Wednesday, January 21, 2009

अल्पसंख्यक अपने अधिकारों से महरूम

दैनिक जागरण, २० जनवरी २००८, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मुहम्मद हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि कानून के सामने अल्पसंख्यक देश के सभी अधिकारों के लाभार्थी हैं लेकिन हकीकत इससे परे है और इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है।

अंसारी ने कहा कि इस हकीकत के चलते देश का सर्वागीण विकास प्रभावित हो रहा है इस लिए इस स्थिति में सुधार लाए जाने की सख्त जरूरत है।

उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को यहां राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह टिप्पणी की। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ हाल की और कुछ पहले की घटनाओं के चलते अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मामले में चिंताएं बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं करा पाना इस मामले में चिंता का बड़ा विषय है। अदालतों के फैसलों से भी इस बात की पुष्टि होती है।

अंसारी ने कहा कि इस संबंध में जनमानस और मानवाधिकार संगठनों की शिकायतों को देखते हुए सुधारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में लगभग हर छठा व्यक्ति अल्पसंख्यक है और उनकी आबादी करीबन 20 करोड़ है। कानून की नजर में वे सभी अधिकारों के लाभार्थी हैं लेकिन हकीकत इससे परे है और इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। इससे देश का सर्वागीण विकास प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और इस तरह के राज्य आयोगों का गठन अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा और उनमें विश्वास बहाल करने के लिए किया गया था लेकिन अनुभव दर्शाते है कि उनकी शिकायतें दूर करने का तंत्र भी कुछ हद तक सफल नहीं रहा है।

अंसारी ने इस कमी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अनुसूचित जाति आयोग की तर्ज पर अल्पसंख्यक आयोग को भी जांच के अधिकार देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इसी तरह अल्पसंख्यकों के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीडन निवारक कानून की तर्ज पर कोई कानून बनाने के बारे में भी विचार करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट के बाद अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए कई स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं लेकिन जरूरत इस बात की है कि उनके क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए भी कारगर तंत्र स्थापित किए जाएं। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने कहा कि उन्होंने मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और भारतीय स्कूल शिक्षा बोर्ड परिषद के समकक्ष मानने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

सिंह ने कहा कि इसके अलावा केंद्रीय मदरसा बोर्ड गठित करने का मामला भी विचाराधीन है। केंद्रीय श्रम मंत्री आस्कर फर्नाडिस ने कहा कि अल्पसंख्यकों का उत्थान वर्तमान समय में जरूरी है और इसके लिए उन्हें बड़े पैमाने पर तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि वे स्वावलंबी बन सकें।

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