Thursday, July 12, 2012

यूपी में पंचायत ने महिलाओं पर लगाई शर्मनाक बंदिश

लखनऊ।। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक पंचायत ने छेड़खानी की घटनाओं को रोकने के लिए अनोखा तुगलकी फरमान सुनाते हुए कहा कि गांव की 40 साल तक की कोई महिलाएं व युवतियां बाजार नहीं जाएंगी।

बागपत के आसरा गांव में लगाई गई इस पंचायत में मुस्लिम बिरादरी के कई लोग शामिल हुए थे और महिलाओं की आजादी को कैद करने का यह अनोखा फरमान सुना दिया गया।
http://navbharattimes.indiatimes.com/new-farman-of-panchayat/articleshow/14843132.cms

अपडेट--अमरनाथ श्रद्धालुओं पर हमले की साजिश नाका


जागरण ब्यूरो, श्रीनगर
सुरक्षा बलों ने मंगलवार को श्री अमरनाथ यात्रियों पर हमले की साजिश रच रहे हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात जिला कमांडर को एक मुठभेड़ में मार गिराया। सुरक्षा बलों ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक तालाब के पास चार पाकिस्तानी ग्रेनेड भी बरामद किए हैं।

पाकः हिंदू संपत्ति विवाद को जल्द हल करने का आदेश

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने देश के अल्पसंख्यक तीर्थस्थल बोर्ड को हिंदुओं की संपत्ति से जुडे़ मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने का आदेश दिया है।
http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-242696.html

Tuesday, July 10, 2012

लव जिहाद कार्यालय के विरुद्ध कार्रवाई को ज्ञापन

जसपुर: कर्नाटक के बेंगलूरू में लव जिहाद कार्यालय के खिलाफ कार्रवाई व उसके नेटवर्क को बंद करने के लिए भाजपाइयों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन एसडीएम को दिया।
http://www.jagran.com/uttarakhand/udhamsingh-nagar-9451902.html

अंसारी को उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बना सकती है कांग्रेस

नई दिल्ली।। कांग्रेस उप राष्ट्रपति पद के लिए एक बार फिर हामिद अंसारी को ही उम्मीदवार बना सकती है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, ऐसा करके वह अल्पसंख्यक समुदाय को 'सही संदेश' देना चाहती है। उप राष्ट्रपति पद के लिए अंसारी की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को इस बारे में जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष एच. डी. देवगौड़ा से चर्चा की। जेडी (एस) के महासचिव दानिश अली ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने शनिवार को देवगौड़ा से हामिद अंसारी के नाम पर चर्चा की। हमारी पार्टी उप राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करती है।'
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/14778497.cms

लव जेहाद के खिलाफ चेतावनी पोस्टर


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] मुख्यालय परिसर में लव जेहाद के खिलाफ एक चेतावनी पोस्टर लगाए जाने का मामला प्रकाश में आया है।
इस पोस्टर में हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों के खिलाफ चेताया गया है। पोस्टर में हिंदुओं से लव जेहाद के खिलाफ जागरूक होने की अपील की गई है। उनसे अपने धर्म व अपनी बहू-बेटियों की रक्षा के लिए सतर्क रहने को कहा गया है।

Monday, July 9, 2012

मुस्लिम आरक्षण का कानूनी पहलू


मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा नए सिरे से चर्चा में है। कुछ दिनों पहले आध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछड़े वर्गो के कोटा से अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को खारिज कर दिया, बावजूद इसके पश्चिम बंगाल में पिछड़ी जातियों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को नौकरियों में 17 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक आम सहमति से पारित हो गया। उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक आरक्षण को राजनीतिक दलों ने चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। काग्रेस ने उच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद मुस्लिम आरक्षण की आस नहीं छोड़ी है। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद सुप्रीम कोर्ट से इस मसले पर अंतरिम राहत न मिलने के बावजूद यह उम्मीद कर रहे हैं कि अंतत: फैसला मुस्लिम आरक्षण के हक में ही आएगा। कुल मिलाकर यह मुद्दा राजनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि कानूनी बहस का विषय बना हुआ है।
मुस्लिम आरक्षण पर आध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय ने कई नए सबक दिए हैं। पहला सबक यह कि सरकार को आरक्षण जैसे संवैधानिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। लोक मान्यता के खिलाफ इस निर्णय के जरिये अदालत ने मुस्लिम आरक्षण खारिज नहीं किया है, बल्कि सरकार द्वारा इसके लिए अपनाए गए तरीकों पर आपत्ति व्यक्त की है। संविधान में अनुसूचित जातियों/जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गो, बच्चों, महिलाओं तथा कुछ पिछड़े क्षेत्रों को आरक्षण देने की व्यवस्था है, लेकिन इन सभी के लिए अनुशासनबद्ध तरीका तय किया गया है। संविधान के 93वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद-15 में खंड-5 जोड़कर यह व्यवस्था कर दी गई थी कि कानून बनाकर संस्थाओं में प्रवेश के मामले में आरक्षण दिया जा सकता है। सरकार ने मुस्लिम आरक्षण के मामले में इस संवैधानिक निर्देश का पालन नहीं किया। कानून बनाने के बजाय सरकारी आदेश जारी करके आरक्षण दे दिया गया। अत: संविधान में तय की गई प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है। इंदिरा साहनी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि पिछड़े वर्गो को आरक्षण देते समय नई जोड़ी जाने वाली जातियों की सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक हैसियत का अध्ययन होना चाहिए और जब इस तथ्य के प्रमाण मिल जाएं कि उनकी परिस्थितिया ऐसी हैं जिसमें उन्हें विशेष आरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है तभी आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। इसके पहले भी 2005 तथा 2007 में आध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने संविधान की अनदेखी करके दिए गए आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
उच्च न्यायालय ने इन निर्णयों में दो बातों पर विशेष बल दिया था। पहला यह कि आरक्षण केवल मजहबी आधार पर नहीं होना चाहिए तथा दूसरा यह कि आरक्षण देते समय पिछड़ा वर्ग आयोग से मशविरा किया जाना चाहिए। सरकार ने पिछले दोनों निर्णयों से कोई सबक नहीं लिया। लगता है कि वह राजनीतिक लाभ पाने की बहुत जल्दी में थी और इस हड़बड़ी में उसके द्वारा किए गए आरक्षण से साफ होता है कि वह केवल धर्म के आधार पर किया गया आरक्षण है, जो संविधान के अनुच्छेद-15 और 16 द्वारा प्रतिबंधित है। सरकार यदि वाकई समाज के वंचित वर्ग को बेहतर सुविधाएं देने के प्रति ईमानदार है तो उसका संविधान सम्मत तरीका यह है कि समाज के अल्पसंख्यक या अन्य संभावित वंचित समाज की सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक हैसियत का आकलन किया जाए। अल्पसंख्यक आयोग से इसमें मदद ली जाए और शोधपरक अध्ययन के बाद इस तरह से लाभान्वित होने वाली जातियों को समानुपातिक तथा न्यायपूर्ण आरक्षण दिया जाए। आध्र प्रदेश सरकार ने इस सिद्धात का पालन नहीं किया।
आध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सामने तथा बाद में सुप्रीम कोर्ट के सामने केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि उसके द्वारा लिया गया आरक्षण का फैसला धार्मिक तथा भाषायी अल्पसंख्यक आयोग तथा इसी तरह के अन्य अध्ययनों के आधार पर लिया गया था। इस दलील में कई छेद हैं। पहला यह कि भाषायी तथा धार्मिक अल्पसंख्यक आयोग का सृजन पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए नहीं किया गया। इसका गठन मूलत: अल्पसंख्यकों के हालात तथा उनके साथ होने वाले भेदभाव पर नजर रखने तथा अपने सुझाव देने के लिए किया गया था। पिछड़े वर्गो के संबंध में अध्ययन करने की जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग आयोग को दी गई है। इसे कानून द्वारा सृजित किया गया है। इसे कई बातों के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्गो के संबंध में अध्ययन करने, उनके हालात का आकलन करने तथा उनकी बेहतरी के लिए शोधपरक सुझाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अत: पिछड़े वर्ग का लाभ देने के लिए इस आयोग से मशविरा किया जाना आवश्यक है, जो सरकार द्वारा नहीं किया गया। सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग के अंतर्गत आने वाली पिछड़ी जातियों को एक साथ मिलाकर 4.5 फीसदी आरक्षण मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दे दिया। इसमें कोई दिमागी कसरत नहीं की गई। कुल मिलाकर सरकार को सबक यह मिला कि संविधान के निर्देशों का पालन करते समय सस्ती लोकप्रियता के बजाय गंभीर नीयत का परिचय दिया जाए। केवल राजनीतिक लाभ के लिए किए गए लोकलुभावन निर्णयों से नुकसान के खतरे बढ़ जाते हैं।
[डॉ. हरबंश दीक्षित: लेखक विधि मामलों के विशेषज्ञ हैं]

अल्पसंख्यक छात्राओं को साइकिल देगी सरकार


नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। आने वाले वर्षो में अल्पसंख्यक छात्राओं की तालीम पर सरकार और फोकस करेगी। खास तौर से उन पर जो आठवीं कक्षा के बाद महज इसलिए पढ़ाई छोड़ देती हैं क्योंकि उनका स्कूल दूर है या फिर वहां तक आने-जाने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। सरकार ने इसके लिए कक्षा नौ में दाखिला लेने वाली अल्पसंख्यक समुदाय की सभी छात्राओं को साइकिल मुहैया कराने की योजना बनाई है।

हज यात्रियों को मुफ्त में मिलेंगे सिम कार्ड

मदुरै।। भारत सरकार की हज समिति हज जाने वाले यात्रियों को मुफ्त में सिम कार्ड बांटेगी। विदेश मंत्रालय के तहत आने वाली हज समिति के उपाध्यक्ष अबू बकर ने यह जानकारी दी। 
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/14749348.cms

गाजियाबाद में सांप्रदायिक हिंसा, युवक की मौत

गाजियाबाद [जासं]। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के गांव असालतपुर-फर्रूखनगर में शनिवार रात बाइक तेज चलाने को लेकर कुछ युवकों के बीच विवाद हो गया। रविवार सुबह इस विवाद ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया। गांव में दो संप्रदायों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। हमलावरों ने पथराव, आगजनी और लूटपाट को भी अंजाम दिया। इस दौरान एक युवक की मौत हो गई, जबकि दस से अधिक लोग घायल हो गए। गांव में बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। क‌र्फ्यू जैसा माहौल बना हुआ है।
http://www.jagran.com/news/national-doubul-murder-in-ghaziabad-9447431.html