Wednesday, May 2, 2012

हनुमान की प्रतिमा खंडित करने पर तनाव

भागलपुर। गौराडीह थाना क्षेत्र के विनायकपुर गांव में रविवार को एक समुदाय के बदमाशों द्वारा भगवान हनुमान की प्रतिमा खंडित कर देने पर तनाव कायम हो गया। कुरूडीह गांव के तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस मामले को शांत करने का प्रयास कर रही है
http://www.jagran.com/news/national-god-hunaman-stachu-broken-by-anti-social-9196840.html

सर्वमान्य चेहरे के तौर पर आ सकता है प्रेमजी का नाम

देश के अगले राष्ट्रपति को लेकर चल रहे सियासी दांव पेंच के बीच मशहूर उद्योगपति अजीम प्रेमजी का नाम भी सियासी गलियारे में अंदरखाने उछल गया है। राष्ट्रपति पद पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर प्रणब मुखर्जी किसी के नाम पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में प्रेमजी को सर्वमान्य उम्मीदवार बनाने का दांव चला जा सकता है।
http://www.amarujala.com/National/Premji-binding-face-may-come-as-a-name-26729.html

Friday, April 27, 2012

मो. रफी और मिर्जा गालिब को भारत रत्न देने की मांग

उर्दू के प्रख्यात शायर मिर्जा गालिब और हिन्दी फिल्मों के मशहूर पार्श्व गायक मोहम्मद रफी को भारत रत्न देने की मांग शुक्रवार को लोकसभा में प्रमुखता से उठाई गई। समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत रत्न के बारे में अखबारों में चर्चाओं का एक सिलसिल फिर शुरू हो गया है, जिसमें मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी उल्लेख किया जा रहा है। 
http://www.amarujala.com/National/Bharat-Ratna-should-be-given-to-Mirza-Ghalib-and-Rafi-26521.html

Tuesday, April 24, 2012

टिफिन बम मामले में दो को सजा

अजमेर। अजमेर की विशेष अदालत [टाडा] ने जयपुर में 30 सितंबर 1993 को माणक चौक, कोतवाली एवं जालूपुरा थाना इलाके में मिले टिफिन बम मामले में मंगलवार को चार आरोपियों में से दो को जुर्म साबित होने पर सजा सुनाई है, जबकि दो को बरी कर दिया।
http://www.jagran.com/news/national-two-convicted-in-1993-jaipur-bomb-blasts-case-9177908.html

नहीं होगा रुश्दी के उपन्यास पर शोध

मेरठ, जागरण संवाददाता। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में सलमान रुश्दी, विक्रम सेठ और अमिताव घोष पर होने वाला शोध अब नहीं होगा।
विवाद के बाद अंग्रेजी विभाग ने शोधार्थी को दी गई सुविधाएं वापस ले ली हैं। इस बारे में कुलपति व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग [यूजीसी] को अवगत करा दिया गया है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि शोधार्थी के लगातार अनुपस्थित रहने और कुछ तकनीकी कारणों से सुविधाएं वापस ली गई हैं। यह भी साफ किया है कि शोध रुश्दी समेत कई अंग्रेजी लेखकों के उपन्यासों के तुलनात्मक अध्ययन के बारे में था न कि सटैनिक वर्सेज के बारे में।

राजनीति का खतरनाक रूप


केरल का वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम वस्तुत: भारत में प्रचलित सेक्युलरवाद की विकृतियों को ही रेखांकित करता है। कांग्रेसनीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में इंडियन युनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस का दबदबा है। अभी हाल में मुस्लिम लीग ने सरकार की कलाई मरोड़ कर अपनी पार्टी के कोटे में पांचवां मंत्रालय भी हासिल कर लिया। ओमान चांडी के 21 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अब अल्पसंख्यक कोटे के 12 मंत्री हैं, जिसमें केवल मुस्लिम लीग के पांच मंत्री हैं। जोड़तोड़ से सरकार बनाने में सफल कांग्रेस पर गठबंधन का दबाव इतना है कि जो काम मुख्यमंत्री का है वह काम भी घटक दल अपनी मनमानी से कर रहे हैं। मुस्लिम लीग ने कांग्रेस की कमजोर नब्ज दबा रखी है और उसी कारण न केवल अपने लिए पांचवां मंत्रालय झटका, बल्कि मंत्री और मंत्रालय भी अपनी मर्जी से स्वयं घोषित कर दिए।
करीब एक साल से मुस्लिम लीग इस पांचवें मंत्रालय की मांग कर रही थी। इसके समर्थन में सड़कों पर भी हरा झंडा लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें मल्लपुरम को केरल की सत्ता का केंद्र बताया जाता था। मल्लपुरम वही ऐतिहासिक क्षेत्र है जहां मा‌र्क्सवादी नेता और बाद में केरल के पहले मुख्यमंत्री बने नंबूदरीपाद अलग पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते सड़कों पर उतरा करते थे। परिस्थितियां आज भी वैसी ही हैं। राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए कांग्रेस अलगाववादी मानसिकता को पोषित कर रही है। मुस्लिम लीग या केरल कांग्रेस का भयादोहन केवल मंत्रालय तक सीमित नहीं है। केरल कांग्रेस और इंडियन मुस्लिम लीग के जो मंत्री हैं उनके सभी निजी सहकर्मी भी ईसाई और मुस्लिम संप्रदाय के हैं। इतना ही नहीं, केरल कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मंत्री महोदय के अधीन जितने भी विभाग आते हैं उनमें शीर्ष स्तर पर नियुक्तिऔर तबादले अपने ही समुदाय से किए जा रहे हैं। केरल में हिंदुओं की आबादी 56 प्रतिशत है, किंतु ओमान चांडी की सरकार में केवल नौ हिंदू मंत्री हैं। ईसाई आबादी 19 फीसदी है और उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए सात मंत्री हैं। इसी तरह मुस्लिमों की आबादी करीब 25 फीसदी है और उनके कोटे से पांच मंत्री हैं। आज केरल के नीति निर्माण में वहां के अल्पसंख्यक प्रभावी और निर्णायक भूमिका में हैं, जबकि वहां के बहुसंख्यक सरकार में अल्पसंख्यक बन गए हैं। क्या यह स्थिति सेक्युलरवादी राजनीति का परिणाम नहीं है? विडंबना यह है कि प्राय: पूरे देश में सेक्युलरवाद के नाम पर राजनीतिक दलों में वोट बैंक की राजनीति के कारण तुष्टीकरण की होड़ लगी है। तुष्टीकरण की यह होड़ देश को किस ओर ले जा रही है?
हाल में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सत्तासीन हुई है, किंतु विजयमाला के फूल सूखे भी नहीं थे कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मुस्लिम चरमपंथियों की ब्लैकमेलिंग से दो-चार होना पड़ा। सपा नेता आजम खान और दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद बुखारी के बीच चली जुबानी जंग इस खतरनाक पहलू को ही रेखांकित करती है। केरल में मुस्लिमों का वोट बैंक अपने पाले में करने के लिए हर चुनाव के दौरान कांग्रेस और मा‌र्क्सवादियों के बीच होड़ लगी रहती है। पीपुल्स डेमोक्त्रेटिक पार्टी के संस्थापक अब्दुल नासेर मदनी कोयंबटूर बम धमाकों के आरोप में सन् 2008 में जब तमिलनाडु की जेल में बंद थे तब होली की छुट्टी के दिन केरल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें कांग्रेस और मा‌र्क्सवादियों ने सर्वसम्मति से मदनी को पैरोल पर छोड़ने के लिए प्रस्ताव पारित किया था।
आज मदनी चेन्नास्वामी स्टेडियम में बम विस्फोट के सिलसिले में कर्नाटक की जेल में बंद है, किंतु कांग्रेस और मा‌र्क्सवादी उसको संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहे। केरल के पूर्व मा‌र्क्सवादी मुख्यमंत्री अच्युतांनद ने सार्वजनिक तौर पर राज्य का इस्लामीकरण किए जाने का खुलासा किया था, किंतु यह भी सच है कि कांग्रेस और मा‌र्क्सवादियों के मौन समर्थन के कारण लव जिहाद का खेल जारी है। बहला-फुसलाकर हिंदू युवतियों के साथ मुस्लिमों के निकाह किए जाने की साजिश का वित्तपोषण खाड़ी देशों से होता है। आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन [अलगाववादी मुस्लिम छात्र संगठन सिमी का नया अवतार] के कई स्लीपर सेल केरल में मौजूद हैं। इन खतरों के बीच केरल की राजनीति में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का प्रभावी भूमिका में होना आत्मघाती साबित हो सकता है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमामों के लिए मासिक मेहनताना देने, उनके लिए मकान बनवाने की खातिर भूमि और आर्थिक मदद देने की घोषणा की। ममता की निगाह अगले साल होने वाले पंचायती चुनाव पर टिकी है, इसलिए स्वाभाविक तौर पर वह मा‌र्क्सवादियों से दौड़ में आगे रहने के लिए मुसलमानों को बढ़-चढ़ कर सौगातें दे रही हैं। उन्होंने बड़े पैमाने पर मदरसों की स्थापना करने की राह भी आसान की है। पश्चिम बंगाल में तीस सालों तक मा‌र्क्सवादियों का राज रहा, जिन्होंने वोट बैंक की खातिर बड़े पैमाने पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की बसावट को नजरअंदाज किया। तुष्टीकरण की नीति के कारण ही आधी रात को बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को मा‌र्क्सवादियों ने राज्य से बाहर निकाल दिया था। हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने छल-प्रपंच के बल पर सलमान रुश्दी को जयपुर में संपन्न साहित्य सम्मेलन में भाग लेने से वंचित कर दिया था। जो सेक्युलर जमात हिंदू देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाने वाले मकबूल फिदा हुसैन के समर्थन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल खड़ा करता है वह तस्लीमा नसरीन और सलमान रुश्दी के मामले में खामोश क्यों हो जाती है?
क्या भारत वास्तव में एक सेक्युलर देश है? देश के कई हिंदूबहुल राच्यों में यदि गैर हिंदू मुख्यमंत्री-राच्यपाल बन सकता है तो मुस्लिम बहुल या ईसाई बहुल राच्यों में एक हिंदू मुख्यमंत्री की कुर्सी पर क्यों आसीन नहीं हो पाता? मिजोरम, मेघालय, नागालैंड आदि में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई हिंदू अब तक नहीं बैठा। जम्मू-कश्मीर में गैर मुस्लिम का मुख्यमंत्री बनना वर्तमान में दिवास्वप्न ही है, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोगों की एक लंबी सूची है, जो देश के भिन्न-भिन्न राच्यों में राच्यपाल या मुख्यमंत्री रहे। मुस्लिम समुदाय के लोग इस देश में राष्ट्रपति जैसे शिखर पद पर आसीन हो चुके हैं, किंतु कुछ राच्यों के साथ हिंदुओं का अनुभव ऐसा नहीं है। पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में जिस दिन कोई हिंदू मुख्यमंत्री बनेगा वह सेक्युलरवाद की सच्ची जीत होगी, किंतु यक्ष प्रश्न यह है कि सेक्युलरवाद का मौजूदा स्वरूप क्या कभी ऐसा माहौल विकसित होने देगा?
[बलबीर पुंज: लेखक भाजपा के राच्यसभा सदस्य हैं]

ओबीसी के आरक्षण में कटौती से भड़के हिंदू संगठन

काशीपुर: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण में कटौती कर अल्पसंख्यकों को देने से हिंदू संगठन भड़क गए। कार्यकर्ताओं ने एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन देकर उसे वापस लेने की मांग की।
http://www.jagran.com/uttarakhand/udhamsingh-nagar-9173755.html

मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने पर शहर में किया प्रदर्शन

जींद, जागरण संवाद केंद्र : विश्व हिंदु परिषद और हरियाणा पिछड़ा वर्ग जन मोर्चा द्वारा संयुक्त रूप से बीसी तथा ओबीसी के आरक्षण कोटे से मुसलमानों को साढे़ चार प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के विरोध में शहर में प्रदर्शन किया और उपायुक्त के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा। इस अवसर पर कार्यकर्ता रानी तालाब पर एकत्रित होकर और वहां से शहर में प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे।
http://www.jagran.com/haryana/jind-9172358.html

Saturday, April 21, 2012

अल्पसंख्यक हिंदुओं की त्रासदी


सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। भारत से बाहर रह रहे हिंदुओं की आबादी लगभग 20 करोड़ है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति दक्षिण एशिया के देशों में रह रहे हिंदुओं की है। दक्षिण एशियाई देशों-बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो में हाल के वर्षो में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आदि शामिल है। कुछ देशों में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की शिकायतें सामने आई है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट 2011 की है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 1947 में कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिंदू थे। अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी की मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है। वहां गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। 24 मार्च, 2005 को पाकिस्तान में नए पासपोर्ट में धर्म की पहचान को अनिवार्य कर दिया गया। स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। जनजातीय बहुल इलाकों में अत्याचार ज्यादा है। इन क्षेत्रों में इस्लामिक कानून लागू करने का भारी दबाव है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है।
इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न [एमेंडमेंट] बिल 2011 को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है। इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं। इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोड़फोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वर्षो में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो जाएगी।
बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। 1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी इलाके से एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर दिया गया। ईसाई बहुल देश फिजी में हिंदुओं की आबादी 34 प्रतिशत है। स्थानीय लोग यहां रहने वाले हिंदुओं को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। 2008 में यहां कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया। 2009 में ये हमले बंद हुए। फिजी के मेथोडिस्ट चर्च ने लगातार इसे इसाई देश घोषित करने की मांग की, लेकिन बैमानिरामा के प्रधानमंत्रित्व में गठित अंतरिम सरकार ने इसे खारिज कर दिया और अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के संरक्षण की बात कही। मलेशिया घोषित इस्लामी देश है, इसलिए वहां की हिंदू आबादी को अकसर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को अकसर निशाना बनाया जाता है। सरकार मस्जिदों को सरकारी जमीन और मदद मुहैया कराती है, लेकिन हिंदू धार्मिक स्थानों के साथ इस नीति को अमल में नहीं लाती। हिंदू कार्यकर्ताओं पर तरह-तरह के जुल्म किए जाते हैं और उन्हें कानूनी मामलों में जबरन फंसाया जाता है। उन्हें शरीयत अदालतों में पेश किया जाता है। सिंहली बहुल श्रीलंका में भी हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। पिछले कई दशकों से हिंदुओं और तमिलों पर हमले हो रहे हैं। हिंसा के कारण उन्हें लगातार पलायन का दंश झेलना पड़ रहा है। हिंदू संस्थानों को सरकारी संरक्षण नहीं मिलता है। त्रिनिदाद-टोबैगो में भारतीय मूल की कमला परसाद बिसेसर के सत्ता संभालने के बाद आशा बंधी है कि हिंदुओं के साथ साठ सालों से हो रहा अत्याचार समाप्त होगा। इंडो-त्रिनिदादियंस समूह सरकारी नौकरियों और अन्य सरकारी सहायता से वंचित है। हिंदू संस्थाओं के साथ और हिंदू त्यौहारों के दौरान हिंसा होती है।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार का भी जिक्र है। पाकिस्तान ने कश्मीर के 35 फीसदी भू-भाग पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। 1980 के दशक से यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी सक्रिय हैं। कश्मीर घाटी से अधिकांश हिंदू आबादी का पलायन हो चुका है। तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडित रिफ्यूजी कैंप में बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं। यह चिंता की बात है कि दक्षिण एशिया में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। जिस तरह से श्रीलंका में तमिलों के मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर अमेरिका, फ्रांस और नार्वे ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में प्रस्ताव रखा और तमिल राजनीतिक दलों के दबाव में ही सही भारत को प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालना पड़ा उसी तरह की पहल भारत को भी दक्षेस के मंच पर तो करनी ही चाहिए।
[कमलेश रघुवंशी: लेखक दैनिक जागरण में वरिष्ठ पत्रकार हैं]

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-9164712.html

पाक में जबरन धर्मातरण से परेशान अल्पसंख्यक


लाहौर। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय जबरन धर्मांतरण किए जाने से परेशान हैं और उन्होंने अपने मामले में न्यायिक व्यवस्था की कड़ी आलोचना की है।
तीन हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर जबरन धर्मांतरित करने और मुस्लिमों से शादी करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है।

http://www.jagran.com/news/world-minorities-in-pakistan-disturbed-over-forced-conversions-9164763.html