Monday, January 7, 2013

हॉलिवुड में दुनिया का पहला भूकंपरोधी मंदिर!

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17874995.cms
वॉशिंगटन।। हॉलिवुड के करीब बना 68वां स्वामीनारायण मंदिर अपनी भव्यता और इको फ्रेंडली डिजाइन की वजह से स्थानीय लोगों का खासा ध्यान खींच रहा है। यह यूएस में मौजूद सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है और इसे बनाने में करीब 100 मिलियन डॉलर (करीब 550 करोड़ रुपये) खर्च हुए हैं। मंदिर के अधिकारियों का दावा है कि यह दुनिया का पहला भूकंपरोधी मंदिर है जिसकी उम्र करीब 1000 साल है।

ओवैसी के भड़काऊ बयान की होगी जांच

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/01/130103_akbaruddin_speech_new_arm.shtml
हैदराबाद की एक स्थानीय अदालत ने पुलिस को मज़लिस ए इत्तेहादुल (एमआईएम) मुस्लमीन के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है.

अमेरिका में प्रथम हिंदू कांग्रेस सदस्य तुलसी गैबर्ड ने ली भगवद गीता की शपथ

http://www.livehindustan.com/news/videsh/indiaabroad/article1-america-congress-tulsi-gabbard-geeta-2-7-295438.html
अमेरिका में कांग्रेस के लिए निर्वाचित पहली हिंदू तुलसी गैबर्ड ने पवित्र भगवद गीता पर हाथ रखकर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। तुलसी (31) को प्रतिनिधि सभा के स्पीकर जॉन बोहनर ने शपथ दिलाई। वह गीता की शपथ लेने वाली पहली अमेरिकी कांग्रेस सदस्य हैं।

तुष्टीकरण का विकल्प

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-opinion-10000560.html

नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने की संभावना से कांग्रेस के कुछ रणनीतिकार प्रसन्न भी हैं। उन्हें लगता है कि तब तो सारे देश के मुस्लिम वोट इकट्ठा होकर स्वत: कांग्रेस की झोली में आ गिरेंगे! दूसरी ओर गुजरात में मोदी की लगातार तीसरी जीत पर जनता दल [यू] के नेता असहज हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी को औपचारिक बधाई देने से भी परहेज किया। वे चुप और खिन्न भी हैं, क्योंकि अब राजग द्वारा जनता दल [यू] नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की आशाएं धूल में मिल गई हैं। तीसरी ओर समाजवादी पार्टी सब कुछ छोड़ मुस्लिम आरक्षण की पैरवी करती दिख रही है।
ये तीनों ही बातें देश की राजनीति में मुस्लिम वोट की बढ़ती ताकत के लक्षण हैं, किंतु साथ ही दूसरी प्रक्रिया भी चल रही है। गुजरात में मुस्लिम मतदाताओं ने भी बड़ी संख्या में भाजपा को समर्थन दिया है। इसे समझने की आवश्यकता है। आखिर जिस मोदी को विगत दस वर्ष से सारी दुनिया में मुस्लिम-विरोधी बताकर प्रचारित किया गया, उसी को स्वयं गुजरात में मुसलमान समर्थन दे रहे हैं। इसमें देश की राजनीति में सेक्यूलरवाद की विकृति अथवा मुस्लिम-तुष्टिकरण के सही विकल्प की झलक मिलती है।
यदि देशहित, जनहित, सहज न्याय, विवेक से भी ऊपर मुस्लिम तुष्टीकरण हावी हो जाए, तो यह हर हाल में अनर्थकारी है। जैसाकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1940 में कहा था, मुसलमानों की मांगे हनुमानजी की पूंछ की तरह बढ़ती जाती हैं। उनके तुष्टीकरण के सिलसिले ने अगले कुछ ही वर्षो में देश का विभाजन करा दिया। मगर आज पुन: उसी रास्ते पर चलने की प्रतियोगिता हो रही है। कांग्रेस, सपा, जनता दल [यू], कम्युनिस्ट तथा कई अन्य दल इसमें लगे हैं। पिछले चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा किया और अब उसे किसी तरह पूरा करने की फिराक में भी है। यह सीधे-सीधे नहीं हो सकता क्योंकि यह संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विरुद्ध है। अत: इसके लिए हर तरह का कानूनी छलकपट किया जा रहा है। यहां तक कि अल्पसंख्यक आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ने साफ कहा कि यह तो निचले तबके के मुस्लिमों और मतांतरित होकर ईसाई बने लोगों के लिए ही है। बौद्धों या पारसियों के लिए यह उप-कोटा है ही नहीं! दूसरे शब्दों में, अल्पसंख्यक के नाम पर दी जाने वाली विशेष सुविधाएं केवल एक समुदाय के लिए हैं!
इतना कुछ पाकर भी कई मुस्लिम नेता कांग्रेस से नाराज रहे हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, बंगाल तो छोड़िए, गुजरात में भी कांग्रेस को मुस्लिम वोट कम ही मिले। जब कांग्रेस को वोट देते भी हैं, तो भंगिमा सदैव शिकायती रही कि लाचारीवश तुम्हें वोट दे रहे हैं। हर मुस्लिम नेता दोहराता है कि मुसलमानों का वोट-बैंक रूप में इस्तेमाल हो रहा है। जबकि इतिहास कुछ अलग ही है। पिछले सौ वर्षो से मुस्लिम नेता कांग्रेस से तरह-तरह की मांगे रखते गए हैं। उन मांगों को कांग्रेस किसी न किसी झूठी उम्मीद में मानती गई। लखनऊ पैक्ट [1916], खलीफत आंदोलन [1919-24] का समर्थन कांग्रेस ने इस आशा में किया था कि राष्ट्रीय आंदोलन में मुस्लिम साथ देंगे। गांधीजी कांग्रेस को मुस्लिमों के समक्ष वैचारिक, राजनीतिक, भावनात्मक रूप से निरंतर झुकाते गए। पर मुस्लिम मांगे बढ़ाते गए। सहयोग के बजाय कदम पीछे खींचते गए। अंतत: गांधी और कांग्रेस का पूरा इस्तेमाल कर मुस्लिम नेताओं ने देश के ही टुकड़े कर डाले। स्वतंत्र भारत में भी वही हुआ। मुस्लिम नेताओं ने कांग्रेस व अन्य दलों का भी इस्तेमाल कर इस्लामी ताकत बढ़ाई।
इसी बिंदु पर गुजरात से प्रकाश की एक किरण चमकी है। जिस नरेंद्र मोदी को बुरा-भला कहकर कांग्रेस, सपा, जनता दल [यू] जैसी अनेक पार्टियां मुस्लिम वोटों की लालसा में लगी हैं, उसी नरेंद्र मोदी को गुजरात में मुसलमानों का भी भारी समर्थन हासिल हुआ है। गुजरात में नरेंद्र मोदी को मुस्लिम वर्चस्व के इलाके में भी भरपूर समर्थन मिला है। यहां तक कि कांग्रेस के महत्वपूर्ण दिग्गज अहमद पटेल के गृह इलाके भरूच की सभी पांचों सीटें भाजपा को मिली हैं। अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा क्षेत्र की कुल 50 में से 43 सीटें भी भाजपा को गई, जहां खासी मुस्लिम आबादी है। यह ठीक से समझने की जरूरत है। क्योंकि इसी में न केवल मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति का सकारात्मक विकल्प, बल्कि पूरी सांप्रदायिक राजनीति की काट की कुंजी भी मिलती है। वह सरल कुंजी यह है कि हमारे नेताओं को केवल राष्ट्रीय हित के आधार पर निर्णय लेने चाहिए। मुस्लिम वोटों के लोभ और तदनुरूप तुष्टिकरण में नहीं पड़ना चाहिए। तभी मुस्लिम भी राष्ट्रीय धारा में आएंगे! जबकि तुष्टीकरण उल्टे उन्हें और अलग, और दूर, और कट्टरपंथी बनाएगा।
श्रीअरविंद ने कहा था कि चाटुकारिता से हिंदू-मुस्लिम एकता नहीं बनाई जा सकती। यदि विगत दस वर्षो में गुजरात देश का सबसे शांत और उन्नतिशील प्रांत बना है तो इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने जनहित मात्र को ध्यान में रखकर सारे निर्णय लिए। हिंदूवादियों द्वारा भी उनकी आलोचना इसीलिए हुई, क्योंकि मोदी ने जैसे कोई मुस्लिम तुष्टीकरण नहीं किया, वैसे ही किसी हिंदूवादी पक्षपात से भी स्वयं को दूर रखा। नतीजा सामने है- हिंदू और मुसलमान, दोनों ने मोदी को वोट दिया और लगातार दे रहे हैं। आज तुष्टीकरण करने वाला कोई दल और नेता मुस्लिम वोटों के प्रति आश्वस्त नहीं है, जबकि सामुदायिक भेदभाव से ऊपर उठकर काम करने वाले नरेंद्र मोदी को हिंदू और मुस्लिम दोनों ही बार-बार वोट दे रहे हैं। मुसलमान अपने-आप मोदी के साथ आ गए हैं, क्योंकि मोदी ने स्वयं को सभी गुजरातियों की सेवा में लगा रखा है। क्या यही पूरे देश में नहीं होना चाहिए?
[एस शंकर: लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं]

चतुष्पथ पर चोट, सनातन परंपरा का अपमान

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-9982093.html
जागरण संवाददाता, वाराणसी : कुंभ प्रशासन द्वारा 'श्रीशंकराचार्य चतुष्पथ' को अमान्य किए जाने को चारों पीठों के शंकराचार्यो ने गंभीरता से लेते हुए कहा है कि सनातन परंपरा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जर्मनी में भारतीय स्टूडेंट की जीभ काटी

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17785401.cms
बर्लिन।। जर्मनी में इस्लामी कट्टरपंथियों ने धर्म बदलने से इनकार करने पर एक भारतीय छात्र पर बड़ी बेरहमी से हमला किया। कट्टरपंथियों ने 24 वर्षीय भारतीय युवक की जुबान काट दी। बॉन शहर में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर भारतीय युवक पर उस वक्त हमला किया गया जब वह अपने घर की ओर लौट रहा था।

देश का इकलौता हिन्दू मंदिर गिराएगी रूस सरकार

http://navbharattimes.indiatimes.com/russias-only-hindu-temple-faces-threat-of-demolition/articleshow/17739492.cms
नई दि्ल्ली।। भगवद्गीता पर बैन लगाने की कोशिशों के साल भर बाद रूस की सरकार ने देश का एकमात्र मंदिर को गिराने का फैसला ले लिया है। 15 जनवरी 2013 तक मॉस्को स्थित इस इस्कॉन टेंपल का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।

पाकिस्तान में हिंदू चिकित्सक की गोली मारकर हत्या

http://aajtak.intoday.in/story/hindu-doctor-shot-dead-in-pakistan--1-715836.html
पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम अशांत प्रांत बलूचिस्तान में दो अलग अलग घटनाओं में एक प्रख्यात चिकित्सक और एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की गुरुवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई.

जिहाद के कारखाने

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-opinion-9909645.html

चार साल पूर्व 26 नवंबर को मुंबई की सड़कों पर निरपराधों की लाशें बिछाने वाले आतंकियों में से एकमात्र जिंदा पकड़े गए अजमल कसाब को अंतत: फासी दे दी गई। कई विश्लेषकों ने इसे आतंक के एक अध्याय की समाप्ति की संज्ञा दी है। क्या यह उम्मीद सार्थक है? वास्तविकता तो यह है कि जिहाद की बुनियादी सच्चाइयों की अनदेखी कर आतंकवाद के खत्म होने की आशा करना बेमानी होने के साथ सभ्य समाज के प्रति बेईमानी भी है। कसाब को फासी दिए जाने के 24 घटों के अंदर ही कई इस्लामी आतंकी संगठनों ने भारतीयों को निशाना बनाकर बदला लेने की धमकी दी। ऐसा नहीं है कि इस्लामी कट्टरपंथियों के लिए केवल भारत और हिंदू ही दुश्मन हैं। अभी पाकिस्तान में मुहर्रम के जुलुस में शामिल शियाओं पर बहुसंख्यक सुन्नियों ने हमला कर दिया, जिसमें दर्जनों लोगों की जानें गई। ईरान में शिया बहुसंख्यक हैं। वहा सुन्नी शियाओं के निशाने पर रहते हैं। इराक में करीब हर रोज अल्पसंख्यक सुन्नियों पर बहुसंख्यक शियाओं के बम फटते हैं। इस्लाम को ही मानने वाले दो संप्रदायों के बीच यह टकराव क्यों? और उस हिंसा की प्रेरणा क्या है?
इस संदर्भ में पिछले दिनों एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल राष्ट्र का बुनियादी पहलू यह है कि वहा न केवल अल्पसंख्यक समुदाय, बल्कि स्वयं इस्लाम में जो बहुसंख्यक नहीं हैं, वे भी इस्लामी व्यवस्था के स्थायी शिकार हैं। अल्पसंख्यकों की आबादी को नगण्य करने के बाद मुसलमान अब अपने ही मजहब के अल्पसंख्यक संप्रदाय से हिसाब चुकता कर रहे हैं। उन्होंने लिखा है, सन 2000 के बाद से अब तक उपमहाद्वीप में मजहबी हिंसा में हिंदुओं की अपेक्षा अपने ही मुस्लिम भाइयों के हाथों मरने वाले मुसलमानों की संख्या दस गुनी अधिक है। इसके साथ ही लेखक ने एक ऐतिहासिक सच को भी उठाया है। उन्होंने लिखा है, हिंदू बहुसंख्या के अधीन हिंदू खुशहाल हैं, किंतु सच्चाई यह है कि हिंदू बहुसंख्या के अधीन मुसलमान भी उतने ही खुशहाल हैं, क्योंकि इसके कारण इस्लाम के अंतर्गत होने वाले फसादों से संरक्षा मिल जाती है। देश विभाजन के बाद भारत में मुसलमानों की आबादी बढ़कर जहा 15 प्रतिशत हुई है वहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 20 प्रतिशत से घटकर आज एक प्रतिशत से कम रह गई है। सुन्नी बहुल कश्मीर घाटी को छोड़ दें तो शेष भारत में अल्पसंख्यक शिया बहुसंख्यक सुन्नियों के हमले से सुरक्षित हैं। अहमदिया, बोहरा आदि मुसलमानों के अन्य समुदाय भी हिंदू बहुल भारत में बराबरी के अधिकार से फल-फूल रहे हैं।
लेखक ने पाकिस्तान के संदर्भ में एक हास्यास्पद, किंतु इस्लामी जगत के लिए मनन करने योग्य घटना का उल्लेख किया है। पाकिस्तान के पंजाब सूबे के वित्तमंत्री राणा आसिफ महमूद ईसाई हैं। उनके पिता राणा ताज महमूद भी ईसाई थे। कुछ महीने पहले किसी ने गलती से राष्ट्रीय पंजीकरण में आसिफ महमूद का धर्म इस्लाम दर्ज कर दिया। अब महमूद इसे बदल नहीं सकते, क्योंकि इस्लाम त्यागने पर वहा मौत की सजा तय है। किसी की गलती से भी मुसलमान बन गए तो आजीवन मुसलमान रहेंगे, यह कोई फतवा नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी का आदेश है। यह स्थापित सत्य है कि जहा कहीं भी मुसलमान अल्पसंख्या में होते हैं वे सेक्युलर व्यवस्था पर गहरी आस्था प्रकट करते हैं, किंतु जहा कहीं भी वे बहुसंख्या में हैं, सेक्युलरवाद एक गाली है। पाकिस्तान ही क्यों, अमरनाथ यात्रा और कश्मीरी पंडितों को लेकर कश्मीर घाटी के घटनाक्रम इस कटु सत्य को ही रेखाकित करते हैं। पाकिस्तानी आवाम में भारत विरोधी भावना अविभाजित भारत के मुसलमानों की मानसिकता की ही तार्किक परिणति है। तब मुसलमानों को यह आशका थी कि ब्रितानियों के जाने के बाद उन्हें काफिर हिंदुओं के साथ बराबरी के स्तर पर रहना होगा। जिन लोगों को रोज यही सब सिखाया जाता हो कि इस्लाम ही एकमात्र सच्चा व अंतिम पंथ है, उन्हें बहुलतावादी सनातनी संस्कृति वाले भारत के प्रति जिहाद के लिए उकसाना कठिन नहीं है। उन्हें जानबूझकर इतिहास के उस पक्ष से परिचित नहीं कराया जाता, जब ब्रिटिश उपनिवेश से पहले भारत की अधिकाश रियासतों में अल्पसंख्यक मत व पंथों को बराबरी के अधिकार से पल्लवित-पुष्पित होने का अवसर प्राप्त था।
सवाल है कि क्या पाकिस्तानी सेना कट्टरपंथियों से साठगाठ कर वहा के आवाम को भारत व हिंदू विरोध के लिए भड़काती है? वास्तविकता तो यह है कि पाकिस्तानी जेहन में मौजूद हिंदू विरोधी मानसिकता का वहा की सेना दोहन करने के साथ उसे प्रोत्साहित भी करती है। अभी कुछ समय पूर्व पाकिस्तानी पंजाब सूबे के गवर्नर सलमान तसीर की उनके ही अंगरक्षक ने हत्या कर दी थी। उस हत्यारे को वहा की आवाम ने हीरो बताया, उसके ऊपर फूल बरसाए गए, जबकि हत्यारे को सजा सुनाने वाले न्यायाधीश को पिछले दरवाजे से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। सलमान तसीर का कसूर इतना था कि उन्होंने ईशनिंदा कानून में बंद एक ईसाई महिला से मिलने की गलती और ईशनिंदा कानून में बदलाव लाने की वकालत की थी। ऐसी मानसिकता के रहते जिहादी फैक्ट्रियों के बंद होने की उम्मीद व्यर्थ है।
2010 में पाकिस्तानी फिल्म निर्मात्री शरमीन ओबैद को उनकी फिल्म दि चिल्ड्रेन ऑफ तालिबान के लिए एमी अवॉर्ड मिला था। इसमें बताया गया था कि किस तरह जिहादी संगठन फिदायीन तैयार करते हैं। जैशे-मोहम्मद, लश्कर, हरकत उल अंसार, जिसे अब हरकत उल मुजाहिदीन कहा जाता है, जैसे जिहादी संगठनों के लिए कट्टरपंथी तत्व गरीब व अशिक्षित परिवारों के बच्चे तलाशते हैं। उन्हें खाने और शिक्षा दिलाने के नाम पर मीलों दूर प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता है। यहा एकात में उन्हें इस्लाम और केवल इस्लाम की दीक्षा दी जाती है। बाहरी दुनिया से उनका कोई संपर्क नहीं होता। इसके बाद इन बच्चों के साथ घोर अमानवीय व्यवहार किया जाता है ताकि उनके मन में अपने अस्तित्व को लेकर ही घृणा का भाव पैदा हो जाए। फिर उन्हें इस्लाम के लिए मर मिटने पर जन्नत और हूरें मिलने का पाठ पढ़ाया जाता है। जिस बच्चे के साथ इतना घोर अमानवीय व्यवहार हो रहा हो उसके लिए मौत ज्यादा मुनासिब लगती है। इसके बाद इन बच्चों को पश्चिमी देशों और भारत में मुसलमानों के कथित उत्पीड़न की फर्जी सीडी आदि दिखाई जाती है। इसका बदला लेने को मजहबी दायित्व बता उन्हें मरने-मारने के लिए सहज तैयार कर लिया जाता है। इसलिए एक कसाब के मरने से आतंकवाद का रक्तरंजित अध्याय बंद हो जाएगा, ऐसी आशा करना व्यर्थ है।
[बलबीर पुंज: लेखक राज्यसभा सदस्य हैं]

पाक में हिंदूओं को शव दफनाने को किया जा रहा मजबूर

http://www.jagran.com/news/national-pakistan-cremation-ground-sold-by-govt-hindus-forced-to-bury-their-dead-9893691.html
नई दिल्ली। पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को अब अपने परंपराओं एवं रीतिरिवाजों के अनुसार मृत शवों का क्रियाक्रम करने की अनुमति नहीं दी जा रही हैं। इतना ही नहीं इसके लिए यहां रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों के लिए श्मशान भूमि तक नहीं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है हिंदू

http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-291213.html
दुनिया भर में अनुयायियों की संख्या के लिहाज से ईसाई सबसे बड़ा, जबकि हिंदू धर्म तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस्लाम दूसरे स्थान पर है। हिंदू धर्मावलंबियों की 97 फीसदी संख्या भारत, नेपाल और मॉरीशस में रहती है।

सईद ने कसाब के लिए पढ़ी नमाज-ए-जनाजा

http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-284004.html
मुंबई पर आतंकवादी हमले में गिरफ्तार एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब के नमाज-ए-जनाजा में लश्कर-ए-तैय्यबा के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद के नेतृत्व में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि कसाब को इस हफ्ते की शुरुआत में फांसी दी गई थी।

मुलायम ने मांगा मुसलमानों के लिए आरक्षण

http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-290708.html
सरकारी नौकरियों में काम कर रहे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के विरोध के कारण अलग-थलग पड़ी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि सरकार को मुसलमानों को आरक्षण देने की दिशा में काम करना चाहिए। मुलायम ने यह धमकी भी दी कि पदोन्नति में आरक्षण आया तो वह संप्रग को समर्थन के बारे में विचार करेंगे।

वापसी पर सोचें कश्मीरी पंडितः उमर

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17709102.cms
नई दिल्ली।। कश्मीर घाटी को दो दशक पहले छोड़ चुके कश्मीरी पंडितों के मन में सुरक्षा की भावना बहाल करने के वादे के साथ जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को इस समुदाय से राज्य में वापसी की संभावनाएं तलाशने को कहा। उमर ने कहा कि अगर कश्मीरी पंडितों को घाटी में लौटाने के लिए बोलने से काम चलता तो हम बोलते। लेकिन मुझे लगता है कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के मामले में बोलना पर्याप्त नहीं है।

विकृतियों वाला सेक्युलरवाद

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-9954109.html

अमरनाथ यात्रा के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का हाल का निर्णय वस्तुत: सेक्युलर विकृतियों को ही उजागर करता है। लंबे समय से कश्मीर घाटी के अलगाववादी नेता और उनके संरक्षक सेक्युलर दल हिंदुओं की पावन अमरनाथ यात्रा को लेकर अवरोध खड़ा करते आए हैं। घाटी के अलगाववादी नेता जहां अपने हिंसक विरोध के बल पर अमरनाथ यात्रा को बाधित करने का कुप्रयास करते हैं, वहीं उनके संरक्षक सेक्युलर दल पर्यावरण और कानून एवं व्यवस्था की आड़ में तीर्थयात्रियों की राह में संकट खड़ा करते हैं। पिछले साल अमरनाथ यात्रा के दौरान पर्याप्त स्वास्थ्य और राहत सेवाएं नहीं होने के कारण करीब सौ से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मृत्यु यात्रा मार्ग में हुई थी। उसका स्वत: संज्ञान सर्वोच्च न्यायालय ने लिया था। उस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बीएस चौहान और एस कुमार की पीठ ने पवित्र गुफा तक 'मानवीय गरिमा और सुरक्षा' के साथ तीर्थयात्रियों की यात्रा सुनिश्चित करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार सहित अमरनाथ श्राइन बोर्ड को निर्देश जारी किया। पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लेख करते हुए कहा है कि प्रत्येक नागरिक को गरिमामय, सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में जीने का अधिकार है। हर वार्षिक अमरनाथ यात्रा में समय के बीतने के साथ तीर्थयात्रियों की मृत्युदर बढ़ रही है। स्वास्थ्य, नागरिक सुविधाओं व साफ-सफाई के मामले में तीर्थयात्रियों की कठिनाइयां लगातार बढ़ती जा रही हैं।
अमरनाथ की यात्रा दुर्गम है, राह कठिन है और अनेक दुश्वारियां हैं, किंतु आज के वैज्ञानिक युग में उन कठिनाइयों को दूर करना असंभव नहीं है। अमरनाथ यात्रा को लेकर सेक्युलर दलों की उदासीनता और अलगाववादी नेताओं का मुखर विरोध एक मानसिकता से प्रेरित है। वह मानसिकता हिंदू और हिंदुस्तान की सनातनी संस्कृति के विरोध पर केंद्रित है। वास्तविकता यह है कि अमरनाथ यात्रा को हतोत्साहित करने का अभियान नया नहीं है। घाटी से कश्मीर की मूल संस्कृति के प्रतीक कश्मीरी पंडितों के बलात निष्कासन के बाद इस्लामी कट्टरवादियों का एक लक्ष्य पूरा हो चुका है। घाटी हिंदूरहित हो चुकी है। हिंदुओं के अधिकांश पूजास्थल ध्वस्त हो चुके हैं, परंतु कुछ प्रमुख आराध्य स्थल अभी भी जीवंत हैं और जिहादियों के निशाने पर हैं। अमरनाथ यात्रा का प्रत्यक्ष व परोक्ष विरोध उसी मानसिकता का उदाहरण है।
सन 2008 में यात्रा की अवधि 55 दिनों से घटाकर 15 दिनों तक करने पर लोग सड़कों पर उतर आए थे। तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु अमरनाथ श्राइन बोर्ड को उपलब्ध कराई गई 40 एकड़ जमीन अलगाववादियों को रास नहीं आई थी। अलगाववादियों को खुश करने के लिए तब सेक्युलर सत्ता अधिष्ठान ने फौरन जमीन आवंटन को निरस्त भी कर दिया था, किंतु इसकी तुलना में शेष भारत में मुसलमानों के मामलों में सेक्युलर दलों के बीच उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में अधिक से अधिक सुविधाएं देने की होड़ लगी रहती है। यहां तो सरकारी खजाने की कीमत पर मुसलमानों को हज करने मक्का-मदीना भेजा जाता है, किंतु मानसरोवर यात्रा या अमरनाथ यात्रा में हिंदुओं को बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध कराने की चिंता सेक्युलर अधिष्ठान को नहीं होती। सन 2009, 2010 और 2011 में हज सब्सिडी देकर सरकार ने लगभग सवा लाख हाजियों को मक्का-मदीना की यात्रा पर भेजा। सन 2009 में 690 करोड़ और 2010 और 2011 में करीब 600 करोड़ हज सब्सिडी का भारी-भरकम बोझ सरकारी राजस्व को झेलना पड़ा, जिसकी भरपाई बहुसंख्यक समुदाय को विभिन्न करों के मद में चुकानी पड़ती है। इस पंथनिरपेक्ष देश के हिंदू नागरिक विकृत सेक्युलरवाद से पोषित हज सब्सिडी का बोझ उठाकर जजिया कर नहीं तो फिर क्या चुका रहे हैं? हज दौरे पर सरकार डॉक्टरों, नर्सो, हज अधिकारी, हज सहायक आदि की फौज साथ भेजती है। मक्का-मदीना में 90 बेड का अस्पताल और 18 डिस्पेंसरी की व्यवस्था के साथ 17 एंबुलेंस हाजियों की सेवा में तत्पर रखे जाते हैं। अमरनाथ यात्रा के लिए ऐसी सुविधा क्यों नहीं होती?
राजस्थान हिंदू बहुल है और यहां के अजमेर शरीफ में हर साल उर्स का मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में जायरीन शरीक होते हैं। दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है। मुंबई में हाजी अली की दरगाह है। उत्तराखंड में कलियार शरीफ, तमिलनाडु में नागौर दरगाह आदि कई अन्य ऐसे प्रसिद्ध दरगाह देश में और भी हैं जहां हिंदू भी उतनी ही श्रद्धा से शीश नवाते हैं। कहीं किसी भी मुस्लिम आराधना स्थल पर बहुसंख्यक हिंदुओं द्वारा उत्पात नहीं मचाया जाता। दो साल पूर्व जम्मू-कश्मीर की सरकार ने अमरनाथ यात्रा और वैष्णो देवी की यात्रा के लिए राच्य में प्रवेश करने वाले दूसरे राच्यों के वाहनों पर दो हजार रुपये का प्रवेश शुल्क लगाया था, किंतु बहुलतावाद व पंथनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने वाले बुद्धिजीवी व राजनीतिक दल तब खामोश रहे। क्यों? कश्मीर घाटी में मुसलमान बहुसंख्यक हैं तो क्या वहां हिंदुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया जाए? नहीं तो यह प्रवेश-कर क्यों? विभाजन से पूर्व पाकिस्तान के हिस्से में आए क्षेत्रों में हिंदू कुल जनसंख्या के एक चौथाई से भी अधिक थे। आज उनकी आबादी एक प्रतिशत से भी कम है। इन क्षेत्रों में विभाजन के दौरान करीब पांच सौ ऐतिहासिक मंदिर थे, जिनकी संख्या अब केवल 26 रह गई है। अधिकांश हिंदू तीर्थस्थल या तो जमींदोज कर दिए गए हैं या उनके खंडहर मात्र बचे हैं, जहां पूजा-अर्चना की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। विभाजन से पूर्व लाहौर शहर की कुल आबादी में हिंदू-सिखों का अनुपात 70 प्रतिशत था। अब उनकी संख्या नगण्य है।
आज वहां हिंदू-सिखों को जान की सलामती के लिए जजिया देना पड़ता है या फिर मतांतरण के लिए विवश होना पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में हिंदू युवतियों के अपहरण और उनसे बलात निकाह की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। हाल की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। पाक मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार सिंध में हर महीने करीब 20 से 25 हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। क्यों? यह स्थापित सत्य है कि जहां कहीं भी मुसलमान अल्पसंख्या में होते हैं वे पंथनिरपेक्षता, संविधान और प्रजातांत्रिक मूल्यों से प्रतिबद्ध होने का दावा करते हैं, किंतु जिस किसी भी क्षेत्र में वे बहुसंख्या में आते हैं उनके लिए शरीयत कानून सर्वोपरि हो जाते हैं। अमरनाथ प्रकरण में अलगाववादियों का विरोध जहां इस कटु सत्य को रेखांकित करता है वहीं यह सेक्युलरिस्टों के दोहरेपन को भी नंगा करता है।
[लेखक बलबीर पुंज, राच्यसभा सदस्य हैं]


अल्पसंख्यकों के लिए होंगे पढ़ाई के खास इंतजाम

http://www.jagran.com/news/national-education-for-minorities-government-provide-to-specific-arrangements-9948330.html
नई दिल्ली, [राजकेश्वर सिंह]। सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर अमल के बहाने पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ अल्पसंख्यक बहुल जिलों में कांग्रेस को 30 सीटों का फायदा देख चुकी सरकार अब अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर और ध्यान केंद्रित करेगी। इनमें पढ़ाई और रोजगार के अवसर सबसे ऊपर हैं। अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी वाले सौ कस्बों व शहरों में बेहतर तालीम, कौशल विकास [स्किल डेवलपमेंट] और व्यावसायिक शिक्षा की खास पहल होगी। अल्पसंख्यक बहुल उन छोटे कस्बों में महिला डिग्री कॉलेज खोलने पर भी फोकस होगा, जहां सकल दाखिला दर [जीईआर] काफी कम है।

कुंभ मेले में तय होगी मंदिर निर्माण की तिथि : सिंहल

http://www.jagran.com/news/national-ram-temple-construction-date-announce-in-kumbh-9884870.html
अयोध्या, जागरण संवाददाता। विश्व हिंदू परिषद ने अधिग्रहीत परिसर में राममंदिर के साथ मस्जिद बनाए जाने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। कारसेवकपुरम में हजारों संत व महंतों ने लंबे अरसे बाद रामलला को 'टाट के मंदिर' से आजाद कर उनकी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या की शास्त्रीय सीमा में मस्जिद न बनने देने का संकल्प लिया।

अमरनाथ गुफा के इर्द-गिर्द नहीं करने देंगे निर्माण: हुर्रियत

http://www.jagran.com/news/national-hurriyat-g-warns-jk-govt-over-amarnath-plans-9886584.html
श्रीनगर, जागरण संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर सरकार को पवित्र गुफा के रास्ते पर टाइल बिछाने के ताजा आदेश का विरोध करने के लिए अलगाववादी सतर्क हो गए हैं। आदेश पर अपना विरोध जताते हुए अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस कट्टरपंथी गुट ने कहा कि ऐसा करने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी। वह इस सिलसिले में छेड़े गए जन जागरूकता अभियान में और तेजी लाएंगे।

कोकराझार में ताजा हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/11/121116_kokrajhar_violence_aa.shtml
असम के कोकराझार में अधिकारियों ने ताजा हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा दिया है.

हैदराबाद: चारमीनार के पास भाग्यलक्ष्मी मंदिर में पंडाल लगाने पर तनाव

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17192115.cms
हैदराबाद।। ओल्ड सिटी में चारमीनार के पास भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर हैदराबाद में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया है। मंदिर की तरफ बढ़ रहे मजलिस-ए-मित्तेहदुल मुस्लिमीन (एमआईएम) विधायकों को अरेस्ट किए जाने पर ओल्ड सिटी में हिंसा की छिटपुट घटनाएं देखने को मिलीं। कुछ जगहों पर पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए हल्के लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। भाग्यलक्ष्मी मंदिर मैनेजमेंट ने हैदराबाद डिस्ट्रिक्ट ऐडमिनेस्ट्रेशन की मदद से मंदिर में पंडाल लगाने का काम शुरू किया था, जिसे रोकने के लिए एमआईएम के एमएलए मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे।

कोकराझाड़ में एक और हत्या, तनाव

http://www.jagran.com/news/national-one-shot-dead-in-kokrajhar-9844761.html
गुवाहाटी [जासं]। असम में कोकराझाड़ जिले के गोसाईगांव इलाके में सोमवार सुबह एक किसान की हत्या कर दी गई। इस तरह गत तीन दिनों में इस बोडो बहुल क्षेत्र में हिंसा की ताजा घटनाओं में तीन लोगों की हत्या कर दी गई है। जिले में एक बार फिर तनाव है।

सदियों पुराने मंदिर में उमड़ रही है पाक-हिंदुओं की भीड़

http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-278459.html
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कात्सराज मंदिर में एक तालाब के जीर्णोद्वार के बाहर हिंदू श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। समीप की एक सीमेंट फैक्ट्री द्वारा भूजल के अधिक दोहन के कारण यह तालाब सूख गया था।

अब तारिक व खालिद से भी मुकदमें होंगे वापस!

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-9830317.html
वाराणसी : लखनऊ व फैजाबाद कचहरी में 23 नवंबर 2007 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दो आरोपियों पर से भी मुकदमें वापस लेने की तैयारी है। इनपर गोरखपुर में हुए ब्लास्ट का भी आरोप है। इन तीनों ब्लास्ट के दोनों आरोपी बाराबंकी से गिरफ्तार किए गए थे। प्रदेश के गृह विभाग की मानें तो आतंकवाद के नाम पर आरोपी बनाए गए तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद निर्दोष हैं और अब उनपर दर्ज अभियोगों की वापसी होनी है। प्रदेश गृह विभाग के विशेष सचिव राजेंद्र प्रसाद ने संबंधित जिलाधिकारियों से मुकदमों व आरोपियों के विवरण उपलब्ध कराने को पत्र लिखा है।

स्विट्जरलैंड में बनेगा वैष्णो देवी की तर्ज पर मंदिर

http://www.jagran.com/news/national-durga-temple-to-come-up-on-alps-mountain-range-9827570.html
नई दिल्ली। भारतीय मूल के एक ब्रिटिश उद्योगपति ने वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर स्विट्जरलैंड की आल्प्स पर्वत श्रृंखला पर मां दुर्गा के एक मंदिर के निर्माण की योजना बनाई है

स्कार्फ पहनने के फैसले पर महिला आयोग नाराज

http://www.jagran.com/news/national-ncw-fumes-at-kanpur-schools-diktat-on-veils-9824027.html
कानपुर। उत्तार प्रदेश के कानपुर शहर में छात्राओं को स्कूल में नकाब पहनने के साथ स्कार्फ बांधकर आने और मोबाइल के इस्तेमाल नहीं करने के फरमान पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने नाराजगी जाहिर की है।

बनारस धमाका: वलीउल्लाह, शमीम से वापस होंगे मुकदमे!

http://www.jagran.com/news/national-varanasi-blast-9827588.html
संकटमोचन व कैंट स्टेशन पर 7 मार्च 2006 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी वलीउल्लाह व शमीम पर से प्रदेश सरकार ने गुपचुप मुकदमा वापसी की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार के विशेष सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से इस बाबत पत्र जिला प्रशासन को भेजा गया है।

बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ अभी भी जारी

http://www.jagran.com/news/national-illegal-immigration-from-bangladesh-still-on-but-less-9815112.html
नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने माना है कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ अभी भी जारी है लेकिन इस पर कुछ अंकुश लगा है। गोगोई का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष की नेता खालिदा जिया नई दिल्ली यात्रा पर हैं।

कॉलेज में तालिबानी फरमान, बुर्का जरूरी और मोबाइल बैन

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17093786.cms
लखनऊ।। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक गर्ल्स कॉलेज ने तालिबानी फरमान जारी किया है। वहां पढ़ने वाली छात्राओं के लिए बुर्का और स्कार्फ अनिवार्य कर दिया गया है। अब कॉलेज में मुस्लिम लड़कियां केवल बुर्का पहनकर ही आ सकती हैं। यहां तक कि कॉलेज में अब गर्ल्स सेलफोन लेकर भी नहीं आ सकती हैं। मुस्लिम जुबली गर्ल्स इंटर कॉलेज के मैनेजमेंट ने यह फरमान सुनाया है।

पाकिस्तान में हिंदुओं की श्मशान भूमि कब्जे से मुक्त

http://www.jagran.com/news/world-hindu-graveyard-retrieved-in-pakistan-9804829.html
लाहौर। पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाहौर में हिंदुओं की श्मशान भूमि को भू-माफिया के कब्जे से मुक्त करा लिया है। अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने लाहौर में ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित श्मशान भूमि को इसका रखरखाव करने वालों को सौंप दिया है।

हैदराबाद में सांप्रदायिक झड़पों के बाद तनाव

http://www.jagran.com/news/national-old-hyderabad-tense-after-communal-clashes-9801548.html
धार्मिक झंडे को जलाने को लेकर मंगलवार को पुराने हैदराबाद में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है। कुलसुमपुरा क्षेत्र में इस घटना के सामने आने के बाद मंगलवार को कई जगहों पर झड़पें हुई। मेडक जिले के दौरे पर गए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने गृह मंत्री और पुलिस महानिदेशक से फोन पर बात कर हालात का जायजा लिया। पूरे क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं। वहीं, पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बंगारू दत्तात्रेय समेत सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।

उपद्रव के बाद फैजाबाद में क‌र्फ्यू, दो की मौत

http://www.jagran.com/news/national-curfew-imposed-in-faizabad-after-communal-violence-9786261.html
दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए निकली शोभायात्रा के दौरान बुधवार को हुए उपद्रव को देखते हुए शहर में क‌र्फ्यू लगा दिया गया। बुधवार शाम व गुरुवार को सुबह चौक तथा ग्रामीण अंचल के भदरसा व रुदौली इलाके में उपद्रव में दो लोगों की मौत गई।

जेएनयू में महिषासुर डे मनाएगा छात्र संगठन

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/16950359.cms
जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय में महिषासुर शहादत दिवस के आयोजन को लेकर तनाव का महौल बनने लगा है। एक तरफ ऑल इंडिया बैकवर्ड स्‍टूडेंट फोरम (AIBSF) द्वारा लगाए गए पोस्‍टरों को फाड़ दिया गया है। वहीं, फोरम कैंपस में महिषासुर दिवस मनाने के लेकर तैयार बैठा है। और इसके लिए जोरों से तैयारी की जा रही है। संगठन ने महिषासुर को भारत के आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों का पूर्वज बताते हुए 29 अक्‍टूबर (शरद पूर्णिमा) को उनकी शहादत मनाने की घोषणा की है।

सामुदायिक संघर्ष के बाद हैदराबाद में निषेधाज्ञा लागू

http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-274775.html
एक युवक को छुरा भोंकने के बाद दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष के बाद मुर्शिदाबाद थाना क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।  

बंटने को है मुस्लिम लड़कियों को अनुदान

http://www.jagran.com/news/national-grant-soon-divided-between-the-muslim-girls-mulayam-9781100.html
लखनऊ [जाब्यू]। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि मुस्लिम लड़कियों को अनुदान बांटे जाने की बस तारीख तय होनी है। सरकार ने कक्षा 10 पास मुस्लिम लड़कियों को आगे की शिक्षा ग्रहण करने अथवा विवाह के लिए 30 हजार रुपये अनुदान देने निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि मुस्लिमों की हालत अनुसूचित जाति/जनजाति से भी बदतर है, ऐसे में उनकी बदहाली को देखते हुए सपा ने मुस्लिम छात्राओं के लिए विशेष अनुदान का प्रावधान किया है।

गिलानी जाकर देखें, नहीं बन रहा अमरनाथ यात्रा मार्ग: उमर

http://www.jagran.com/news/national-omer-obdulla-attacks-on-gilani-9775232.html
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी को सरकारी हेलीकॉप्टर की पेशकश करते हुए कहा कि वह खुद जाकर देखें कि कहीं भी पहलगाम-अमरनाथ गुफा मार्ग पर सड़क या अन्य कोई पक्का ढांचा नहीं बनाया जा रहा है। उमर ने कहा कि कुछ लोगों को कश्मीर में अमन और विकास रास नहीं आता। आम लोगों को गुमराह करना कश्मीर को तबाही की तरफ ले जाना ही इन लोगों का सियासी मिशन है।

जल्द से जल्द गिराई जाए अवैध मस्जिद: हाई कोर्ट

http://www.jagran.com/news/national-hc-rejects-police-plea-asks-it-to-help-razing-illegal-mosque-9772386.html
नई दिल्ली [जासं]। लाल किले के समीप स्थित सुभाष पार्क अवैध मस्जिद को दिल्ली हाई कोई ने तत्काल गिराने का आदेश दिया है। नगर निगम को अपने 30 जुलाई के आदेश का पालन करने का निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अवैध ढांचा गिराया जाएगा, तभी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग [एएसआइ] अपनी जांच कर सकेगा। दिल्ली पुलिस को इस कार्रवाई में सहयोग करने के लिए कहा गया है। अदालत ने पुलिस और विधायक शोएब इकबाल की ओर से दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

सीसे से बनी देश की पहली मस्जिद मेघालय में तैयार

http://www.jagran.com/news/national-indias-first-glass-mosque-in-shillong-9760188.html
शिलांग। पूरी तरह सीसे से निर्मित देश की पहली मस्जिद मेघालय की राजधानी शिलांग में बनकर तैयार हो गई है। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद 18 अक्टूबर को इस मदीना मस्जिद के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने की औपचारिकता पूरी करेंगे।