Friday, August 17, 2012

संसद की खतरनाक चुप्पी

विगत शनिवार को मुंबई के आजाद मैदान में असम दंगों के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन का हिंसा पर उतर आना क्या रेखांकित करता है? स्थानीय मुस्लिम संगठन रजा अकादमी के आव्हान पर जनसभा में शामिल होने के बहाने हजारों की संख्या में एकत्रित भीड़ ने पुलिस की गाड़ियां जला डालीं, न्यूज चैनलों के ओबी वैन जलाए गए और आसपास की दुकानों को लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया गया। इस दौरान पाकिस्तानी झंडे भी लहराए गए। प्रश्न यह है कि एक समुदाय विशेष के कट्टरपंथी वर्ग को देश की कानून-व्यवस्था का खौफ क्यों नहीं है? अपनी हर उचित-अनुचित मांग को पूरा करने के लिए जब-तब हिंसा की प्रेरणा उन्हें कौन देता है? मुंबई के उपरोक्त कांड से तीन कटु सत्य सामने आते हैं। पहला, देश में एक बड़ा वर्ग है, जो मजहब और मजहबी रिश्तों को देश की मिट्टी के साथ संबंध से बड़ा मानता है। नहीं तो कोई कारण नहीं था कि इस एकत्रित भीड़ की सहानुभूति बोडो लोगों के साथ ना होकर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति होती। दूसरा, उक्त विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तानी झंडे फहराने का अर्थ यह है कि बहुत से भारतीयों की पहली प्रतिबद्धता पाकिस्तान के साथ है। तीसरा, वोट बैंक की राजनीति से मोहग्रस्त कथित सेक्युलर दलों में से किसी ने भी इस हिंसक घटना की निंदा नहीं की। उनका इस विषय में मौन रहना और पुलिस को पंगु बनाए रखना ही कट्टरपंथियों को प्रोत्साहन दे रहा है। मुंबई जैसी हिंसा वस्तुत: सेक्युलरिस्टों के दोहरे चाल-चरित्र का परिणाम है। सब जानते हैं कि असम की हिंसा के पीछे देश में अवैध रूप से घुसपैठ कर यहां बस चुके बांग्लादेशियों का हाथ है, किंतु संसद से लेकर मीडिया के एक बड़े वर्ग ने इस संबंध में चुप्पी साध रखी है। राज्य और केंद्र सरकार असम दंगों में बांग्लादेशियों का हाथ बताने से परहेज करती आई है। उच्च सदन में मैंने 8 अगस्त को बांग्लादेशी घुसपैठियों की चर्चा की थी, किंतु इस चर्चा में भाग लेने वाले अधिकांश सेक्युलर नेताओं ने लीपापोती करने का ही काम किया, इस खूनी संघर्ष के असली कारणों की चर्चा नहीं की। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने एक राहत शिविर का दौरा करने के बाद कहा कि असम में अब विभिन्न समुदायों के लोग रह रहे हैं। इन सब को शांति से रहना सीखना होगा। अर्थात स्थानीय जनजाति के लोगों को विदेशी घुसपैठियों द्वारा उनकी संपत्ति, सम्मान और पहचान के ऊपर होते आक्रमण के साथ समझौता करना सीखना होगा। जब सत्ता अधिष्ठान देश की संप्रभुता के साथ समझौता कर ऐसी कायरता दिखाएगा तो स्वाभाविक तौर पर अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। वस्तुत: असम के दंगे केवल असम का मामला नहीं है और ना ही यह बोडो जनजातियों तक सीमित है। करोड़ों की संख्या में अवैध रूप से घुसपैठ कर आए बांग्लादेशी नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं। यह तब और गंभीर हो जाता है, जब वोट बैंक के कारण इस देश की संप्रभुता को चुनौती देने वालों को संरक्षण प्रदान किया जाता है। बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ बताई जाती है। इनके कारण देश के कई प्रांतों का जहां जनसंख्या स्वरूप तेजी से बदला है, वहीं वे कानून-व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा बन रहे हैं। असम में बस चुके अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के निष्कासन को असंभव बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने 1983 में जो आइएमडीटी एक्ट बनाया था, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने सन् 2005 में असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। सरकार को तब यह निर्देष दिया गया था कि वह बांग्लादेशियों की पहचान और उन्हें देश से बाहर करना सुनिश्चित करे। वह काम अधर में लटकाए रखा गया है। क्यों? इसे सन 2008 में गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा बाग्लादेशी नागरिकों के कारण पैदा हुई विसंगति पर की गई टिप्पणी से सहज समझा जा सकता है। 61 बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान संबंधी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह नोट किया कि उनमें से अधिकांश के पास राशन कार्ड, वोटर कार्ड और पासपोर्ट हैं। उनमें से एक, जिसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था, ने 1996 में असम का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। सांसदों-विधायकों के चुनाव और अंतत: इस देश के नीतिनिर्माण में इन बांग्लादेशियों की घुसपैठ की गंभीरता को चिह्नित करते हुए कोर्ट ने तब कहा था कि असम में बांग्लादेशी किंगमेकर बन चुके हैं। आज ये प्रवासी मुसलमान असम की राजनीति में सर्वाधिक प्रभावी हैं। बांग्लादेश से निरंतर आ रहे घुसपैठिए सार्वजनिक जमीनों में बस्तियां आबाद करने के बाद स्थानीय नागरिकों को उनके घरों से बेदखल कर खदेड़ भगाना चाहते हैं। सवाल उठता है कि यह देश क्या धर्मशाला है, जहां कभी बांग्लादेश से तो कभी म्यांमार से अवैध घुसपैठिए बेरोकटोक आ धमकते हैं और स्थानीय जनजीवन को अस्तव्यस्त करते हैं? इन अवैध घुसपैठियों को इसलिए शरणार्थी मान लेना चाहिए कि वे मुस्लिम हैं? रोहयांग म्यांमारी और बांग्लादेशी घुसपैठियों का भारत से दूर-दूर का संपर्क नहीं है, फिर भी उन्हें संरक्षण दिलाने के लिए सेक्युलर दलों का एक बड़ा तबका चिंताग्रस्त है। किंतु उन हजारों हिंदुओं के लिए कोई फिक्त्रमंद दिखाई नहीं देता जो मजहबी चरमपंथ और हिंसा से आतंकित होकर पाकिस्तान से पलायन कर भारत में शरण की उम्मीद लगाए बैठे हैं। चौदह वर्षीय मनीषा कुमारी के अपहरण और बलात मत परिवर्तन के बाद उससे जबरन निकाह की ताजा घटना के साथ विगत शुक्रवार को ढाई सौ हिंदू-सिख परिवार भारत में शरण के लिए आए हैं। उनके समर्थन में भारत 
माता की जयघोष के साथ मुंबई जैसा प्रदर्शन क्यों नहीं होता? [लेखक बलबीर पुंज, भाजपा के राच्यसभा सांसद हैं]
http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-opinion2-9570757.html

हमले के डर से पूर्वोत्तर के हजारों लोग बेंगलुरु से भागे

बेंगलुरु।। असम में हुई हिंसा की आग अब पूरे देश में फैलती जा रही है। पिछले शनिवार को इसी मुद्दे पर दंगा भड़क गया था और अब बेंगलुरु में हमले की आशंका से पूर्वोत्तर भारत के हजारों लोग शहर छोड़ कर भाग रहे हैं। बुधवार रात ही पूर्वोत्तर के करीब 5,000 लोग विशेष रेलगाड़ियों से गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए। इस बीच, पुलिस ने भरोसा दिलाते हुए कहा है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों और अन्य लोगों को निशाना बनाए जाने की चर्चाएं अफवाह हैं और इन पर ध्यान न दें।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15513293.cms

पाकिस्तान से 118 हिन्दुओं का जत्था पहुंचा भारत

पाकिस्तान में आतंक के साये में जी रहे हिन्दुओं का 118 सदस्यीय जत्था गुरुवार को समझौता एक्सप्रेस से स्वदेश लौटा। स्वदेश लौटे इन हिन्दुओं के चेहरों पर आतंक का खौफ इतना है कि वे वापस पाकिस्तान जाने को लेकर आशंकित हैं।
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-252476.html

पाकिस्तानी मीडिया ने स्वीकारा, हिंदुओं पर हुआ अत्याचार

इस्लामाबाद। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खास तौर पर हिंदू कई दशकों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में कही है। अखबार ने हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों के पाकिस्तान में रहने और उन्हें यहां सुरक्षित महसूस कराने की जरूरत पर भी बल दिया है।
http://www.jagran.com/news/world-cant-be-denied-hindus-faced-persecution-pakistani-daily-9570802.html 

Thursday, August 16, 2012

पाक हिन्दुओं को दिए जाएंगे लॉन्ग टर्म वीजा: सरका

नई दिल्ली।। पाकिस्तान में अत्याचारों के चलते भारत पहुंच रहे सैकड़ों हिन्दुओं के बारे में सरकार ने कहा है कि अगर वे नियम और शर्तों के तहत आवेदन करते हैं तो देश में रहने के लिए उन्हें लॉन्ग टर्म वीजा दिया जाएगा।
http://navbharattimes.indiatimes.com/pak-hindus-to-get-long-term-visas-if-they-apply-properly-govt/articleshow/15514306.cms

Wednesday, August 15, 2012

अमरनाथ यात्रियों की सुविधाओं पर काम करे सरकार

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अमरनाथ यात्रियों को सुविधाएं दिए जाने के मद्देनजर सरकार और अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आदेश दिया है कि वह बर्फबारी से पहले यात्रियों की सुविधाओं के लिए कुछ काम करके दिखाए। कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह नहीं सुनना है कि अब तक क्या हुआ है।
http://www.jagran.com/news/national-supreme-court-slams-jk-government-and-amarnath-shrine-board-for-amarnath-yatra-9564606.html

मुंबई हिंसा के पीछे असम के अल्पसंख्यक नेता पर शक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। असम के हालात को लेकर शनिवार को मुंबई में हुई हिंसा सुनियोजित थी। आशंका है कि इसके पीछे असम से आए किसी नेता का हाथ हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किया गया है। गृह मंत्रालय ने हिंसा के पीछे असम लिंक की गहराई से जांच करने को कहा है।
http://www.jagran.com/news/national-mumbai-violence-pre-planned-9565759.html

Monday, August 13, 2012

पाकिस्तानी हिंदू नेता ने मांगी भारत व अमेरिका से मदद

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सिंध प्रांत के मीरपुरखास और आस-पास के इलाकों में 20 हिंदू परिवारों द्वारा देश छोड़ देने के बावजूद भी इस समुदाय के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने पाकिस्तान में भारत और अमेरिकी मिशनों से इस संबंध में मदद मांगी है।
http://www.jagran.com/news/world-hindu-leaders-in-pak-approach-indian-us-missions-for-help-9561799.html

Sunday, August 12, 2012

केरल में फर्जी नामों से काम कर रहे प्रतिबंधित संगठन

तिरुवनंतपुरम। कई प्रतिबंधित संगठनों ने केरल में फर्जी नामों से काम करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] को सुबूत मिले हैं कि सिमी जैसे संगठन दोबारा सक्रिय हो गए हैं। ऐसी ज्यादातर रिपोर्ट उत्तरी केरल के कासारगोड, कन्नूर, कोझिकोड और मलाप्पुरम जिलों से मिली हैं।
http://www.jagran.com/news/national-banned-outfits-working-under-bogus-names-in-kerala-nia-9558935.html

संसद में उठेगा हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का मामला

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार को अमानवीय बताते हुए केंद्र सरकार से पड़ोसी मुल्क को मदद देने वाले देशों पर दबाव डलवाकर उनकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था कराए जाने की मांग की।
http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/article1-story-0-0-251126.html