Thursday, November 6, 2008

काटने के लिए ले जाये जा रहे दर्जन भर मवेशी बरामद

दैनिक जागरण, ४ नवम्बर २००८, प्रतापगढ़। पट्टी कोतवाली व कंधई थानों की पुलिस ने काटने के लिए ले जाये जा रहे दर्जन भर गाय व बछड़ों को बरामद किया है। पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया है। जबकि तीन लोग मौके से भाग निकले। पुलिस ने यह जानवर स्थानीय लोगों को सुपुर्दगी में दिया है।

बताया गया कि कंधई थाना क्षेद्द के रामपुर कुर्मियान गांव में जानवरों के कटने की सूचना पर पुलिस सक्रिय थी। सोमवार की भोर उक्त गांव में चार लोग दो गायों व छह बछड़ों को लेकर जा रहे थे। पुलिस ने उन लोगों को रोका तो वह भागने लगे। इस दौरान पुलिस सिर्फ एक व्यक्ति को पकड़ सकी। जबकि तीन मौके से भागने में सफल रहे। पकड़ा गया आरोपी थाना क्षेद्द के ही चक मुबारक पुर निवासी अनीस पुत्र मुहीद बताया गया। पुलिस ने गाय व बछड़ों को स्थानीय लोगों की सुपुर्दगी में देकर आरोपी को जेल भेज दिया।

इसी प्रकार पट्टी कोतवाली के दोनई ईट भट्ठें पर कुछ लोग एक टेम्पो से चार गाय व बछड़े ले जा रहे थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस यहां पहुंची तो जानवर ले जाने वाले लोग भागने लगे। पुलिस ने मौके से चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह लोग दिलदार नगर गाजीपुर के निवासी लालमणि व कमलेश तथा बेसार बंधवा निवासी बसंत गिरि व अशोक कुमार बताये गये।

रामलीला के दौरान दो समुदाय में विवाद,15 के विरुद्ध मुकदमा

दैनिक जागरण, महराजगंज, 04 नवम्बर २००८। श्यामदेउरवा थाना के ग्राम बड़हरा बरईपार में सोमवार की रात रामलीला के दौरान शरारती तत्वों ने जमकर उत्पात मचाया। दर्शक महिलाओं के बीच बोतल व पत्थर फेंकने तथा गांव के तिराहे के दक्षिण दुकानों में तोड़फोड़ के बाद गांव में तनाव पैदा हो गया। मुकामी पुलिस ने मंगलवार को इस मामले में 15 ज्ञात एवं दर्जनों अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया।

गांव में शनिवार को रामलीला शुरू हुई। रविवार की रात रामलीला के दौरान महिलाओं के पीछे एक समुदाय के करीब डेढ़ दर्जन शरारती तत्व आ खड़े हुए। रामलीला समिति के सदस्यों एवं ग्रामीणों ने उन्हे दूर बैठने का आग्रह किया जिस पर शरारती तत्वों ने उत्पात मचाना शुरू किया। मुकामी पुलिस तथा ग्रामीणों के हस्तक्षेप से मामला शांत हो सका। पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया।

सोमवार की रात्रि करीब 10 बजे के आसपास पुन: दर्जनों की संख्या में शरारती तत्व रामलीला के दौरान महिलाओं के बीच पहुंच गये जिसे लेकर दर्शकों से उनकी झड़प हो गयी। शरारती तत्वों ने इसके बाद गांव कई घरों पर ईट पत्थर बरसाने शुरू कर दिए जिससे छ: लोगों को चोट आयी। बाद में पुलिस थानाध्यक्ष के नेतृत्व में पुलिस के पहुंचने पर मामला नियंत्रण में आया। पुलिस ने घटना में घायल लोगों में से रमाकांत पुत्र राजन, राकेश पुत्र मुन्नीलाल, रामआशीष पुत्र कौलेशर, ज्वाला पुत्र हरीराम का उपचार एवं डाक्टरी परीक्षण कराया। 2 अन्य घायल केदार गुप्त एवं छेदी के पुत्र हैं।

पुलिस ने इस मामले में धारा 147, 148, 109, 294, 504,506, 336, 394 एवं 427 भा.द.वि में 15 नामजद एवं दर्जनों अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया है।

महंगा पड़ा मदरसे में दबिश देना

दैनिक जागरण, ६ नवम्बर २००८, मुजफ्फरनगर। भोपा के गांव किशनपुर स्थित मदरसे में गोकशी की सूचना पर दबिश देने गई पुलिस को अब लेने के देने पड़ गये हैं। कप्तान ने दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है और पूरी कार्रवाई को त्रुटिपूर्ण बताते हुए एसपी सिटी को जांच के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि मंगलवार की दोपहर भोपा पुलिस को कंट्रोल रूम से सूचना दी गयी थी कि गांव किशनपुर के मदरसे में गोकशी हो रही है। थाना पुलिस को गांव में जाकर दबिश देने को भी कहा गया था। इस सूचना पर भोपा पुलिस सक्रिय हुई और दबिश देने मदरसे में पहुंच गई, वहां एकजुट ग्रामीणों ने पुलिस का विरोध किया और उन्हें बैरंग वापस लौटने पर विवश कर दिया। इतना ही नहीं आसपास के मुस्लिम बहुल गांव में इस बात को लेकर आक्रोश फैल गया। बसपा के एक विधायक ने भी दबिश को गलत करार देते हुए कप्तान से आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली। संप्रदाय विशेष की ओर से लगाए जा रहे धार्मिक उत्पीड़न के आरोप से शासन भी सकते में आ गया और रात में ही एसएसपी को त्वरित निदान के निर्देश मिले। ऊपर से आए आदेश के तहत एसएसपी ने रात में ही सीओ जानसठ को भेजकर इस मामले की जांच कराई। जांच में दो पुलिसकर्मियों सिपाही कृतपाल और एचसीपी होशियार सिंह की भूमिका संदिग्ध मिली। बुधवार को कप्तान ने दोनों को लाइन हाजिर कर दिया और एसपी सिटी से इस पूरे प्रकरण की जांच सौंप दी। एसएसपी बीडी पाल्सन ने बताया कि पूरी जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है। एसएसपी ने दावा किया है कि भोपा पुलिस ने अधिकारियों के आदेश के बगैर मदरसे में दबिश दी थी।

गोकशी का खुलासा, छह गिरफ्तार, दो कोल्ड स्टोर सील

दैनिक जागरण, ५ नवम्बर २००८, मेरठ। जिले में बड़े पैमाने पर हो रही गोकशी का पर्दाफाश हो गया। पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के छह लोगों को पकड़ने में सफलता हासिल की जो महीनों से परतापुर क्षेत्र में गोकशी का धंधा कर रहा था। पांच दिन पहले ही खेड़ा बलरामपुर गांव के जंगल में इसी गिरोह ने गायों को काटा था और माहौल को खराब करने की कोशिश की थी। इन गायों का मीट मेडिकल क्षेत्र के जिन दो कोल्ड स्टोरज में रखा गया था, उन्हें पुलिस ने सील कर दिया। पकड़े गए लोगों ने धंधे के पीछे कई बड़े लोगों का हाथ होना उजागर किया है। पुलिस उनकी तलाश में दबिशें दे रही है।

गायों का कटान करने वाले गिरफ्तार लोगों में काशी गांव के मैराज पुत्र रफीक, फुल्लू पुत्र मकसूद, फन्नू पुत्र रमजानी, मुन्ना पुत्र रफीक, मुजफ्फरनगर के पलड़ी गांव का अब्दुल्ला उर्फ अब्लू और किठौर का जमील अहमद उर्फ बबलू है। इनके कब्जे से चार औजार, चाकू और दो देसी तमंचे मिले हैं। इनमें से अब्दुल्ला और जमील पांच दिन पहले खेड़ा बलरामपुर गांव के बबूल के जंगल में गायों के कटान में शामिल थे, जबकि बाकी सभी अपने अपने गांवों में गायों को काटते रहे हैं और उन पर तमाम मुकदमे भी दर्ज हैं।

पुलिस लाइन में मीडिया से मुखातिब एसएसपी रघुवीर लाल ने बताया कि सरधना के मढियाई गांव का असगर बंजारा 30/31 की रात में कुछ साथियों के साथ डम्फर में 11 गाय और बछड़ों को खेड़ा बलरामपुर गांव के जंगल में लेकर आया था और वहीं साथियों के साथ कटान किया था। मांस और खाल को तो उन्होंने ट्रक में लाद लिया था, लेकिन दिन निकलने की वजह से सिर, खुर आदि वहीं छोड़कर चले गए थे। टाटा 407 के जरिये मांस व खाल को कलुवा पुत्र बाबू, आसिफ आदि शहर लेकर आये। गाड़ी राजा नाम का चालक चला रहा था। इस सभी माल को गढ़ रोड पर मेडिकल से आगे मुद्रा कोल्ड स्टोरेज पर पहुंचाया गया। यहां सरताज को माल दिया गया और उसे कांटे पर तुलवाया गया। एसएसपी ने बताया कि बाद में सरताज ने यह माल मुद्रा कोल्ड स्टोरेज को बेच दिया। यह कोल्ड स्टोरेज तौफीक इलाही और लियाकत इलाही का है। इस मांस को बेचकर 55 हजार रुपये मिले। एसएसपी ने बताया कि पकड़े गए लोगों से पूछताछ में मालूम हुआ कि प्रतिबंधित मांस मुद्रा और यासीन कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता रहा है। इसलिए दोनों को सील कर दिया गया। साथ ही उनके मालिकों की गिरफ्तारी के लिए दबिशें शुरू करा दी गई। उन्होंने बताया कि फिलहाल छह लोगों की गिरफ्तारी कर ली गई है और बीस अन्य की गिरफ्तारी को दबिशें दी जा रही हैं।

एसएसपी रघुवीर लाल ने यह भी बताया कि गोवध करने वाले गिरोह और उनके सदस्यों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। फिलहाल चार सक्रिय गिरोह प्रकाश में आये हैं। इनमें एक गिरोह दिल्ली का है। इन सभी पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मामले में कोई बेकसूर न फंसे, इसलिए कार्रवाई में जल्दबाजी नहीं की जाएगी, लेकिन जिन लोगों के भी नाम प्रकाश में आये हैं, उन पर रासुका के अलावा गैंगेस्टर के तहत संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे धधे से जुड़े लोगों को माफिया घोषित कर उनकी संपत्ति भी कुर्क होगी। इस मामले में कोई भी दबाव नहीं माना जाएगा। ऐसी घटनाओं में जिन पुलिस वालों की संलिप्तता होगी, उन पर भी कार्रवाई होगी। मीडिया से वार्ता के वक्त एसपी सिटी राकेश जौली और सीओ ब्रह्मापुरी मंशाराम गौतम भी मौजूद थे।

गोकसी अड्डे पर छापा, छुरी-मांस बरामद

दैनिक जागरण, ५ नवम्बर २००८, बकेवर (इटावा)। कस्बे के मोहल्ला हाफिज नगर के निकट नूरी मस्जिद के पास तीन बैलों को काटकर गौकसी के अड्डे पर पुलिस ने छापा मारकर मांस व छुरी बरामद कर लिया। चार लोगों के खिलाफ थाने में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया।

पुलिस ने बताया कि रात्रि करीब 10 बजे मुखबिर के जरिये सूचना मिली कि नगर के मोहल्ला हाफिज नगर में स्थित नूरी मस्जिद के पास शमशुद्दीन के प्लाट में बैलों का कत्लेआम हो रहा है। जिस पर बकेवर एसओ वाईके पुनियां पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।

उन्होंने मौके से बैलों का मांस और उन्हे काटने में प्रयुक्त होने वाली छुरी आदि औजार बरामद करने के साथ-साथ दो लोगों को भी हिरासत में लिया। बाद में पुलिस ने हिरासत में लिये गये दोनों कसाइयों को छोड़ दिया। गौवंशीय पशुओं की हत्या करके मांस बेचने के आरोप में एसआई बीएन सिंह ने मुकदमा पंजीकृत कराते हुए मोहम्मद इनाम कुरैशी, इकबाल, इरफान, गुलफाम को आरोपी बनाया है जिसमें उन्होंने दावा किया कि पुलिस द्वारा छापा मारते ही यह चारों सिर पर गौमांस की पोटली रखकर भाग रहे थे। इन लोगों को टार्च की रोशनी में पहचाना गया।

नगर वासियों के अनुसार पुलिस ने इस मामले में दो भाइयों को हिरासत में ले लिया था। बाद में पुलिस ने उन्हे सपा के कुछ दबंगों के इशारे पर छोड़ना पड़ा। पुलिस द्वारा कसाइयों को छोड़ जाने की घटना पर भाजपा लखना मंडल अध्यक्ष प्रभात महेश्वरी, भारत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर पांडेय, भाजपा नेता बृजपाल सिंह चौहान, गगन सोनी, रानू श्रीवास्तव, आशुतोष दीक्षित, सुरेन्द्र पंडित ने आक्रोश व्यक्त कर थाना पुलिस के प्रति नाराजगी जताई है। पशु चिकित्सक डा. सुनील गुप्त के मांस परीक्षण के पश्चात उसके बिसरे को आगरा प्रयोगशाला में भेजा गया है। कस्बे में लंबे समय से गौकसी का धंधा संचालित हो रहा है।

Wednesday, November 5, 2008

गंगा ‘राष्ट्रीय नदी’ घोषित होगी: प्रधानमंत्री

04 नवम्बर 2008 , वार्ता, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने गंगा नदी को ‘राष्ट्रीय नदी’ घोषित करने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज यहां जलसंसाधन पर्यावरण एवं वन और नगर विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने फैसला किया।

गंगा नदी में जलप्रवाह की मात्रा और गुणवत्ता जल के समुचित उपयोग, बाढ़ और प्रदूषण नियंत्रण के बारे में परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए ‘गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण’ गठित करने का भी फैसला किया गया।

प्रधानमंत्री ‘गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण’ के अध्यक्ष और गंगा प्रवाह वाले राज्यों के मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे।

प्राधिकरण के अधिकार और कार्यक्षेत्र का निर्धारण राज्य सरकारों और मुख्यमंत्रियों से विचार-विमर्श के आधार पर तय किए जाएंगे।

डॉ. सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए देशवासियों के दिल-दिमाग में गंगा के विशेष महत्व का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि गंगा के साथ भावनात्मक लगाव का तकाजा है कि इसे प्रदूषण मुक्त कर आदर्श नदी का रूप दिया जाए। उन्होंने गंगा से जुड़ी परियोजनाओं को लागू करने में आपसी तालमेल कायम किए जाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा क गंगा प्रदूषण परियोजना के तहत केवल कुछ नगरों को चुन कर टुकड़ों में काम करने की बजाय एक समग्र रणनीति बनाने और इसके क्रियान्वयन की प्रणाली स्थापित करने की जरूरत है।

Tuesday, November 4, 2008

पूजा के दौरान पत्थर फेंकने को लेकर दो पक्षों में तनाव

दैनिक जागरण, रुद्रपुर (देवरिया), 03 नवम्बर २००८। एकौना थाना क्षेत्र के ग्राम सभा ईश्वरपुरा में दो समुदायों के बीच तनाव घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है। जिसे देखते हुए प्रशासन ने गांव में चौकसी बढ़ा दी है।

दशहरा के अवसर पर पूजा के दौरान किसी व्यक्ति ने पत्थर फेंक दिया। जिसे लेकर दोनों समुदाय के बीच तनाव पैदा हो गया। जो घटने की बजाय बढ़ता ही गया। दोनों पक्ष के लोग रोजाना रात में एक दूसरे पर पत्थर फेंकने का आरोप लगा रहे हैं। जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर सोमवार को अपराह्न तीन बजे गांव में उपजिलाधिकारी रामानुज सिंह, क्षेत्राधिकारी रमेश प्रसाद गुप्ता व थानाध्यक्ष माधव राम गौतम ने दोनो समुदाय के लोगों के साथ बैठक कर माहौल को ठीक करने की रणनीति बनाई। इस संबंध में एस.डी.एम.श्री सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों के लोग मिलकर अराजक तत्वों को चिह्नित करें। जबकि सी.ओ.श्री गुप्त ने कहा कि दोनों समुदाय के पांच-पांच लोगों की समिति बनाई गई है। जो पुलिस के साथ मिलकर मामले का शीघ्र पर्दाफाश करेगी।

गौकशी का धंधा करने वाले पुलिस के हत्थे चढे़

दैनिक जागरण, ४ नवम्बर २००८, उझानी (बदायूं)। गौकशी करने वाले गैंग में मनमुटाव का पुलिस को यह फायदा हुआ कि पुलिस के हत्थे गौकशी करने वाले तीन लोग चढ़ गये। जबकि कई के नाम पुलिस को पता चल गये। पकड़े गये लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही है।

नगर व आसपास के क्षेत्र में गौकशी का धंधा चरम पर है। यहां से संभल, मुरादाबाद, अलीगढ़ व बुलंदशहर आदि के लिए प्रतिबंधित पशु भेजे जाते है। सोमवार को पुलिस ने बुद्दा सहित तीन व्यक्तियों को पकड़ लिया। इनके पकड़े जाने के बाद गौकशी के धंधे की परते खुलने लगी है। बताया जाता है कि पुलिस को यह सफलता गौकशी के धंधे से जुडे़ स्थानीय लोगों में मनमुटाव होने के बाद मिली है।

पता चला कि पिछले दिनों नगर के कुरैशी मोहल्ले से एक पालतू गाय चोरी हुई जिसे चुराने के बाद काट डाला गया। चूंकि गाय मालिक व चोर सजातीय थे इसलिए आपस में इस धंधे की पोल खुलने लगी। सूत्र बताते है कि नगर के गद्दी टोला मानकपुर रोड प्लाटों में नैथुआ से आकर बसे पिता-पुत्र व दामाद ने इस घिनौने कार्य की जड़े नगर ही नहीं अपितु आसपास के गांव व अन्य कस्बों तक फैला रखी हैं।

गौकशी के धंधे को मानकपुर के सात लोग अंजाम दे रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पशुओं की चोरी में महिलाओं और बच्चों को कैरियर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सोमवार को पुलिस के हत्थे चढ़े तीन लोगों से पुलिस गहन पूछताछ करके गौकशी के धंधे से जुड़े गैंग के सदस्यों को पता लगा रही है। कुछेक चर्चित नाम पुलिस के संज्ञान में आ चुके है।

अदालत में मूर्छित हुईं साध्वी प्रज्ञा

03 नवम्बर २००८, इंडो-एशियन न्यूज सर्विस, नासिक। मालेगांव बम धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सोमवार को नासिक के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मूर्छित हो गईं।

इस बीच हिन्दू संगठनों ने अदालत के बाहर साध्वी के समर्थन में प्रदर्शन किया।

महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने सोमवार को साध्वी को दो अन्य आरोपियों श्याम भंवरलाल साहू और शिवनारायण सिंह कलसांगरा के साथ अदालत में पेश किया।

एटीएस द्वारा पिछले सप्ताह साध्वी कराए गए ब्रने मेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट में कुछ भी सुराग हाथ नहीं लगा।

अभियोजन पक्ष के विशेष वकील अजय मिसर ने अदालत से कहा कि एटीएस अपनी छानबीन के अहम पड़ाव पर पहुंच चुकी है और साध्वी का टेस्ट हुआ है उससे अन्य आरोपियों की जांच पड़ताल में मदद मिलेगी।

उधर, साध्वी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह और उसके साथ गिरफ्तार उसके अन्य सहयोगी निर्दोष हैं।

उन्होंने कहा कि हिन्दू आंदोलन को बदनाम करने के लिए उन्हें किसी बड़े षड़यंत्र में फंसाया जा रहा है

Monday, November 3, 2008

अखंडता के अद्भुत शिल्पी

सरदार पटेल के जन्म दिन पर राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में उनके अतुलनीय योगदान का स्मरण कर रहे हैं जगमोहन
दैनिक जागरण, ३१ अक्टूबर २००८, पिछले दिनों एक राष्ट्रीय दैनिक में खबर छपी कि आजमगढ़ में मुस्लिम पोलिटिकल काउंसिल ने सरदार पटेल को आतंकवादी बताया। इससे बेतुकी बात और कोई हो ही नहीं सकती। यह शायद केवल हमारे देश में संभव है कि स्वतंत्रता संग्राम के महानतम नेताओं और आधुनिक भारत के महानतम निर्माताओं में से एक के खिलाफ इस तरह के वाहियात और बेसिरपैर के आरोप मढ़े जा सकते हैं। अकसर भुला दिया जाता है कि पटेल संविधान सभा की अल्पसंख्यक उप समिति के अध्यक्ष थे। हमारे संविधान में अल्पसंख्यकों को प्राप्त भाषाई और सांस्कृतिक अधिकार संबंधी उदार प्रावधान उनकी सर्वग्राह्यं स्वीकार्यता को दर्शाते हैं। पटेल की पंथनिरपेक्षता में गांधीजी का अटूट विश्वास 24 अक्टूबर, 1924 को लिखे गए पत्र से स्पष्ट हो जाता है। यह पत्र महादेव देसाई ने सरदार पटेल के नाम तब लिखा था जब गांधीजी हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए 21 दिन के उपवास पर थे। महादेव लिखते हैं, ''गुजरात में हिंदू-मुस्लिम मोर्चे पर जो भी हो, जब तक आप वहां हैं, गांधीजी निश्चिंत हैं। अगर आपकी उपस्थिति के बाद भी वहां तूफान आता है तो बापू मान लेंगे कि उसे रोक पाना संभव नहीं था।'' आजाद भारत में ऐसा कोई नहीं है जिसने इतने कम समय में इतने अधिक क्षेत्रों में इतनी उपलब्धियां हासिल की हों, जितनी सरदार पटेल ने की। उनकी मृत्यु पर मैनचेस्टर गार्जियन ने लिखा, ''पटेल के बिना गांधी के विचार इतने प्रभावशाली नहीं होते तथा नेहरू के आदर्शवाद का इतना विस्तार नहीं होता। वह न केवल स्वतंत्रता संग्राम के संगठनकर्ता, बल्कि नए राष्ट्र के निर्माता भी थे। कोई व्यक्ति एक साथ विद्रोही और राष्ट्र निर्माता के रूप में शायद ही सफल होता है। सरदार पटेल इसके अपवाद थे।'' सरदार पटेल द्वारा 561 रियासतों को एक राष्ट्र में मिलाना यथार्थवाद और उत्तारदायित्व बोध की विजय है। इस महती कार्य के कारण उनकी तुलना चांसलर बिस्मार्क से की जाती है, जिन्होंने 19वीं सदी में जर्मनी को एकता के सूत्र में बांधा था, किंतु पटेल की उपलब्धियां बिस्मार्क से बढ़कर हैं।
बिस्मार्क को कुल दर्जनभर राज्यों से निपटना पड़ा था, जबकि पटेल ने 561 रियासतों का मसला सुलझाया। बिस्मार्क ने खून-खराबे के बल पर कार्य को अंजाम दिया, पटेल ने रक्तरहित क्रांति की। उन्होंने लोगों और अवसरों से निपटने में गजब की कार्य कुशलता का परिचय दिया। जब लोहा गरम था तभी चोट की। उन्होंने आठ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल तथा 8.6 करोड़ लोगों को भारतीय संघ में मिलाया। गांधीजी और लार्ड माउंटबेटन दोनों ने पटेल के महान योगदान की भूरि-भूरि सराहना की। गांधीजी ने कहा था कि रियासतों से निपटने का कार्य वास्तव में बहुत बड़ा था। मुझे पक्का विश्वास है कि पटेल के अलावा कोई अन्य इस काम को अंजाम नहीं दे सकता था। पटेल को 19 जून, 1948 को लिखे पत्र में लार्ड माउंटबेटन ने कहा था, ''इसमें शक नहीं है कि वर्तमान सरकार की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रियासतों को भारतीय भूभाग में मिलाना था। अगर आप इसमें विफल हो जाते तो इसके भयावह परिणाम निकलते.सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ाने में कोई अन्य इतना अहम योगदान नहीं दे सकता था, जितना योगदान राज्यों के संबंध में आपकी शानदार नीतियों ने दिया।'' पटेल ने पहले भारत को एक सूत्र में बांधने की शानदार योजना बनाई और फिर वह इसे मूर्त रूप देने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़े। उन्होंने रियासतों में देशभक्ति का जज्बा पैदा किया और उन्हें याद दिलाया, ''हम भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण दौर में हैं। एक सामूहिक प्रयास से हम देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। जबकि एकता के अभाव में हमें नई विपदाओं का सामना करना पड़ेगा।'' उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि विद्रोह की सुगबुगाहट न होने पाए। उन्होंने भोपाल के नवाब की यह सलाह अस्वीकार कर दी कि कुछ राज्यों का समूह बनाकर उन्हें स्वतंत्र उपनिवेश के रूप में मान्यता दे दी जाए।
जब भारत के निंदक विंस्टन चर्चिल ने हैदराबाद के निजाम के विभाजनकारी खेल को यह कहकर बढ़ावा दिया कि यह साम्राज्य का पुराना और विश्वासपात्र सहयोगी है तो पटेल ने कहा, ''चर्चिल की दुर्भावना और विषभुजी जबान से नहीं, बल्कि सद्भाव से ही भारत के ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल के अन्य सदस्यों से चिरस्थायी संबंध बनेंगे।'' उनका संदेश काम कर गया और भारत के मामलों में नुक्ताचीनी बंद हो गई। अलग-अलग तरह की रियासतों को भारत में मिलाने के बेहद जटिल मुद्दे पर पटेल के नजरिये में दृष्टि, चातुर्य, उदारता, दृढ़निश्चय और परिपक्व व्यावहार्यता का समावेश था। जब 1956 में निकिता ºुश्चेव भारत के दौरे पर आए तो उन्होंने खास तौर पर कहा, ''आपने रजवाड़ों को मिटाए बिना ही रियासतों को मिटा दिया।'' अगर जम्मू-कश्मीर भी पटेल को सौंप दिया जाता तो भ्रम और अंतर्विरोध पैदा नहीं होते और हम आज जिस क्रूरता के शिकार बन रहे हैं उससे बच जाते। पटेल ने शेख अब्दुल्ला का धौंसपट्टी का रुझान भांप लिया था और उन पर सही ढंग से काबू पाया। उन्हें कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का पछतावा था। उन्होंने 28 अक्टूबर, 1947 को पंडित नेहरू के रेडियो पर प्रसारित भाषण से 'संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में जनमत संग्रह' शब्द हटाने का पुरजोर प्रयास किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इंडियन सिविल सर्विस दूसरे पक्ष के साथ थी। इस कारण यह कांग्रेसी नेताओं का कोपभाजन बनी हुई थी। नेहरू इसे न भारतीय, न नागरिक, न सेवा कहकर फटकारते थे। एक बार फिर पटेल की रचनात्मक प्रतिभा काम आई और उन्होंने मामले को संतोषजनक तरीके से निपटा दिया। पटेल सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी का पर्याय थे। मरणोपरांत उनके पास जो संपत्तिमिली उसमें धोती, कुर्ता और एक सूटकेस था। आज भारत में हालात काबू से बाहर हो रहे हैं और भारतीय संघ लड़खड़ा रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व को पटेल की रचनात्मक दृष्टि और दृढ़ता को अपनाना चाहिए, जो उन्होंने इतिहास के नाजुक मोड़ पर दिखाई थी।