Thursday, September 18, 2008

एक घर में नमाज को लेकर गांव में तनाव, पुलिस तैनात

दैनिक जागरण, १७ सितम्बर २००८, पीलीभीत। जहानाबाद थाना क्षेत्र के गांव ऐमी में रमजान के दौरान मुस्लिमों द्वारा एक घर में एकत्र होकर नमाज पढ़ने से गांव में तनाव फैल गया। डीएम के निर्देश पर पुलिस ने आज दोनों पक्षों को थाने बुलाकर बातचीत की। इस दौरान पुलिस ने साफ कहा कि बिना किसी अनुमति के गांव में नई परंपरा नहीं शुरू होने दी जायेगी। गांव में तनाव को मद्देनजर रखते हुए पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया है।

जहानाबाद के गांव ऐमी में मुस्लिम परिवारों द्वारा शमशाद के घर में एकत्र होकर नमाज पढ़ने व लाउडस्पीकर से अजान देने की शिकायत कल दूसरे समुदाय के लोगों ने डीएम से की थी। डीएम के निर्देश पर बुधवार सीओ सिटी अमर जीत सिंह शाही ने जहानाबाद थाने पहुंचकर दोनों पक्षों से वार्ता की। एक समुदाय का कहना था कि मुस्लिम लोग गांव में नई परंपरा डाल रहे हैं। उन्होंने गांव में लाउडस्पीकर से अजान देने पर आपत्ति जताई। दूसरे पक्ष का कहना था कि वे पिछले सात वर्षो से एक घर में नमाज पढ़ते चले आ रहे हैं। यह कोई नई परपंरा नहीं है। सीओ सिटी श्री शाही ने साफ कहा कि वे किसी प्रशासनिक अधिकारी की अनुमति के बिना गांव में नई परंपरा नहीं पड़ने देगें। अगर उनके पास कोई अनुमति पत्र है तब वे उन्हें दिखाएं। देर शाम तक थाने में दोनों पक्षों का जमघट लगा रहा। गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया है। सीओ सिटी अमरजीत शाही ने बताया कि दोनों पक्षों में लिखित समझौता करा दिया है। मुस्लिम अपने घरों में अलग-अलग नमाज पढ़ेगें। परन्तु सामूहिक रूप से वे नमाज नहीं पढ़ेगे। और न ही लाउडस्पीकर में अजान देगें। सीओ ने दावा किया कि गांव में कोई तनाव नहीं है। फिर भी ऐहतिहातन दोनों पक्षों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जा रही है।

निष्क्रियता का नया प्रमाण

जिन खास कारणों से आतंकवाद पर लगाम नहींलग पा रही उन्हें रेखांकित कर रहे हैं राजनाथ सिंह सूर्य

दैनिक जागरण, १८ सितम्बर २००८. कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो आगे चलकर बड़े संकट का सबब बन जाती हैं। उन पर तत्काल ध्यान नहीं दिया जाना इसका मुख्य कारण होता है। ऐसी ही एक घटना है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मौलवीगंज से सिमी प्रमुख शहबाज की गिरफ्तारी के पूर्व गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह का केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल से फोन पर किया गया यह अनुरोध कि वह मुख्यमंत्री मायावती से संपर्क कर इस व्यक्ति के बारे में मिली सूचनाओं की छानबीन का अनुरोध करें। शिवराज पाटिल ने अमित शाह की बात इस कान से सुनकर उस कान से निकाल दी। यदि गुजरात की पुलिस ने उत्तर प्रदेश की पुलिस से सीधा संपर्क किया होता तो शायद शहबाज गिरफ्तार होता। इस घटना से दो महत्वपूर्ण प्रश्न उभरते हैं, जो हमारी व्यवस्था में खतरनाक राजनीतिक राग-द्वेष के कारण उत्पन्न घातक स्थिति को उजागर करते हैं।

शिवराज पाटिल अपने दायित्व के प्रति कितने 'जिम्मेदार' हैं, इसके कई सबूत सामने चुके हैं। चाहे आतंकियों से निपटने के लिए कई राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों को स्वीकृति देने का मामला हो या फिर पाकिस्तान की जेल में बंद सरबजीत और संसद पर हमले के आरोप में फांसी की सजा पाए अफजल के मामले की तुलना हो-उनके चौंकाने वाले कथनों की लंबी फेहरिश्त है। अमित शाह और शिवराज पाटिल के वार्तालाप और उसके उपसंहार के जो समाचार प्रकाशित हुए हैं उससे जहां भारत सरकार के प्रमुख कर्णधारों की 'जिम्मेदारी' के प्रति गंभीरता का पता चलता है वहीं एक संवैधानिक सवाल भी खड़ा हो जाता है। शिवराज पाटिल ने मायावती से क्यों बात नहीं की? क्या उन्हें भय था कि ऐसा करने पर उनकी संरक्षक नाराज हो जाएंगी या फिर उन्होंने इस मामले को बहुत मामूली समझ लिया? हमारी जो संघात्मक व्यवस्था है उसमें केंद्र राज्यों के बीच सेतु का दायित्व निभाता है। एक राज्य से दूसरे राज्य के संबंधों और समस्याओं को निपटाने में केंद्र मध्यस्थता और सहायक की भूमिका निभाता है। शिवराज पाटिल की कार्यप्रणाली और गुजरात पुलिस के उत्तर प्रदेश पुलिस से सीधे संपर्क से केंद्र की भूमिका पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। मैं शिवराज पाटिल के 'व्यक्तित्व' पर विवाद नहीं करना चाहता, लेकिन प्रत्येक नागरिक को यह जानने का हक तो है ही कि हमारे देश का गृहमंत्री संविधान की मर्यादाओं का पालन कर रहा है या नहीं? अब तक इसका सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। शायद यही कारण है कि किसी अरुंधति राय को कश्मीर की आजादी की वकालत करने का हक मिल गया है। शायद इसी आचरण का प्रभाव है कि देश के एक छोटे से भाग में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे के साथ प्रदर्शन होता है, शायद इसी आचरण का परिणाम है कि पाकिस्तान के हस्तक बनकर देश भर में विस्फोटों से अराजकता उत्पन्न करने वाले के प्रति सहानुभूति प्रगट करने का सिलसिला चल निकला है। शायद यही कारण है कि जहां केंद्रीय प्रशासन तंत्र सिमी पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी कर रहा है वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य खुलेआम इस संगठन को देशभक्ति का प्रमाणपत्र दे रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में अदालती समीक्षा को भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। दलीय आधार पर केवल कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाकर जो शुरुआत संप्रग सरकार ने की उसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा ने भी अपने मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुला लिया। हमारी अवधारणा है कि चाहे केंद्र हो या राज्य, लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत किसी किसी दल के नेतृत्व में सरकार बनती है, लेकिन सरकार 'राजनीतिक दल' की नहीं होती। मनमोहन सरकार ने इस मान्यता को ही ध्वस्त कर दिया। राष्ट्रीय परिषद या इसी प्रकार की वे संस्थाएं जो संघात्मक ढांचे को एकात्मता के सूत्र में बांधे रखने के लिए हैं, विलुप्त होती जा रही हैं। संसद, जहां देश भर की समस्याओं का संज्ञान लिया जाता है, निष्प्रभावी कर दी गई है। गृह मंत्रालय ने जम्मू को जलने और कश्मीर के उन्मादियों को देशघाती अभियान चलाने का मौका क्यों दिया? क्या देशद्रोह से भी बड़ा कोई अपराध हो सकता है और क्या देश से अलग होने के 'हक' की वकालत करने वालों से बड़ा कोई अपराधी है? इन अपराधियों से क्यों नहीं निपटा जा रहा? कुछ लोगों के इस आकलन से सहमत हुआ जा सकता है कि शिवराज पाटिल भले ही गृहमंत्री हों, लेकिन दायित्व निर्वहन के मामले में पद के अनुरूप उनकी हैसियत नहीं स्थापित हो पाई है। यही बात प्रधानमंत्री के बारे में भी कही जाती है तो फिर प्रश्न यह उठता है कि जिसकी हैसियत है वह कौन है?

संविधान में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उनके सहयोगियों की ही हैसियत का प्रावधान है। यदि कोई गैर सांविधानिक हैसियत है तो क्यों है और फिर क्या इन सभी स्थितियों के लिए उसे जिम्मेदार ठहराना चाहिए? विधान तो उन्हें जिम्मेदार मानता है जो संबंधित दायित्व के निर्वहन की शपथ लेते हैं। केंद्रीय प्रशासन तंत्र के उपयोग और उसके कार्य करने की व्यवस्था पर इतने प्रश्नचिह्न पहले कभी नहीं लगे थे जितने अब लगे हैं। इस स्थिति में मुख्यमंत्रियों से प्रशासनिक मामले में तथा नीतियों पर अमल को लेकर संपर्क करने में गृह मंत्रालय अपने दायित्व निर्वहन में पूर्णत: असफल साबित हुआ है। इसी का परिणाम है कि केवल देश घाती गतिविधियों में इजाफा हुआ है, बल्कि इन गतिविधियों में संलग्न लोगों के प्रति मजहबी आधार पर सहानुभूति बटोरने के प्रयास थामे नहीं थम रहे। विडंबना यह है कि गृह मंत्रालय को संचालित करने वाले राजनीतिक पदधारक अपने ही तंत्र की सूचनाओं, आकलन और तथ्यपरक जानकारियों के अनुरूप आचरण का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। विश्व के किसी भी सार्वभौमिक सत्ता वाले स्वतंत्र देश में ऐसी निष्क्रियता का उदाहरण नहीं मिलेगा।

Tuesday, September 16, 2008

सिमी का बम विशेषज्ञ गिरफ्तार

दैनिक भास्कर,
Tuesday, September 16, अहमदाबाद. बम बनाने में माहिर सिमी के एक सदस्य सलीम सिपाही को गुजरात पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है। सलीम सिमी कार्यकर्ताओं को बम बनाने का प्रशिक्षण देता था। बताया जाता है कि सलीम ने ही दिल्ली धमाकों के मास्टरमाइंड कयामुद्दीन को बम बनाना सिखाया था।

क्राइम ब्रांच के मुताबिक, सलीम ने 14 साल की उम्र में ही बम बनाना सीख लिया था। उसने अहमदाबाद, भरूच, वड़ोदरा और सूरत में सिमी के कई कार्यकर्ताओं को इसका प्रशिक्षण भी दिया। सूत्रों के मुताबिक, सलीम ने अहमदाबाद में हुए विस्फोटों और सूरत में मिले बमों को तैयार करने में तौकीर की मदद की थी।

जांच में जुटे अधिकारियों को आशंका है कि दिल्ली धमाकों के पीछे सलीम का हाथ हो सकता है। हालांकि इस बारे में पूछताछ जारी है। गौरतलब है कि 2002 के दंगों के दौरान अहमदाबाद के कालूपुर इलाके में सलीम द्वारा बम बनाने के दौरान अचानक विस्फोट हो गया था, जिसमें कई लोग घायल हुए थे।

दो गुटों में झड़प से वडोदरा में तनाव

15 सितम्‍बर 2008 , आईबीएन-७, अहमदाबाद। गणपति विजर्सन के दौरान वडोदरा में दो गुटों में हुई झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी। पुलिस ने उपद्रवी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाई जिसमें एक व्‍यक्ति के मारे जाने की खबर है। हालांकि पुलिस ने इस मौत की पुष्टि नहीं की है।

वडोदरा में कल रात गणपति विसर्जन के दौरान फतेहपुर और याकूतपुरा इलाके में दो गुट आपस में भिड़ गए। पुलिस ने इसके बाद फतेहपुर इलाके में धारा 144 लगा दी थी। इसके बावजूद उग्र भीड़ उत्‍पात मचाती रही।

भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन उसके बावजूद भी कुछ न होने पर पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। इस टकराव के दौरान कई दुकाने और गाडि़यों में आग लगा दी गई है। मामले से निपटने के लिए पुलिस ने गश्त बढ़ा दी है।

पुलिस की गोलीबारी से कुछ लोगो के घायल होने की भी ख़बर है। हालांकि घायलों की सही संख्‍या का पता अभी तक नहीं चल पाया है।

दिल्ली विस्फोट में कयामुद्दीन का हाथ!

दैनिक जागरण, १६ सितम्बर 2008, अहमदाबाद। गुजरात पुलिस के एक अधिकारी ने कहा है कि सिमी कार्यकर्ता कयामुद्दीन राष्ट्रीय राजधानी में हुए बम धमाकों के पीछे शामिल लोगों में से एक हो सकता है। कयामुद्दीन के अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देने की आशंका है।

संयुक्त पुलिस आयुक्त आशीष भाटिया ने कहा कि हमें लगता है कि अहमदाबाद धमाकों के एक आरोपी कयामुद्दीन का हाथ दिल्ली विस्फोट के पीछे हो सकता है। वह राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न जगहों पर पर बम रखने के काम में शामिल हो सकता है।

उन्होंने कहा कि मुंबई के कंप्यूटर विशेषज्ञ अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर के भी दिल्ली धमाकों में शामिल होने की आशंका है। भाटिया ने कहा कि इस बात की आशंका है कि अहमदाबाद धमाकों में वांछित अन्य सिमी सदस्य भी दिल्ली धमाकों में शामिल हो सकते हैं। अहमदाबाद धमाकों के बाद अब्दुल सुभान और कयामुद्दीन का नाम सामने आया था। दोनों राज्य पुलिस की अति वांछितों की सूची में शामिल हैं। धमाकों के बाद दोनों फरार हैं।

वडोदरा का रहने वाला कयामुद्दीन ने अहमदाबाद में हुए धमाकों के बाद कई बैठकें की थी। सिलसिलेवार बम धमाकों से पहले वह अहमदाबाद में करीब एक महीने तक रहा था।

वडोदरा में फायरिंग में एक की मौत

दैनिक जागरण, १६ सितम्बर २००८, वडोदरा। वडोदरा में गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान पथराव के बाद सोमवार दोपहर दो समुदायों के बीच हिसक झड़प के बाद पुलिस फायरिग में एक युवक की मौत हो गई जबकि आठ व्यक्ति घायल है। इलाके में बीती रात भी पथराव की घटना हुई थी। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जाती है।

वडोदरा के फतेहपुरा याकूतपुरा में रविवार शाम को गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान पथराव की घटना के बाद इस विवाद ने सोमवार दोपहर उग्र रूप धारण कर लिया। दोनों समुदाय के लोगों ने एक दूसरे पर जमकर पथराव किया तथा दो जगह चाकूबाजी की घटना भी हुई। इसके बाद उपद्रवियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने नौ राउंड फायरिग की तथा आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस फायरिग में एक पच्चीस वर्षीय युवक की मौत हो गई तथा आठ जख्मी है, जिसके बाद से हालात तनावपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि वडोदरा में वर्ष 2002 से हर साल गणेश मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा हो रही है।

Monday, September 15, 2008

दिल्ली विस्फोट

13 सितम्बर 2008, वार्ता, नयी दिल्ली। राजधानी दिल्ली में आज शाम पांच स्थानों पर हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में कम से कम बारह व्यक्तियों की मौत हो गयी तथा 70 से अधिक लोग घायल हो गये।

करोलबाग के गफ्फार मार्केट, कनाटप्लेस के पालिका बाजार के उपर एवं गोपाल दास बिल्डिंग के सामने और ग्रेटर कैलाश के एम ब्लाक में दो स्थानों पर 40 मिनट के भीतर ये विस्फोट हुये।

दमकल विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गफ्फार माकेंट में सात लोग मारे गये। कनाटप्लेस में एक महिला सहित पांच लोग मारे गये और 40 लोग घायल हो गये।

दिल्ली पुलिस आयुक्त वाई एस डडवाल सहित पुलिस के वरिष्ठ अधिकार मौके पर पहुंच चुके हैं। विस्फोट की खबर के बाद संबंधित इलाकों में मची अफरा-तफरी के कारण यातायात अवरूद्ध हो गया। हालांकि इस दौरान दिल्ली मेट्रो रेल की सेवायें यथावत जारी है।

सूत्रों ने बताया कि गफ्फार मार्केट में हुए विस्फोट में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तथा अब तक सात लोगों के मारे जाने की खबर है। मौके पर दमकल की गाडियां एवं बम निरोधक दस्ते पहुंच गये हैं। घायलों को निकटवर्ती निजी तथा राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सूत्रों के अनुसार इन विस्फोटों के तुरंत बाद राजधानी में तथा आसपास के क्षेत्र में सतर्कता बढाने के साथ ही रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

घटनास्थलों की घेराबंदी कर दी गयी ताकि घायलों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाया जा सके । गृह मंत्रालय स्थिति पर नजर रखे हुए है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले वर्ष 2005 में दीवाली के अवसर पर हुये श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में 62 लोग मारे गये थे।

Friday, September 12, 2008

हाजियों का कोटा बढ़ा, किराया नहीं

जागरण ब्यूरो,18 सितम्बर 2008, नई दिल्ली । हज यात्रा हवाई किरायों में ताजी वृद्धि से बेअसर रहेगी। साथ ही, इस साल हज जाने वालों की संख्या भी बढ़ जाएगी। यही नहीं, इंदौर से हज की सीधी उड़ान की सु भी मिलेगी। केंद्रीय पुलिस बलों में 48 नए पद बढे़ंगे। साथ ही, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। ये तमाम फैसले बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए।

बैठक के बाद सूचना व प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने बताया कि हज यात्रियों का कोटा 1,23,211 कर दिया गया है, जबकि पिछले साल तक 1.10 लाख यात्रियों को ही हज यात्रा करने की छूट थी। हाजियों को हवाई जहाज के किराये में सरकार सब्सिडी देगी।

सीधे सऊदी अरब जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए इंदौर को 17वां केंद्र घोषित किया गया है। मध्य प्रदेश के हज यात्रियों को अब किसी दूसरे शहरों की ओर नहीं भागना पड़ेगा। आम तौर पर केरल व महाराष्ट्र जैसे राज्यों के हज यात्रियों की संख्या सर्वाधिक होती है, जबकि कम मुस्लिम आबादी वाले राज्यों से हज जाने वालों की संख्या बहुत कम होती है। इस नई व्यवस्था से अब असंतुलन दूर हो जाएगा।

Thursday, September 11, 2008

Malaysian High Court upholds order to ban Hindraf rally

Kuala Lumpur, Sept.10 (ANI): A magistrate’’s court order to ban the Hindu Rights Action Force (HINDRAF) rally held on November 25 last year, has been deemed as valid by the Malaysian High Court.

According to a New Strait Times report, the High Court also dismissed the appeal filed by five HINDRAF leaders to declare the order null and void.

Judge Datuk Mohamed Zabidin Mohd Diah agreed with deputy public prosecutor Raja Rozela Raja Toran that there were no “live issues” before the court.

The five — lawyers M. Manoharan, V. Ganapathi Rao, P. Uthayakumar, and R. Kengdharan, along with chairman P. Waytha Moorthy — had appealed against the restriction order earlier this year through their counsel Gobind Singh Deo.

They asked the High Court to declare the order, which barred them from holding the rally, null and void.

The five claimed that the magistrate had erred because the order was made ex-parte and was defective under the law because it did not specify the restriction address and conditions. (ANI)

Six injured in communal clashes during Ganesh immersion in Bharuch

Express News Service Posted online: Wednesday, September 10, 2008 , Vadodara, September 09 A dispute between two groups —one Hindu and one Muslim — resulted in stone pelting during the Ganesh visarjan (immersion) procession in Bharuch late on Monday evening. At least six persons were injured in the clash. The police lobbed tear gas shells to disperse the mob.

The incident occurred when a procession from Ghikhudia area in Bharuch was allegedly obstructed by a group of people from Bahar ni Undai area, who complained about loud music being played by the procession, police said. The situation turned ugly when some police officials were attacked and the mob started pelting stones. Apart from lobbing two teargas shells, the police also fired a round in the air to disperse the irate mob.

Inspector A S Shukla of Bharuch police (A division) said, “Around 18 people from both the communities have been arrested following the incident.”

The incident occurred near a religious place in Bahar ni Undai area, said Shukla who is investigating the case. “Around four police constables and two civilians from Bharuch were injured. A police motorcycle was also damaged and the mob also tried to snatch away a rifle from a policeman.”