असम हिंसा की अफवाहों को लेकर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों और सरकार दोनों का खराब रिकॉर्ड सामने आया है। सूचना तकनीक के विशेषज्ञों की नजर में अफवाहों को रोकने और उन्हें हटाने को लेकर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें और सरकार जिम्मेदार भूमिका निभा सकती थीं। मगर ऐसा नहीं हुआ। सरकार अब इन साइटों पर कड़ी नजर रखने की बात कर रही है। जबकि वह सूचना तकनीक कानून के तहत ऐसे अधिकारों से लैस है। वह चाहे तो वेबसाइटों पर रोक लगा कर उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दे सकती थी। मगर ऐसा नहीं किया गया।
http://www.amarujala.com/National/assam-violence-social-media-fanning-rumours-triggering-panic-30888.html
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