ख़बरें हैं कि तालेबान ने सिखों के कई घरों को आग के हवाले भी किया. इस घटना के बाद सिख सुमदाय के लोग इलाक़ा छोड़ रहे हैं.
इन इलाक़ों में सिख समुदाय के लोग सदियों से रहते आ रहे हैं और औरकज़ई एजेंसी में मोरज़ोई के नज़दीक फ़िरोज़खेल में लगभग 35 घर सिखों के हैं.
पाकिस्तान में बीबीसी उर्दू के पेशावर संवाददाता रिफ़तउल्लाह औरकज़ईने इन ख़बरों की पुष्टि की है. हालाँकि उनका कहना है कि कितने घरों को तोड़ा गया है कि सही संख्या इस समय बता पाना संभव नहीं है.
उनका कहना है, "तालेबान ने सिख समुदाय से इलाक़े में रहने के लिए जज़िया की माँग की थी. यह रक़म कितनी थी इसके बारे में पुख़्ता जानकारी नहीं है. लेकिन जो ख़बरें आ रही हैं उसके अनुसार ये यह रक़म काफ़ी अधिक थी."
जज़िया तय हुआ था
तालेबान ने सिख समुदाय से इलाक़े में रहने के लिए जज़िया की माँग की थी. यह रक़म कितनी थी इसके बारे में पुख़्ता जानकारी नहीं है. लेकिन जो ख़बरें आ रही हैं उसके अनुसार ये यह रक़म काफ़ी अधिक थी |
उनका कहना है कि तालेबान और सिख समुदाय के बीच जज़िया तय भी हुआ था, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि रक़म के बहुत अधिक होने के वजह से सिख समुदाय इसे नहीं दे सके.
बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इन इलाक़ों में पाकिस्तान सरकार की पकड़ बहुत ही कमज़ोर है, इसलिए तालेबान चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है और किसी कार्रवाई की उम्मीद भी नहीं की जा सकती.
तालेबान का कहना है कि इस इलाक़े में शरिया क़ानून लागू हो चुका है, ऐसे में यहाँ ग़ैर-मुस्लिमों को रहने के लिए सुरक्षा के रुप में पैसे देने होंगे.
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