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Saturday, September 27, 2014

भारतीय नागरिक बन सकते हैं पाकिस्तान से आये हिंदू शरणार्थी

http://hindi.pardaphash.com/news/--767361/767361.html#.VCYkDfmSzNU
नई दिल्ली: भारत सरकार पाकिस्तान से यहां आए हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने पर विचार कर रही है। लेकिन सरकार का कहना है कि शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के बारे में विचार राज्य सरकार के माध्यम से आए आवेदनों के आधार पर ही किया जाएगा। सरकार ने हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की विभिन्न धाराओं के तहत भारत की नागरिकता प्रदान करने की बात भी कही है। इस बात का खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत हुआ है।

Friday, April 11, 2014

हिंदुओं को शरण देता एक घोषणापत्र

http://prabhatkhabar.com/news/105675-Hindus-shelter-placard.html
इन महत्वपूर्ण आर्थिक बिंदुओं के साथ-साथ नरेंद्र मोदी सरकार का ध्यान दुनिया भर के सताये हुए, पीड़ित और अत्याचार के शिकार हिंदुओं के प्रति भी होगा. वेबसाइट पर पार्टी के घोषणापत्र को पढ़ने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं में एक बहुत बड़ी राहत की लहर दौड़ गयी है. भारत के इतिहास में पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह लिखने का साहस दिखाया है कि भारत दुनिया भर के सताये हुए हिंदुओं का शरणस्थल रहेगा और दुनिया में कहीं भी किसी भी हिंदू पर कोई अत्याचार होगा, तो वह भारत की ओर ही इसे अपना मूल निवास समझते हुए देखेगा. 

Thursday, April 3, 2014

हिन्दुओं को अपमान सहने की आदत क्यों

http://www.punjabkesari.in/news/article-232630
(तरुण विजय) मुगल, ब्रिटिश और उसके बाद नेहरूवादी सैकुलर तंत्र ने इस देश में आग्रही हिन्दू बनना अपराध घोषित कर दिया था। देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण की चरम सीमा तक जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को आज भी सरकारी नौकरी के योग्य नहीं माना जाता और इस बारे में केन्द्र तथा विभिन्न राज्य सरकारों ने अधिघोषणा जारी की हुई है, जो रद्द नहीं की गई। 15 अगस्त तथा 26 जनवरी के दिन लालकिले और जनपथ पर जो भव्य परेड तथा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कार्यक्रम होते हैं, उनमें अनेक भयानक आरोपों से घिरे मंत्री और राजनेता बुलाए जाते हैं। जिस मुस्लिम लीग ने भारत का विभाजन करवाया, उसके सदस्य और पदाधिकारी भी आमंत्रित किए जाते हैं और उनमें से एक तो केन्द्रीय मंत्रिमंडल के भी सदस्य बनाए गए।

लेकिन कभी विश्व के सबसे बड़े हिन्दू संगठन, जो भारत का महान देशभक्त संगठन है, उसे अधिकृत तौर पर न तो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के यहां चाय पर या राष्ट्रीय दिवसों के कार्यक्रमों में भारत शासन की ओर से अथवा राज्य सरकार की भी ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी के नाते आमंत्रित किया जाता है। अब कुछ भाजपा की राज्य सरकारों ने यदि उन्हें बुलाया हो तो यह अलग बात है। हिन्दुत्व की विचारधारा से आप लाख असहमत हो सकते हैं लेकिन उस विचारधारा को मानने वालों को त्याज्य, अस्पृश्य, अनामंत्रित और सूचीविहीन वर्ग में रखना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक छुआछूत का उदाहरण है। भारत के 82,000 से ज्यादा समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सामान्यत: कांग्रेस, वामपंथी या सीधे-सीधे कहें तो उन लेखकों, पत्रकारों और सम्पादकों का प्रभुत्व है, जिनका एक ही मकसद है-हिन्दुत्व की विचारधारा का विरोध। महानगरों से छपने वाले तथाकथित राष्ट्रीय अंग्रेजी समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में हर दिन जिन लोगों के स्तंभ और लेख छपते हैं, उनमें हिन्दुत्व अथवा भारत के आग्रही हिन्दू समाज की उस विचारधारा का संभवत: एक प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व नहीं होता जो राष्ट्रीयता के उस प्रवाह को मानते हैं जिसे श्री अरविन्द और लाल-बाल-पाल की त्रयी ने परिभाषित किया था। 

देश में ऐसे सैंकड़ों आई.ए.एस., आई.एफ.एस. और आई.पी.एस. अधिकारी होंगे जो बालपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को मानते हैं और उसे देश के लिए हितकारी समझते हैं लेकिन उनमें से एक भी सरकारी नौकरी में यह कहते हुए डरता है क्योंकि ऐसा घोषित करने पर उसके विरुद्ध तत्काल सरकारी कार्रवाई हो जाएगी। सरकार में कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थक होने पर कोई दिक्कत नहीं है- जिस कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को पं. नेहरू की सरकार ने 1962 के युद्ध में चीन का साथ देने के अपराध में गिरफ्तार किया था जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को 1962 में देश की सेवा और सैनिकों का साथ देने के कारण 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में पूर्ण गणवेश में नेहरू सरकार ने शामिल किया था।

हिन्दुत्व समर्थक का परिचय मिलते ही कार्पोरेट जगत और सामाजिक क्षेत्र में एक भिन्न दृष्टि से देखे जाने का चलन कांग्रेस और वामपंथियों ने शुरू किया जिनके राज में हजारों सिख मारे गए, सबसे ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए, सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की घटनाएं हुईं, संविधान का उल्लंघन हुआ, आपातकाल लगा, व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं समाप्त हुईं, देश पिछड़ गया, महिलाएं असुरक्षित हुईं और विदेशों में भारत की छवि खराब हुई, वे केवल मीडिया पर अपने प्रभुत्व एवं सरकारी तंत्र के दुरुपयोग से स्वयं को सैकुलर, शांतिप्रिय, संविधान के रक्षक और मुस्लिम हित ङ्क्षचतक के रूप में दिखाते रहे।

सलमान रुशदी की पुस्तक ‘सेटेनिक वर्सेज’ पर जो प्रतिबंध की वकालत करते रहे, वही हिन्दू धर्म पर लिखी वैंडी डॉनिगर की अपमानजनक पुस्तक को बेचने की वकालत करते रहे। हिन्दुओं पर आघात आघात नहीं लेकिन अहिन्दुओं पर ताना भी कसा गया और जिसकी सबने ङ्क्षनदा भी की हो तो भी वह प्राण लेने वाला गुनाह मान लिया जाता है। कश्मीर से पांच लाख हिन्दू आज भी बाहर हैं। भारत के किसी गांव से 5 गैर-हिन्दू भी यदि किसी भेदभाव के शिकार होकर निकाल दिए जाएं तो दुनिया भर में तब तक तूफान मचा रहेगा जब तक वे 500 सिपाहियों के संरक्षण में वापस नहीं लौटा दिए जाते। भारत की दर्जनों राजनीतिक पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र में वह एक पंक्ति को ही दिखा दें  जिसमें कहा गया हो कि अगर उस पार्टी की सरकार आएगी तो वह ससम्मान और ससुरक्षा कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापसी घोषित करेगी। सिवाय भाजपा के और कौन कहता है? इसका कारण क्या है?

जो लोग फिलस्तीन के मुस्लिम दर्द पर बोलते हैं, इसराईल के विरुद्ध दिल्ली में प्रदर्शन करते हैं और बम फोड़ते हैं, जिन्हें इस्लामी मालदीव और चीन के सिंकियांग में मुस्लिम मोह पर चीनी कार्रवाई से दर्द होता है, वे अपने ही रक्तबंधु हिन्दुओं के पाकिस्तान और बंगलादेश में अमानुषिक उत्पीडऩ पर खामोश क्यों रहते हैं?

गत एक सप्ताह में पाकिस्तान में 2 हिन्दू मंदिर अपवित्र किए गए, मूर्ति जला दी गई और हिन्दुओं का अपमान किया गया। इसके विरोध में आपने कहीं कोई आवाज सुनी? अब इस समाचार में मंदिर की जगह मस्जिद लिखिए और फिर सोचिए कि अगर हमारे या हमारे मुल्क के आसपास कहीं गैर-मुस्लिमों ने मस्जिदों के साथ यही काम किया होता तो क्या नतीजा निकलता?

हिन्दुओं को अपना अपमान सहन करने, अपना दुख पीने और अपने ऊपर होने वाले आघात स्वाभाविक मानने की आदत क्यों हो गई है? क्यों आग्रही हिन्दू उस शासन में जो उनके राजस्व और वोट से चलता है, केवल इसलिए तिरस्कृत और सूचीविहीन किया जाना स्वीकार कर लेते हैं कि वे हिन्दुत्व समर्थक हैं? अस्पृश्यता और तिरस्कार का जितना भयानक दंश हिन्दुत्व समर्थकों ने झेला है, वैसा नाजियों के हाथों यहूदियों ने भी नहीं झेला होगा।  

Friday, March 28, 2014

राजनीतिक एजैंडे से बाहर हिंदू वेदना

http://www.punjabkesari.in/news/article-230703
(तरुण विजय) दो दिन पूर्व राज्यसभा टी.वी. पर एंकर महोदया ने आम पार्टी के प्रतिनिधि से पूछा कि वैसे तो आपके नेता अरविंद केजरीवाल सांप्रदायिकता से लडऩे की बातें करते हैं लेकिन वाराणसी पहुंचते ही उन्होंने गंगा स्नान किया और मंदिर में दर्शन किया। आप प्रतिनिधि बेचारे शब्द ढूंढने लगे कि क्या जवाब दें और यही कह पाए कि वे परिवार सहित काशी गए थे इसलिए गंगा स्नान किया। ‘इंटेलैक्चुअल माडर्निटी’ जैसे भारी-भरकम अंग्रेजी शब्द हिंदी कार्यक्रम में इस्तेमाल करते हुए उन एंकर बहन का एक ही प्रहार था कि अगर सांप्रदायिकता से लडऩा है तो फिर मंदिर जाने का क्या अर्थ है? मैंने उनसे पूछा कि क्या इंटेलैक्चुअल माडॢनटी का अर्थ सिर्फ हिंदुओं पर इस रूप में लागू होता है कि जब तक वे मंदिर जाएंगे तब तक सैक्युलर नहीं कहलाएंगे। क्या अन्य गैर-हिंदुओं से वह यह प्रश्र करने का साहस करपातीं?

अभी पिछले सप्ताह पेशावर में जेहादियों ने एक गुरुद्वारे पर हमला किया। एक सिख नागरिक, पेशावर के प्रसिद्ध वैद्य परमजीत सिंह की हत्या कर दी गई। वहां हड़ताल हुई, पूरे पाकिस्तान में उसका शोर उठा लेकिन हिंदुस्तान और उसकी राजधानी दिल्ली में सिर्फ चुनाव पसरा रहा। एक-दूसरे पर अभद्र भाषा में आरोप-प्रत्यारोप, मोहल्ले की भाषा राष्ट्रीय चुनाव चर्चा का माध्यम बनती रही लेकिन पाकिस्तान के हिंदुओं और सिखों पर आघात पर चार लोगों ने भी इंडिया गेट या चाणक्यपुरी में प्रदर्शन नहीं किया, न कोई बयान आया, न किसी नेता को यह कहने की जरूरत महसूस हुई कि पाकिस्तान में हर रोज होने वाली इन वारदातों पर रोक लगाने के लिए हम जनमत संगठित करेंगे। यह स्थिति तब हुई थी जब कुछ समय पहले बंगलादेश में जमाते-इस्लामी के तालिबानों ने सैंकड़ों हिंदुओं के घर जला दिए थे, महिलाओं पर अत्याचार किया था और फिर हिंदू शरणार्थियों की एक बाढ़ भारत की ओर मुड़ी थी।

तमिलनाडु के जिन मछुआरों को श्रीलंका सरकार द्वारा अवैध रूप से पकड़कर 2-2 महीने जेल में रखा जाता है, उनकी नौकाएं तथा जाल तोड़ दिए जाते हैं, वे लगभग सभी हिंदू होते हैं। उनके विषयमें सामान्यत: ऐसा मान लिया जाता है कि अगर किसीको बोलना भी है तो तमिलनाडु के नेताओं और संगठनों को बोलने दीजिए। हमारा उनसे क्या संबंध है?

एक समय था जब रामसेतु को लेकर पूरे देश में हजारों प्रदर्शन हुए और एक करोड़ से ज्यादा हस्ताक्षर राष्ट्रपति को सौंपे गए। पर अब न रामसेतु और न ही तमिलनाडु के हजारों मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के सर्वोच्च न्यायालय में डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसले को लेकर कोई राष्ट्रव्यापी विचार तरंग दौड़ती है। मेरठ में कुछ भटके हुए कश्मीरी लड़कों ने भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए तो हर पार्टी के नेता बोले, मुख्यधारा के संपादकों ने संपादकीय लिखे, भाषण और सैमीनार हुए। 5 लाख कश्मीरी अभी भी शरणार्थी हैं, शंकराचार्य पहाड़ी को तख्ते सुलेमान और अनंतनाग को इस्लामाबाद लिखा जा रहा है। सरकारी वैबसाइट और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नामपट्टों में ऐसे नामों का जिक्र होता है लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा भी नहीं है, चुनाव घोषणा-पत्र या भाषण और सैमीनारों की तो बात ही छोड़ दीजिए।

भारत का एक मन भी है, उसका चैतन्य है, वह र्सिफ रोटी-कपड़ा और मकान पर जिंदा भौतिक काया मात्र ही नहीं है। इसीलिए श्री अरविंद ने भवानी-भारती की कल्पना सामने रखते हुए कहा था कि, ‘हमारे लिए भारत नदियों, पहाड़ों, मकानों, जंगलों और भीड़ का समुच्चय नहीं वरन् साक्षात जगत-जननी माता है।’ जैसे-जैसे राजनीति के छल और द्वंद्व में यह भाव तिरोहित होता गया और जहां तक राजनेताओं का वोट बैंक है, वहीं से भारतीय परंपराओं और हिंदुत्व की प्रखर एवं क्षमाबोध रहित आवाजें दबनी और दबाई जानी शुरू हो गईं। अगर केवल बिजली, पानी और सड़क का मामला लिया जाए तो यह हिंदुत्व की परम वैभव की कल्पना में स्वत: सन्निहित है।

जिस धर्म के अनुयायी जीवन में लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती के बिना अपने भाव विश्व की कल्पना नहीं कर सकते, उनके बारे में यह कहना कि हिंदुत्व की बात छोड़कर सड़क, पानी, बिजली की बात करो क्योंकि हिंदुत्व का अर्थ है पिछड़ापन, सांप्रदायिकता, अल्पसंख्यक विरोध, बैलगाड़ी युग और प्रगतिशीलता का विरोध, तो यह सत्य से मुंह मोडऩा होगा। 

तालिबान और जेहाद केवल बंदूक और शारीरिक ङ्क्षहसा से ही नहीं होता। हिंदुओं के विरुद्ध शब्द हिंसा तथाकथित सैक्युलर मीडिया और जेहादी मानसिकता के तत्वों का एक बड़ा हथियार रहा है। वे कभी भी यह स्वीकार नहीं कर सकते कि लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की आराधना का अर्थ ही उद्योग, व्यापार, आर्थिक विकास, शिक्षा और प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक मानसिकता के साथ नित्य नूतन मानवहितवर्धक अन्वेषण तथा गवेषणाएं, सैन्य विकास, शत्रु को परास्त करने के लिए हर प्रकार की शक्ति का अर्जन और आत्मनिर्भरता है।

केवल घंटी बजाकर कर्मकांड करना हिंदू का स्वभाव नहीं है बल्कि वैदिक परम्पराओं और विरासत को समसामायिक संदर्भों में पुन: व्याख्यायित करते हुए धर्म पर छाने वाली काई, कीचड़, धूल को साफ करने के लिए पाखंड खंडिनी पताका का स्वागत हमने करके दिखाया है। एक ऐसे समय में जब विश्व की प्रबल शक्तियां भारत के पुनरोदय के विरुद्ध जी-जान से षड्यंत्रों में व्यस्त हैं उस समय हमें अपनी विरासत पर टेक बराबर जमाए रखनी होगी और आंतरिक झगड़ों तथा कोलाहल से दूर रहना होगा। यह समय बहस और तर्क-वितर्क का नहीं, चेहरे, नाम और पहचान पर सवाल जडऩे का नहीं, अपनी  विरासत और हिम्मत को बिसारने का नहीं। एक बड़ी हुंकार से विजय को थामना, यही अपने हिंदुत्व और नागरिकत्व को सार्थक करना है।
 

Saturday, March 22, 2014

बांग्लादेश में उपद्रवियों ने दो मंदिर जलाए

http://www.jagran.com/news/world-two-hindu-temples-set-ablaze-in-bangladesh-11175202.html
ढाका। बांग्लादेश में उपद्रवियों ने दो हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी। इनमें एक मंदिर सौ साल पुराना है। आग लगाने वालों का पता नहीं चल सका है। स्थानीय मीडिया के अनुसार बागरहाट जिले में उपद्रवियों ने प्राचीन मंदिर में आगजनी से पहले वहां रखी मूर्तियां भी तोड़ दीं। पुजारी प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि सुबह करीब साढ़े 8 बजे उन्होंने मंदिर से धुआं निकलते देखा और मदद के लिए गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों ने दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिक समेत कई मूर्तियां क्षतिग्रस्त कर दी थीं। बागरहाट के एसपी मुहम्मद निजामुल हक मुल्ला के अनुसार हमलावरों को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है।

Wednesday, March 19, 2014

कट्टरपंथियों ने सिंध में हिंदू मंदिर पर हमला किया, धर्मशाला जलाई

http://navbharattimes.indiatimes.com/world/pakistan/-----/articleshow/32128340.cms
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में गुस्साए बहुसंख्यक समुदाय के लोगों ने एक हिंदू मंदिर पर हमला करके धर्मशाला को आग के हवाले कर दिया है। घटना लरकाना इलाके की है, जहां पर मानसिक रूप से अस्वस्थ एक हिंदू लड़के पर पवित्र कुरान के पन्नों को जलाने का आरोप लगा। जैसे ही यह खबर इलाके मे फैली, कई कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के लोगों ने उस लड़के के घर को घेर लिया। कुछ लोगों ने पास के ही एक मंदिर पर हमला किया और धर्मशाला में आग लगा दी। फिलहाल पूरे इलाके में तनाव फैला हुआ है, मगर सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिक इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं।

Tuesday, February 25, 2014

बांग्लादेशी हिन्दू विस्थापितों को समाज में किया जाना चाहिए शामिल : नरेंद्र मोदी

http://khabar.ndtv.com/news/india/hindu-migrants-from-bangladesh-must-be-accommodated-narendra-modi-in-assam-381327
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने कहा है कि बांग्लादेश से आए हिन्दू विस्थापितों को देश में शामिल किया जाना चाहिए तथा जैसे ही उनकी पार्टी सत्ता में आई, तो इनके शिविरों (डिटेंशन कैंप) को खत्म कर दिया जाएगा।

Sunday, November 17, 2013

पाकिस्तान में हिंदू रेप के सबसे बुरे शिकारः अमेरिकी रिपोर्ट

http://navbharattimes.indiatimes.com/world/pakistan/hindus-in-pakistan-are-worst-rape-victims-in-pakistan/articleshow/21169543.cms
इस्लामाबाद।। पाकिस्तान में हिंदू रेप के सबसे बुरे शिकार हैं। एक इंडिपेंडेंट अमेरिकी ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की स्टडी में कहा गया है कि पिछले 18 महीनों के दौरान सात हिंदू लड़कियों के साथ रेप की घटना घटी।

Tuesday, October 1, 2013

कनाडा में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़

http://www.jagran.com/news/world-hindu-temple-in-canada-vandalised-10514364.html
कनाडा के एक वैदिक हिंदू मंदिर में दो लोगों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की घटना सामने आई है। इससे यहां अल्पसंख्यक समुदाय में गुस्से की लहर है। लोग इसे हिंदुओं के खिलाफ घृणा अपराध के रूप में देख रहे हैं।

पाकिस्तान से हिंदू कर सकते हैं पलायन

http://www.jagran.com/news/world-hindu-lawmaker-in-pak-raises-fears-of-his-communitys-exodus-10466046.html
पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाओं के बीच एक हिंदू विधायक ने देश की नई सरकार से अपने समुदाय के लोगों के पलायन की आशंका जताई है। साथ ही उनके अधिकारों की रक्षा के लिए त्वरित और प्रभावी कानून बनाने का आह्वान किया है।

Saturday, September 21, 2013

प्रशासन की सूझ..बूझ से टला साम्प्रदायिक तनाव

http://www.prabhatkhabar.com/news/46310-Uttar-Pradesh-Frukabad-tampering-and-incidents-of-firing-communal-tension.html

उत्तरप्रदेश के फरुखाबाद में छेड़छाड़ और गोलीचलने की वारदात को लेकर दो समुदायों के बीच उपजा साम्प्रदायिक तनाव जिला प्रशासन की सूझ-बूझ के कारणटल गयापुलिस सूत्रों के मुताबिक कमालगंज की निवासी शिक्षिका शिवानी ने नगला दाउद गांव के प्रधान अन्ना उर्फफिरोज के भाई कुख्यात अपराधी इजराइल तथा उसके साथियों पर उससे अभद्र व्यवहार करने तथा कमालगंज केथानाध्यक्ष द्वारा उन्हें संरक्षण दिये जाने का आरोप लगाया था. 

Sunday, September 15, 2013

पाकिस्तानी हिंदुओं को मिलेंगे विशेष पहचान पत्र

http://www.jagran.com/news/national-special-identity-card-for-pakistani-hindus-leaving-in-india-10373449.html
राजस्थान में रह रहे ऐसे पाकिस्तानी हिंन्दुओं को विशेष पहचान पत्र दिए जाएंगे जो काफी समय से यहां रह रहे हैं, लेकिन उन्हें कानूनी पेचीदगियों के चलते अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकी है। राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर सहित अन्य इलाकों में रह रहे ऐसे हिंदुओं को पासबुक भी दिए जाएंगे, जिनमें उनको दी जाने वाली सुविधाओं का उल्लेख होगा।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल हुआ: स्वामी अग्निवेश

http://www.jagran.com/news/national-pragya-thakur-subjected-to-third-degree-torture-swami-agnivesh-10365859.html
समाजसेवी स्वामी अग्निवेश ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मालेगांव बम धमाकों में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर जेल में थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया। जिससे उनके शरीर को क्षति पहुंची है, जबकि प्रज्ञा ठाकुर पहले से ही स्तन के कैंसर से पीड़ित हैं।

Sunday, May 5, 2013

किस हाल में हैं पाकिस्तान के हिंदू मंदिर?

http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/03/130321_global_india_promo.shtml
पाकिस्तान हिंदू सेवा नाम के संगठन का कहना है कि देश में कुल 150 मंदिर हैं जिनमें से अधिकतर पर भूमि माफ़िया ने कब्ज़ा कर लिया है, या फिर वे वीरान पड़े हैं. सबसे ज़्यादा हिंदू मंदिर सिंध प्रांत में हैं जहाँ हिंदुओं की आबादी अपेक्षाकृत अधिक है मगर देश की राजधानी इस्लामाबाद में कोई मंदिर नहीं है जहाँ हिंदू पूजा-अर्चना कर सकें.

Saturday, April 27, 2013

हमें भारत में ही मारकर अंतिम संस्कार कर दो..

http://www.jagran.com/news/national-deport-our-bodies-to-pakistan-not-us-10310815.html
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग को पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों की दासता जब सुनाई जा रही थी तब मानवता भी शर्म सार थी। बुधवार को राजधानी दिल्ली के लोधी रोड स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय के बाहर पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने जमकर प्रदर्शन किया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा।

Monday, April 15, 2013

बांग्लादेशी हिंदुओं को बचाएं ओबामा

http://www.jagran.com/news/world-obama-asked-to-protect-religious-minorities-in-bangladesh-10293984.html
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के बीच गुरुवार को बांग्लादेशी मूल के हिंदुओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन किया।

Thursday, April 11, 2013

जबरदस्ती उठाकर कर लेते थे निकाह

http://www.bhaskar.com/article/HAR-AMB-girls-are-being-kidnapped-and-found-married-4231821-PHO.html?HF-11=
वे पाकिस्तान के नागरिक हैं लेकिन बरसों से भारत में आबाद जिंदगी बसर कर रहे हैं। हिंदुस्तान इन्हें नागरिकता नहीं देता और पाक इन्हें स्वीकारने का तैयार नहीं। यहां रहने के लिए उन्हें हर साल वीजा की अवधि बढ़वाने के लिए पाकिस्तान एम्बेसी के चक्कर काटने पड़ते हैं। 17 साल से भारत और पाकिस्तान के कानून के बीच फंसे इन लोगों में अधिकतर बूढ़े हो चले हैं।

Reprieve for Pakistani Hindus, visa extended

In a reprieve to 480 Pakistani Hindus, the Home Ministry has extended visas for a month, before the government takes a decision on their demand for political asylum in India.
http://www.thehindu.com/news/national/reprieve-for-pakistani-hindus-visa-extended/article4603740.ece

Tuesday, April 9, 2013

हमारे शव को पाक भेज दो, हमें नहीं: हिंदू शरणार्थी

http://www.jagran.com/news/national-deport-our-bodies-to-pakistan-not-us-hindu-refugees-10284963.html
अपने साथ पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार और अपनी धर्म की रक्षा की खातिर किसी भी तरीके से वहां से निकलकर भारत पहुंचे हिंदू शरणार्थियों ने सोमवार को मांग करते हुए कहा है कि उनके शव को भले ही पाकिस्तान भेज दिया जाएं लेकिन उन्हें वहां नहीं भेजा जाएं।

बांग्लादेश में हिंदुओं को ज्यादा सुरक्षा देने की मांग

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को ज्यादा सुरक्षा दिए जाने की मांग की है।
http://www.jagran.com/news/world-hindus-in-bangladesh-demand-more-security-10261847.html