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Tuesday, September 11, 2012

'चाहें तो हमें गोली मार दें, लेकिन पाकिस्तान वापस नहीं जाएंगे'

 तीर्थ यात्रा के नाम पर आए हिंदुस्तान गए पाकिस्तानी हिंदुओं के एक और जत्थे ने पाकिस्तान लौटने से इनकार कर दिया है। इस समूह के सदस्यों का कहना है कि उसे भले वहां मार दिया जाए, मगर वह वापस पाकिस्तान नहीं जाएगा। इस समूह के कुछ लोगों ने पाकिस्तान में अपनी दुर्दशा बताते हुए कहा कि वे पाकिस्तान में अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाते।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/16336985.cms

Tuesday, September 4, 2012

'पाक सरकार के सामने उठाया हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा'

http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-257696.html
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों के साथ कथित लूटपाट, अपहरण, विशेषकर लड़कियों के, तथा उनका धर्म परिवर्तन कराने आदि की घटनाओं संबंधी खबरों को लेकर पड़ोसी देश से अपनी चिंता व्यक्त की गई है।

असम में नहीं रुक रही राहत शिविरों में आमद

http://www.jagran.com/news/national-1540-people-join-relief-camps-in-kokrajhar-and-chirang-9626319.html
गुवाहाटी। असम के हिंसाग्रस्त बोडो बहुल इलाकों में लोगों के राहत शिविरों में शरण लेने का सिलसिला जारी है। सरकारी बयान में शांति बताए के बावजूद हाल के दिनों में कोकराझाड़ और चिरांग जिलों के राहत शिविरों में 1,540 लोग आए हैं। आने वालों में 1,390 बोडो आदिवासी हैं।

Monday, August 27, 2012

नापाक चेहरे का सच


अनुभूति और आस्था न्यूनतम मानवाधिकार हैं। अपने रस, छंद और अनुभव के आधार पर जीना हरेक मनुष्य का मौलिक अधिकार है, लेकिन पाकिस्तान में हिंदू होना एक गंभीर अपराध है। एक गहन यंत्रणा, असहनीय व्यथा और तिल-तिल कर मरने वाला मनस्ताप। बेटियों को पिता, मां और भाइयों के सामने उठा लिया जाता है, दुष्कर्म होते हैं। न पुलिस सुनती है और न सरकार। कट्टरपंथी जमातों के लिए वे काफिर हैं। वे मूर्तिपूजक हैं, वे दीन पर ईमान नहीं लाते सो उन्हें जीने का अधिकार नहीं। भारत सरकार मौन है। पाकिस्तानी मीडिया बेशक प्रशंसनीय है। एक पाकिस्तानी अखबार ने जकोबाबाद में 17 वर्षीय हिंदू लड़की के अपहरण पर टिप्पणी की और ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की भी मांग की थी। एक अन्य समाचार पत्र ने बीते 11 अगस्त को लिखा, हिंदू व्यापारियों का अपहरण, लूट व संपत्ति पर कब्जा और धर्म विरोधी वातावरण के कारण वे मुख्यधारा से अलग हैं। ऐसा कोई मंच नहीं दिखता जहां उन्हें न्याय मिले, लेकिन भारत के मानवाधिकारवादी कथित सेक्युलर इस अंतरराष्ट्रीय उत्पीड़न पर भी मौन हैं। सारी दुनिया के हिंदू और संवेदनशील सन्न हैं और पाकिस्तानी कट्टरपंथी प्रसन्न। पाकिस्तान का जन्म स्वाभाविक नहीं था। राष्ट्र मजहब से नहीं बनते। वरना ढेर सारे मुस्लिम मुल्क न होते, लेकिन जिन्ना की मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को अलग राष्ट्र बताया। ब्रिटिशराज, कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने मिलकर भारत बांटा। जिन्ना ने पाकिस्तान को इस्लामी रंगत वाला सेक्युलर मुल्क बनाने का दावा किया, लेकिन पाकिस्तान अपने जन्म के 24 वर्ष के भीतर ही टूट गया, पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश हो गया। वह 65 बरस बाद भी न गणतंत्र बन पाया और न एक संगठित राष्ट्र। कायदे से कायदे आजम जिन्ना की सोच में ही खोट था। हालांकि पाक संविधान में धर्मपालन की आजादी है, विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन ईश निंदा पर सजा-ए-मौत है। विचार अभिव्यक्ति की आजादी पर तलवारें हैं। शरीय कानूनों की भी मार है। पाकिस्तानी समाज पर संविधान और सरकार का नियंत्रण नहीं। समाज कट्टरपंथी आक्रामक तत्वों के हवाले है। सरकार की दो ताकतवर भुजाए हैं-सेना और आइएसआइ। दोनों भारत विरोधी हैं, स्वाभाविक ही हिंदू विरोधी भी हैं। पाकिस्तानी कट्टरपंथी हिंदुओं को इंसान नहीं मानते। हिंदू अघोषित जिम्मी हैं। इस्लामी परंपरा के भाष्यकार अबूहनीफा [699-766 ई.] ने गैरमुस्लिमों को छूट दी थी कि वे इस्लाम या मौत के चुनाव के अलावा जजिया कर देते हुए निम्न स्थिति में जिम्मी होकर रहें। पाकिस्तान के हिंदुओं की त्रासदी नई नहीं है। सिंध के पहले हमलावर और विजेता मोहम्मद बिन कासिम ने भी यही कायदा लागू किया था। हिंदुओं का बड़ी संख्या में मतांतरण कराना या मौत के घाट उतारना कठिन था। उसने सिंध के हिंदुओं को ऐसी ही निम्न स्थिति में रहने की छूट दी थी। तुर्की और अफगान विजेताओं ने भी गैरमुस्लिमों के मामले में यही नीति अपनाई थी। भारत के मुसलमान अल्पसंख्यक कहे जाते हैं। संविधान ने उन्हें विशेष सुविधाएं दी हैं। उनकी शिक्षण संस्थाओं पर सामान्य शिक्षा कानून लागू नहीं होते। वे हज जैसी धार्मिक यात्रा पर जाते हैं, सरकार सब्सिडी देती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राष्ट्रीय संसाधनों पर उनका पहला अधिकार बताते हैं। वे दीगर मुल्क म्यांमार की कथित मुस्लिम उत्पीड़न की वारदात पर मुंबई, लखनऊ, कानपुर आदि में हमला करते हैं। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदुओं को पाक संविधान में क्या अधिकार हैं? उन्हें अयोध्या, मथुरा, काशी या रामेश्वरम की तीर्थ यात्रा में पाक सरकार कोई सुविधा या सब्सिडी नहीं देती। आखिरकार भारत में अल्पसंख्यक होने का मजा और पाक में अल्पसंख्यक होने की इतनी बड़ी सजा के मुख्य कारण क्या हैं? पाकिस्तानी सरकार विश्वसनीय नहीं है। अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए विशेष चिंता वाला देश माना है। पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग ने भी अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की बात को सही पाया है। लोकसभा में यह मसला भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 13 अगस्त को उठाया था। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे को पाकिस्तान के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी रखने की मांग की। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताया। बीजद के नेता भतर्ृहरि मेहताब ने राय दी कि जो हिंदू भारत आना चाहते हैं उनके लिए दरवाजे खोल देने चाहिए। भारतीय जनता की बेचैनी वाजिब है। पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं की व्यथा कथा आंसुओं से भीगी है। वे वापस नहीं जाना चाहते, लेकिन केंद्र सरकार का बयान लज्जाजनक है कि वीजा अवधि समाप्ति के बाद हिंदुओं को पाकिस्तान लौटना ही होगा। सरकार उनका दुख क्यों नहीं समझती? कीट-पतंगें, पशु-पक्षी भी अपने घर को प्यार करते हैं। यहां लोग अपना घर, व्यापार और संपदा छोड़कर भाग रहे हैं और कानूनी घेरे के बावजूद नहीं लौटना चाहते तो साफ है कि पाकिस्तानी अत्याचार अब बर्दाश्त के बाहर है। बलात मतांतरण मानवाधिकार का उल्लंघन हैं। दुष्कर्म और जबरन विवाह त्रासद हैं। देश विभाजन के बाद 1951 में भारत की मुस्लिम आबादी 10.43 प्रतिशत थी और हिंदू 87.24 प्रतिशत। इसी साल पाकिस्तान की हिंदू आबादी [बांग्लादेश सहित] 22 प्रतिशत थी। 2001 की भारतीय जनगणना में यहां मुस्लिम आबादी 10.43 से बढ़कर 13.42 प्रतिशत हो गई, लेकिन पाकिस्तान की हिंदू आबादी लगभग 1.8 प्रतिशत ही रह गई। कहां गए पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू? क्या सबके सब यों ही खुशी-खुशी मतांतरित हो गए? कोई तो वजह होगी ही। यह पाकिस्तान का घरेलू मसला नहीं है। यह मानवाधिकार उल्लंघन का अंतरराष्ट्रीय सवाल है। भारत विभाजन के समय मुस्लिम लीगी आक्त्रामकता थी। कहा गया था कि मुसलमानों को पाकिस्तान देने से सांप्रदायिक समस्या का अंत होगा, लेकिन सारा देश विभाजन के विरुद्ध था। डॉ. अंबेडकर दूरदर्शी थे। उन्होंने पाकिस्तान का समर्थन किया था, लेकिन दोनों देशों की सांप्रदायिक जनसंख्या की अदलाबदली का सुझाव भी दिया था। सांप्रदायिक समस्या समाधान के लिए ही बुल्गारिया और ग्रीस व ग्रीस व तुर्की के बीच जनसंख्या की अदलाबदली हुई थी। पाकिस्तान अपने मुल्क को हिंदूविहीन बना रहा है। कट्टरपंथी बलात मतांतरण करवा रहे हैं। केंद्र को कोई नीति तो बनानी ही होगी। सरकार श्रीलंका के तमिलों पर सहानुभूति की मुद्रा में थी। मसला यह भी दूसरे देश का था। गांधीजी तुर्की के खलीफा को लेकर भारत में आंदोलन चला रहे थे, लेकिन भारत सरकार हिंदू उत्पीड़न पर भी मौन है, क्योंकि वे वोट बैंक नहीं है।
[लेखक हृदयनारायण दीक्षित, उप्र विधानपरिषद के सदस्य हैं]

Wednesday, August 22, 2012

पाक में हिंदू-मुस्लिम बच्चों के क्लास अलग-अलग

अटारी, जागरण संवाददाता। पाकिस्तान में हिंदुओं व सिखों के साथ क्या हो रहा है, यह उन चेहरों को देखने से बयां हो जाता है जो हर दिन समझौता एक्सप्रेस से अपने पूरे परिवार के साथ भारत आ रहे हैं। सोमवार को पाकिस्तान से 41 लोग भारत आए।
http://www.jagran.com/news/national-pak-hindu-muslim-children-class-individually-9585770.html

Monday, August 20, 2012

जब चिड़िया चुग गई खेत तब जागी सरकार

असम हिंसा की अफवाहों को लेकर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों और सरकार दोनों का खराब रिकॉर्ड सामने आया है। सूचना तकनीक के विशेषज्ञों की नजर में अफवाहों को रोकने और उन्हें हटाने को लेकर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें और सरकार जिम्मेदार भूमिका निभा सकती थीं। मगर ऐसा नहीं हुआ। सरकार अब इन साइटों पर कड़ी नजर रखने की बात कर रही है। जबकि वह सूचना तकनीक कानून के तहत ऐसे अधिकारों से लैस है। वह चाहे तो वेबसाइटों पर रोक लगा कर उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दे सकती थी। मगर ऐसा नहीं किया गया।
http://www.amarujala.com/National/assam-violence-social-media-fanning-rumours-triggering-panic-30888.html

हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाएगा पाकिस्तान

इस्लामाबाद।। पाकिस्तानी हिंदुओं के बड़ी तादाद में भारत जाने की खबरों के बीच राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध सरकार को एक मसौदा कानून बनाने का निर्देश दिया है। इस कानून के जरिए संविधान में संशोधन किया जाएगा ताकि दक्षिणी प्रांत में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण को रोका जा सके।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15548773.cms

Friday, August 17, 2012

संसद की खतरनाक चुप्पी

विगत शनिवार को मुंबई के आजाद मैदान में असम दंगों के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन का हिंसा पर उतर आना क्या रेखांकित करता है? स्थानीय मुस्लिम संगठन रजा अकादमी के आव्हान पर जनसभा में शामिल होने के बहाने हजारों की संख्या में एकत्रित भीड़ ने पुलिस की गाड़ियां जला डालीं, न्यूज चैनलों के ओबी वैन जलाए गए और आसपास की दुकानों को लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया गया। इस दौरान पाकिस्तानी झंडे भी लहराए गए। प्रश्न यह है कि एक समुदाय विशेष के कट्टरपंथी वर्ग को देश की कानून-व्यवस्था का खौफ क्यों नहीं है? अपनी हर उचित-अनुचित मांग को पूरा करने के लिए जब-तब हिंसा की प्रेरणा उन्हें कौन देता है? मुंबई के उपरोक्त कांड से तीन कटु सत्य सामने आते हैं। पहला, देश में एक बड़ा वर्ग है, जो मजहब और मजहबी रिश्तों को देश की मिट्टी के साथ संबंध से बड़ा मानता है। नहीं तो कोई कारण नहीं था कि इस एकत्रित भीड़ की सहानुभूति बोडो लोगों के साथ ना होकर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति होती। दूसरा, उक्त विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तानी झंडे फहराने का अर्थ यह है कि बहुत से भारतीयों की पहली प्रतिबद्धता पाकिस्तान के साथ है। तीसरा, वोट बैंक की राजनीति से मोहग्रस्त कथित सेक्युलर दलों में से किसी ने भी इस हिंसक घटना की निंदा नहीं की। उनका इस विषय में मौन रहना और पुलिस को पंगु बनाए रखना ही कट्टरपंथियों को प्रोत्साहन दे रहा है। मुंबई जैसी हिंसा वस्तुत: सेक्युलरिस्टों के दोहरे चाल-चरित्र का परिणाम है। सब जानते हैं कि असम की हिंसा के पीछे देश में अवैध रूप से घुसपैठ कर यहां बस चुके बांग्लादेशियों का हाथ है, किंतु संसद से लेकर मीडिया के एक बड़े वर्ग ने इस संबंध में चुप्पी साध रखी है। राज्य और केंद्र सरकार असम दंगों में बांग्लादेशियों का हाथ बताने से परहेज करती आई है। उच्च सदन में मैंने 8 अगस्त को बांग्लादेशी घुसपैठियों की चर्चा की थी, किंतु इस चर्चा में भाग लेने वाले अधिकांश सेक्युलर नेताओं ने लीपापोती करने का ही काम किया, इस खूनी संघर्ष के असली कारणों की चर्चा नहीं की। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने एक राहत शिविर का दौरा करने के बाद कहा कि असम में अब विभिन्न समुदायों के लोग रह रहे हैं। इन सब को शांति से रहना सीखना होगा। अर्थात स्थानीय जनजाति के लोगों को विदेशी घुसपैठियों द्वारा उनकी संपत्ति, सम्मान और पहचान के ऊपर होते आक्रमण के साथ समझौता करना सीखना होगा। जब सत्ता अधिष्ठान देश की संप्रभुता के साथ समझौता कर ऐसी कायरता दिखाएगा तो स्वाभाविक तौर पर अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। वस्तुत: असम के दंगे केवल असम का मामला नहीं है और ना ही यह बोडो जनजातियों तक सीमित है। करोड़ों की संख्या में अवैध रूप से घुसपैठ कर आए बांग्लादेशी नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं। यह तब और गंभीर हो जाता है, जब वोट बैंक के कारण इस देश की संप्रभुता को चुनौती देने वालों को संरक्षण प्रदान किया जाता है। बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ बताई जाती है। इनके कारण देश के कई प्रांतों का जहां जनसंख्या स्वरूप तेजी से बदला है, वहीं वे कानून-व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा बन रहे हैं। असम में बस चुके अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के निष्कासन को असंभव बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने 1983 में जो आइएमडीटी एक्ट बनाया था, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने सन् 2005 में असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। सरकार को तब यह निर्देष दिया गया था कि वह बांग्लादेशियों की पहचान और उन्हें देश से बाहर करना सुनिश्चित करे। वह काम अधर में लटकाए रखा गया है। क्यों? इसे सन 2008 में गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा बाग्लादेशी नागरिकों के कारण पैदा हुई विसंगति पर की गई टिप्पणी से सहज समझा जा सकता है। 61 बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान संबंधी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह नोट किया कि उनमें से अधिकांश के पास राशन कार्ड, वोटर कार्ड और पासपोर्ट हैं। उनमें से एक, जिसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था, ने 1996 में असम का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। सांसदों-विधायकों के चुनाव और अंतत: इस देश के नीतिनिर्माण में इन बांग्लादेशियों की घुसपैठ की गंभीरता को चिह्नित करते हुए कोर्ट ने तब कहा था कि असम में बांग्लादेशी किंगमेकर बन चुके हैं। आज ये प्रवासी मुसलमान असम की राजनीति में सर्वाधिक प्रभावी हैं। बांग्लादेश से निरंतर आ रहे घुसपैठिए सार्वजनिक जमीनों में बस्तियां आबाद करने के बाद स्थानीय नागरिकों को उनके घरों से बेदखल कर खदेड़ भगाना चाहते हैं। सवाल उठता है कि यह देश क्या धर्मशाला है, जहां कभी बांग्लादेश से तो कभी म्यांमार से अवैध घुसपैठिए बेरोकटोक आ धमकते हैं और स्थानीय जनजीवन को अस्तव्यस्त करते हैं? इन अवैध घुसपैठियों को इसलिए शरणार्थी मान लेना चाहिए कि वे मुस्लिम हैं? रोहयांग म्यांमारी और बांग्लादेशी घुसपैठियों का भारत से दूर-दूर का संपर्क नहीं है, फिर भी उन्हें संरक्षण दिलाने के लिए सेक्युलर दलों का एक बड़ा तबका चिंताग्रस्त है। किंतु उन हजारों हिंदुओं के लिए कोई फिक्त्रमंद दिखाई नहीं देता जो मजहबी चरमपंथ और हिंसा से आतंकित होकर पाकिस्तान से पलायन कर भारत में शरण की उम्मीद लगाए बैठे हैं। चौदह वर्षीय मनीषा कुमारी के अपहरण और बलात मत परिवर्तन के बाद उससे जबरन निकाह की ताजा घटना के साथ विगत शुक्रवार को ढाई सौ हिंदू-सिख परिवार भारत में शरण के लिए आए हैं। उनके समर्थन में भारत 
माता की जयघोष के साथ मुंबई जैसा प्रदर्शन क्यों नहीं होता? [लेखक बलबीर पुंज, भाजपा के राच्यसभा सांसद हैं]
http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-opinion2-9570757.html

पाकिस्तान से 118 हिन्दुओं का जत्था पहुंचा भारत

पाकिस्तान में आतंक के साये में जी रहे हिन्दुओं का 118 सदस्यीय जत्था गुरुवार को समझौता एक्सप्रेस से स्वदेश लौटा। स्वदेश लौटे इन हिन्दुओं के चेहरों पर आतंक का खौफ इतना है कि वे वापस पाकिस्तान जाने को लेकर आशंकित हैं।
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-252476.html

पाकिस्तानी मीडिया ने स्वीकारा, हिंदुओं पर हुआ अत्याचार

इस्लामाबाद। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदू कई दशकों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में कही है। अखबार ने हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों के पाकिस्तान में रहने और उन्हें यहां सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत पर भी बल दिया है।
http://www.jagran.com/news/world-cant-be-denied-hindus-faced-persecution-pakistani-daily-9570802.html 

Thursday, August 16, 2012

पाक हिन्दुओं को दिए जाएंगे लॉन्ग टर्म वीजा: सरका

नई दिल्ली।। पाकिस्तान में अत्याचारों के चलते भारत पहुंच रहे सैकड़ों हिन्दुओं के बारे में सरकार ने कहा है कि अगर वे नियम और शर्तों के तहत आवेदन करते हैं तो देश में रहने के लिए उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा दिया जाएगा।
http://navbharattimes.indiatimes.com/pak-hindus-to-get-long-term-visas-if-they-apply-properly-govt/articleshow/15514306.cms

Monday, August 13, 2012

पाकिस्तानी हिंदू नेता ने मांगी भारत व अमेरिका से मदद

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सिंध प्रांत के मीरपुरखास और आस-पास के इलाकों में 20 हिंदू परिवारों द्वारा देश छोड़ देने के बावजूद भी इस समुदाय के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने पाकिस्तान में भारत और अमेरिकी मिशनों से इस संबंध में मदद मांगी है।
http://www.jagran.com/news/world-hindu-leaders-in-pak-approach-indian-us-missions-for-help-9561799.html

Sunday, August 12, 2012

संसद में उठेगा हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का मामला

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार को अमानवीय बताते हुए केंद्र सरकार से पड़ोसी मुल्क को मदद देने वाले देशों पर दबाव डलवाकर उनकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था कराए जाने की मांग की।
http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/article1-story-0-0-251126.html

हिन्दुओं की सुरक्षा पर जागे जरदारी

इस्लामाबाद।। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध प्रांत के हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना की खबरों के बाद सांसदों की तीन सदस्यीय समिति गठित की है। समिति प्रांत के अलग-अलग हिस्सों में जाकर हिन्दू समुदाय में फिर से भरोसा बहाल करेगी।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15449732.cms

Saturday, August 11, 2012

प्रताड़ित हिंदुओं का पाकिस्तान से पलायन

दुकानों में  लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं। यह जानकारी एक मीडिया रपट में सामने आई है।
http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-250905.html

Friday, August 10, 2012

पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू लड़की अगवा

इस्लामाबाद।। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 14 साल की एक हिंदू लड़की के अगवा होने के बाद से वहां रह रहे अल्पसंख्यक परिवार पलायन करने पर मजबूर हो गए हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15420372.cms

पाक में हिंदू युवती से दुष्कर्म

इस्लामाबाद। एक हिंदू युवती के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में यहां एक मुस्लिम युवक को गिरफ्तार किया गया है। युवक ने दावा किया था कि युवती ने इस्लाम धर्म कबूल कर उससे निकाह किया था, जबकि युवती ने इन दावों को खारिज कर दिया।
http://www.jagran.com/news/world-pakistan-hindu-girl-denied-conversion-9547504.html

Saturday, August 4, 2012

कश्मीरी पंडितों को वादी छोड़ने का फरमान

श्रीनगर [जागरण ब्यूरो]। उमर अब्दुल्ला सरकार पंडितों की वापसी लायक माहौल बनने के लाख दावे करे, लेकिन आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने कश्मीरी पंडितों को सात दिन के अंदर वादी छोड़ने का फरमान सुनाया है।

Wednesday, August 1, 2012

अफगानिस्तान में घटी अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिखों की आबादी : अमेरिका

वाशिंगटन: अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिखों की आबादी घट रही है और इन समुदायों को अपने मृत लोगों का दाह संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित एक अमेरिकी रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है।
http://khabar.ndtv.com/news/show/minority-hindus-and-sikhs-are-decreasing-in-afghanistan-us-24560?cp


पाक में हर महीने 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण

वाशिंगटन। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और खासतौर पर हिंदुओं के साथ होने वाले भेदभाव पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में गहरी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को अपहरण और जबरन धर्म-परिवर्तन का डर लगा रहता है। इसी प्रकार से बाग्लादेश में रहने वाले हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
http://www.jagran.com/news/world-every-months-25-hindu-girls-kidnepped-in-pak-9524127.html