाकिस्तान भारत को रक्तरंजित करने के अपने एजेंडे में कामयाब हो रहा है।
संसद पर हमले की साजिश पाकिस्तान पोषित लश्करे-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा रची गई थी। जांच में जम्मू-कश्मीर के बारामूला में रहने वाले मेडिकल छात्र अफजल का नाम स्थानीय साजिशकर्ता के रूप में सामने आया। 2002 में विशेष अदालत ने अफजल को फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। उसके बाद से ही मानवाधिकारवादी संगठन और सेक्युलर दल अफजल की सजा माफ करने की मांग कर रहे थे। अफजल की पत्‍‌नी ने भी राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भेजकर उसे माफ करने की गुहार लगाई थी। मुंबई में हुए आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद अब अफजल को फांसी दे दी गई है, किंतु सारा घटनाक्रम कुछ गंभीर सवाल खड़े करता है। अदालत का निर्णय होने के बाद सजा देने में इतना लंबा विलंब क्यों? क्या यह वोट बैंक की राजनीति का अंग है?
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अभी केंद्र में मंत्री गुलाम नबी आजाद ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से अफजल की सजा माफ करने की अपील की थी। क्यों वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भय है कि अफजल की फांसी से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक बार फिर जिंदा हो जाएगा और राज्य व केंद्र दोनों के लिए संकट खड़ा करेगा? इसका क्या अर्थ निकाला जाए? अभी हाल ही में दिल्ली में जघन्य दुष्कर्म कांड हुआ। कल को इस कांड के आरोपियों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन व हिंसा होने लगे तो क्या उनकी सजा लंबित कर दी जाए या उन्हें सजा से मुक्त कर दिया जाए? इस आधार पर तो जिस गुनहगार की जितनी साम‌र्थ्य होगी वह उतनी ही हिंसा और उपद्रव मचाकर सरकार को झुकने को मजबूर कर सकता है। ऐसे अराजक माहौल में कानून का राज और देश की सुरक्षा कैसे संभव है?
दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर 7 दिसंबर, 2011 को हुए बम धमाके की जिम्मेदारी लेते हुए 'हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी' नामक जिहादी संगठन ने मेल भेजकर यह धमकी दी थी कि अफजल की सजा माफ नहीं की गई तो ऐसे ही कई और बम धमाके होंगे। भारत को रक्तरंजित करने में जुटे पाक पोषित जिहादियों का मनोबल यदि बढ़ा है तो उसके लिए कांग्रेसनीत सत्ता अधिष्ठान की नीतियां जिम्मेदार हैं।
भारत में सेक्युलरवाद इस्लामी चरमपंथ को पोषित करने का पर्याय है। इस अवसरवादी कुत्सित मानसिकता के कारण ही असम में स्थानीय बोडो नागरिकों की पहचान व मान-सम्मान अवैध बांग्लादेशियों के हाथों रौंदा जा रहा है तो मुंबई में बांग्लादेशी और रोहयांग मुसलमानों के समर्थन में रैली निकाली जाती है। पाकिस्तानी झंडा लहराया जाता है और शहीद जवानों की स्मृति में बनाए गए अमर जवान च्योति को तोड़ा जाता है। सेक्युलर सत्तातंत्र द्वारा मिलने वाले मानव‌र्द्धन का ही परिणाम है कि आतंकवादी मेल भेजकर पूरे देश को लहूलुहान करने की धमकी देते हैं। हैदराबाद में एक विधायक भड़काऊ भाषण देता है और उपस्थित हजारों की भीड़ मजहबी जुनून में राष्ट्रविरोधी नारे लगाती है, किंतु ऐसी घटनाओं पर सेक्युलर तंत्र खामोश रहता है। बहुसंख्यकों को पंथनिरपेक्षता, बहुलतावाद और प्रजातंत्र का पाठ पढ़ाने वाले स्वयंभू मानवाधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। क्यों?
स्वयंभू मानवाधिकारियों का आरोप है कि अफजल को न्याय नहीं मिला, उसके साथ जांच एजेंसियों ने नाइंसाफी की। वामपंथी विचारधारा से प्रेरित लेखिका अरुंधती राय ने पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख-लिख कर भारतीय कानून एवं व्यवस्था और जांच एजेंसियों को कठघरे में खड़ा किया। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा मुफ्ती एक कदम आगे हैं। पाकिस्तान की जेल में एक भारतीय नागरिक सरबजीत गलत पहचान के कारण बंद है। भारत सरकार ने उसे रिहा करने की अपील की है। महबूबा ने अफजल की तुलना सरबजीत से करते हुए केंद्र सरकार को दोहरे मापदंड नहीं अपनाने की नसीहत दे डाली थी। इन दिनों आतंकी मामलों में जेल में बंद युवा मुसलमानों को रिहा करने को लेकर सेक्युलर दलों में बड़ी बेचैनी है। हाल ही में सेक्युलर दलों के कुनबे ने प्रधानमंत्री से मिलकर इस मामले में दखल देने की अपील की थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसे बंदियों को रिहा करने का वादा भी किया था। सत्ता मिलने पर सपा ने आरोपियों को रिहा करने की कवायद भी शुरू कर दी थी, किंतु अदालत ने राच्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
भारत पर मुसलमानों के साथ भेदभाव व उनके शोषण का आरोप समझ से परे है। पुख्ता सुबूतों और जीती-जागती तस्वीरों में कैद अजमल कसाब को मुंबई में निरपराधों की लाशें बिछाते पकड़ा गया, किंतु उसे भी पूरी निष्पक्ष न्यायिक प्रक्त्रिया के बाद ही फांसी की सजा दी गई। इस देश में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की कीमत पर बराबरी से अधिक अधिकार और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उनके लिए अलग से आरक्षण की बात हो रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार बताते हैं। ऐसे में भेदभाव बरते जाने का आरोप निराधार है। इस देश के मुसलमान पिछड़े हैं तो इसके लिए सेक्युलर दल ही जिम्मेदार हैं, जो वोट बैंक की राजनीति के कारण उनकी मध्यकालीन मानसिकता को संरक्षण प्रदान करते हैं। अफजल को फांसी देने में हुई देरी इस कुत्सित राजनीति को ही रेखांकित करती है।
[लेखक बलबीर पुंज, राच्यसभा सदस्य हैं]

अल्पसंख्यकों को सरकारी सलाह, खून बढ़ाने के लिए खाएं गोमांस

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18499128.cms
अजमल कसाब और अफजल गुरु को फांसी पर लटकाकर बीजेपी से भावनात्मक मुद्दा छिनने वाली केंद्र सरकार ने बीजेपी के हाथों में फिर एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है। केंद्र सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्रालय की पुस्तिका 'पोषण' विवादों में घिर गई है। सरकार का अल्पसंख्यक और राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय यूपी के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शरीर में ऑक्सीजन और खून बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ ही मुर्गा व गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। इस इलाके में यह पुस्तिका बांटी जा रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

अफजल को फांसी से एएमयू में उबाल, भारत विरोधी नारे लगे

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/north/protest-in-amu-on-afzals-hanging/articleshow/18461929.cms
अलीगढ़।। आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का माहौल गर्म हो गया है और विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला चल पड़ा है। नमाज-ए-जनाजा के दो दिन बाद सोमवार को कश्मीरी छात्रों ने अफजल को शहीद का दर्जा देते हुए कैंपस में मार्च निकाला और जमकर नारेबाजी की।

मध्य प्रदेश के सिवनी में कर्फ्यू

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18397900.cms
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने के बाद प्रशासन ने बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया है। शहर में पुलिस बल की तैनाती की गई है और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।