http://hindi.ruvr.ru/2014_04_01/270509228/
इस घटना के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन किया और कुछ स्थानों पर कारोबारियों की आंशिक बंदी भी देखी गई। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में करीब चार लोगों ने एक हिंदू आश्रम पर हमला कर दिया। सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लोगों ने आश्रम से त्रिशूल भी चोरी कर लिया। इस घटना के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन किया और कुछ स्थानों पर कारोबारियों की आंशिक बंदी भी देखी गई।
हिंदू हितों (सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक) को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली घटनाओं से सम्बंधित प्रमाणिक सोत्रों ( राष्ट्रिय समाचार पत्र, पत्रिका) में प्रकाशित संवादों का संकलन।
Tuesday, April 1, 2014
Sunday, March 30, 2014
छप्पर डालने को लेकर आपस मे भिड़े दो समुदायों के लोग
http://hindi.pardaphash.com/news/--756971/756971.html
लखीमपुर-खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के निघासन थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक धार्मिक स्थल पर छप्पर डालने को लेकर दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। विवाद की सूचना पर पहुंचे एसडीएम तथा सीओ ने दोनों समुदाय के लोगों को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। पुलिस ने दोनों पक्ष के करीब चालीस लोगों को पाबंद किया है। घटना को लेकर दोनों समुदायों में तनाव है।
लखीमपुर-खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के निघासन थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक धार्मिक स्थल पर छप्पर डालने को लेकर दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। विवाद की सूचना पर पहुंचे एसडीएम तथा सीओ ने दोनों समुदाय के लोगों को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। पुलिस ने दोनों पक्ष के करीब चालीस लोगों को पाबंद किया है। घटना को लेकर दोनों समुदायों में तनाव है।
Saturday, March 29, 2014
पाकिस्तान में हिंदू मंदिर पर हमला
http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/03/140328_attack_temple_pakistan_rns.shtml
शुक्रवार को पाकिस्तान के हैदराबाद के एक कारोबारी इलाक़े फ़तेह चौक के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में तीन नकाबपोशों ने हमला किया. इस इलाक़े के आसपास बड़ी तादाद में हिंदू रहते हैं.
शुक्रवार को पाकिस्तान के हैदराबाद के एक कारोबारी इलाक़े फ़तेह चौक के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में तीन नकाबपोशों ने हमला किया. इस इलाक़े के आसपास बड़ी तादाद में हिंदू रहते हैं.
Friday, March 28, 2014
राजनीतिक एजैंडे से बाहर हिंदू वेदना
http://www.punjabkesari.in/news/article-230703
(तरुण विजय) दो दिन पूर्व राज्यसभा टी.वी. पर एंकर महोदया ने आम पार्टी के प्रतिनिधि से पूछा कि वैसे तो आपके नेता अरविंद केजरीवाल सांप्रदायिकता से लडऩे की बातें करते हैं लेकिन वाराणसी पहुंचते ही उन्होंने गंगा स्नान किया और मंदिर में दर्शन किया। आप प्रतिनिधि बेचारे शब्द ढूंढने लगे कि क्या जवाब दें और यही कह पाए कि वे परिवार सहित काशी गए थे इसलिए गंगा स्नान किया। ‘इंटेलैक्चुअल माडर्निटी’ जैसे भारी-भरकम अंग्रेजी शब्द हिंदी कार्यक्रम में इस्तेमाल करते हुए उन एंकर बहन का एक ही प्रहार था कि अगर सांप्रदायिकता से लडऩा है तो फिर मंदिर जाने का क्या अर्थ है? मैंने उनसे पूछा कि क्या इंटेलैक्चुअल माडॢनटी का अर्थ सिर्फ हिंदुओं पर इस रूप में लागू होता है कि जब तक वे मंदिर जाएंगे तब तक सैक्युलर नहीं कहलाएंगे। क्या अन्य गैर-हिंदुओं से वह यह प्रश्र करने का साहस करपातीं?
अभी पिछले सप्ताह पेशावर में जेहादियों ने एक गुरुद्वारे पर हमला किया। एक सिख नागरिक, पेशावर के प्रसिद्ध वैद्य परमजीत सिंह की हत्या कर दी गई। वहां हड़ताल हुई, पूरे पाकिस्तान में उसका शोर उठा लेकिन हिंदुस्तान और उसकी राजधानी दिल्ली में सिर्फ चुनाव पसरा रहा। एक-दूसरे पर अभद्र भाषा में आरोप-प्रत्यारोप, मोहल्ले की भाषा राष्ट्रीय चुनाव चर्चा का माध्यम बनती रही लेकिन पाकिस्तान के हिंदुओं और सिखों पर आघात पर चार लोगों ने भी इंडिया गेट या चाणक्यपुरी में प्रदर्शन नहीं किया, न कोई बयान आया, न किसी नेता को यह कहने की जरूरत महसूस हुई कि पाकिस्तान में हर रोज होने वाली इन वारदातों पर रोक लगाने के लिए हम जनमत संगठित करेंगे। यह स्थिति तब हुई थी जब कुछ समय पहले बंगलादेश में जमाते-इस्लामी के तालिबानों ने सैंकड़ों हिंदुओं के घर जला दिए थे, महिलाओं पर अत्याचार किया था और फिर हिंदू शरणार्थियों की एक बाढ़ भारत की ओर मुड़ी थी।
तमिलनाडु के जिन मछुआरों को श्रीलंका सरकार द्वारा अवैध रूप से पकड़कर 2-2 महीने जेल में रखा जाता है, उनकी नौकाएं तथा जाल तोड़ दिए जाते हैं, वे लगभग सभी हिंदू होते हैं। उनके विषयमें सामान्यत: ऐसा मान लिया जाता है कि अगर किसीको बोलना भी है तो तमिलनाडु के नेताओं और संगठनों को बोलने दीजिए। हमारा उनसे क्या संबंध है?
एक समय था जब रामसेतु को लेकर पूरे देश में हजारों प्रदर्शन हुए और एक करोड़ से ज्यादा हस्ताक्षर राष्ट्रपति को सौंपे गए। पर अब न रामसेतु और न ही तमिलनाडु के हजारों मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के सर्वोच्च न्यायालय में डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसले को लेकर कोई राष्ट्रव्यापी विचार तरंग दौड़ती है। मेरठ में कुछ भटके हुए कश्मीरी लड़कों ने भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए तो हर पार्टी के नेता बोले, मुख्यधारा के संपादकों ने संपादकीय लिखे, भाषण और सैमीनार हुए। 5 लाख कश्मीरी अभी भी शरणार्थी हैं, शंकराचार्य पहाड़ी को तख्ते सुलेमान और अनंतनाग को इस्लामाबाद लिखा जा रहा है। सरकारी वैबसाइट और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नामपट्टों में ऐसे नामों का जिक्र होता है लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा भी नहीं है, चुनाव घोषणा-पत्र या भाषण और सैमीनारों की तो बात ही छोड़ दीजिए।
भारत का एक मन भी है, उसका चैतन्य है, वह र्सिफ रोटी-कपड़ा और मकान पर जिंदा भौतिक काया मात्र ही नहीं है। इसीलिए श्री अरविंद ने भवानी-भारती की कल्पना सामने रखते हुए कहा था कि, ‘हमारे लिए भारत नदियों, पहाड़ों, मकानों, जंगलों और भीड़ का समुच्चय नहीं वरन् साक्षात जगत-जननी माता है।’ जैसे-जैसे राजनीति के छल और द्वंद्व में यह भाव तिरोहित होता गया और जहां तक राजनेताओं का वोट बैंक है, वहीं से भारतीय परंपराओं और हिंदुत्व की प्रखर एवं क्षमाबोध रहित आवाजें दबनी और दबाई जानी शुरू हो गईं। अगर केवल बिजली, पानी और सड़क का मामला लिया जाए तो यह हिंदुत्व की परम वैभव की कल्पना में स्वत: सन्निहित है।
जिस धर्म के अनुयायी जीवन में लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती के बिना अपने भाव विश्व की कल्पना नहीं कर सकते, उनके बारे में यह कहना कि हिंदुत्व की बात छोड़कर सड़क, पानी, बिजली की बात करो क्योंकि हिंदुत्व का अर्थ है पिछड़ापन, सांप्रदायिकता, अल्पसंख्यक विरोध, बैलगाड़ी युग और प्रगतिशीलता का विरोध, तो यह सत्य से मुंह मोडऩा होगा।
तालिबान और जेहाद केवल बंदूक और शारीरिक ङ्क्षहसा से ही नहीं होता। हिंदुओं के विरुद्ध शब्द हिंसा तथाकथित सैक्युलर मीडिया और जेहादी मानसिकता के तत्वों का एक बड़ा हथियार रहा है। वे कभी भी यह स्वीकार नहीं कर सकते कि लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की आराधना का अर्थ ही उद्योग, व्यापार, आर्थिक विकास, शिक्षा और प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक मानसिकता के साथ नित्य नूतन मानवहितवर्धक अन्वेषण तथा गवेषणाएं, सैन्य विकास, शत्रु को परास्त करने के लिए हर प्रकार की शक्ति का अर्जन और आत्मनिर्भरता है।
केवल घंटी बजाकर कर्मकांड करना हिंदू का स्वभाव नहीं है बल्कि वैदिक परम्पराओं और विरासत को समसामायिक संदर्भों में पुन: व्याख्यायित करते हुए धर्म पर छाने वाली काई, कीचड़, धूल को साफ करने के लिए पाखंड खंडिनी पताका का स्वागत हमने करके दिखाया है। एक ऐसे समय में जब विश्व की प्रबल शक्तियां भारत के पुनरोदय के विरुद्ध जी-जान से षड्यंत्रों में व्यस्त हैं उस समय हमें अपनी विरासत पर टेक बराबर जमाए रखनी होगी और आंतरिक झगड़ों तथा कोलाहल से दूर रहना होगा। यह समय बहस और तर्क-वितर्क का नहीं, चेहरे, नाम और पहचान पर सवाल जडऩे का नहीं, अपनी विरासत और हिम्मत को बिसारने का नहीं। एक बड़ी हुंकार से विजय को थामना, यही अपने हिंदुत्व और नागरिकत्व को सार्थक करना है।
(तरुण विजय) दो दिन पूर्व राज्यसभा टी.वी. पर एंकर महोदया ने आम पार्टी के प्रतिनिधि से पूछा कि वैसे तो आपके नेता अरविंद केजरीवाल सांप्रदायिकता से लडऩे की बातें करते हैं लेकिन वाराणसी पहुंचते ही उन्होंने गंगा स्नान किया और मंदिर में दर्शन किया। आप प्रतिनिधि बेचारे शब्द ढूंढने लगे कि क्या जवाब दें और यही कह पाए कि वे परिवार सहित काशी गए थे इसलिए गंगा स्नान किया। ‘इंटेलैक्चुअल माडर्निटी’ जैसे भारी-भरकम अंग्रेजी शब्द हिंदी कार्यक्रम में इस्तेमाल करते हुए उन एंकर बहन का एक ही प्रहार था कि अगर सांप्रदायिकता से लडऩा है तो फिर मंदिर जाने का क्या अर्थ है? मैंने उनसे पूछा कि क्या इंटेलैक्चुअल माडॢनटी का अर्थ सिर्फ हिंदुओं पर इस रूप में लागू होता है कि जब तक वे मंदिर जाएंगे तब तक सैक्युलर नहीं कहलाएंगे। क्या अन्य गैर-हिंदुओं से वह यह प्रश्र करने का साहस करपातीं?
अभी पिछले सप्ताह पेशावर में जेहादियों ने एक गुरुद्वारे पर हमला किया। एक सिख नागरिक, पेशावर के प्रसिद्ध वैद्य परमजीत सिंह की हत्या कर दी गई। वहां हड़ताल हुई, पूरे पाकिस्तान में उसका शोर उठा लेकिन हिंदुस्तान और उसकी राजधानी दिल्ली में सिर्फ चुनाव पसरा रहा। एक-दूसरे पर अभद्र भाषा में आरोप-प्रत्यारोप, मोहल्ले की भाषा राष्ट्रीय चुनाव चर्चा का माध्यम बनती रही लेकिन पाकिस्तान के हिंदुओं और सिखों पर आघात पर चार लोगों ने भी इंडिया गेट या चाणक्यपुरी में प्रदर्शन नहीं किया, न कोई बयान आया, न किसी नेता को यह कहने की जरूरत महसूस हुई कि पाकिस्तान में हर रोज होने वाली इन वारदातों पर रोक लगाने के लिए हम जनमत संगठित करेंगे। यह स्थिति तब हुई थी जब कुछ समय पहले बंगलादेश में जमाते-इस्लामी के तालिबानों ने सैंकड़ों हिंदुओं के घर जला दिए थे, महिलाओं पर अत्याचार किया था और फिर हिंदू शरणार्थियों की एक बाढ़ भारत की ओर मुड़ी थी।
तमिलनाडु के जिन मछुआरों को श्रीलंका सरकार द्वारा अवैध रूप से पकड़कर 2-2 महीने जेल में रखा जाता है, उनकी नौकाएं तथा जाल तोड़ दिए जाते हैं, वे लगभग सभी हिंदू होते हैं। उनके विषयमें सामान्यत: ऐसा मान लिया जाता है कि अगर किसीको बोलना भी है तो तमिलनाडु के नेताओं और संगठनों को बोलने दीजिए। हमारा उनसे क्या संबंध है?
एक समय था जब रामसेतु को लेकर पूरे देश में हजारों प्रदर्शन हुए और एक करोड़ से ज्यादा हस्ताक्षर राष्ट्रपति को सौंपे गए। पर अब न रामसेतु और न ही तमिलनाडु के हजारों मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के सर्वोच्च न्यायालय में डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर ऐतिहासिक फैसले को लेकर कोई राष्ट्रव्यापी विचार तरंग दौड़ती है। मेरठ में कुछ भटके हुए कश्मीरी लड़कों ने भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए तो हर पार्टी के नेता बोले, मुख्यधारा के संपादकों ने संपादकीय लिखे, भाषण और सैमीनार हुए। 5 लाख कश्मीरी अभी भी शरणार्थी हैं, शंकराचार्य पहाड़ी को तख्ते सुलेमान और अनंतनाग को इस्लामाबाद लिखा जा रहा है। सरकारी वैबसाइट और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नामपट्टों में ऐसे नामों का जिक्र होता है लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा भी नहीं है, चुनाव घोषणा-पत्र या भाषण और सैमीनारों की तो बात ही छोड़ दीजिए।
भारत का एक मन भी है, उसका चैतन्य है, वह र्सिफ रोटी-कपड़ा और मकान पर जिंदा भौतिक काया मात्र ही नहीं है। इसीलिए श्री अरविंद ने भवानी-भारती की कल्पना सामने रखते हुए कहा था कि, ‘हमारे लिए भारत नदियों, पहाड़ों, मकानों, जंगलों और भीड़ का समुच्चय नहीं वरन् साक्षात जगत-जननी माता है।’ जैसे-जैसे राजनीति के छल और द्वंद्व में यह भाव तिरोहित होता गया और जहां तक राजनेताओं का वोट बैंक है, वहीं से भारतीय परंपराओं और हिंदुत्व की प्रखर एवं क्षमाबोध रहित आवाजें दबनी और दबाई जानी शुरू हो गईं। अगर केवल बिजली, पानी और सड़क का मामला लिया जाए तो यह हिंदुत्व की परम वैभव की कल्पना में स्वत: सन्निहित है।
जिस धर्म के अनुयायी जीवन में लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती के बिना अपने भाव विश्व की कल्पना नहीं कर सकते, उनके बारे में यह कहना कि हिंदुत्व की बात छोड़कर सड़क, पानी, बिजली की बात करो क्योंकि हिंदुत्व का अर्थ है पिछड़ापन, सांप्रदायिकता, अल्पसंख्यक विरोध, बैलगाड़ी युग और प्रगतिशीलता का विरोध, तो यह सत्य से मुंह मोडऩा होगा।
तालिबान और जेहाद केवल बंदूक और शारीरिक ङ्क्षहसा से ही नहीं होता। हिंदुओं के विरुद्ध शब्द हिंसा तथाकथित सैक्युलर मीडिया और जेहादी मानसिकता के तत्वों का एक बड़ा हथियार रहा है। वे कभी भी यह स्वीकार नहीं कर सकते कि लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की आराधना का अर्थ ही उद्योग, व्यापार, आर्थिक विकास, शिक्षा और प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक मानसिकता के साथ नित्य नूतन मानवहितवर्धक अन्वेषण तथा गवेषणाएं, सैन्य विकास, शत्रु को परास्त करने के लिए हर प्रकार की शक्ति का अर्जन और आत्मनिर्भरता है।
केवल घंटी बजाकर कर्मकांड करना हिंदू का स्वभाव नहीं है बल्कि वैदिक परम्पराओं और विरासत को समसामायिक संदर्भों में पुन: व्याख्यायित करते हुए धर्म पर छाने वाली काई, कीचड़, धूल को साफ करने के लिए पाखंड खंडिनी पताका का स्वागत हमने करके दिखाया है। एक ऐसे समय में जब विश्व की प्रबल शक्तियां भारत के पुनरोदय के विरुद्ध जी-जान से षड्यंत्रों में व्यस्त हैं उस समय हमें अपनी विरासत पर टेक बराबर जमाए रखनी होगी और आंतरिक झगड़ों तथा कोलाहल से दूर रहना होगा। यह समय बहस और तर्क-वितर्क का नहीं, चेहरे, नाम और पहचान पर सवाल जडऩे का नहीं, अपनी विरासत और हिम्मत को बिसारने का नहीं। एक बड़ी हुंकार से विजय को थामना, यही अपने हिंदुत्व और नागरिकत्व को सार्थक करना है।
Thursday, March 27, 2014
गौसेवक को बंधक बनाकर पीटा, कई गाय लूटी
http://www.jagran.com/uttar-pradesh/shamli-city-11187861.html
कांधला : सशस्त्र बदमाशों ने गौसेवक को बंधक बनाकर मारपीट करते हुए गऊशाला से कई गाय लूटकर फरार हो गए। गाय लूटे जाने से हिंदू समुदाय के लोगों में रोष है। पीड़ित ने तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस बदमाशों की तलाश कर रही है।
कांधला : सशस्त्र बदमाशों ने गौसेवक को बंधक बनाकर मारपीट करते हुए गऊशाला से कई गाय लूटकर फरार हो गए। गाय लूटे जाने से हिंदू समुदाय के लोगों में रोष है। पीड़ित ने तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस बदमाशों की तलाश कर रही है।
Wednesday, March 26, 2014
रंग की जंग में बहा खून
http://www.bhaskar.com/article-hf/RAJ-BHIL-communal-riots-in-bhilwara-rajasthan-4560003-PHO.html
भीलवाड़ा. शहर में एक युवक की समुदाय विशेष के युवकों द्वारा चाकू घोंपकर हत्या करने के बाद सोमवार दोपहर को तनाव फैल गया। आक्रोशित लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जिला अस्पताल में तोड़फोड़ की। एक एंबुलेंस में आग लगा दी। कई वाहनों के शीशे फोड़ दिए। उपद्रवियों ने छह स्थानों पर पथराव किया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर आंसू गैस के गोले छोड़े। स्थिति तनावपूर्ण पर नियंत्रण में बताई गई है। पुलिस ने दो जनों को गिरफ्तार कर लिया है।
भीलवाड़ा. शहर में एक युवक की समुदाय विशेष के युवकों द्वारा चाकू घोंपकर हत्या करने के बाद सोमवार दोपहर को तनाव फैल गया। आक्रोशित लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जिला अस्पताल में तोड़फोड़ की। एक एंबुलेंस में आग लगा दी। कई वाहनों के शीशे फोड़ दिए। उपद्रवियों ने छह स्थानों पर पथराव किया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर आंसू गैस के गोले छोड़े। स्थिति तनावपूर्ण पर नियंत्रण में बताई गई है। पुलिस ने दो जनों को गिरफ्तार कर लिया है।
Tuesday, March 25, 2014
सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता
http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/1809/6/0
12 जुलाई 2011 को मुंबई के झवेरी बाजार बम विस्फोट समेत कई आतंकी गतिविधियों में वांछित आतंकवादी वकास की गिरफ्तारी देश की पुलिस व खुफिया जांच एजेंसियों की बड़ी सफलता मानी जाएगी। आईबी की सूचना पर दिल्ली एटीएस और जयपुर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर पाकिस्तानी नागरिक आतंकी वकास समेत चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इस सफलता से दो बातें स्पष्ट हुई हैं कि हमारा खुफिया तंत्र, जिसे किसी भी आतंकी या नक्सली वारदात होने पर आड़े हाथों लिया जाता है कि वह ठीक से अपना काम नहींकर रहा, सतर्कता के साथ अपना दायित्व निर्वाह कर रहा है। दूसरा अगर विभिन्न राज्यों के पुलिस बल आपसी सहयोग से किसी मिशन पर लग जाएं तो फिर उसमें सफलता मिलने में देर नहींलगती।
12 जुलाई 2011 को मुंबई के झवेरी बाजार बम विस्फोट समेत कई आतंकी गतिविधियों में वांछित आतंकवादी वकास की गिरफ्तारी देश की पुलिस व खुफिया जांच एजेंसियों की बड़ी सफलता मानी जाएगी। आईबी की सूचना पर दिल्ली एटीएस और जयपुर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर पाकिस्तानी नागरिक आतंकी वकास समेत चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इस सफलता से दो बातें स्पष्ट हुई हैं कि हमारा खुफिया तंत्र, जिसे किसी भी आतंकी या नक्सली वारदात होने पर आड़े हाथों लिया जाता है कि वह ठीक से अपना काम नहींकर रहा, सतर्कता के साथ अपना दायित्व निर्वाह कर रहा है। दूसरा अगर विभिन्न राज्यों के पुलिस बल आपसी सहयोग से किसी मिशन पर लग जाएं तो फिर उसमें सफलता मिलने में देर नहींलगती।
Monday, March 24, 2014
कटान के लिए जा रहे दो गोवंश पकड़े
http://www.jagran.com/uttar-pradesh/bulandshahr-11180074.html
खुर्जा ,बुलंदशहर : गांव झमका के निकट हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने एक भार वाहन से कटान के लिए जा रहे दो गोवंशों को बरामद कर लिया। गोवंश को ले जा रहे किशोरों के साथ कार्यकर्ताओं ने मारपीट भी की। पुलिस ने दोनों किशोरों को हिरासत में लेकर मुख्य तस्करों की तलाश शुरू कर दी है।
खुर्जा ,बुलंदशहर : गांव झमका के निकट हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने एक भार वाहन से कटान के लिए जा रहे दो गोवंशों को बरामद कर लिया। गोवंश को ले जा रहे किशोरों के साथ कार्यकर्ताओं ने मारपीट भी की। पुलिस ने दोनों किशोरों को हिरासत में लेकर मुख्य तस्करों की तलाश शुरू कर दी है।
Sunday, March 23, 2014
हिंदू धर्म में कट्टरता बनाम उदारवाद
http://www.prabhatkhabar.com/news/100374-story.html
भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई, हिंदू धर्म में उदारवाद और कट्टरता की लड़ाई पिछले पांच हजार सालों से भी अधिक समय से चल रही है और उसका अंत अभी भी दिखायी नहीं पड़ता. ऐसा क्यों नहीं हो सका, इसका पता लगाने की कोशिश करने के पहले, जो बुनियादी दृष्टिभेद हमेशा रहा है, उस पर नजर डालनी जरूरी है. चार बड़े और ठोस सवालों, वर्ण, स्त्री, संपत्ति और सहनशीलता के बारे में हिंदू धर्म बराबर उदारवाद और कट्टरता का रुख बारी-बारी से लेता रहा है.
भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई, हिंदू धर्म में उदारवाद और कट्टरता की लड़ाई पिछले पांच हजार सालों से भी अधिक समय से चल रही है और उसका अंत अभी भी दिखायी नहीं पड़ता. ऐसा क्यों नहीं हो सका, इसका पता लगाने की कोशिश करने के पहले, जो बुनियादी दृष्टिभेद हमेशा रहा है, उस पर नजर डालनी जरूरी है. चार बड़े और ठोस सवालों, वर्ण, स्त्री, संपत्ति और सहनशीलता के बारे में हिंदू धर्म बराबर उदारवाद और कट्टरता का रुख बारी-बारी से लेता रहा है.
Saturday, March 22, 2014
बांग्लादेश में उपद्रवियों ने दो मंदिर जलाए
http://www.jagran.com/news/world-two-hindu-temples-set-ablaze-in-bangladesh-11175202.html
ढाका। बांग्लादेश में उपद्रवियों ने दो हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी। इनमें एक मंदिर सौ साल पुराना है। आग लगाने वालों का पता नहीं चल सका है। स्थानीय मीडिया के अनुसार बागरहाट जिले में उपद्रवियों ने प्राचीन मंदिर में आगजनी से पहले वहां रखी मूर्तियां भी तोड़ दीं। पुजारी प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि सुबह करीब साढ़े 8 बजे उन्होंने मंदिर से धुआं निकलते देखा और मदद के लिए गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों ने दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिक समेत कई मूर्तियां क्षतिग्रस्त कर दी थीं। बागरहाट के एसपी मुहम्मद निजामुल हक मुल्ला के अनुसार हमलावरों को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है।
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