जम्मू-कश्मीर सरकार अपने राज्य के तीन लाख हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दे सकती तो उन्हें देश के किसी और भाग में बसाकर नागरिक का दर्जा दिया जाना चाहिए। जम्मू- कश्मीर की वार्ताकार दल की सदस्य राधा कुमार का मानना है कि 1947 के बंटवारे में पश्चिम पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की तीसरी पीढ़ी भी राजनीतिज्ञों के हाथ का मोहरा बन कर रह गई है।
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