Sunday, September 15, 2013

इस्लाम का वंदे मातरम से कोई विरोध नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/thoughts-platform/focus/muslims-has-no-oppose-for-vande-matram/articleshow/19992322.cms
1952 में जब मौलान आजाद ने एक सरकारी कार्यक्रम में वंदे मातरम सुना तो कहा कि इसे सुनकर उनके दिल पर बड़ा असर पड़ता है। उनके निकट यह गीत मन व मस्तिष्क को झकझोर देने वाला है। वे इसको पसंद किया करते थे। उन्होंने वंदे मातरम को कभी धर्म की ऐनक से नहीं परखा। भारतीय मुसलमानों को मौलाना अबुल कलाम आजाद का अनुसरण करना करना चाहिए।

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