Tuesday, September 4, 2012

धार्मिक मामलों से दूर रहे सरकार: गिलानी

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/09/120901_geelani_kashmir_aa.shtml
वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह ने सरकार पर सांप्रदायिक तत्वों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा, “हम पिछले 145 वर्षों से अमरनाथ गुफा तक हिंदुओं की तीर्थयात्रा करा रहे हैं. लेकिन अब इसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है और हम ऐसा नहीं होने देंगे.”

सऊदी अरब से हो रहा था आतंकी माड्यूल का संचालन

http://www.jagran.com/news/national-karnataka-terror-module-handlers-based-in-saudi-arabia-9632550.html
बेंगलूर। हाल में बेंगलूर पुलिस ने जिस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया, उसे सऊदी अरब से संचालित किया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, सऊदी में बैठे इन आतंकी आकाओं में ज्यादातर भारतीय थे। यह तीसरा मामला है, जिसमें भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन खाड़ी देशों से किया गया। प्रत्यर्पित लश्कर आतंकी अबू जुंदाल और इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा फसीह मुहम्मद भी सऊदी अरब से ही अपने मॉड्यूल संचालित कर रहा था।

असम में नहीं रुक रही राहत शिविरों में आमद

http://www.jagran.com/news/national-1540-people-join-relief-camps-in-kokrajhar-and-chirang-9626319.html
गुवाहाटी। असम के हिंसाग्रस्त बोडो बहुल इलाकों में लोगों के राहत शिविरों में शरण लेने का सिलसिला जारी है। सरकारी बयान में शांति बताए के बावजूद हाल के दिनों में कोकराझाड़ और चिरांग जिलों के राहत शिविरों में 1,540 लोग आए हैं। आने वालों में 1,390 बोडो आदिवासी हैं।

अब हिजबुल ने किया अमरनाथ यात्रा का विरोध

http://www.jagran.com/news/national-hizb-chief-echos-geelanis-stand-on-amarnath-yatra-9629142.html
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी गुट के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के आला कमांडर सैयद सलाहद्दीन ने भी अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर एतराज जताया है। उसने कहा कि यह कश्मीर की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी को अल्पसंख्यक बनाने की साजिश है।

कर्नाटकः टेरर प्लॉट में अब तक 13 अरेस्ट

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/16218425.cms
बेंगलुरू।। कर्नाटक में आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने की मुहिम के बीच पुलिस ने शनिवार रात एक और संदिग्ध युवक को अरेस्ट किया है। तकरीबन 22 साल के इस युवक का नाम मोहम्मद अकरम है। आरोप है कि उसके तार लश्कर-ए-तैयबा और हूजी जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इसी के साथ कर्नाटक और आंध्र में अब तक गिरफ्तार संदिग्ध लोगों की तादाद 13 हो चुकी है।

सेतु समुद्रम पर सरकार को छह हफ्ते का समय

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद सेतु समुद्रम परियोजना पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार को छह हफ्ते का समय दिया है। समिति ने कहा है कि पौराणिक रामसेतु से इतर वैकल्पिक मार्ग आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है।
http://www.jagran.com/news/national-govt-given-six-weeks-to-state-stand-on-sethusamudram-project-9630028.html

Thursday, August 30, 2012

पाकिस्तान में मंदिरों की सुरक्षा के लिए बनेगा कानून

इस्लामाबाद। हिंदू सहित तमाम अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मस्थलों और संपत्ति की भू-माफिया से रक्षा के लिए तैयार किए जा रहे विधेयक के मसौदे को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, सिंध प्रांत के अधिकारी इस सप्ताह तक रिलीजियस माइनोरिटीज प्रॉपर्टी एक्ट-2012 का मसौदा तैयार कर लेंगे।
http://www.jagran.com/news/world-pak-will-make-law-to-protect-hindus-9609048.html

बंद के दौरान असम में हिंसा, मीडिया पर हमले

गुवाहाटी [जागरण न्यूज नेटवर्क]। आल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के आहूत बंद के दौरान मंगलवार को असम के कई इलाकों में हिंसा हुई। इस दौरान सरकारी अधिकारियों और मीडिया के लोगों पर हमले किए गए। तेजपुर में बंद का विरोध करने पर एक युवक को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। हिंसा के बाद राज्य के कई इलाकों में क‌र्फ्यू लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से संयम बरतने की अपील की है।
http://www.jagran.com/news/national-pne-killed-5-injured-in-assam-violence-9609005.html

असम में फिर हिंसा, एक की मौत, 5 घायल

गुवाहाटी।। असम के तनावग्रस्त कोकराझार जिले में सोमवार देर रात हिंसा की तीन अलग-अलग घटनाओं में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 5 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि पहली घटना सलाकाती पुलिस थाने के तहत आने वाले फुमती गांव में हुई लेकिन इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15880010.cms

विकृत सेक्युलरवाद


असम में आग क्यों लगी और 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पाकिस्तानी झंडे क्यों लहराए गए? मुंबई के बाद पुणे, बेंगलूर, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद में रोहयांग और बांग्लादेशी मुसलमानों के समर्थन में हिंसा क्यों हुई? क्यों पूर्वोत्तर के करीब पचास हजार लोग विभिन्न शहरों से रोजी-रोटी छोड़ पलायन को मजबूर हुए? क्या देश यह आशा कर सकता है कि अब असम जैसी हिंसा आगे नहीं होगी? प्रधानमंत्री के बयानों को देखते हुए यह आशा बेमानी लगती है। विगत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, असम में हिंसा की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हमारी सरकार हिंसा के पीछे के कारणों को जानने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। असम में तीन बार से कांग्रेस का शासन है, किंतु उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सरकार यह नहीं जानती कि समस्या की जड़ क्या है? ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को छोड़कर सभी जानते हैं कि समस्या का क्या कारण है। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने स्वीकार किया है कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैलाना पाकिस्तान पोषित भारतीय नेटवर्क की साजिश थी। केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने दावा किया है कि खुफिया एजेंसियों ने यह पता लगा लिया है कि पाकिस्तानी नेटवर्क से दंगा फैलाने के लिए आपत्तिाजनक एमएमएस और तस्वीरें भेजी गईं, जिन्हें यहां बैठे पाकिस्तानी पिट्ठुओं ने भारतीय मुसलमानों को भड़काने के लिए प्रसारित किया।
भारत को हजार घाव देना पाकिस्तान का जिहादी एजेंडा है। अन्य देशों में बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं के समय खींची गई तस्वीरें और एमएमएस पाकिस्तान से भेजे गए। पाकिस्तान अपने मकसद में कामयाब हो पा रहा है, क्योंकि उसके एजेंडे को पूरा करने के लिए उसे जो मानसिकता और हाथ चाहिए वे यहां बेरोकटोक पोषित हो रहे हैं। देश के कई हिस्सों में इस्लामी चरमपंथियों द्वारा बड़े पैमाने पर की गई हिंसा और तोड़फोड़ से यह साफ हो चुका है कि भारत में एक वर्ग ऐसा है जो तन से तो भारत में है, किंतु मन पाकिस्तान से जुड़ा है। ऐसे देशघातकों को जब राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जाता है तो स्वाभाविक तौर पर प्रश्न खड़े होते हैं, किंतु विडंबना यह है कि ऐसी मानसिकता के विरोध को सांप्रदायिक ठहराने की कोशिश होती है। क्यों?
इसी सेक्युलर सरकार की एक बानगी पिछले साल जून के महीने की है, जब काला धन वापस लाने के लिए रामदेव दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में अनशन पर डटे थे। आधी रात को रामलीला मैदान पुलिस छावनी में बदल गया, अनशनकारियों पर पुलिस ने अंधाधुंध लाठियां भांजी। बाबा रामदेव को गिरफ्तार कर उन्हें रातोरात दिल्ली की सीमा से बाहर कर दिया गया। एक ओर आधी रात को वंदेमातरम् और भारत माता का जयघोष करने वालों को सरकार बर्बरता से पीटती है और दूसरी ओर पाकिस्तानी झंडे लहराने और शहीद स्मारक को तोड़ने वाले लोगों को मनमानी की छूट देती है। क्यों?
मुंबई के आजाद मैदान में एकत्रित भीड़ का बांग्लादेशी घुसपैठियों या म्यांमारी रोहयांग मुसलमानों से क्या रिश्ता है और उन्हें इन विदेशियों के समर्थन में आंदोलन करने की छूट क्यों दी गई? इस देश में राष्ट्रहित की बात करना सेक्युलर मापदंड में जहां गुनाह है, वहीं इस्लामी चरमपंथ को पोषित करना सेक्युलरवाद की कसौटी बन गया है। इस दोहरे सेक्युलरवादी चरित्र के कारण ही कट्टरपंथियों को बल मिलता है, जिसके कारण कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आतंक का खौफ पसरा है। संसद पर आतंकी हमला करने की साजिश में फांसी की सजा प्राप्त अफजल को सरकारी मेहमान बनाए रखना सेक्युलरिस्टों के दोहरे चरित्र का जीवंत साक्ष्य है। कौन-सा ऐसा स्वाभिमानी राष्ट्र होगा, जो अपनी संप्रभुता पर हमला करने वालों की तीमारदारी करेगा?
असम की समस्या बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण है। इन बांग्लादेशियों को सुनियोजित तरीके से असम और अन्य पूर्वोत्तर प्रांतों सहित पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों के सीमांत क्षेत्रों में बसाया गया है। इनके कारण ही उन क्षेत्रों के जनसंख्या स्वरूप में भारी बदलाव आया है और वहां के स्थानीय नागरिक कई क्षेत्रों में अल्पसंख्यक की स्थिति में आ गए हैं और असुरक्षित अनुभव करते हैं। असम के मामले में तो गुवाहाटी उच्च न्यायालय का कहना है कि वे राच्य में किंगमेकर बन गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने सन 2005 के बाद 2006 में भी सरकार को बांग्लादेशी नागरिकों को देश से बाहर करने का निर्देश दिया है, किंतु बांग्लादेशी नागरिकों के निष्कासन पर सरकार खामोश है। असम में इतनी बड़ी हिंसा हुई, स्थानीय बोडो लोगों को उनके घरों और जमीनों से खदेड़ भगाया गया। विदेशियों के हाथों अपने सम्मान, अस्तित्व और पहचान लुटता देख जब स्थानीय लोगों ने कड़ा प्रतिरोध करना शुरू किया तो सभी सेक्युलर दलों को शांति और सद्भाव की चिंता सताने लगी। हिंसा भड़कने के प्रारंभिक तीन-चार दिनों तक राच्य और केंद्र सरकार दोनों सोई थीं। क्यों? अभी हाल में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने असम हिंसा पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। इसमें बताया गया है कि दंगे मुसलमानों और बोडो के बीच छिड़े। रिपोर्ट में मुसलमानों को अल्पसंख्यक और बोडो को बहुसंख्यक बताया गया है। अल्पसंख्यक होने का सेक्युलर मापदंड आखिर है क्या? क्या मुसलमान होना ही अल्पसंख्यक होने का आधार है, चाहे उनका संख्या बल कितना भी हो?
असम में अल्पसंख्यक कौन हैं? असम बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण मुस्लिम बहुल राच्य बनने की राह पर है। कोकराझाड़, धुबड़ी, चिरांग और बरपेटा जिले हिंसा के सर्वाधिक शिकार रहे। कोकराझाड़ के भोवरागुड़ी में भारतीय मतावलंबियों की जनसंख्या 1991 से 2001 के बीच एक प्रतिशत तो दोतमा तहसील में 16 प्रतिशत घटी है, जबकि इसी अवधि में मुसलमानों की आबादी 26 प्रतिशत बढ़ी है। धुबड़ी जिले के बगरीबाड़ी, छापर और दक्षिणी सलमारा में भारतीय मतावलंबियों की आबादी क्रमश: 4, 2 और 23 प्रतिशत घटी, वहीं इन तहसीलों में मुसलमानों की जनसंख्या इसी अवधि में क्रमश: 30.5, 37.39, और 21 फीसदी बढ़ी। अन्यत्र यही हाल है। आबादी में यह बदलाव उन अवैध बांग्लादेशियों के कारण हुआ है, जिन्हें बसाकर जहां पाकिस्तान अपने एजेंडे को साकार करना चाहता है, वहीं कांग्रेस सेक्युलरवाद के नाम पर उन्हें संरक्षण प्रदान कर अपनी सत्ता अजर-अमर करना चाहती है। कांग्रेसी नेता देवकांत बरुआ ने इंदिरा गांधी को यूं ही नहीं कहा था कि अली और कुली असम में कांग्रेस के हाथ से गद्दी कभी जाने नहीं देंगे। इसी मानसिकता ने देश को रक्तरंजित विभाजन के लिए अभिशप्त किया। विकृत सेक्युलरवाद के कारण आज असम सुलग रहा है और मुंबई में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए तो आश्चर्य कैसा?
[लेखक बलबीर पुंज, राच्यसभा सदस्य हैं]