Tuesday, October 1, 2013

बलियाः हिंसक झड़प मामले में 7 गिरफ्तार

http://navbharattimes.indiatimes.com/-///---7-/articleshow/20863269.cms
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में उभांव थाना के कुंडैल नियामतअली गांव में रविवार को दलित और मुस्लिम वर्ग के बीच हुई हिंसक झड़प के मामले में पुलिस ने सोमवार को दोनों पक्षों के सात लोगों को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी पुलिस ने दी।

दोहरे मापदंड का प्रमाण

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-proof-of-double-standards-10527947.html
पिछले दिनों 'शबे बारात' के मौके पर रात को दिल्ली की सड़कों पर एक समुदाय विशेष के युवाओं ने जमकर हुड़दंग मचाया। पिछले साल भी इस मौके पर ऐसा ही अराजक माहौल था। मोटरसाइकिल पर सवार हजारों गुंडों ने कानून एवं व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं। एक-एक मोटरसाइकिल पर तीन-चार गुंडे बैठे थे। किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था और ट्रैफिक के हर कानून का उल्लंघन करते हुए घंटों गुंडागर्दी का तांडव किया। निजी वाहनों में सफर कर रही महिलाओं के साथ बदतमीजी की गई और उन्हें अश्लील इशारे किए गए। ट्रैफिक जाम में फंसी कारों के ऊपर खड़े होकर उत्पाती नाचते रहे। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। प्रश्न उठता है कि इन असामाजिक तत्वों के आगे प्रशासन पंगु क्यों था और इन गुंडों को दुस्साहस की प्रेरणा कहां से मिलती है?
दैनिक जागरण बधाई का पात्र है, जिसने पूरी साफगोई से मामले को विस्तार से सामने रखा। यह घटनाक्त्रम सेक्युलर व्यवस्था के दोहरे मापदंडों को रेखांकित करता है। यह केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। देश के अन्य हिस्सों, खासतौर पर पश्चिम उत्तार प्रदेश में भी ऐसी घटनाएं आम हैं। दहशतगर्द यदि मुस्लिम समुदाय से जुड़े होते हैं तो प्रशासन मौन साध लेता है। अधिकारियों को 'ऊपर' से कार्रवाई न करने का आदेश होता है। समाज की शांति भंग करने वाले जहां बेखौफ हैं, वहीं इस देश की कानून एवं व्यवस्था पर विश्वास रखने वाले आम नागरिक हुड़दंगियों के रहमोकरम पर हैं। दो साल पूर्व इसी जून के महीने में कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर बाबा रामदेव द्वारा छेड़े गए जन आंदोलन को दिल्ली पुलिस ने अपने लाठीबल से कुचल दिया था। भारत माता की जय बोलने वाले एक निहत्थे समूह को आधी रात पुलिसिया बर्बरता का शिकार बनाने वाली व्यवस्था ऐसे मामलों में क्यों खामोश रहती है? आज दिल्ली पुलिस की मर्दानगी कहां खो गई? मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हिंसा के बल पर कानून एवं व्यवस्था को हाशिये पर डालने के अनेक उदाहरण हैं। पुरानी दिल्ली स्थित सुभाष पार्क में मेट्रो रेल निगम की ओर से रेल पटरी बिछाने के लिए की जा रही खुदाई में जब एक ढांचा सामने आया तो उस पर मुस्लिम समुदाय के रहनुमाओं ने फौरन अपनी दावेदारी ठोंक दी। खुदाई में अभी केवल एक दीवार ही मिली थी और उसे मस्जिद का अवशेष घोषित कर मस्जिद खड़ी कर दी गई। यहां चल रहे अवैध निर्माण कार्य को रोकने का साहस किसी भी सरकारी एजेंसी में नहीं था। मामला जब उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में पहुंचा तो अदालत ने वहां निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश सुनाया, किंतु इस आदेश की तामील कराने जब पुलिस विवादित स्थल पर पहुंची तो स्थानीय मुस्लिम आबादी के एक बड़े वर्ग ने पुलिस पर हल्ला बोल दिया। घंटों सड़क पर बलवाइयों का खौफ छाया रहा और आम आदमी को जानोमाल के जोखिम से दोचार होना पड़ा। अदालती आदेश की अवहेलना और सड़क पर बलवा करने की इस घटना पर सेक्युलरिस्ट खामोश रहे। क्यों? देश का कानून और सेक्युलरिस्टों की सक्त्रियता अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों में लकवाग्रस्त क्यों हो जाती है? अगस्त, 2012 में मुंबई के आजाद मैदान में असम दंगों के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन का हिंसा पर उतर आना कट्टरपंथियों के बढ़े दुस्साहस का एक और प्रमाण है। स्थानीय मुस्लिम संगठन रजा अकादमी के आह्वान पर जनसभा में शामिल होने के बहाने हजारों की संख्या में एकत्रित भीड़ ने पुलिस की गाड़ियां जला डालीं, न्यूज चैनलों की ओबी वैन जलाई गई और आसपास की दुकानों को लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया गया। इस दौरान पाकिस्तानी झंडे भी लहराए गए। इसके साथ ही पुणे, हैदराबाद आदि शहरों में पूर्वोत्तार के लोगों पर भी हमले किए गए। प्रश्न यह है कि एक समुदाय विशेष के कट्टरपंथी वर्ग को इस देश की कानून एवं व्यवस्था का खौफ क्यों नहीं है? अपनी हर उचित-अनुचित मांग को पूरा करने के लिए जब-तब हिंसा की प्रेरणा उसे कौन देता है?
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में दिल्ली विकास प्राधिकरण की जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई एक मस्जिद को ढहाने के लिए जब अधिकारी पहुंचे तो इसी तरह हिंसा के बल पर सुरक्षा जवानों और अधिकारियों को खदेड़ भगाया गया। दिल्ली के ही जोरबाग इलाके में अदालत के आदेश पर एक विवादित स्थल पर प्रवेश की अनुमति नहीं है, किंतु हिंसा के बल पर उसमें जबरन प्रवेश करने की जब-तब कोशिशें होती हैं। पुलिस मौन रहती है, जबकि आसपास के आम नागरिक खौफ के वातावरण में जीने को अभिशप्त हैं। क्यों? असम के दंगों के दौरान सेक्युलरिस्टों का वीभत्स चेहरा बेनकाब हुआ था। अवैध रूप से बस चुके बांग्लादेशी घुसपैठिए अब वहां के स्थानीय बोडो जनजातीय लोगों को हिंसा के बल पर मार भगाना चाहते हैं। उनकी पहचान मिटाने पर आमादा हैं, किंतु कांग्रेस दशकों से बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण प्रदान कर रही है, जिनके वोट बैंक के बूते वह असम की सत्ता पर कुंडली मारे बैठी है।
क्या वोट बैंक की राजनीति के लिए इन अवैध घुसपैठियों को इसलिए शरणार्थी मान लेना चाहिए कि वे मुस्लिम हैं? रोहयांग म्यांमारी और बांग्लादेशी घुसपैठियों का भारत से दूर-दूर का संपर्क नहीं है, फिर भी उन्हें संरक्षण दिलाने के लिए सेक्युलर दलों का एक बड़ा तबका चिंताग्रस्त है, किंतु उन हजारों हिंदुओं के लिए कोई फिक्रमंद दिखाई नहीं देता जो मजहबी उत्पीड़न और हिंसा से खौफजदा होकर बांग्लादेश और पाकिस्तान से पलायन कर अपने वतन लौटे हैं।
भारत में यदि मुस्लिम समाज में कट्टरवादी हावी हो रहे हैं और मजहबी जुनून को हवा मिल रही है तो इसका बड़ा श्रेय सेक्युलरिस्टों को जाता है, जो वोट बैंक की राजनीति के कारण मुस्लिम कट्टरपंथ को आंख बंद कर पोषित करते हैं। यही कारण है कि सीमा पार बैठी शक्तियां स्थानीय मुस्लिम युवाओं को काफिर और जिहाद के नाम पर उकसाने में सफल हो रही हैं। सेक्युलरिस्ट अशिक्षा को इस्लामी आतंक की प्रमुख वजह बताते आए हैं, किंतु कड़वी सच्चाई यह है कि मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग में मौजूद कट्टरपंथी मानसिकता ही वह उर्वर भूमि है जिसमें जिहाद की फसल लहलहा रही है। वस्तुत: सेक्युलरिस्टों के दोहरे मापदंड सामाजिक शांति, सौहार्द और भारत के परंपरागत बहुलतावादी समाज के लिए गंभीर खतरा हैं।
[लेखक बलबीर पुंज, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं]

हटाई माता 'धारी देवी' की मूर्ति तो उत्तराखंड में हुआ 'महाविनाश'

इसे चाहें तो अंधविश्वास कहें या महज एक संयोग! उत्तराखंड में हुई तबाही के लिए जहां लोग प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं उत्तराखंड के गढ़वाल वासियों का मानना है कि माता धारी देवी के प्रकोप से ये महाविनाश हुआ.
http://aajtak.intoday.in/story/superstition-or-co-incidence-locals-believe-kali-avtaar-dhari-devi-unleashed-the-floods-for-revenge-1-734467.html

कनाडा में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़

http://www.jagran.com/news/world-hindu-temple-in-canada-vandalised-10514364.html
कनाडा के एक वैदिक हिंदू मंदिर में दो लोगों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की घटना सामने आई है। इससे यहां अल्पसंख्यक समुदाय में गुस्से की लहर है। लोग इसे हिंदुओं के खिलाफ घृणा अपराध के रूप में देख रहे हैं।

कैलिफोर्निया में अक्टूबर में मनेगा हिंदू जागरुकता माह

http://www.jagran.com/news/world-california-declares-oct-as-month-for-hindu-awareness-10511189.html
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य की सीनेट ने हिंदू अमेरिकियों के योगदान को मान्यता देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। इसके तहत इस साल अक्टूबर को हिंदू जागरुकता माह के रूप में मनाने की घोषणा की गई है।
 

पांच रुपये के सिक्के पर मां वैष्णो देवी की तस्वीर पर विवाद

http://www.jagran.com/news/national-controversies-over-issue-rs-5-denomination-coins-on-vaishno-devi-10493831.html
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के 25 साल पूरे होने पर जारी देवी मां की तस्वीर वाले पांच रुपये के सिक्के को लेकर विवाद हो पैदा गया है। रिजर्व बैंक से जारी इन सिक्कों को लेकर मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है।

मलेशिया में दो हिंदू बच्चों का धर्मांतरण कराया

मलेशिया में भारतीय मूल के दो नाबालिग हिंदू बच्चों का धर्मांतरण उनकी मां की मर्जी के बगैर करवा दिया गया। इस विरोध में वहां प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/20665084.cms

अमरनाथ यात्रा में खलल डालना चाहते हैं आतंकी: परनायक

सेना के उत्तरी कमान प्रमुख केटी परनायक ने सोमवार को कहा कि खुफिया सूचना के मुताबिक आतंकियों का इरादा इस बार अमरनाथ यात्रा में खलल डालने का है। इसके लिए आतंकी टूथपेस्ट या किताब जैसी चीजों में बम छिपाकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन सेना उनके नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने देगी। 'ऑपरेशन शिवा' नामक अभियान चलाकर सेना श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेगी।
http://www.jagran.com/news/national-amarnath-yatra-on-terror-radar-says-parnaik-10486886.html

आगरा: दो समुदायों में भिड़ंत, आगजनी

http://www.jagran.com/news/national-clash-in-agra-10486811.html
अति संवेदनशील इलाका काजीपाड़ा में सोमवार को युवकों के खेल के झगड़े में सुलग गया। आमने-सामने आए दो समुदायों के बीच जमकर पथराव और मारपीट हुई। इसके बाद उपद्रवियों ने आगजनी शुरू कर दी। पथराव से फैली दहशत के कारण बाजार एकाएक बंद हो गया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और हवाई फायरिंग की। पथराव में कई लोग घायल भी हुए हैं।

पुलिसकर्मियों को कुचलने का प्रयास

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-10477985.html
वध के लिए ले जाए जाने वाले मवेशियों की धर पकड़ के दौरान शुक्रवार को डाफी टोल टैक्स के पास पशु तस्करों ने पुलिसकर्मियों को कुचलने का प्रयास किया। इस दौरान लंका पुलिस ने दो ट्रकों को पकड़ लिया जिस पर 37 मवेशी लदे थे। थाना प्रमुख देव प्रकाश यादव ने बताया कि इस बाबत कौशांबी व फतेहपुर के मो. रेहान, चांद बाबू, मो. जाकिर व बचानी गिरफ्तार किए गए। मवेशी वध के लिए कानपुर व इटावा ले जाए जा रहे थे।

खाड़ी देशों में मेरठ से भेजा जा रहा गोमांस

http://www.jagran.com/news/national-meerut-is-a-big-hub-of-beef-export-to-all-uae-and-gulf-10477393.html
खाड़ी देशों में बड़े पैमाने पर गोमांस निर्यात हो रहा था। डीएम के नेतृत्व में गढ़ रोड स्थित मुद्रा कोल्ड स्टोरेज [पैकेजिंग मीट प्लांट] में मारे गए छापे से यह पता चला है। मीट के आठ नमूनों की जांच कर मथुरा स्थित फोरेंसिक लैब ने गोमांस होने की पुष्टि कर दी है। प्लांट संचालकों के विरुद्ध मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। अब इकाई को सील करने की तैयारी है। इस मामले में मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने भी रिपोर्ट तलब की है।

25,000 बुजुर्गों को फ्री तीर्थयात्रा कराएगी IRCTC

राजस्थान सरकार इस साल 25 हजार बुजुर्गों को फ्री तीर्थयात्रा कराएगी. इस संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के तहत देवस्थान विभाग और रेल मंत्रालय के उपक्रम आई.आर.सी.टी.सी. के बीच समझौता पत्र (एम.ओ.यू) पर हस्ताक्षर हुए.
http://aajtak.intoday.in/story/rajasthan-govt-signs-deal-with-irctc-to-facilitate-free-pilgrimage-to-senior-citizens-1-733347.html

पाकिस्तान से हिंदू कर सकते हैं पलायन

http://www.jagran.com/news/world-hindu-lawmaker-in-pak-raises-fears-of-his-communitys-exodus-10466046.html
पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाओं के बीच एक हिंदू विधायक ने देश की नई सरकार से अपने समुदाय के लोगों के पलायन की आशंका जताई है। साथ ही उनके अधिकारों की रक्षा के लिए त्वरित और प्रभावी कानून बनाने का आह्वान किया है।

गो तस्करी के खिलाफ फूटा गुस्सा

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-10461853.html
गो तस्करी के खिलाफ हिन्दू जागरण मंच का गुस्सा शनिवार को फूट पड़ा। मंच के उत्तेजित कार्यकर्ताओं ने विरोध में रामेश्वर स्थित गोशाला के मुख्यद्वार पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की।

आतंकी छोड़ने पर तुली है यूपी सरकार: हाई कोर्ट

http://www.jagran.com/news/national-hc-stays-up-order-on-withdrawing-cases-against-terror-accused-10460341.html
उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैजाबाद, लखनऊ और वाराणसी की अदालतों में हुए धमाकों के आरोपी आतंकियों से मुकदमे वापसी की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार जिस तरीके से आतंकियों के मुकदमे वापस लेकर उन्हें छोड़ने पर आमादा है, उससे आम लोगों का जीना दूभर हो जाएगा।

वोट बटोरने की बेताबी

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-eagerly-plotting-votes-10449248.html
कट्टरवाद के तुष्टीकरण की होड़ में उत्तर प्रदेश की सरकार आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपियों की रिहाई के लिए बेचैन है। वस्तुत: पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान ही सेक्युलर दलों में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए होड़ लगी थी। राज्य सरकार की बेताबी चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने का प्रयास है। सत्ता हासिल करने के कुछ समय बाद ही सरकार ने 2006 के वाराणसी बम धमाके के आरोपी वलीउल्लाह और शमीम को रिहा करने का निर्णय किया था। सरकार के इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी गई थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए अदालत को कड़वी टिप्पणी के लिए बाध्य होना पड़ा। न्यायाधीश आरके अग्रवाल और आरएसआर मौर्य की पीठ ने तब कहा था, आज आप उन पर से मुकदमा हटाना चाहते हैं, कल क्या उन्हें पद्म भूषण देंगे? किंतु सरकार इस फटकार से जरा भी विचलित नहीं है।
उत्तार प्रदेश सरकार कचहरी ब्लास्ट केस में गिरफ्तार मोहम्मद खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का मन बना चुकी थी। खालिद की कोर्ट पेशी के दौरान मृत्यु हो चुकी है। सरकार ने उसके परिजनों को छह लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। एक आरोपी आतंकी के लिए इतनी उदारता क्यों? आतंकियों के हाथों मारे जाने वाले सुरक्षा जवानों या नागरिकों के लिए सरकार ऐसी ही चिंता क्यों नहीं करती? कट्टरपंथियों का आरोप है कि इन दोनों को एसटीएफ ने फर्जी तरीके से गिरफ्तार किया था। इस शिकायत की जांच के लिए बाकायदा आरडी निमेश कमीशन का गठन किया गया था। कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया है, 'खालिद मुजाहिद और कासमी की बाराबंकी में 22 दिसंबर, 2007 को हुई गिरफ्तारी संदिग्ध लगती है। इस गिरफ्तारी को लेकर दिए गए बयान व गवाहों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।'
वास्तविकता क्या है? 22 दिसंबर, 2006 को दिल्ली क्त्राइम ब्रांच और आइबी ने हुजी कमांडर व डोडा, जम्मू-कश्मीर के निवासी मोहम्मद अमीन बानी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में बानी ने ही इन दोनों आतंकियों का खुलासा किया था। उसने बताया कि 28 नवंबर, 2006 को वह खालिद मुजाहिद से मिलने जौनपुर गया था, जहां उसकी मुलाकात आजमगढ़ के तारिक कासमी से हुई। दोनों ने कश्मीर में चल रहे आंदोलन में सक्त्रिय सहयोग के लिए हामी भरी थी। खालिद मुजाहिद तो 2004 से ही हुजी कमांडरों के संपर्क में था। हवाला के साढ़े चार लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार बानी ने पूछताछ में बताया था कि इस रकम से हुजी के लिए असलहे व अन्य संसाधन जुटाने थे। उसने बताया कि जौनपुर निवासी मोहम्मद खालिद ने उल्फा के लोगों से असलहे खरीदने के लिए हुजी से रकम जुटाने को कहा था। बानी इसी रकम को लेने के लिए दिल्ली आया था। मोहम्मद खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी की गिरफ्तारी से एक साल पूर्व ही खुद हुजी के कमांडर ने उनके आतंकी गतिविधियों में संलग्न होने का खुलासा कर दिया था। ऐसे में इन दोनों आतंकियों को बेगुनाह कैसे बताया जा रहा है?
जिन युवकों पर आतंकवाद में शामिल होने का आरोप है, उन्हें सेक्युलर दल न केवल अपनी ओर से 'क्लीन चिट' थमा रहे हैं, बल्कि भारत की न्यायिक व्यवस्था को दुनिया की नजरों में कलंकित करने का भी कुप्रयास कर रहे हैं। यह कैसी मानसिकता है? अभी कुछ समय पूर्व सेक्युलर दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री से मिलकर जेलों में बंद कथित निर्दोष मुसलमानों को रिहा करने की अपील की थी। इस देश की न्याय व्यवस्था को कलंकित करने का प्रयास करने वाले सेक्युलरिस्टों को अजमल कसाब का दृष्टांत सामने रखना चाहिए। ज्वलंत साक्ष्यों और सैकड़ों प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के बावजूद कसाब को दंडित करने में न्यायपालिका को चार साल लग गए। इस लंबी न्यायिक प्रक्त्रिया में कसाब को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर भी दिया गया।
इस तरह की क्षुद्र राजनीति से जहां एक ओर आतंकवाद को प्रोत्साहन मिलता है वहीं सुरक्षा बलों का मनोबल भी टूटता है। वस्तुत: यह विकृत मानसिकता वोट बैंक की सेक्युलर राजनीति से प्रेरित है। इसी मानसिकता के कारण देश की संप्रभुता के प्रतीक संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु की फांसी की सजा लंबे समय तक अधर में लटकाए रखी गई। कश्मीर के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अफजल को फांसी देने से कानून एवं व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है तो वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला घाटी में फिर से आतंकवाद के जिंदा होने की धमकी देते रहे। क्या सेक्युलर नेताओं का यह रवैया मुसलमानों के राष्ट्रप्रेम पर प्रश्न नहीं लगाता? क्या तथाकथित सेक्युलर दल यह मानकर चलते हैं कि भारत के साधारण मुसलमान की सहानुभूति भारत के साथ न होकर आतंकियों के साथ है? क्या यह धारणा भारत के आम मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं है? कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने सत्ता में आते ही राजग सरकार द्वारा लागू पोटा को निरस्त कर दिया था। सेक्युलरवादियों का आरोप था कि सांप्रदायिक भाजपा ने मुसलमानों को प्रताड़ित करने के लिए पोटा जैसा कानून बनाया था। आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कानून नहीं होने का परिणाम है कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस्लामी चरमपंथियों के हौसले बुलंद हैं। इस देश की जांच एजेंसियों या पुलिस पर मुस्लिम समाज के उत्पीड़न का आरोप समझ से परे है। न तो पुलिस और न ही सरकार ने आतंकवाद को लेकर मुस्लिम समुदाय को कठघरे में खड़ा किया है। अभी हाल में दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ में सेक्युलरिस्टों ने आतंकियों के हाथों शहीद हुए जवानों की अनदेखी कर इस मुठभेड़ को फर्जी साबित करने की कोशिश की थी। मुसलमानों को अपने समुदाय में छिपे उन भेड़ियों की तलाश करनी चाहिए जो दहशतगदरें को पनाह देते हैं। मुंबई पर इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ, क्या वह सीमा पार कर अचानक घुस आए जिहादियों के द्वारा संभव था?
मुस्लिम कट्टरपंथियों के साथ कांग्रेस व उसके सेक्युलर संगियों का गठजोड़ नया नहीं है। शाहबानो से लेकर अब्दुल नसीर मदनी तक सेक्युलर विकृतियां सभ्य समाज के लिए गंभीर खतरा हैं। कोयंबटूर बम धमाके के आरोपी मदनी को पैरोल पर रिहा करने के लिए कांग्रेस और मा‌र्क्सवादियों ने होली की छुट्टी वाले दिन सदन का विशेष सत्र आयोजित कर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। अभी मदनी कर्नाटक पुलिस की गिरफ्त में है। केरल में उसका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कांग्रेस और मा‌र्क्सवादियों में होड़ लगी रहती है। आज यदि सेक्युलर दल आतंकवाद के आरोप में जेलों में बंद मुस्लिम युवाओं से सहानुभूति प्रकट कर रहे हैं तो आश्चर्य कैसा?
[लेखक बलबीर पुंज, राज्यसभा सदस्य हैं]

गोहत्या के लिए उकसाने के आरोप में फेसबुक पर मुकदमा

 http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/case-filed-against-facebook-for-inciting-cow-slaughter/articleshow/20154598.cms
रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक पर एक समूह द्वारा खुलेआम गोहत्या की तारीफ करते हुए इसके लिए उकसाया जा रहा है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि समूह में शामिल कई यूजर्स कई तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों के जरिए सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
 

ब्लास्ट आरोपी की रिहाई को सपा सरकार डालेगी विशेष याचिका

http://www.jagran.com/news/national-up-blast-accused-special-plea-10409614.html
कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की मौत के बाद अब सपा सरकार दूसरे अभियुक्त तारिक काजमी के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की वापसी के लिए हाई कोर्ट में विशेष याचिका दायर करेगी। यह कदम बाराबंकी की न्यायालय से मुकदमा वापसी की शासन की सिफारिश खारिज होने के बाद उठाया जा रहा है। इसके लिए जिलाधिकारी मिनिस्ती एस ने अभियोजन विभाग से तैयार मसौदे को शासन को सौंप दिया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी योग-आयुर्वेद की शरण में

http://www.jagran.com/news/national-world-health-organization-in-the-shelter-of-ayurveda-and-yoga-10401006.html
विश्व स्वास्थ्य संगठन [डब्लूएचओ] भी योग और आयुर्वेद की शरण में है। डब्लूएचओ ने दुनिया को रोग मुक्त बनाने के इरादे से योग और आयुर्वेद को जरूरी प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है। दोनों ही पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए इसने पहली बार भारत में एक-एक साझेदारी केंद्र शुरू किए हैं। इससे न सिर्फ विभिन्न बीमारियों के इलाज में योग और आयुर्वेद के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दुनिया भर में इन पर लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा।

अल्पसंख्यकों को हुनरमंद बनाने को सालभर का कोर्स

http://www.jagran.com/news/national-special-programme-for-minority-community-10401008.html
देश में चुनावी माहौल बनने के बीच सरकार की नजर रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुस्लिम समुदाय के युवाओं पर भी पहुंच गई है। अब वह उन्हें स्थानीय उद्योग-धंधों की जरूरतों के लिहाज से हुनरमंद बनाएगी। युवकों को इसके लिए एक साल पढ़ाई करनी होगी व प्रशिक्षण लेना होगा। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, अलीगढ़, बरेली, भदोही और खुर्जा से लेकर जम्मू-कश्मीर तक के स्थानीय उद्योगों के मद्देनजर उन्हें रोजगार के काबिल बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट के नये कोर्स शुरू होंगे। पास होने वालों को सर्टिफिकेट मिलेगा।