Friday, August 17, 2012

पाकिस्तान से 118 हिन्दुओं का जत्था पहुंचा भारत

पाकिस्तान में आतंक के साये में जी रहे हिन्दुओं का 118 सदस्यीय जत्था गुरुवार को समझौता एक्सप्रेस से स्वदेश लौटा। स्वदेश लौटे इन हिन्दुओं के चेहरों पर आतंक का खौफ इतना है कि वे वापस पाकिस्तान जाने को लेकर आशंकित हैं।
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-252476.html

पाकिस्तानी मीडिया ने स्वीकारा, हिंदुओं पर हुआ अत्याचार

इस्लामाबाद। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदू कई दशकों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में कही है। अखबार ने हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों के पाकिस्तान में रहने और उन्हें यहां सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत पर भी बल दिया है।
http://www.jagran.com/news/world-cant-be-denied-hindus-faced-persecution-pakistani-daily-9570802.html 

Thursday, August 16, 2012

पाक हिन्दुओं को दिए जाएंगे लॉन्ग टर्म वीजा: सरका

नई दिल्ली।। पाकिस्तान में अत्याचारों के चलते भारत पहुंच रहे सैकड़ों हिन्दुओं के बारे में सरकार ने कहा है कि अगर वे नियम और शर्तों के तहत आवेदन करते हैं तो देश में रहने के लिए उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा दिया जाएगा।
http://navbharattimes.indiatimes.com/pak-hindus-to-get-long-term-visas-if-they-apply-properly-govt/articleshow/15514306.cms

Wednesday, August 15, 2012

अमरनाथ यात्रियों की सुविधाओं पर काम करे सरकार

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अमरनाथ यात्रियों को सुविधाएं दिए जाने के मद्देनजर सरकार और अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आदेश दिया है कि वह बर्फबारी से पहले यात्रियों की सुविधाओं के लिए कुछ काम करके दिखाए। कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह नहीं सुनना है कि अब तक क्या हुआ है।
http://www.jagran.com/news/national-supreme-court-slams-jk-government-and-amarnath-shrine-board-for-amarnath-yatra-9564606.html

मुंबई हिंसा के पीछे असम के अल्पसंख्यक नेता पर शक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। असम के हालात को लेकर शनिवार को मुंबई में हुई हिंसा सुनियोजित थी। आशंका है कि इसके पीछे असम से आए किसी नेता का हाथ हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किया गया है। गृह मंत्रालय ने हिंसा के पीछे असम लिंक की गहराई से जांच करने को कहा है।
http://www.jagran.com/news/national-mumbai-violence-pre-planned-9565759.html

Monday, August 13, 2012

पाकिस्तानी हिंदू नेता ने मांगी भारत व अमेरिका से मदद

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सिंध प्रांत के मीरपुरखास और आस-पास के इलाकों में 20 हिंदू परिवारों द्वारा देश छोड़ देने के बावजूद भी इस समुदाय के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने पाकिस्तान में भारत और अमेरिकी मिशनों से इस संबंध में मदद मांगी है।
http://www.jagran.com/news/world-hindu-leaders-in-pak-approach-indian-us-missions-for-help-9561799.html

Sunday, August 12, 2012

केरल में फर्जी नामों से काम कर रहे प्रतिबंधित संगठन

तिरुवनंतपुरम। कई प्रतिबंधित संगठनों ने केरल में फर्जी नामों से काम करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] को सुबूत मिले हैं कि सिमी जैसे संगठन दोबारा सक्रिय हो गए हैं। ऐसी ज्यादातर रिपोर्ट उत्तरी केरल के कासारगोड, कन्नूर, कोझिकोड और मलाप्पुरम जिलों से मिली हैं।
http://www.jagran.com/news/national-banned-outfits-working-under-bogus-names-in-kerala-nia-9558935.html

संसद में उठेगा हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का मामला

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार को अमानवीय बताते हुए केंद्र सरकार से पड़ोसी मुल्क को मदद देने वाले देशों पर दबाव डलवाकर उनकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था कराए जाने की मांग की।
http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/article1-story-0-0-251126.html

वोट बैंक की राजनीति से रंगा है असम


नई दिल्ली, [सुमन अग्रवाल]। देश के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में लगभग एक माह से जारी हिंसा ने अब तक 78 लोगों की जान ले ली हैं और लाखों को बेघर कर दिया है। असम में जल रही यह आग उस विनाश की ओर इशारा कर रही है जो अभी तो सिर्फ असम को जला रही है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आग कई और राज्यों तक फैलने की उम्मीद है। जहां एक तरफ हम देश का 66वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी में जुटे हैं, वहीं असम के स्थानीय लोग अपने ही मूल अधिकारों से वंचित होकर अपने को पिछड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।
असम में फैली हिंसा को लेकर राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है, लेकिन हिंसा फैलने का कोई ठोस कारण अब तक सामने नहीं आ पा रहा है। सीबीआई भी हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौरा कर चुकी है। लेकिन अब तक कोई कारण सामने नहीं आया है। लेकिन अब माना जा रहा कि इसके पीछे बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ सबसे बड़ा कारण है। इस वजह से असम के स्थानीय लोग अपने को अधिकारों से वंचित होता महसूस कर रहे हैं।
घुसपैठ एक बड़ा कारण
असम सरकार के मुताबिक असम के कोकराझाड़ व धुबड़ी जिलों में फैली यह हिंसा वहां के बोडो जनजाति व बांग्लादेश से लगातार हो रही घुसपैठ का नतीजा बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि बाग्लादेशी घुसपैठिये एक व्यापक साजिश के तहत धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेषकर उत्तर-पूर्व में अपनी तादाद बढ़ाते जा रहे हैं। हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि हम राजनीतिक गलियारे में इन्हें वोट बैंक के रूप में देख कर इनका इस्तेमाल करते हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकडे़
भारत सरकार के बोर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बाग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाग्लादेश से गैर हिंदू घुसपैठियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। पश्चिम बंगाल में 54 लाख, असम में 40 लाख, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में 5-5 लाख से ज्यादा दिल्ली में 3 लाख हैं। वर्तमान आकलनों के अनुसार भारत में करीब तीन करोड़ से अधिक बाग्लादेशी गैर हिंदू घुसपैठिए हैं जिसमें से 50 लाख असम में हो सकते हैं।
हिंसाग्रस्त जिलों में असमान्य जनसंख्या
असम में जिन तीन जिलों में यह संघर्ष चल रहा है, अगर उन जिलों की जनगणना विश्लेषण पर एक नजर डाली जाए तो स्थिति अपने आप ही साफ हो जाएगी। सबसे पहले कोकराझाड़ जिले पर नजर डाले तो वर्ष 2001-2011 में यहां की जनसंख्या में 5.19 फीसद का इजाफा हुआ है। 2001 के जनगणना के अनुसार इस जिले में मुस्लिमों की संख्या बढकर लगभग 20 फीसद हो गई है। अगर हम असम मुस्लिम जनसख्या में वृद्धि दर को देखें तो बांग्लादेश से लगे जिलों में यह सबसे अधिक है जिसके पीछे बांग्लादेशी घुसपैठ मुख्य कारण है। धुबड़ी जिला भी बांग्लादेश के सीमा से सटा हुआ है। 1971 में यहा मुस्लिम जनसंख्या 64.46 फीसद थी जो 1991 में बढकर 70.45 फीसद हो गई। 2001 के जनगणना के अनुसार जनसंख्या बढ़कर लगभग 75 फीसद हो गई। कमोबेश यही हाल 2004 में बने चिराग जिले का भी है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह सब वही जिले है जहां पर असम में हिंसा की वारदातें हुई हैं। चिरांग और कोकराझाड़ हिंसा का सबसे ज्यादा प्रभावित जिला रहा है।
भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक असम में पिछले तीस वर्षो में जनसंख्या में बेइंतहा वृद्धि देखने को मिली है। गौर करने वाली बात यह है कि यह वृद्धि असमान्य है। असम में 1971-1991 में हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि का अनुपात 42.89 था, जबकि मुस्लिम जनसंख्या में इससे 35 फीसद अधिक 77.42 फीसद की दर से बढ़ोतरी हुई है। इसके विपरीत संपूर्ण भारत में दोनों के बीच में अंतर 19.79 फीसद का रहा है। 1991-2001 में हिंदू जनसंख्या बढ़ोतरी दर 14.95 फीसद रही, जबकि मुस्लिम जनसंख्या में यहा भी 14.35 फीसद अधिक, 29.3 फीसद की दर से बढ़ोतरी हुई थी।
1991 में असम में मुस्लिम जनसंख्या 28.42 फीसद थी जो 2001 के जनगणना के अनुसार बढ़ कर 30.92 फीसद हो गई। मालूम हो कि बाग्लादेशी घुसपैठिए बड़े पैमाने पर असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, नागालैंड, दिल्ली और जम्मू कश्मीर तक लगातार फैलते जा रहे हैं। जिनके कारण जनसंख्या का असंतुलन बढ़ा है। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि बाग्लादेशी घुसपैठियों का इस्तेमाल आतंक की बेल के रूप में किया जा रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआई और कट्टरपंथियों के निर्देश पर बड़े पैमाने पर हुई बाग्लादेशी घुसपैठ का लक्ष्य ग्रेटर बाग्लादेश का निर्माण करना है। इसके साथ ही भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भी इनका प्रयोग किया जा रहा है जिसके लिए भारत के सामाजिक ढाचे का नुकसान व आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है।
वोटबैंक की राजनीति
असम में स्थानीय लोगों की जगह प्रवासियों का प्रभुत्व स्थापित हो रहा है और स्थानीय जन जाती अपने अधिकारों से वंचित होती नजर आ रही है। यहां जारी विरोध मुस्लमानों से नहीं है लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चलते जब भी इस ओर कोई आवाज उठाई जाती है इसे साप्रदायिकता के रंग में रंग दिया जाता है। बाग्लादेशी घुसपैठ खुद भारतीय मुसलमानों के लिए ज्यादा नुकसान देह है। इनसे जनसंख्या में जो भारी असंतुलन हो रहा है उससे बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसके अलावा जो सुविधाएं भारत सरकार भारत के अल्पसंख्यकों को देती है उसमें में भी वह धीरे-धीरे हिस्सेदार बनते जा रहे हैं।
इस बात से केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही भलीभांति अवगत हैं, लेकिन वोट बैंक व तुष्टीकरण के राजनीतिक कारणों की वजह से हमेशा से इन पर पर्दा ही डाला जाता है। हाल के असम संघर्ष ने इस साजिश का चेहरा सभी के सामने रख दिया है।
विपक्ष के निशाने सरकार
गौरतलब है कि मानसून सत्र में लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी ने असम हिंसा के मुद्दे पर चर्चा करते हुए राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रदेश सरकार के पास असम के प्रवासियों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं हैं। यही नहीं उन्होंने तो इस हिंसा को सांप्रदायिक हिंसा करार देने की बात से भी इन्कार किया था। लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
असम हिंसा कहीं न कहीं हमारी आंतरिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। इस मामले में राजनीतिक इच्छा शक्ति को बढ़ाना होगा ताकि हम वोट बैंक की राजनीति व धर्म के दायरे से बाहर निकलकर देश की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द कोई फैसला ले पाएं।

http://www.jagran.com/news/national-votebank-politics-spreads-in-assam-9558682.html

हिन्दुओं की सुरक्षा पर जागे जरदारी

इस्लामाबाद।। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध प्रांत के हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना की खबरों के बाद सांसदों की तीन सदस्यीय समिति गठित की है। समिति प्रांत के अलग-अलग हिस्सों में जाकर हिन्दू समुदाय में फिर से भरोसा बहाल करेगी।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15449732.cms