हिंदू हितों (सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक) को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली घटनाओं से सम्बंधित प्रमाणिक सोत्रों ( राष्ट्रिय समाचार पत्र, पत्रिका) में प्रकाशित संवादों का संकलन।
Thursday, August 21, 2008
जम्मूः प्रदर्शन जारी, ताजा हिंसा में 50 घायल
पूरब से आतंकी और पश्चिम से बारूद
दैनिक जागरण, अगस्त २१, २००८। हम हिंदुस्तान में सबका स्वागत करते हैं! आतंकियों का, उनके हथियारों का और विस्फोटकों का भी! क्योंकि हमारी सीमाएं इतनी खोखली जो हैं। लेकिन नई बात यह है कि आतंकी अब उत्तर की पहाड़ी या पश्चिम की रेगिस्तानी से कम, बल्कि पूरब की जंगली और मैदानी सीमाओं से ज्यादा आ रहे हैं। जबकि देश में तबाही मचाने का सामान यानी विस्फोटक पश्चिम में समुद्र के रास्ते भारत पहुंच रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की सीमा तो अब सिर्फ आतंकियों के लिए ध्यान बंटाने का जरिया भर है। सीमा पर बाड़ और चौकसी के मद्देनजर यहां से भारत में घुस कर आतंकी अपनी जान जोखिम में भला क्यों डालेंगे, जब उनके लिए बांग्लादेश और नेपाल के निरापद रास्ते खुले हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के प्रयासों की संख्या 2001 के 2417 से घट कर पिछले साल 600 पर आ गई है और इस साल मई तक केवल 72 मामले सामने आए हैं। आतंकियों ने अब राजस्थान सीमा पर भी जोखिम लेना बंद कर दिया है। पर खुद गृह मंत्रालय मानता है कि यह आंकड़ा दरअसल ध्यान बंटाने वाला है, क्योंकि अब आतंकियों के आने का रास्ता दूसरा है।
खुफिया रिपोर्टो के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के प्रशिक्षित गुर्गे अब पूरब की तरफ से नेपाल और उत्तर-पूर्व से जुड़ी बांग्लादेश सीमा को घुसपैठ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां के सुरक्षा इंतजाम कतई नाकाफी हैं और यहां की जनसांख्यिक परिस्थिति घुसपैठियों के हक में जाती है। असम के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह स्वीकार कर चुके हैं कि रोजाना छह हजार बांग्लादेशी इस राज्य में घुसपैठ करते हैं।
खुफिया सूत्र मानते हैं कि बांग्लादेशी लोगों के साथ ही आईएसआई के प्रशिक्षित 'जिहादी' भी आते हैं और उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों-नगालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा आदि-में ठिकाना बना कर आसानी से घुल-मिल जाते हैं। खुफिया अधिकारी यह मानते हैं कि भारी संख्या में बांग्लादेशियों के घुसपैठ और उन्हें इस इलाके में बसने में मदद करना भी आईएसआई की योजना का अहम हिस्सा है। इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आईएसआई के उत्तर पूर्व में सक्रिय अलगाववादी संगठनों से भी बेहद नजदीकी संबंध हैं।
आतंकियों की शातिराना रणनीति का आलम यह है कि उनकी आमद पूरब से होती है, लेकिन तबाही का सामान अरब सागर के रास्ते पश्चिम के तटों पर उतरता है। कच्छ से केरल तक फैला पश्चिमी समुद्री क्षेत्र अचानक विस्फोटक या हथियार लाने का सबसे बड़ा मार्ग बन गया है। देश में विस्फोटकों के सबसे बड़े जखीरे पहले भी गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से ही मिले। इन इलाकों में व्यापारिक समुद्री परिवहन की अधिकता उनके लिए सहजता पैदा करती है।
खुफिया सूत्र यह भी मानते हैं कि आतंकी दमन-दीव, लक्षद्वीप और बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह को भी आतंकी अपना अड्डा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि लक्षद्वीप, अंडमान और दमन-दीव और पुद्दुचेरि में अचानक सुरक्षा चौकियों की संख्या बढ़ा दी गई है।
खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर, गृह मंत्रालय बांग्लादेश व नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा रहा है और समुद्र की लहरों की पहरेदारी सख्त की जा रही है। लेकिन महाद्वीपीय आकार के इस देश में सीमाओं पर हर जगह सिपाहियों की तैनाती नामुमकिन है। दरअसल आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए बेहद सजग व चाक चौबंद खुफिया तंत्र और प्रभावी व त्वरित पुलिस तंत्र चाहिए। आधुनिक आतंक से लड़ाई का यही सबसे बड़ा हथियार है, मगर अफसोस! भारत में यह हथियार जंग खाकर भोथरा हो चुका है।
Wednesday, August 20, 2008
जम्मू में महिलाओं ने दी गिरफ्तारियां
अहमदाबाद धमाके: बशर ने जुर्म कबूला
गुजरात पुलिस के मुताबिक जयपुर और हैदराबाद धमाकों की साजिश भी नागौरी ने ही रची थी। नागौरी को ट्राजिट रिमाड पर अहमदाबाद लाने के लिए गुजरात पुलिस की टीम मध्यप्रदेश रवाना हो चुकी है।
बीते हफ्ते उत्तार प्रदेश से गिरफ्तार किया गया मुफ्ती अबुल बशर कासमी उर्फ अबू बशीर फिलहाल 14 दिन की पुलिस रिमांड में है। शहर की क्राइम ब्रांच उससे पूछताछ कर रही है।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि उसने धमाकों में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली है। 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुए धमाकों में 55 लोगों की मौत हो गई थी। बशर हालांकि पुलिस को सहयोग कर रहा है लेकिन ज्यादा बोल नहीं रहा। ज्यादातर सवालों का जवाब वह हां या ना में दे रहा है। अधिकारियों के मुताबिक हो सकता है उसे पुलिस पूछताछ से निपटने की ट्रेनिंग भी दी गई हो।
पुलिस ने जयपुर धमाकों में साजिद मंसूरी का हाथ होने की आशंका भी जताई है। पुलिस उपायुक्त [क्राइम ब्रांच] अभय चूड़ास्मा ने बताया कि धमाकों से दो महीने पहले वह कई बार अहमदाबाद आया था। हमले में दूसरे राज्यों के युवकों को भी शामिल किया गया था जिसमें डाक्टर और कंप्यूटर इजीनियर जैसे प्रोफेशनल भी हैं। इसमें सिमी के नेटवर्क का भी खूब इस्तेमाल किया गया।
पुलिस ने बताया कि हमले में नागौरी का हाथ भी था। पूछताछ के लिए उसे गुजरात लाया जाएगा। अभी वह इदौर की रीवा जेल में बंद है। 2007 में केरल में और जनवरी 2008 में गुजरात के हलोल में लगाए गए सिमी के ट्रेनिंग कैंप में नागौैरी और उसका भाई करीमुद्दीन मुख्य ट्रेनर थे।
बम धमाकों के मामले में गिरफ्तार इमरान शेख का घर सील कर दिया गया है। उसके बाहर राज्य रिजर्व पुलिस [एसआरपी] तैनात है। धमाकों में इस्तेमाल किए गए बमों को रखने के लिए मुंबई के कंप्यूटर इंजीनियर अब्दुल सुभान उर्फ तौफीक बिलाल ने शेख का घर इस्तेमाल किया था। हमले के लिए जरूरी तकनीकी सहायता भी उसी ने मुहैया कराई थी। तौफीक अभी फरार चल रहा है। पुलिस ने बताया कि वडोदरा के साजिद मंसूरी ने जयपुर धमाकों में हाथ होने की बात स्वीकार की है।
Tuesday, August 19, 2008
तुष्टिकरण की देशघाती होड़
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन का कहना है कि देश में करीब 800 आतंकी संगठन सक्रिय हैं, किंतु उन पर काबू पाने के लिए किसी ठोस नीति का कहीं संकेत नहीं मिलता। संप्रग सरकार आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून बनाने में संकोच करती है। कुछ राज्य सरकारों ने आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए कानून पारित भी किया, किंतु उन पर केंद्र सरकार कुंडली मारे बैठी है। आतंकी घटना होने पर गृहमंत्री राज्य सरकारों पर दोष डाल अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यदि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है तो राज्यों द्वारा बनाए गए काूननों को हरी झंडी क्यों नहीं? यूपीए सरकार ने आते ही पोटा को निरस्त कर डाला। आतंकवाद के प्रति उसके लचर रुख के कारण आज जिहादियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पूर्व चेतावनी देकर तबाही मचा रहे हैं तो दूसरी ओर कथित सेकुलरिस्टों में मची तुष्टिकरण की होड़ देखकर कट्टरपंथी ताकतें अपनी शर्तों पर सरकार को नचा रही हैं। राजग सरकार के समय में जब सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया था तब सेकुलर दलों ने आसमान सिर पर उठा लिया था। प्रतिबंधित होने के बावजूद सिमी भूमिगत होकर देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहा। जांच एजेंसियों का मानना है कि हाल के आतंकी हमलों में जिस इंडियन मुजाहिदीन नामक संगठन का नाम सामने आ रहा है वह सिमी का ही छद्म नाम है। पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण अभी हाल में सिमी को क्लिनचिट मिल गई थी, जिस पर बाद में सर्वाेच्च न्यायालय ने रोक लगा दी। केंद्र सरकार को सिमी के खिलाफ सबूत देना शेष है, किंतु संप्रग सरकार के घटक दल जिस तरह सिमी का बचाव करते रहे हैं उससे लगता नहीं कि सरकार सिमी के खिलाफ कड़े कदम उठा पाएगी। राजद सुप्रीमो लालू यादव तो सिमी पर प्रतिबंध लगाने की दशा में संघ परिवार को भी प्रतिबंधित करने की मांग करते हैं। अपने साथ लादेन का हमशक्ल लेकर चुनाव प्रचार करने वाले रामविलास पासवान सिमी के बड़े पैरोकार हैं। मुलायम सिंह समेत अधिकांश सेकुलरिस्ट भी सिमी के शुभचिंतक हैं। आतंकवाद को अपने कुतर्कों की ढाल देना आसान है। आवश्यकता वोटबैंक की राजनीति से ऊपर उठकर सभ्य समाज की रक्षा के लिए एकजुट होने की है, जहां किसी भी वर्ग, समुदाय या पंथ के प्रति कोई पूर्वाग्रह न हो। कटु सत्य यह है कि सेकुलरवाद इस्लामी कट्टरपंथ के तुष्टिकरण का पर्याय बन कर रह गया है। जम्मू-कश्मीर में जो संघर्ष चल रहा है वह इसी कुत्सित नीति का परिणाम है। घाटी के कट्टरपंथियों ने केवल चार दिन हंगामा खड़ा किया और सरकार ने घुटने टेक दिए। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को दी गई जमीन वापस ले ली गई। अमरनाथ संघर्ष समिति जमीन वापस पाने के लिए दो महीने से आंदोलन कर रही है, किंतु सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है। क्यों? स्वतंत्रता दिवस पर घाटी में काला दिवस मनाया गया, तिरंगा जलाया गया। अलगाववादियों ने पाकिस्तानी झंडा लहराया और 'भारत तेरी मौत आए, मिल्लत आए' का नारा लगाया। मस्जिदों से लाउडस्पीकर्स पर 'हमको चाहिए आजादी' गूंजता रहा। श्रीनगर के लाल चौक पर ध्वजारोहण के बाद तिरंगा उतार लिया गया। सरेआम पाकिस्तानी झंडे लहराए गए और पुलिस मौन बनी रही। इस रीढ़विहीन सरकार में देश की अस्मिता, उसकी संप्रभुता के लिए कोई चिंता नजर नहीं आती। 15 अगस्त को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ''मजहब के नाम पर लोगों को बांटने से समस्या जटिल होगी.इससे भारत की एकता व अखंडता को खतरा पैदा होगा।'' किंतु अमरनाथ मामले में सरकार के घुटने टेकने से उत्साहित जिहादियों द्वारा इस देश की जमीन पर ही पाकिस्तान जिदंाबाद के जो नारे लगाए गए, उससे भारत की संप्रभुता को जो चुनौती मिली है उसका प्रतिकार कैसे संभव है?
जम्मू का आंदोलन जमीन के टुकड़े के लिए नहीं चल रहा। वह भारत की संप्रभुता, बहुलतावादी संस्कृति और सनातनी परंपराओं को बनाए रखने के लिए है। पाकिस्तान की शह पर अलगाववादियों ने घाटी को 'काफिरों' यानी हिंदुओं से मुक्त करा लिया है। घाटी दारुल इस्लाम बन चुकी है। अब उनकी निगाह जम्मू पर है। बोर्ड से जमीन वापस लेने से उन्हें लगता है कि वह शेष भारत में भी अपनी हांकने में सफल होंगे। यदि सेकुलरिस्टों को ऐसा ही रवैया रहा तो निकट भविष्य में यह संभव भी है। जम्मू का जनाक्रोश कश्मीर मसले पर बरती गई भूलों की तार्किक परिणति है। पहली भूल अक्टूबर 1947 में नेहरू ने की, जब पाकिस्तानी कबायलियों को जवाब देने की बजाय वह संयुक्त राष्ट्र चले गए। अनुच्छेद 370 दूसरी बड़ी भूल थी, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से विलग कर दिया गया। यदि सेकुलरिस्टों की प्रतिबद्वता सच्ची पंथनिरपेक्षता के साथ है तो उन्हें जम्मू के राष्ट्रभक्त भारतीयों का साथ देना चाहिए, अन्यथा इस तीसरी भूल की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अहमदाबाद: दो गुटों में झड़प के बाद तनाव
जम्मू में डेढ़ लाख लोगों ने गिरफ्तारी दी
Thursday, August 14, 2008
देशव्यापी चक्काजाम से जनजीवन प्रभावित
नई दिल्ली। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड भूमि मामले पर भाजपा व विहिप द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी चक्काजाम के चलते बुधवार को कई शहरों में सड़क व रेल यातायात का बुरा हाल रहा और लोगों को अपने काम पर पहुंचने के लिए घंटों परेशान होना पड़ा। इस दौरान हरियाणा के अंबाला में चक्का जाम में फंसे एक वृद्ध की समय पर अस्पताल न पहुंचने पर मौत हो गई।
राजधानी दिल्ली में चक्काजाम करीब दो घंटे तक चला जिसके चलते कई महत्वपूर्ण चौराहों और मार्गो पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रुक गई। प्रदर्शन के कारण दिल्ली-जयपुर रेलमार्ग भी कुछ समय के लिए प्रभावित रहा। दैनिक यात्रियों और काम पर जाने वाले लोग जहां जाम में फंसे रहे वहीं राजधानी में आज सुबह से हो रही बारिश ने भी उनकी परेशानियों में इजाफा किया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक विकास मार्ग, आईटीओ, अक्षरधाम रोड, दीपाली चौक, वजीरपुर, आश्रम, मूलचंद, दिल्ली-गाजियाबाद रोड, दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग, दिल्ली-नोएडा एक्सप्रेस हाइवे, दिल्ली छावनी, उत्ताम नगर, धौलाकुआं और घिटोरनी आदि स्थानों पर चक्काजाम के चलते घंटों जाम लगा रहा। भाजपा और विहिप के झंडे थामे प्रदर्शनकारी अपने दो घंटे के चक्काजाम के ऐलान के मुताबिक आज सुबह नौ बजे से ही दिल्ली के प्रमुख चौराहों पर जमा होने लगे। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों में संघ परिवार के अन्य संगठनों की महिला कार्यकर्ता भी शामिल थीं। प्रदर्शनकारियों ने हालांकि स्कूल बसों, चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं तथा एंबुलेंस सेवाओं को चक्काजाम से छूट दे रखी थी। सड़कों पर काफी देर तक वाहनों की काफी लंबी कतारें देखीं गई। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन ने पूर्वी दिल्ली में लक्ष्मीनगर के निकट नोएडा मोड़ पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा विकास मार्ग पर भी भारी जाम लगा रहा।
इधर, गुड़गांव में भी प्रदर्शनकारियों ने हीरोहोंडा चौक और इफको चौक पर जाम लगाया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर भी जलाए। दफ्तर पहुंचने में विलंब होने से परेशान एक कर्मचारी नीलेश कपूर ने कहा कि हरिनगर से कनाटप्लेस तक पहुंचने में उन्हें लगभग तीन घंटे लग गए। वाहनों की आवाजाही बहुत खराब रही। छावनी और धौलाकुआं के बीच बुरी तरह जाम लगा रहा।
फरीदाबाद में प्रदर्शनकारियों ने वाईएमसीए चौक के निकट घंटे भर तक राष्ट्रीय राजमार्ग दो को जाम लगा रखा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। विहिप के महासचिव प्रवीण तोगडि़या ने कहा कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि देने के मुद्दे पर चल रहा उनका प्रदर्शन चलो अयोध्या आंदोलन की तरह राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बन सकता है।
वहीं, आंदोलनकारियों ने हिमाचल प्रदेश में दिल्ली-धर्मशाला मार्ग को जाम कर दिया।
मप्र में व्यापक असर
भोपाल। विहिप द्वारा आज आयोजित दो घंटे के राष्ट्रव्यापी चक्काजाम आंदोलन का मध्यप्रदेश में व्यापक असर देखने को मिला। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश में सुबह नौ बजे से 11 बजे तक दो घंटे का यह चक्काजाम आमतौर पर शांतिपूर्ण रहा। लेकिन इससे दफ्तरों और अन्य कामकाज पर जा रहे लोगों को खासी परेशानी हुई। हालांकि स्कूली बसों एवं आवश्यक सेवाओं को चक्काजाम से छूट दी गई थी, लेकिन उत्साहित विहिप कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर इन्हें भी जाम में फंसाए रखा। ऐसी सूचनाएं भी मिली हैं कि कई स्थानों पर निर्धारित समय बीतने के बावजूद चक्काजाम समाप्त नहीं किया गया। लगभग आधा दर्जन स्थानों पर रेल रोकने का भी प्रयास किया गया। नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस को ललितपुर के निकट कहीं रोका गया जिससे वह काफी विलंब से चल रही है। ग्वालियर में जाम समर्थकों ने एक आटो में आग लगा दी जिस पर समय रहते काबू पा लिया गया। भोपाल में 11, इंदौर में 40, जबलपुर में 30, रीवा में 10 एवं ग्वालियर में 12 से अधिक स्थानों पर चक्काजाम की खबरें हैं। मध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो पर विहिप कार्यकर्ताओं ने चक्काजाम किया, जिससे वहां ट्रकों बसों एवं अन्य वाहनों की लंबी कतारें लग गई।
सूत्रों के अनुसार इंदौर में गड़बड़ी की आशंका के चलते चक्काजाम की खासतौर पर वीडियोग्राफी करायी गई, ताकि जरूरत पड़ने पर हुडदंगियों को आसानी से पहचान कर पकड़ा जा सके। चक्काजाम के दौरान शहर के कुछ इलाकों से हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा काम पर जा रहे लोगों से हुज्जत और हाथापाई की खबरें आई। हालांकि पुलिस के आला अफसरों के मुताबिक इस दौरान किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
गौरतलब है कि तीन जुलाई को विश्व हिंदू परिषद और भाजपा द्वारा इसी मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद के दौरान इंदौर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जबकि तीस से ज्यादा व्यक्ति घायल हो गए थे।
बाघ एक्सप्रेस रोकी
लखनऊ। अमरनाथ भूमि विवाद को लेकर विहिप कार्यकर्ताओं ने उत्तार प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बादशाह नगर रेलवे स्टेशन पर कुछ देर के लिए बाघ एक्सप्रेस ट्रेन को रोका और हुसैनगंज क्षेत्र में कुछ देर चक्काजाम कर विरोध व्यक्त करते हुए नारेबाजी की। पुलिस ने विहिप के लगभग एक दर्जन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है।
पटना में सड़क व रेल यातायात प्रभावित
पटना। पटना में आज सुबह नौ बजे सगुना मोड़ पर केसरिया कपड़े पहने और हाथों में डंडे लिए विहिप, बजरंग दल व भाजपा के कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम कर दिया जिससे मार्ग पर वाहनों का आवागमन प्रभावित हुआ। आंदोलनकारियों ने पटना हवाईअड्डे से कुछ दूरी पर स्थित आशियाना मोड़ पर भी चक्का जाम कर दिया। इससे पटना-दानापुर मुख्य मार्ग पर यातायात बाधित हो गया और वाहनों की लंबी कतार लग गई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक पटना के फुलवारीशरीफ रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों के रेलवे पटरी पर धरना देने से ट्रेनों का करीब 20 मिनट तक परिचालन बाधित रहा। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से स्थिति सामान्य हुई।
मुंबई में यातायात बाधित
मुंबई। अमरनाथ भूमि स्थानांतरण विवाद को लेकर विहिप तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने महानगर मुंबई तथा नवी मुंबई में कुछ स्थानों पर यातायात को बाधित किया। नवी मुंबई में विहिप तथा बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने वाहनों का रास्ता रोकने के लिए सड़कों पर पुराने टायर डाल दिए और उनमें आग लगा दी।
जालंधर में रेल व सड़क यातायात अवरुद्ध
जालंधर। राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग सहित जिले के अनेक स्थानों पर आज सड़क और रेल यातायात दो घंटे तक रुका रहा। प्रदर्शनकारी पीएपी चौक और रामा मंडी चौक में इकट्ठे हुए तथा उन्होंने भारी बारिश में भी यातायात अवरुद्ध किया। इससे आनेजाने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोग अपने वाहनों में दो घंटे तक फंसे रहे। (दैनिक जागरण , 14 August 2008)
Wednesday, August 13, 2008
Appropriation of properties belonging to Hindus in Bangladesh challenged
It is alleged that interest groups of political parties in power and individuals by making use of this Vested Property Act, continue to appropriate property belonging to the Hindu community, and indeed to do so with the complicity of the authorities and the influential people.
The Vested Property Act represents a major source of insecurity and of human rights violation against the Hindu community. It is clear that the Vested Property Act (VPA) is detrimental to minorities and to the religious harmony of Bangladesh.
It may be recalled that VPA derives from the Enemy Property (Custody and Registration) Order II of 1965, promulgated in Pakistan following a brief war between India and Pakistan in September 1965. This order was directed against the Hindu minority (perceived as an enemy), and was used as an instrument for appropriating land belonging to Hindus accused of supporting India.
After Bangladesh won independence from Pakistan, President of Bangladesh in his Order No-29 of 1972 ,changed the nomenclature to Vested Property Act ,without altering the contain of the law.
The Government of Bangladesh has, within the framework of this law, taken possession of property declared to belong to the enemy, by appropriating the property of members of the Hindu minority who had migrated to India, or by appropriating the property of people who were heirs or co –owners.
It is learnt that the bench constituted with Justice Mr. Khademul Islam and Justice Mr Masuk Hossain Ahmed of High Court Division of the Supreme Court of Bangladesh, have received the writ petition for hearing.
Former Deputy Attorney General of the Supreme Court of Bangladesh and a renowned lawyer Barrister Nikhilesh Dutta will move the writ case on behalf of the petitioner.