Sunday, February 24, 2013

दस नामों के कारण हिंदू आतंकवाद का हल्ला

http://www.jagran.com/news/national-ten-names-clutter-the-hindu-terrorism-10068988.html
जिन कथित आतंकियों के कारण केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का जुमला उछाला और अब जिन्हें लेकर सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है वे कुल दस शख्स हैं। ये हैं स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा, देवेंद्र गुप्ता, संदीप डांगे, लोकेश शर्मा, कमल चौहान, मुकेश वासानी, चंद्रशेखर लेवे, राजेंद्र और रामजी कलसांगरे। इस सूची में सुनील जोशी का नाम भी शामिल था, लेकिन उसकी हत्या हो चुकी है। संदीप डांगे और रामजी को फरार बताया जाता है। जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा स्तन कैंसर से ग्रस्त है।

मिशनरियों के साये में भी पिछड़े रहे आदिवासी

http://navbharattimes.indiatimes.com/thoughts-platform/viewpoint/are-also-backward-tribal-missionaries-in-the-shadows/articleshow/18167548.cms
आज क्रिसमस सबसे बड़ा ग्लोबल त्योहार बन गया है। दुनिया भर में ईसाई ही नहीं, बल्कि तमाम दूसरे समुदाय के लोग भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन दूसरे त्योहारों की तरह क्या यह भी अब एक खोखला आयोजन बन कर नहीं रह गया है? ईसा मसीह ने दुनिया को शांति का संदेश दिया था। लेकिन गरीब ईसाइयों के जीवन में अंधेरा कम नहीं हो रहा। अगर समुदाय में शांति होती तो आज ईसाई आदिवासी समाज की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती।

'विश्वरूपम' की रिलीज पर फैसला 28 जनवरी

http://navbharattimes.indiatimes.com/tn-bends-to-pressure-suspends-release-of-kamal-haasans-viswaroopam-for-2-weeks/moviearticleshow/18159009.cms
चेन्नै।। मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद कमल हासन की फिल्म 'विश्वरूपम' पर तमिलनाडु सरकार की रोक का मामला मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट के जज फिल्म देखने के बाद 28 जनवरी को इसकी रिलीज पर फैसला देंगे।

हिंदुओं के हत्यारे मौलवी को मौत की सजा

http://www.jagran.com/news/world-bdesh-court-hands-down-death-penalty-to-1971-war-criminal-10062335.html
 बांग्लादेश की एक विशेष अदालत ने उन्नीस सौ इकहत्तर में मुक्ति संग्राम के दौरान छह हिंदुओं की हत्या, कई महिलाओं से दुष्कर्म के आरोपी भगोड़े मौलवी को मौत की सजा सुनाई है। कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी के पूर्व सदस्य अबुल कलाम आजाद के पाकिस्तान में होने की आशंका है।

दिग्विजय सिंह ने हाफिज सईद को 'साहब' कहकर संबोधित किया

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/now-digvijay-singh-calls-hafiz-as-sahab/articleshow/18114412.cms
अपने बयानों के कारण हमेशा विवाद में रहने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दे डाला है। उन्होंने मुंबई हमलों सहित भारत में किए गए कई आतंकी हमलों का मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के लिए सम्मानजनक शब्द 'साहब' का इस्तेमाल किया है। दिग्विजय के इस बयान की निंदा हो रही है।

लोकतंत्र के प्रति अक्षम्य अपराध

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-unforgivable-crime-against-democracy-10052868.html
अकबरुद्दीन ओवैसी के पिछले माह आंध्र प्रदेश में दिए भड़काऊ भाषण से भारत के उदार, पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक माहौल में जीने वाले हर नागरिक को धक्का लगा होगा। हालांकि उन्हें इस पर कोई हैरानी नहीं हुई होगी जो यहां 20वीं सदी से चले आ रहे कट्टरवादी मुस्लिम नेताओं के द्वेषपूर्ण व्यवहार और इस संदर्भ में कांग्रेस पार्टी के मौन से परिचित हैं। राजनेता धार्मिक, जातिगत आधार पर और यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ भी भड़काऊ बयानबाजी करते रहे हैं, लेकिन मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता ओवैसी ने हर सीमा लांघ दी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि ओवैसी आज के लोकतांत्रिक भारत में भी मध्ययुगीन विचारों में जी रहे हैं। यदि हम देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल की तुष्टीकरण की नीति को देखें तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। देश में छद्म पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा इसी दल ने दिया। कांग्रेस ने ही उस संस्कृति को जन्म दिया जिसमें पंथनिरपेक्षता को हिंदू-विरोध से जोड़ा गया और ओवैसी जैसे लोगों का दुस्साहस बढ़ता गया। चूंकि कांग्रेस आजादी से पहले अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद भी सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही, इसलिए देश में पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक माहौल को बिगाड़ने के लिए प्रथमदृष्टया यही जिम्मेदार है। इतिहास बताता है कि मुस्लिम नेताओं की सांप्रदायिक राजनीति ने कैसे देश का विभाजन कर दिया और कैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने छद्म पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। हालांकि डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता भांप गए थे कि यह नीति लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिए ठीक नहीं, लेकिन नेहरू सुनना ही नहीं चाहते थे। आजादी के बाद अंबेडकर ने तुष्टीकरण के परिणामों के प्रति सबसे पहले चेताया था। उन्होंने अपनी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान में 1940 में मुस्लिम समुदाय की मांगों पर कहा है कि कांग्रेस जो नीति अपना रही है वह देश के लिए अनिष्टकारी होगी। अंबेडकर ने लिखा है, समर्थन हासिल करने के लिए तुष्टीकरण की नीति अपनाना हिंदुओं पर किए जाने वाले अत्याचार में शामिल होना है। तुष्टीकरण की कोई सीमा नहीं होती। तुष्टीकरण की नीति हिंदुओं को भी उसी भय की स्थिति में डाल देगी जिसमें कभी हिटलर के प्रति अपनाई गई तुष्टीकरण की नीति ने उनके साथियों को डाल दिया था। अंबेडकर अलग इस्लामिक राष्ट्र- पाकिस्तान के बनने के पक्ष में थे। चूंकि यह माना जा रहा था कि भारत के 90 फीसद मुसलमान पाकिस्तान बनने के पक्ष में हैं, अंबेडकर ने पूर्वानुमान लगाया था कि एक बार पाकिस्तान बन जाने पर व्यापक आबादी की अदलाबदली होगी। परिणामस्वरूप तुष्टीकरण खत्म हो जाएगा। इस पूर्वाभास के बावजूद अंबेडकर छद्म पंथनिरपेक्षता से आजाद, पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत को पहुंचने वाले नुकसान का आकलन करने में असफल रहे। जैसा कि हम जानते हैं विभाजन में व्यापक आबादी की अदलाबदली नहीं हुई, बल्कि कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को भरोसेमंद वोट बैंक के रूप में देखना शुरू कर दिया। नेहरू के बाद मुस्लिम वोट बढ़ाने के लिए तुष्टीकरण की नीतियों को आगे बढ़ाने की बारी इंदिरा गांधी की थी। उनके बाद राजीव गांधी ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया और उस न्यायिक फैसले को पलटने के लिए कानून में संशोधन का निर्णय लिया जिसमें मुस्लिम महिलाओं को संबंध-विच्छेद के बाद मुआवजे का अधिकार दिया गया था। यह फैसला उन्होंने मुस्लिम समुदाय के दबाव में लिया था। उसके बाद से ही मुस्लिम तुष्टीकरण कांग्रेस की नीतियों का अहम हिस्सा बन गया। दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इसका अनुकरण किया। कांग्रेस को मुस्लिम लीग और ओवैसी के एमआइएम जैसे सांप्रदायिक दलों से गठबंधन करने का भी कोई अफसोस नहीं था। पिछले 20 सालों की इन घटनाओं ने ऐसे मुस्लिम नेताओं का हौसला बढ़ाया जो मुस्लिम युवाओं में हिंदुओं के प्रति नफरत भर रहे हैं और धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने का कोई मौका नहीं जाने देते। यही कारण है कि मुस्लिम युवाओं ने बिना सोचे समझे पिछले साल मुंबई के आजाद मैदान में अमर ज्योति का अपमान किया और ऐसी ही तोड़फोड़ लखनऊ और दूसरी जगहों पर भी की। अब अकबरुद्दीन ओवैसी हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाते हुए सामने आए हैं। इंटरनेट से पहले के जमाने में ऐसे भड़काऊ भाषणों का प्रसार रोकना आसान था। इंटरनेट आने के बाद कुछ लोग भड़काऊ भाषण यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं और यह बुरी तरह फैल जाता है। इसलिए ओवैसी ने जो हानि लोकतांत्रिक और पंथनिरपेक्ष ताने-बाने को पहुंचाई है वह सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। दुनियाभर के लाखों हिंदुओं ने उनका नफरत भरा भाषण सुना है। यदि भारत ओवैसी जैसे लोगों के साथ सख्ती से पेश नहीं आता है तो इससे धार्मिक सौहार्द्र का माहौल तो बिगड़ेगा ही, दोनों समुदायों के गरीब और निर्दोष लोगों को भी नुकसान होगा। इस संदर्भ में हमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की दी गई सलाह को याद करना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जर्मनी के तुष्टीकरण की ब्रिटिश नीति को लेकर चर्चिल ने कहा था, यदि तुम तब भी अपने अधिकार के लिए नहीं लड़ोगे जब बिना रक्तपात के आसानी से जीत सकते हो, यदि तब भी नहीं लड़ोगे जब तुम्हारी जीत तय हो और इसके लिए बड़ी कीमत भी नहीं चुकानी पड़े तो एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हें खुद अपने विरुद्ध लड़ाई लड़नी होगी और उसमें बचने की संभावना बहुत कम होगी। आज हर उस भारतीय नागरिक को तुष्टीकरण पर चर्चिल की यह बात याद रखनी चाहिए जो उदार और लोकतांत्रिक माहौल की कद्र करता है। वरना एक दिन लोकतांत्रिक भारत भी अपने विरुद्ध लड़ाई की स्थिति में होगा और बचने की संभावना बहुत कम होगी।

मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए जमीन नहीं देंगेः बीजेपी

http://navbharattimes.indiatimes.com/other-cities/bangalore/chennai/bjp-says-will-not-give-ground-for-muslim-university/articleshow/18055096.cms
 कर्नाटक में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा कि वह मंध्या जिले के श्रीरंगपटना में केंद्र द्वारा प्रस्तावित टीपू मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए जमीन नहीं देगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि वह शिक्षण संस्थान ''राष्ट्र विरोधी तत्वों के पनपने का स्थल बन जाएगा।'' बहरहाल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान ने कहा कि यूनिवर्सिटी स्थापित की जाएगी।

ओवैसी पर देशद्रोह का भी मुकदमा

http://www.jagran.com/news/national-treason-charge-on-owaisi-10022400.html
निर्मल। भड़काऊ व नफरत फैलाने वाला भाषण देने के मामले में गिरफ्तार आरोपी एमआइएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी पर आइपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ देशद्रोह [धारा-124ए] का मुकदमा भी चलेगा। मंगलवार देर रात करीब 1 बजे पुलिस ने ओवैसी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। निर्मल टाउन थाने ने 3 जनवरी को अकबरुद्दीन के खिलाफ आइपीसी की धारा-121 और 153 के तहत मामला दर्ज किया था। गिरफ्तारी के बाद एहतियातन हैदराबाद सहित राज्य के कुछ इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। उन्हें आदिलाबाद जेल भेज दिया गया है।

जेल में पूछताछ में अकबरुद्दीन ओवैसी की हवा निकली

http://navbharattimes.indiatimes.com/hate-speech-voice-not-mine-akbaruddin-owaisi/articleshow/18040808.cms
अदिलाबाद।। नफरत फैलाने वाले भाषण देने को लेकर गिरफ्तार मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) पार्टी के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी से पुलिस ने लगातार चौथे दिन मंगलवार को पूछताछ की। विडियो में 'शेर' की तरह दहाड़ रहे ओवैसी पुलिस के सामने पूछताछ में 'गीदड़' बन गए। पूछताछ के दौरान अकबरुद्दीन ने यू-ट्यूब के विडियो पर यू-टर्न ले लिया। उन्होंने विडियो के असली होने पर ही सवाल उठा दिए और कहा कि उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया था। यू-ट्यूब पर अपलोड विडियो में उनकी आवाज नहीं है।

ट्रैफिक इंस्पेक्टर को 'मुस्लिम विरोधी' कविता पर अफसोस नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/i-will-apologise-but-i-have-nothing-to-be-sorry-about-sujata-patil/articleshow/18042806.cms
मुंबई पुलिस की पत्रिका 'संवाद' में विवादित कविता लिखने के कारण चर्चित हुईं ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुजाता पाटिल ने एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इससे आहत हुआ है तो माफी मांगने के लिए तैयार हूं, लेकिन इसे लिखने को लेकर मुझे अफसोस नहीं है।