Sunday, February 24, 2013

रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं

http://www.jagran.com/news/national-wont-tolerate-any-tampering-with-ram-setu-bjp-10160538.html
सेतु समुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर पलटी खाई है। उसने इस मसले पर गठित आरके पचौरी समिति की रपट को खारिज करते हुए कहा है कि वह इस परियोजना का काम आगे बढ़ाना चाहती है। उसने तर्क दिया है कि इस परियोजना पर आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और ऐसे में काम बंद करने का कोई मतलब नहीं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने यह भी कहा है कि रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं। इस परियोजना के तहत रामसेतु कहे जाने वाले एडम ब्रिज को तोड़कर जहाजों के आने-जाने का रास्ता तैयार करना है। भाजपा ने सरकार के ताजा रुख की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि रामसेतु से कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

भारत से बढ़ता 'बीफ' का निर्यात

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/02/130222_beef_global_india_da.shtml
हिंदू बहुल भारत से बीफ़ का बड़े पैमाने पर निर्यात चौंकाने वाली बात लगती है. मगर भारतीय बीफ़ दरअसल भैंस का मांस है जिसकी मांग दुनिया भर में बढ़ रही है.

गोकशी रोकने गए दो दरोगाओं को दबंगों ने रौंदा, 25 मीटर तक घसीटा

http://www.bhaskar.com/article/UP-bold-criminals-tried-to-kill-two-police-inspectors-in-uttar-pradesh-4184744-PHO.html?HT1=
हाथरस. शहर में एक ही रात में एक मेटाडोर ने दो दरोगाओं को जान से मारने की कोशि‍श की। दोनों घटनाएं अलग अलग जगहों पर हुईं। दोनों ही दरोगाओं ने चेकिंग के लि‍ए अज्ञात मेटाडोर को रुकने का इशारा कि‍या, जि‍स पर मेटाडोर में बैठे लोगों ने उन्‍हें जान से मारने की कोशि‍श की।

बंगाल में धार्मिक नेता की हत्या के बाद हिंसा, 200 घर आग के हवाले

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18586619.cms
केनिंग।। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नालीखली गांव में एक धार्मिक नेता की गुंडों द्वारा हत्या के बाद वहां पर हिंसा भड़क गई है। नेता की मौत से गुस्साई भीड़ ने 200 घरों को आग के हवाले कर दिया। हमलावरों ने कई गांवों में लूट-खसोट भी की। इनका आरोप है कि पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया।

मुस्लिम मंत्री को क्यों सौंपी कुंभ की कमान: संघ

http://navbharattimes.indiatimes.com/-/holy-discourse/-/Kumbh-Mela-RSS-questions-Azam-Khans-appointment-as-management-incharge/astroshow/18536803.cms
इलाहाबाद महाकुंभ का जिम्मा मुस्लिम मंत्री आजम खान को सौंपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को रास नहीं आ रहा है। संघ ने यूपी सरकार के खान को महाकुंभ प्रबंधन का प्रभारी बनाए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी बेहतर प्रतिनिधि को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी।

छावनी में तब्दील भोजशाला, पुलिस का लाठीचार्ज

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18514414.cms
धार।। मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में बसंत पंचमी के मौके पर पूजा और नमाज को लेकर चल रहे विवाद के बीच शुक्रवार को भीड़ और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े, जबकि भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया।

सेक्युलर तंत्र पर सवाल

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-questions-on-secular-system-10133330.html

भारतीय संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले की साजिश में शामिल अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा और विरोध प्रदर्शन क्या रेखांकित करता है? क्या भारत की अस्मिता और लोकतंत्र के प्रतीक पर आक्रमण करने का षड्यंत्र रचने वाले आतंकी के मानवाधिकार की चिंता होनी चाहिए? क्या निरपराधों की जान लेने वाले आतंकी की सजा माफ होने योग्य थी? कश्मीर घाटी में चार दिनों का शोक मनाने का निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि इस देश में ऐसे जिहादी तत्व भी हैं जिनका शरीर भारत में भले हो, किंतु उनका मन और आत्मा पाकिस्तान की जिहादी संस्कृति के साथ है। ऐसे ही लोगों के सहयोग से पाकिस्तान भारत को रक्तरंजित करने के अपने एजेंडे में कामयाब हो रहा है।
संसद पर हमले की साजिश पाकिस्तान पोषित लश्करे-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा रची गई थी। जांच में जम्मू-कश्मीर के बारामूला में रहने वाले मेडिकल छात्र अफजल का नाम स्थानीय साजिशकर्ता के रूप में सामने आया। 2002 में विशेष अदालत ने अफजल को फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। उसके बाद से ही मानवाधिकारवादी संगठन और सेक्युलर दल अफजल की सजा माफ करने की मांग कर रहे थे। अफजल की पत्‍‌नी ने भी राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भेजकर उसे माफ करने की गुहार लगाई थी। मुंबई में हुए आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद अब अफजल को फांसी दे दी गई है, किंतु सारा घटनाक्रम कुछ गंभीर सवाल खड़े करता है। अदालत का निर्णय होने के बाद सजा देने में इतना लंबा विलंब क्यों? क्या यह वोट बैंक की राजनीति का अंग है?
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अभी केंद्र में मंत्री गुलाम नबी आजाद ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से अफजल की सजा माफ करने की अपील की थी। क्यों वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भय है कि अफजल की फांसी से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक बार फिर जिंदा हो जाएगा और राज्य व केंद्र दोनों के लिए संकट खड़ा करेगा? इसका क्या अर्थ निकाला जाए? अभी हाल ही में दिल्ली में जघन्य दुष्कर्म कांड हुआ। कल को इस कांड के आरोपियों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन व हिंसा होने लगे तो क्या उनकी सजा लंबित कर दी जाए या उन्हें सजा से मुक्त कर दिया जाए? इस आधार पर तो जिस गुनहगार की जितनी साम‌र्थ्य होगी वह उतनी ही हिंसा और उपद्रव मचाकर सरकार को झुकने को मजबूर कर सकता है। ऐसे अराजक माहौल में कानून का राज और देश की सुरक्षा कैसे संभव है?
दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर 7 दिसंबर, 2011 को हुए बम धमाके की जिम्मेदारी लेते हुए 'हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी' नामक जिहादी संगठन ने मेल भेजकर यह धमकी दी थी कि अफजल की सजा माफ नहीं की गई तो ऐसे ही कई और बम धमाके होंगे। भारत को रक्तरंजित करने में जुटे पाक पोषित जिहादियों का मनोबल यदि बढ़ा है तो उसके लिए कांग्रेसनीत सत्ता अधिष्ठान की नीतियां जिम्मेदार हैं।
भारत में सेक्युलरवाद इस्लामी चरमपंथ को पोषित करने का पर्याय है। इस अवसरवादी कुत्सित मानसिकता के कारण ही असम में स्थानीय बोडो नागरिकों की पहचान व मान-सम्मान अवैध बांग्लादेशियों के हाथों रौंदा जा रहा है तो मुंबई में बांग्लादेशी और रोहयांग मुसलमानों के समर्थन में रैली निकाली जाती है। पाकिस्तानी झंडा लहराया जाता है और शहीद जवानों की स्मृति में बनाए गए अमर जवान च्योति को तोड़ा जाता है। सेक्युलर सत्तातंत्र द्वारा मिलने वाले मानव‌र्द्धन का ही परिणाम है कि आतंकवादी मेल भेजकर पूरे देश को लहूलुहान करने की धमकी देते हैं। हैदराबाद में एक विधायक भड़काऊ भाषण देता है और उपस्थित हजारों की भीड़ मजहबी जुनून में राष्ट्रविरोधी नारे लगाती है, किंतु ऐसी घटनाओं पर सेक्युलर तंत्र खामोश रहता है। बहुसंख्यकों को पंथनिरपेक्षता, बहुलतावाद और प्रजातंत्र का पाठ पढ़ाने वाले स्वयंभू मानवाधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। क्यों?
स्वयंभू मानवाधिकारियों का आरोप है कि अफजल को न्याय नहीं मिला, उसके साथ जांच एजेंसियों ने नाइंसाफी की। वामपंथी विचारधारा से प्रेरित लेखिका अरुंधती राय ने पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख-लिख कर भारतीय कानून एवं व्यवस्था और जांच एजेंसियों को कठघरे में खड़ा किया। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा मुफ्ती एक कदम आगे हैं। पाकिस्तान की जेल में एक भारतीय नागरिक सरबजीत गलत पहचान के कारण बंद है। भारत सरकार ने उसे रिहा करने की अपील की है। महबूबा ने अफजल की तुलना सरबजीत से करते हुए केंद्र सरकार को दोहरे मापदंड नहीं अपनाने की नसीहत दे डाली थी। इन दिनों आतंकी मामलों में जेल में बंद युवा मुसलमानों को रिहा करने को लेकर सेक्युलर दलों में बड़ी बेचैनी है। हाल ही में सेक्युलर दलों के कुनबे ने प्रधानमंत्री से मिलकर इस मामले में दखल देने की अपील की थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसे बंदियों को रिहा करने का वादा भी किया था। सत्ता मिलने पर सपा ने आरोपियों को रिहा करने की कवायद भी शुरू कर दी थी, किंतु अदालत ने राच्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
भारत पर मुसलमानों के साथ भेदभाव व उनके शोषण का आरोप समझ से परे है। पुख्ता सुबूतों और जीती-जागती तस्वीरों में कैद अजमल कसाब को मुंबई में निरपराधों की लाशें बिछाते पकड़ा गया, किंतु उसे भी पूरी निष्पक्ष न्यायिक प्रक्त्रिया के बाद ही फांसी की सजा दी गई। इस देश में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की कीमत पर बराबरी से अधिक अधिकार और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उनके लिए अलग से आरक्षण की बात हो रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार बताते हैं। ऐसे में भेदभाव बरते जाने का आरोप निराधार है। इस देश के मुसलमान पिछड़े हैं तो इसके लिए सेक्युलर दल ही जिम्मेदार हैं, जो वोट बैंक की राजनीति के कारण उनकी मध्यकालीन मानसिकता को संरक्षण प्रदान करते हैं। अफजल को फांसी देने में हुई देरी इस कुत्सित राजनीति को ही रेखांकित करती है।
[लेखक बलबीर पुंज, राच्यसभा सदस्य हैं]

अल्पसंख्यकों को सरकारी सलाह, खून बढ़ाने के लिए खाएं गोमांस

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18499128.cms
अजमल कसाब और अफजल गुरु को फांसी पर लटकाकर बीजेपी से भावनात्मक मुद्दा छिनने वाली केंद्र सरकार ने बीजेपी के हाथों में फिर एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है। केंद्र सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्रालय की पुस्तिका 'पोषण' विवादों में घिर गई है। सरकार का अल्पसंख्यक और राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय यूपी के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शरीर में ऑक्सीजन और खून बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ ही मुर्गा व गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। इस इलाके में यह पुस्तिका बांटी जा रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

अफजल को फांसी से एएमयू में उबाल, भारत विरोधी नारे लगे

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/north/protest-in-amu-on-afzals-hanging/articleshow/18461929.cms
अलीगढ़।। आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का माहौल गर्म हो गया है और विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला चल पड़ा है। नमाज-ए-जनाजा के दो दिन बाद सोमवार को कश्मीरी छात्रों ने अफजल को शहीद का दर्जा देते हुए कैंपस में मार्च निकाला और जमकर नारेबाजी की।

मध्य प्रदेश के सिवनी में कर्फ्यू

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/18397900.cms
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने के बाद प्रशासन ने बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया है। शहर में पुलिस बल की तैनाती की गई है और प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

संघ की छवि के साथ खिलवाड़

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-messing-with-the-image-of-the-union-10105285.html

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का यह वक्तव्य कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रशिक्षण शिविरों में आतंकवाद फैलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, इन दोनों संगठनों को जानने और इनके शिविरों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों के लिए अत्यंत आघातकारी है। गत लगभग 60 सालों से मेरा संबंध संघ से रहा है और मैंने सैकड़ों प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया है। मैं दावे के साथ कहता हूं कि कभी किसी भी स्तर पर आतंकवाद की रत्ती भर आशंका नजर नहीं आई। एक समय था जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ को जड़-मूल से समाप्त करने की बात करते रहे, किंतु वह भी संघ की राष्ट्रनिष्ठा से इतना अधिक प्रभावित थे कि 1963 में गणतंत्र दिवस पर उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों की परेड देखी। उन्होंने विभिन्न राष्ट्र-हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सरसंघचालक गोलवलकर के साथ कम से कम तीन मुलाकातें तथा पत्राचार किए थे। संघ का कथित आतंकवाद कभी कोई मुद्दा रहा ही नहीं। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने पंडित नेहरू को स्पष्ट शब्दों में लिखा था कि गांधीजी की ह्त्या में संघ का हाथ नहीं। ताशकंद जाने के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने गोलवलकरजी से चर्चा की थी। उनके समय में भी संघ का कथित आतंकवाद कभी कोई मुद्दा रहा ही नहीं। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निकट सहयोगी द्वारका प्रसाद मिश्र एवं संघ के वरिष्ठ प्रचारक दत्ताोपंत ठेंगड़ी के बीच अच्छे संबंध तभी से थे जब द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
कांग्रेस के एक अन्य प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और सरसंघचालक रच्जू भैया के बीच मधुर संबंध थे और वे दोनों राष्ट्रहित के अनेक मुद्दों पर आपस में बातचीत किया करते थे। तब भी किसी ने संघ को आतंकवाद से नहीं जोड़ा। गांधीजी, मदनमोहन मालवीय एवं जयप्रकाश नारायण ने खुलकर संघ की प्रशंसा की थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल अनेक भूमिगत कांग्रेस नेताओं को संघ के लोगों ने अपने घरों में शरण दी थी। देश के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता आरिफ मोहम्मद खान 2004 के लोकसभा चुनाव अभियान में संघ, भाजपा तथा गोलवलकरजी की प्रशंसा करते देखे-सुने गए थे। वह यह सिद्ध करते थे कि संघ और भाजपा दरअसल मुसलमानों के सच्चे दोस्त हैं। सरसंघचालक केसी सुदर्शन की प्रेरणा से राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच का गठन हुआ था, जो देश में सामाजिक समरसता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यह हास्यास्पद है कि कुछ लोग गृहमंत्री के उस वक्तव्य को विचार प्रकट करने के उनके संविधान प्रदत्त अधिकार से जोड़कर उनको क्लीन चिट दे रहे हैं। ऐसे लोग भूल जाते हैं कि शिंदे कोई साधारण नागरिक नहीं, बल्कि देश के गृहमंत्री हैं। यदि उनकी निगाह में संघ और भाजपा आतंकवादी संगठन हैं तो उन्हें अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अविलंब इन दोनों संगठनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। पता नहीं वह किस रिपोर्ट के आधार पर यह दावा कर रहे हैं कि उनके पास संघ और भाजपा के प्रशिक्षण शिविरों में आतंकवाद की ट्रेनिंग दिए?जाने के प्रमाण हैं। अगर ऐसे कोई प्रमाण वास्तव में उनके पास हैं तो उन्हें कोरी बयानबाजी करने के स्थान पर संघ और भाजपा के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। भले ही चौतरफा घिरने के बाद शिंदे यह कह रहे हों कि उनके बयान को गलत रूप में पेश किया गया, लेकिन हर कोई यह समझ रहा है कि वह वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। एक अन्य विचित्र दलील भी अक्सर सुनने को मिलती रहती है और वह यह कि भाजपा सांप्रदायिक दल है, क्योंकि उसमें नरेंद्र मोदी सरीखे नेता हैं, जिन पर गुजरात दंगों का दाग लगा हुआ है। इसीलिए यदि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे किया तो नीतीश कुमार का दल जनता दल यूनाइटेड राजग से संबंध विच्छेद कर लेगा। ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी सहित देश के सारे तथाकथित सेक्युलर दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन से मिल जाएंगे। क्या कांग्रेस वाकई सेक्युलर है? जरा कुछ तथ्यों पर निगाह डालें। 1984 के दंगों में 3000 सिखों की हत्या हुई थी, तब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी। सिख विरोधी दंगों के संदर्भ में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की थी कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तब धरती हिलती ही है। 1948 में हैदराबाद में बड़े पैमाने पर मुसलमानों की हत्याएं हुईं। सुंदरलाल समिति ने उस कत्लेआम पर जो जांच रिपोर्ट नेहरू सरकार को दी थी वह आज तक प्रकाशित नहीं की गई। वह रिपोर्ट आज भी ठंडे बस्ते में पड़ी है और कांग्रेस की सेक्युलरिच्म की नीति पर हंस रही है। यह भी विचित्र है कि सेक्युलरिच्म के सिलसिले में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले देश के प्रमुख इतिहासकार और पत्रकार गुजरात के अलावा अन्य स्थानों पर हुए दंगों पर मौन रहना ही बेहतर समझते हैं। अपने देश में साहित्यकार और पत्रकार भले ही हैदराबाद में हुए? कत्लेआम पर मौन रहे हों, लेकिन स्काटलैंड में जन्मे साहित्यकार विलियम डैरिम्पिल ने अपनी एक पुस्तक में सुंदरलाल समिति के तथ्यों को सबके सामने ला दिया था। यह सेक्युलरिच्म के नाम पर अपनाए जाने वाले दोहरे आचरण का ही उदाहरण है कि दंगों के मामले में भाजपा को घेरने वाले राजनीतिक दल और कथित सेक्युलर बौद्धिक वर्ग कांग्रेस अथवा अन्य दलों के शासनकाल में हुईं सांप्रदायिक दंगों की घटनाओं पर कुछ नहीं बोलता।
[लेखक डॉ.बलराम मिश्र, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं]

एटा में धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ से तनाव

http://www.jagran.com/news/national-religious-site-sabotage-stress-in-uttar-pradesh-10100958.html
उत्तर प्रदेश के एटा शहर की फिजां में शरारती तत्वों ने जहर घोलने की कोशिश की। टीबी अस्पताल के सामने एक धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ की गई और वहां पर रखे गए वस्त्रों को आग के हवाले कर दिया गया।

‘Indian history was distorted by the British’

http://www.hindustantimes.com/India-news/Kolkata/Indian-history-was-distorted-by-the-British/Article1-1004972.aspx

The Aryan invasion theory was actually part of the British policy of divide and rule, French historian Michel Danino, an expert on ancient Indian history, said on Thursday on the sidelines of the Kolkata Literary Meet. 

उप्र में आतंकवाद की आड़ में बंद मुस्लिमों की रिहाई जल्द

http://www.jagran.com/news/national-early-release-under-the-guise-of-terrorism-off-the-muslims-cm-10082781.html
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी ने चुनाव घोषणा पत्र में स्पष्ट तौर यह वादा किया था कि दहशतगर्दी के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में प्रदेश के जिन बेकसूर मुस्लिमों नौजवानों को जेलों में डाला गया है उन्हें रिहा कराया जाएगा। साथ ही उनके पुनर्वास के लिए मुआवजे के साथ इंसाफ भी दिया जाएगा। चुनाव घोषणा पत्र के सभी वादों को पूरा करने के लिए सरकार कृत संकल्पित हैं। इस संबंध में कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी गई है।

राजनीति का निम्नतम स्तर

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-lowest-level-of-politics-10081251.html

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप लगाने से सबसे ज्यादा हानि किसकी हुई है? अधिकांश भारतवासी जहां एक तरफ भाजपा और संघ के राष्ट्रवादी चरित्र से परिचित हैं, वहीं शिंदे के रिकॉर्ड के कारण उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। शिंदे के इस गैर जिम्मेदार बयान का कुप्रभाव सबसे अधिक भारत पर पड़ेगा। पाकिस्तान हमेशा यह दावा करता रहा है कि उसके यहां होने वाली आतंकी गतिविधियों को न तो सरकार और न ही सेना का समर्थन प्राप्त है। उसका कुतर्क यह भी है कि वह भी दूसरे देशों की तरह आतंकवाद से पीड़ित है। अब पाकिस्तान भारत के गृहमंत्री के बयान को अंतरराष्ट्रीय मंचों से उठाकर यह साबित करना चाहेगा कि आतंकवाद को प्रोत्साहन देने के लिए यदि कोई कसूरवार है तो वह भारत है। भारत अब तक कहता आया है कि यहां आतंकवाद सीमा पार से आता है, शिंदे के बयान के बाद दुनिया की नजरों में भारत की जहां हास्यास्पद स्थिति हो गई है, वहीं पाकिस्तान के हाथ मजबूत हुए हैं।
कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के कारण हिंदू आतंक का हौवा खड़ा करना चाहती है, जिसके कारण अंतत: पाकिस्तान और पाक पोषित आतंकी संगठनों का मनोबल बढ़ रहा है। भारत के बहुलतावादी ताने-बाने को ध्वस्त करने के लिए एक गहरी साजिश रची जा रही है। मुंबई पर हमला करने आए आतंकियों के हाथों में कलावा बंधा होना व माथे पर तिलक होना और हमले के पूर्व से कांग्रेसी नेताओं की ओर से 'भगवा आतंक' का हौवा खड़ा करना क्या महज संयोग हो सकता है? मुंबई हमलों में महाराष्ट्र आतंक निरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के बाद कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने यह दावा किया था कि करकरे ने फोन पर बात कर उनसे हिंदूवादी संगठनों से अपनी जान का खतरा बताया था और अब शिंदे द्वारा 'हिंदू आतंकवाद' का रहस्योद्घाटन कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति के निम्नतम स्तर पर उतर आने का ही संकेत करता है। सारा घटनाक्त्रम एक गहरी साजिश का परिणाम है। शिंदे ने न केवल समग्र रूप से हिंदू समाज को अपमानित किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत में सहिष्णु व बहुलतावादी भारत की छवि बिगाड़ने का काम भी किया है। सच्चाई यह है कि मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों के बाद से ही वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेस ने तथ्यों को दबाते हुए 'भगवा आतंक', जो अब 'हिंदू आतंक' में बदल चुका है, का हौवा खड़ा करना शुरू कर दिया। सरकारी मशीनरियों के दुरुपयोग से जो मनगढ़ंत कहानी खड़ी की गई है, तथ्य व साक्ष्य उसकी पुष्टि नहीं करते।
एक जुलाई, 2009 को अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने चार लोगों के संबंध में एक प्रेस नोट जारी किया था। इनमें कराची आधारित लश्करे-तैयबा के आतंकी आरिफ कासमानी का उल्लेख है। उस रिपोर्ट के आधार पर एक अंग्रेजी पत्रिका के 4 जुलाई, 2009 के अंक में रक्षा विशेषज्ञ बी. रमन का लेख प्रकाशित हुआ था। उस लेख से कांग्रेस की घृणित साजिश का पर्दाफाश होता है। उक्त रिपोर्ट के अंश यहां उद्घृत हैं, 'आरिफ कासमानी अन्य आतंकी संगठनों के साथ लश्करे तैयबा का मुख्य समन्वयकर्ता है और उसने लश्कर की आतंकी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कासमानी ने लश्कर के साथ मिलकर आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया, जिनमें जुलाई, 2006 में मुंबई और फरवरी, 2007 में पानीपत में समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाके शामिल हैं। सन 2005 में लश्कर की ओर से कासमानी ने धन उगाहने का काम किया और भारत के कुख्यात अपराधी दाऊद इब्राहीम से जुटाए गए धन का उपयोग जुलाई, 2006 में मुंबई की ट्रेनों में बम धमाकों में किया। कासमानी ने अलकायदा को भी वित्तीय व अन्य मदद दी। कासमानी के सहयोग के लिए अलकायदा ने 2006 और 2007 के बम धमाकों के लिए आतंकी उपलब्ध कराए।' संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा लश्कर और कासमानी को प्रतिबंधित करने के छह महीने बाद पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने स्वयं यह स्वीकार किया था कि समझौता बम धमाकों में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ था, किंतु अपने यहां वोट बैंक की राजनीति के कारण जो कांग्रेसी साजिश चल रही थी उसका ताना-बाना सीमा पार भी बुना गया। रहमान ने अपने उपरोक्त कथन में कहा, 'लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने कुछ पाकिस्तान स्थित आतंकियों का इस्तेमाल समझौता एक्सप्रेस में बम धमाका करने के लिए किया।'
समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों में जुटी जांच एजेंसियों ने भी पहले इसके लिए सिमी और लश्कर को जिम्मेदार ठहराया था। सिमी के महासचिव सफदर नागौरी, उसके भाई कमरुद्दीन नागौरी और अमिल परवेज का बेंगलूर में अप्रैल, 2007 में नारको टेस्ट हुआ। उसमें पाया गया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन की मदद से सिमी ने बम धमाकों को अंजाम दिया है और सिमी के एहतेशाम सिद्दीकी व नसीर को मुख्य कसूरवार बताया गया। हाल ही में अमेरिकी अदालत ने मुंबई हमलों के दौरान छह अमेरिकी नागरिकों की हत्या के लिए डेविड हेडली को पैंतीस साल की सजा सुनाई है। हेडली ने मुंबई समेत भारत के कई ठिकानों की रेकी थी। अमेरिका के खोजी पत्रकार सेबेस्टियन रोटेला ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि हेडली की तीसरी पत्नी फैजा ओतल्हा ने 2008 में ही यह कबूल कर लिया था कि समझौता बम धमाकों में हेडली का हाथ है।
स्वाभाविक प्रश्न है कि इतने साक्ष्यों के होते हुए भी सरकार समझौता एक्सप्रेस बम धमाकों के लिए हिंदू संगठनों को कसूरवार साबित करने पर क्यों तुली है? मालेगांव धमाकों में भी सिमी की संलिप्तता सामने आने के बावजूद सत्ता अधिष्ठान साधु-संतों को कसूरवार बताने के लिए बलतंत्र के बूते साक्ष्यों को दबाने पर तुला है। मालेगांव बम धमाकों को लेकर कर्नल पुरोहित और उनके सहयोगियों के खिलाफ अदालत में जो आरोप पत्र पेश किया गया है उसमें कहा गया है कि आरोपी आइएसआइ से धन लेने के कारण संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार की हत्या की योजना बना रहे थे। यदि कथित हिंदू आतंकी संघ प्रमुख की हत्या करना चाहते थे तो फिर संघ पर आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप कैसे लगाया जा सकता है? शिंदे को अपने कहे की समझ भी है? मुंबई हमलों की साजिश में पाकिस्तानी सेना और जमात उद दवा की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण अमेरिकी जांच एजेंसी के पास है, किंतु कांग्रेस 'हिंदू आतंकवाद' का हौवा खड़ा कर रही है। क्यों? ऐसा करने के लिए किसका दबाव है या इस काम का पारितोषिक उसे क्या मिला है? क्या सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए असली गुनहगारों को बचाना चाहती है?
[लेखक बलबीर पुंज, राच्यसभा के सदस्य हैं]

पेशावर में खौफ में जी रहा सिख समुदाय

http://www.jagran.com/news/world-peshawar-sikhs-worried-insecure-over-kidnappings-10078002.html
इस्लामाबाद। अपहरण की बढ़ती घटनाओं के कारण पेशावर शहर में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। पिछले साल नवंबर में कबायली क्षेत्र खैबर से अपहृत औषधि विक्रेता मोहिंदर सिंह का शव टुकड़ों में मिला था। वहीं बीते हफ्ते रघबीर सिंह को उनके कायदाबाद स्थित घर के पास से ही अगवा कर लिया गया था। 40 वर्षीय रघबीर चार बच्चों के पिता हैं।

ईद मिलादुन्नबी के जुलूस में फायरिंग व पथराव

http://www.jagran.com/news/national-10072239.html
मुरादाबाद। जनपद के भगतपुर थानांतर्गत ग्राम मानपुर में शुक्रवार दोपहर ईद मिलादुन्नबी के जुलूस के दौरान दो संप्रदायों के बीच टकराव हो गया। इस दौरान दोनों गुटों की ओर से जमकर पथराव हुआ। देखते ही देखते माहौल इतना गरमा गया कि असलहे भी निकल आए। दोनों पक्षों के बीच जमकर फायरिंग भी हुई। इसमें आधा दर्जन लोग घायल हो गए। मौके पर पहुंचे एक दरोगा तथा चार सिपाहियों को भीड़ ने दौड़ा दिया।

बरेली में हिंसा, छह घायल

http://www.jagran.com/news/national-violence-in-bareilly-six-injured-10072940.html
उत्तर प्रदेश के बरेली जिला स्थित गांव धौली मोरूपुरा में जुलूस ए मुहम्मदी में शामिल होने आ रही अंजुमन को रोकने पर बवाल हो गया। पथराव व फायरिंग में पीएसी जवान समेत छह लोग घायल हुए हैं। घरों में आग लगाने का भी प्रयास हुआ। मौके पर जिलाधिकारी व एसएसपी फोर्स के साथ पहुंचे और किसी तरह हालात पर काबू पाया।

दस नामों के कारण हिंदू आतंकवाद का हल्ला

http://www.jagran.com/news/national-ten-names-clutter-the-hindu-terrorism-10068988.html
जिन कथित आतंकियों के कारण केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का जुमला उछाला और अब जिन्हें लेकर सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है वे कुल दस शख्स हैं। ये हैं स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा, देवेंद्र गुप्ता, संदीप डांगे, लोकेश शर्मा, कमल चौहान, मुकेश वासानी, चंद्रशेखर लेवे, राजेंद्र और रामजी कलसांगरे। इस सूची में सुनील जोशी का नाम भी शामिल था, लेकिन उसकी हत्या हो चुकी है। संदीप डांगे और रामजी को फरार बताया जाता है। जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा स्तन कैंसर से ग्रस्त है।

मिशनरियों के साये में भी पिछड़े रहे आदिवासी

http://navbharattimes.indiatimes.com/thoughts-platform/viewpoint/are-also-backward-tribal-missionaries-in-the-shadows/articleshow/18167548.cms
आज क्रिसमस सबसे बड़ा ग्लोबल त्योहार बन गया है। दुनिया भर में ईसाई ही नहीं, बल्कि तमाम दूसरे समुदाय के लोग भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन दूसरे त्योहारों की तरह क्या यह भी अब एक खोखला आयोजन बन कर नहीं रह गया है? ईसा मसीह ने दुनिया को शांति का संदेश दिया था। लेकिन गरीब ईसाइयों के जीवन में अंधेरा कम नहीं हो रहा। अगर समुदाय में शांति होती तो आज ईसाई आदिवासी समाज की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती।

'विश्वरूपम' की रिलीज पर फैसला 28 जनवरी

http://navbharattimes.indiatimes.com/tn-bends-to-pressure-suspends-release-of-kamal-haasans-viswaroopam-for-2-weeks/moviearticleshow/18159009.cms
चेन्नै।। मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद कमल हासन की फिल्म 'विश्वरूपम' पर तमिलनाडु सरकार की रोक का मामला मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट के जज फिल्म देखने के बाद 28 जनवरी को इसकी रिलीज पर फैसला देंगे।

हिंदुओं के हत्यारे मौलवी को मौत की सजा

http://www.jagran.com/news/world-bdesh-court-hands-down-death-penalty-to-1971-war-criminal-10062335.html
 बांग्लादेश की एक विशेष अदालत ने उन्नीस सौ इकहत्तर में मुक्ति संग्राम के दौरान छह हिंदुओं की हत्या, कई महिलाओं से दुष्कर्म के आरोपी भगोड़े मौलवी को मौत की सजा सुनाई है। कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी के पूर्व सदस्य अबुल कलाम आजाद के पाकिस्तान में होने की आशंका है।

दिग्विजय सिंह ने हाफिज सईद को 'साहब' कहकर संबोधित किया

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/now-digvijay-singh-calls-hafiz-as-sahab/articleshow/18114412.cms
अपने बयानों के कारण हमेशा विवाद में रहने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दे डाला है। उन्होंने मुंबई हमलों सहित भारत में किए गए कई आतंकी हमलों का मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के लिए सम्मानजनक शब्द 'साहब' का इस्तेमाल किया है। दिग्विजय के इस बयान की निंदा हो रही है।

लोकतंत्र के प्रति अक्षम्य अपराध

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-unforgivable-crime-against-democracy-10052868.html
अकबरुद्दीन ओवैसी के पिछले माह आंध्र प्रदेश में दिए भड़काऊ भाषण से भारत के उदार, पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक माहौल में जीने वाले हर नागरिक को धक्का लगा होगा। हालांकि उन्हें इस पर कोई हैरानी नहीं हुई होगी जो यहां 20वीं सदी से चले आ रहे कट्टरवादी मुस्लिम नेताओं के द्वेषपूर्ण व्यवहार और इस संदर्भ में कांग्रेस पार्टी के मौन से परिचित हैं। राजनेता धार्मिक, जातिगत आधार पर और यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ भी भड़काऊ बयानबाजी करते रहे हैं, लेकिन मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता ओवैसी ने हर सीमा लांघ दी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि ओवैसी आज के लोकतांत्रिक भारत में भी मध्ययुगीन विचारों में जी रहे हैं। यदि हम देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल की तुष्टीकरण की नीति को देखें तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। देश में छद्म पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा इसी दल ने दिया। कांग्रेस ने ही उस संस्कृति को जन्म दिया जिसमें पंथनिरपेक्षता को हिंदू-विरोध से जोड़ा गया और ओवैसी जैसे लोगों का दुस्साहस बढ़ता गया। चूंकि कांग्रेस आजादी से पहले अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद भी सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही, इसलिए देश में पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक माहौल को बिगाड़ने के लिए प्रथमदृष्टया यही जिम्मेदार है। इतिहास बताता है कि मुस्लिम नेताओं की सांप्रदायिक राजनीति ने कैसे देश का विभाजन कर दिया और कैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने छद्म पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। हालांकि डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता भांप गए थे कि यह नीति लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिए ठीक नहीं, लेकिन नेहरू सुनना ही नहीं चाहते थे। आजादी के बाद अंबेडकर ने तुष्टीकरण के परिणामों के प्रति सबसे पहले चेताया था। उन्होंने अपनी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान में 1940 में मुस्लिम समुदाय की मांगों पर कहा है कि कांग्रेस जो नीति अपना रही है वह देश के लिए अनिष्टकारी होगी। अंबेडकर ने लिखा है, समर्थन हासिल करने के लिए तुष्टीकरण की नीति अपनाना हिंदुओं पर किए जाने वाले अत्याचार में शामिल होना है। तुष्टीकरण की कोई सीमा नहीं होती। तुष्टीकरण की नीति हिंदुओं को भी उसी भय की स्थिति में डाल देगी जिसमें कभी हिटलर के प्रति अपनाई गई तुष्टीकरण की नीति ने उनके साथियों को डाल दिया था। अंबेडकर अलग इस्लामिक राष्ट्र- पाकिस्तान के बनने के पक्ष में थे। चूंकि यह माना जा रहा था कि भारत के 90 फीसद मुसलमान पाकिस्तान बनने के पक्ष में हैं, अंबेडकर ने पूर्वानुमान लगाया था कि एक बार पाकिस्तान बन जाने पर व्यापक आबादी की अदलाबदली होगी। परिणामस्वरूप तुष्टीकरण खत्म हो जाएगा। इस पूर्वाभास के बावजूद अंबेडकर छद्म पंथनिरपेक्षता से आजाद, पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत को पहुंचने वाले नुकसान का आकलन करने में असफल रहे। जैसा कि हम जानते हैं विभाजन में व्यापक आबादी की अदलाबदली नहीं हुई, बल्कि कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को भरोसेमंद वोट बैंक के रूप में देखना शुरू कर दिया। नेहरू के बाद मुस्लिम वोट बढ़ाने के लिए तुष्टीकरण की नीतियों को आगे बढ़ाने की बारी इंदिरा गांधी की थी। उनके बाद राजीव गांधी ने पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया और उस न्यायिक फैसले को पलटने के लिए कानून में संशोधन का निर्णय लिया जिसमें मुस्लिम महिलाओं को संबंध-विच्छेद के बाद मुआवजे का अधिकार दिया गया था। यह फैसला उन्होंने मुस्लिम समुदाय के दबाव में लिया था। उसके बाद से ही मुस्लिम तुष्टीकरण कांग्रेस की नीतियों का अहम हिस्सा बन गया। दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इसका अनुकरण किया। कांग्रेस को मुस्लिम लीग और ओवैसी के एमआइएम जैसे सांप्रदायिक दलों से गठबंधन करने का भी कोई अफसोस नहीं था। पिछले 20 सालों की इन घटनाओं ने ऐसे मुस्लिम नेताओं का हौसला बढ़ाया जो मुस्लिम युवाओं में हिंदुओं के प्रति नफरत भर रहे हैं और धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने का कोई मौका नहीं जाने देते। यही कारण है कि मुस्लिम युवाओं ने बिना सोचे समझे पिछले साल मुंबई के आजाद मैदान में अमर ज्योति का अपमान किया और ऐसी ही तोड़फोड़ लखनऊ और दूसरी जगहों पर भी की। अब अकबरुद्दीन ओवैसी हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाते हुए सामने आए हैं। इंटरनेट से पहले के जमाने में ऐसे भड़काऊ भाषणों का प्रसार रोकना आसान था। इंटरनेट आने के बाद कुछ लोग भड़काऊ भाषण यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं और यह बुरी तरह फैल जाता है। इसलिए ओवैसी ने जो हानि लोकतांत्रिक और पंथनिरपेक्ष ताने-बाने को पहुंचाई है वह सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। दुनियाभर के लाखों हिंदुओं ने उनका नफरत भरा भाषण सुना है। यदि भारत ओवैसी जैसे लोगों के साथ सख्ती से पेश नहीं आता है तो इससे धार्मिक सौहार्द्र का माहौल तो बिगड़ेगा ही, दोनों समुदायों के गरीब और निर्दोष लोगों को भी नुकसान होगा। इस संदर्भ में हमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की दी गई सलाह को याद करना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जर्मनी के तुष्टीकरण की ब्रिटिश नीति को लेकर चर्चिल ने कहा था, यदि तुम तब भी अपने अधिकार के लिए नहीं लड़ोगे जब बिना रक्तपात के आसानी से जीत सकते हो, यदि तब भी नहीं लड़ोगे जब तुम्हारी जीत तय हो और इसके लिए बड़ी कीमत भी नहीं चुकानी पड़े तो एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हें खुद अपने विरुद्ध लड़ाई लड़नी होगी और उसमें बचने की संभावना बहुत कम होगी। आज हर उस भारतीय नागरिक को तुष्टीकरण पर चर्चिल की यह बात याद रखनी चाहिए जो उदार और लोकतांत्रिक माहौल की कद्र करता है। वरना एक दिन लोकतांत्रिक भारत भी अपने विरुद्ध लड़ाई की स्थिति में होगा और बचने की संभावना बहुत कम होगी।

मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए जमीन नहीं देंगेः बीजेपी

http://navbharattimes.indiatimes.com/other-cities/bangalore/chennai/bjp-says-will-not-give-ground-for-muslim-university/articleshow/18055096.cms
 कर्नाटक में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कहा कि वह मंध्या जिले के श्रीरंगपटना में केंद्र द्वारा प्रस्तावित टीपू मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए जमीन नहीं देगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि वह शिक्षण संस्थान ''राष्ट्र विरोधी तत्वों के पनपने का स्थल बन जाएगा।'' बहरहाल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान ने कहा कि यूनिवर्सिटी स्थापित की जाएगी।

ओवैसी पर देशद्रोह का भी मुकदमा

http://www.jagran.com/news/national-treason-charge-on-owaisi-10022400.html
निर्मल। भड़काऊ व नफरत फैलाने वाला भाषण देने के मामले में गिरफ्तार आरोपी एमआइएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी पर आइपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ देशद्रोह [धारा-124ए] का मुकदमा भी चलेगा। मंगलवार देर रात करीब 1 बजे पुलिस ने ओवैसी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। निर्मल टाउन थाने ने 3 जनवरी को अकबरुद्दीन के खिलाफ आइपीसी की धारा-121 और 153 के तहत मामला दर्ज किया था। गिरफ्तारी के बाद एहतियातन हैदराबाद सहित राज्य के कुछ इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। उन्हें आदिलाबाद जेल भेज दिया गया है।

जेल में पूछताछ में अकबरुद्दीन ओवैसी की हवा निकली

http://navbharattimes.indiatimes.com/hate-speech-voice-not-mine-akbaruddin-owaisi/articleshow/18040808.cms
अदिलाबाद।। नफरत फैलाने वाले भाषण देने को लेकर गिरफ्तार मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) पार्टी के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी से पुलिस ने लगातार चौथे दिन मंगलवार को पूछताछ की। विडियो में 'शेर' की तरह दहाड़ रहे ओवैसी पुलिस के सामने पूछताछ में 'गीदड़' बन गए। पूछताछ के दौरान अकबरुद्दीन ने यू-ट्यूब के विडियो पर यू-टर्न ले लिया। उन्होंने विडियो के असली होने पर ही सवाल उठा दिए और कहा कि उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया था। यू-ट्यूब पर अपलोड विडियो में उनकी आवाज नहीं है।

ट्रैफिक इंस्पेक्टर को 'मुस्लिम विरोधी' कविता पर अफसोस नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/i-will-apologise-but-i-have-nothing-to-be-sorry-about-sujata-patil/articleshow/18042806.cms
मुंबई पुलिस की पत्रिका 'संवाद' में विवादित कविता लिखने के कारण चर्चित हुईं ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुजाता पाटिल ने एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इससे आहत हुआ है तो माफी मांगने के लिए तैयार हूं, लेकिन इसे लिखने को लेकर मुझे अफसोस नहीं है।

मुसलमानों को रिझाने में जुटी कांग्रेस

http://www.jagran.com/news/national-congress-ered-muslim-in-uttarpradesh-10035474.html
लखनऊ [आनंद राय]। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए आवंटित धनराशि और स्ट्राइव फार एमिनेंस एंड इंपावरमेंट के चेयरमैन मौलाना फजलुर रहीम मुजाद्दीदी के सहारे कांग्रेस मुसलमानों को रिझाने में जुट गयी है। सेमिनारों की सीरीज शुरू कर कांग्रेस ने इस अभियान की कमान मौलाना के हाथों में सौंपी है। इस कवायद को लोकसभा चुनाव की तैयारी से भी जोड़ा जा रहा है।

धुले दंगे में चार लोगों की मौत

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/01/130107_dhule_riot_of.shtml
महाराष्ट्र के धुले नगर में रविवार के सांप्रदायिक दंगों के बाद सोमवार को भी कर्फ्यू जारी है और पुलिस अधिकारियों ने स्थिति शान्ति पूर्ण और नियंत्रण में बताई है.

भारतीय जवानों के बाद पाकिस्तान में सिख का सिर कलम

http://www.jagran.com/news/world-kidnapped-sikh-man-beheaded-in-pakistans-tribal-belt-10022452.html
इस्लामाबाद। पाकिस्तानी सेना द्वारा दो भारतीय जवानों को मारकर उनमें से एक का सिर काटने की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के बाद एक सिख का सिर काटने का मामला सामने आया है। पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने एक महीने पहले अगवा किए गए मोहिंदर सिंह का प्रतिद्वंद्वी गुट के लिए जासूसी करने के लिए सिर कलम कर दिया।

एमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी गिरफ्तार

http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-296656.html
आंध्र प्रदेश पुलिस ने कथित घृणा भाषण के लिए कई मामलों का सामना कर रहे मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन (एमआईएम) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। चिकित्सा जांच के लिए यहां के गांधी अस्पताल ले जाए गए ओवैसी को आदिलाबाद जिले के निर्मल नगर ले जाए जाने की संभावना है, जहां उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज है।