Wednesday, June 10, 2009

अब सरकार से नतीजे चाहते हैं मुसलमान

दैनिक जागरण, ९ जून २००९, नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मुसलमानों की तालीम और तरक्की, खासकर रोजगार के मौके दिलाने के वादे पर सरकार कितना खरा उतरेगी, यह तो समय बताएगा, लेकिन कांग्रेस और संप्रग के फिर से सत्ता में आने से उनकी आंखों में एक चमक जरूर दिखने लगी है। शायद यही वजह है कि वह अब अपने मसलों को और भी पुरजोर तरीके से उठाने लगे हैं। राज्यसभा में मुस्लिम सांसदों ने लगभग साफ तरीके से कौम की सूरत-ए-हाल बदलने की बात की, चाहे वह आरक्षण से या फिर बिना आरक्षण के हो।

मौका था राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद पर अंतिम दिन वह भी अंतिम दौर में का चर्चा का। शायद इत्तेफाक था कि तीन मुस्लिम सांसदों को सिलसिलेवार ढंग से एक के बाद एक बोलने का मौका मिला। अभिभाषण के विभिन्न मसलों पर तो उन्होंने अपनी बात तो रखी ही, लेकिन कौम की दिक्कतों और भविष्य की जरूरतों पर उन्होंने खासतौर से सरकार का ध्यान खींचा।

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य मो. अदीब ने अपने तजुर्बे और मांगों का इजहार कुछ यूं किया। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद गिरने के बाद मुसलमानों ने कांग्रेस को छोड़ा तो छोटी पार्टियों ने उन्हें कंधा दिया। जाति-पाति की राजनीति की। भाजपा का डर दिखाया और वोट लिया, लेकिन उनकी तरक्की की कोई ठोस योजना नहीं बनाई। पिछले लोकसभा चुनाव में लगभग 20-25 साल बाद मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन भाजपा के जीतने के डर से नहीं, बल्कि काम की वजह से। लिहाजा अब अल्पसंख्यकों को विश्वास में लिया जाना चाहिए और उनकी तरक्की की व्यापक योजनाएं बननी चाहिए।

मो.अदीब के बाद पश्चिम बंगाल से निर्दलीय सदस्य अहमद सईद मलिहाबादी ने कहा कि मुसलमान इस देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुसंख्यक है। पिछली सरकार में सच्चर की रिपोर्ट पर कार्यक्रम बनाने में ही समय बीत गया। इसलिए अब मौका आया है तो मुसलमानों को खैरात नहीं, बल्कि उनका हक मिलना ही चाहिए और जब तक आरक्षण नहीं देंगे, लोग उसे उन्हें उनका हक देने नहीं देंगे।

रालोद के महमूद मदनी ने भी इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि 60 साल से मुसलमानों को नजरअंदाज किया गया। मुल्क को बदअमनी से बचाना है, तो जो भी यहां रहते हैं, उन्हें एक साथ आना होगा। सभी को समान अवसर दिए मुल्क एक नहीं बन सकता। संविधान यदि मजहब के नाम पर आरक्षण की इजाजत नहीं देता तो मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दीजिए। उन्होंने सवाल उठाया कि समान अवसर आयोग की सिफारिश करने वाली रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट आखिर संसद में क्यों नहीं पेश की गई।

आठ कुंतल गोमांस बरामद, तीन पकड़े

दैनिक जागरण, १० जून २००९, कैराना (मुजफ्फरनगर)। पुलिस ने खुरगान बाईपास तिराहे पर छापा मारकर दो कारों से करीब आठ कुंतल गोमांस बरामद किया तथा मुठभेड़ के बाद तीन लोगों को धर दबोचा।

प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी के नेतृत्व में एसएसआई योगेन्द्र पाल ने पुलिस टीम के साथ मुखबिर की सूचना पर बाईपास खुरगान तिराहे से दो मारुति कारों को रोका तो उसमें लगभग आठ कुंतल गोमांस भरा हुआ था। इस दौरान कार रुकने के बाद उसमें बैठे हुए लोग पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागने लगे, लेकिन प्रभारी निरीक्षक व एसएसआई ने उक्त लोगों को पकड़ लिया। पकड़े गये लोगों में सलीम पुत्र शरीफ निवासी गढ़ीपुख्ता, जाहिद पुत्र मुंशी निवासी बोढ़पुर थाना गंगोह तथा वासिद पुत्र जबरदीन निवासी खुरगान थाना कैराना को एक तमंचा व छूरी के साथ बंदी बना लिया, जबकि दो लोग भागने में सफल हो गए। प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि इस मामले में और कई नाम सामने आए हैं, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस के मुताबिक गोमांस हरियाणा से लाया जा रहा था।

Saturday, June 6, 2009

सिख युवती के निकाह पर बवाल

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, सहारनपुर। घर से भागकर और फिर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह रचाने वाली सिख युवती के परिजनों ने कुछ वकीलों और हिंदूवादी संगठनों के साथ मिलकर सिविल कोर्ट में जबरदस्त बवाल किया। पुलिस और अफसरों की मौजूदगी में जमकर तोड़-फोड़ हुई। परिजन लड़की को जबरन उठाकर ले जाने पर आमादा थे, पुलिस ने बमुश्किल लड़की को सुरक्षित निकालकर अन्यत्र भेजा। बाद में कोर्ट ने सिविल कोर्ट में उपद्रव का कारण बनी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को कड़ी सुरक्षा में वहीं वापस भेजने के निर्देश दिये, जहां से वह आयी थी।

घटनाक्रम के मुताबिक देवबंद के मोहल्ला किला निवासी विजय कुमार जौली की पुत्री दीपिका जौली 25 मार्च को पड़ोस के युवक जिया उल्ला खां के साथ घर से भाग गयी थी। इस मामले में 27 मार्च को विजय ने दीपिका को बहला-फुसला कर भगाने की रिपोर्ट जिया के खिलाफ दर्ज करायी। इस दौरान दीपिका ने धर्म परिवर्तन कर जिया से निकाह कर लिया और हाईकोर्ट के निर्देश पर शुक्रवार को यहां सीजेएम कोर्ट में बयान दर्ज कराने के वास्ते आयी थी। इसी दौरान उसके परिजनों को जानकारी हुई तो उन्होंने दोपहर 12 बजे सिविल कोर्ट में कुछ अधिवक्ताओं तथा हिंदूवादी नेताओं के साथ मिलकर वह अधिवक्ता जांनिसार के चैंबर पर बैठी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को घसीटना चाहा। इसी दौरान वहां पुलिस फोर्स पहुंच चुकी थी। दीपिका ने खुद को चैंबर में बंद कर लिया तो परिजनों ने फोर्स की मौजूदगी में वकील का चैंबर तोड़ डाला।

बवाल बढ़ता देखकर पुलिस अफसरों ने सुरक्षा घेरे में लड़की को पिछले दरवाजे से बाहर निकाला तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया। यहां पुलिस अफसरों और सिपाहियों से हाथापाई हुई। वकीलों ने पुलिस वाहन को तोड़ने का भी प्रयास किया। बहरहाल पुलिस दीपिका लेकर निकल गयी तो वकीलों और हिंदूवादी संगठनों ने सिविल कोर्ट तिराहे पर जाम लगा दिया।

बाद में कोर्ट ने कोर्ट ने सिविल कोर्ट में उपद्रव का कारण बनी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को कड़ी सुरक्षा में वहीं वापस भेजने के निर्देश दिये, जहां से वह आयी थी। कोर्ट ने पुलिस की वह अर्जी भी ठुकरा दी जिसमें शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए दीपिका को नारी निकेतन भेजने की मांग की गयी थी।

गोकशी में आधा दर्जन के विरुद्ध मामला दर्ज

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, गंगोह (सहारनपुर)। कोतवाली पुलिस ने सार्वजनिक स्थल पर ही गोकशी कर रहे लोगों को पकड़ने के लिए छापा मारा, लेकिन वे पुलिस को देख भाग खड़े हुए। आधा दर्जन लोगों के विरुद्ध गोवध अधिनियम में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मौके से पकड़े गोमांस को गड्ढे में दबवा दिया।

गोकशी करने वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब सार्वजनिक स्थल पर ही गोकशी होने लगी है।

पुलिस को शुक्रवार तड़के लगभग 2 बजे दूधला रोड पर सार्वजनिक स्थान पर गोवंश की हत्या किए जाने की सूचना मिली। पुलिस ने दल-बल के साथ जाकर मौके पर छापा मारा। पुलिस को आता देख वहां मौजूद आधा दर्जन लोग भाग खड़े हुए। पुलिस को मौके से चार बैल व दो गाय काटी जाती मिलीं। पुलिस ने पशु चिकित्सक को रात में ही बुलवाकर मांस का सैंपल भरवा जांच को भिजवाया। पुलिस ने तड़के ही जेसीबी मंगवा कर मांस आदि अवशेषों को वहां दफन करवा दिया। पुलिस ने गोहत्यारों की पहचान कर आधा दर्जन लोगों को नामजद करते हुए गोवध अधिनियम में मामला दर्ज कर लिया है।

एक अन्य मामले में पुलिस ने बाढ़ीमाजरा मार्ग से 2 बैल पकड़े हैं। बैलों को ले जा रहे झबीरन निवासी सोमवीर पुत्र ब्रह्मापाल तथा मैनपुरा निवासी रज्जाक पुत्र शफीक को भी पकड़कर हवालात भिजवा दिया गया।

गोवध करते चार दबोचे, हंगामा

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, जलालाबाद (मुजफ्फरनगर)। गांव हसनपुर लुहारी में दो दर्जन से अधिक गाय व बैलों को काटने वाले चार आरोपियों को ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पकड़ लिया, जबकि अन्य आठ भाग गये। ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। मौके से डीसीएम, चार बाइक व मारुति बरामद कर 12 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है।

गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे गांव हसनपुर लुहारी में अवैध कमेले के पास विधवा पिंकी के खेत में बड़े पैमाने पर गाय, बैल, बछड़े काटे जा रहे थे। सूचना पर ग्राम प्रधान पुत्र संजय सैनी के नेतृत्व में लोग मौके पर पहुंचे, तो दर्जनों लोग गोवंश काट रहे थे। इनकी सूचना पर थानाभवन एसओ मुनेन्द्र पाल सिंह दल-बल के साथ पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से गोवंश काट रहे लोगों को घेर लिया। पर मात्र चार आरोपी डीसीएम चालक रामपुर मनिहारन निवासी आफताब, हसनपुर लुहारी निवासी अकरम, असलम व सगीर ही पकड़ में आये और बाकी भाग गये।

पुलिस ने गोमांस ले जाने के लिए लाया गया डीसीएम, चार बाइक व एक मारुति बरामद की है। गोमांस को गड्ढे में दबाने के प्रयास का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया तो कई थानों की पुलिस बुला ली गयी।

शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे भाजपा नेता ठाकुर सुरेश राणा की अध्यक्षता में हुई पंचायत की मांग पर आरोपियों पर गैंगस्टर व रासुका लगाने आदि पर एसपी देहात व एसडीएम शामली ने सहमति जतायी और इसके बाद पुलिस ने गोमांस को मिट्टी में दबा दिया। इस मामले में पकड़े गए चार आरोपियों समेत 12 के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है। एसएसपी विजय प्रकाश ने बताया कि गोकसी के सभी आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर व रासुका की कार्रवाई की जाएगी।

Friday, June 5, 2009

गाय काटते हुए पांच बंदी, तीन फरार

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, रायबरेली। दिनदहाड़े गाय का वध करने के दौरान पांच लोगों को पुलिस ने बंदी बना लिया। उनके तीन सहयोगी मौके से भागने में सफल रहे। घटना शहर कोतवाली क्षेत्र के खतराना मोहल्ले की है।
प्रभारी कोतवाल सुर्खाब खां ने बताया कि गुरुवार को प्रात: मुखबिर से सूचना मिली कि खतराना मोहल्ले में पुराने स्लाटर हाउस के पीछे साड़ियों में कुछ लोग एक गाय का वध कर रहे हैं। सूचना पर तुरंत दबिश दी गयी तो वहां आठ लोग गाय काटते मिले। लेकिन पकड़ में पांच ही लोग आ सके। तीन अन्य भागने में सफल हो गये। मौके से काटी गयी गाय का मांस, औजार तथा तराजू-बांट बरामद हुआ। पकड़े गये लोगों में खतराना मोहल्ले के शहजादे उसका भाई राशिद व रफीक, नदीतीर मोहल्ला निवासी मोनू उर्फ कौआ तथा अमरनगर निवासी रामूपाल शामिल हैं। सभी को गोवध निवारण अधिनियम में बंदी बनाकर जेल भेज दिया गया। पुलिस अधीक्षक डीसी मिश्र ने पुलिस दल को ढाई हजार रूपये का नगद पुरस्कार दिये जाने की घोषणा कर दी है। उधर गाय काटे जाने की सूचना से शहर में आक्रोश फैल गया है। विश्व हिंदु परिषद के जिलाध्यक्ष हरिशचंद्र शर्मा के नेतृत्व में लोग एकत्र होकर तुरंत कोतवाली की ओर चल पड़े। जनाक्रोश को देखते हुए भदोखर व मिलएरिया थानों का फोर्स भी बुला लिया गया। पुलिस उपाधीक्षक रविशंकर निम ने लोगों को आश्वस्त किया कि गोहंताओं को गैंगस्टर एक्ट में निरूद्ध करने के साथ ही उन पर रासुका भी तामील की जायेगी। इस पर लोगों का गुस्सा शांत हो गया।

मामूली कहासुनी पर दो समुदायों के लोग आमने सामने

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, गुलावठी (बुलंदशहर)। मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में मामूली कहासुनी को लेकर दो समुदायों के लोगों में तनाव फैल गया। मौके पर पहुंचे सीओ सिकंदराबाद और तीन थानों की पुलिस ने स्थिति को बेकाबू होने से बचाया और क्षेत्र के सम्मानित बुजुर्गो की मार्फत दोनों पक्षों के बीच समझौता कराकर क्षेत्र में शांति कायम कराई।

मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में बुधवार रात को ईदगाह मस्जिद के इमाम इश्तयाक अहमद की बाइक की टक्कर से मोहल्ले के ही जाटव परिवार का एक बच्चा चोटिल हो गया। इसे लेकर जाटव और दूसरे समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। मामले को क्षेत्र के ही लोगों ने शांत करा दिया था। गुरुवार को उस समय फिर विवाद खड़ा हो गया जब एक राजनैतिक पार्टी से जुड़े दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने जाटव परिवार के लोगों से बुधवार की घटना को लेकर मारपीट कर दी। इससे दोनों पक्षों में तनाव बन गया और जाटव परिवार के दर्जनों लोगों ने थाने में पहुंचकर करीब नौ लोगों के खिलाफ मारपीट करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। दूसरे पक्ष के लोग भी थाने पहुंच गए और पुलिस के सामने ही दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए।

दो समुदायों के बीच तनाव की सूचना पाकर सीओ सिकंदराबाद डीके गौतम गुलावठी थाने आ पहुंचे और उन्होंने थाना बीबीनगर, अगौता, सिकंदराबाद कोतवाली पुलिस को बुलाकर रामनगर क्षेत्र में तैनात कर दिया। जानकारी जिला प्रशासन को भी दे दी गई। इसी बीच दोनों समुदाय के अमनपसंद लोग विवाद को समाप्त कराने के लिए फैसला कराने मे जुट गए। पुलिस ने दोनों समुदायों के सभ्रांत लोगों की मदद से लिखित फैसला कराकर मामला निपटाया।

दरगाह मेले की पाकीजगी हुई तार-तार

दैनिक जागरण, बहराइच, 4 जून 2009 : गुरुवार की सुबह दरगाह शरीफ के मेले के इतिहास में बदनुमा दाग बनकर रह गयी। मेले की पाकीजगी तो तार-तार हुई ही दरगाह शरीफ प्रबंधतंत्र के दामन पर जो दाग लगा उसने यहां की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप बेहद संगीन है।

रात के सर्कस की थकान उतारकर यहां के कर्मचारी पूरी तरह जग भी नहीं पाए थे कि यह धमाका हो गया। दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि कई दिनों से सर्कस के मालिक रजा खां एवं गोली लगने से घायल हुए बसंत अग्निहोत्री से दरगाह प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सर्कस की लड़कियों को मांग करते थे, मगर सर्कस के मालिक इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद प्रबंध समिति के पदाधिकारी द्वारा सर्कस के पास अधिक संख्या में मांग की गयी और सर्कस के लिए जमीन अधिक घेर लेने का आरोप लगाकर उन्हें परेशान कर रहे थे।

इसी बात को लेकर आज सुबह आठ बजे लगभग दस लोगों ने सर्कस परिसर में उस पर गोली चला दी और लूटपाट भी की। आरोप तो यह भी है कि संबंधित पदाधिकारी द्वारा दो लाख रुपए की मांग की गयी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। थानाध्यक्ष दरगाह अजीत कुमार सिंह लूटपाट की घटना को सिरे से खारिज कर रहे हैं वे गोली चलने की घटना को भी संदिग्ध मान रहे हैं।

अब सिखों को घाटी से निकालने की साजिश!

५ जून २००९, श्रीनगर, जागरण ब्यूरो : अल्पसंख्यकों के प्रति सौहार्द की कश्मीर के कट्टरपंथियों के दावों की पोल बुधवार रात खुल गई। आजादी और निजाम-ए -मुस्तफा के नारे लगाती भीड़ ने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र रंगरेथ में सिख समुदाय के मकानों पर हमला कर उनकी संपत्ति को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचाया। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उन्हें घाटी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।

सड़क के किनारे स्थित सिख समुदाय का कोई भी मकान ऐसा नहीं था, जिसमें तोड़फोड़ न हुई हो। रसोई घरों में बिखरा सामान, टूटे दरवाजे व खिड़कियां और क्षतिग्रस्त वाहन हमले की कहानी बयां कर रहे हैं। हमले का कारण सूमो टैक्सी स्टैड विवाद बताया जा रहा है। हमले में बाल-बाल बचे भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सूमो टैक्सी स्टैड के दस्तावेज उनके संगठन के नाम पर है। इसलिए वह बाहर के किसी चालक को यहां से सवारियां नहीं उठाने देते। दूसरे स्टैड पर उन्हें भी सवारियां नहीं भरने दी जाती हैं। इस स्टैड को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कई बार ऐतराज जताया और इस पर कब्जे का प्रयास किया। जब कुछ नहीं बन पाया तो फिर यह हरकत कर डाली। उन्होंने बताया कि उन्हें यहां से भागने के लिए भी कहा गया।

दूसरी ओर, जमायत-ए-अहल-ए-हदीस के प्रमुख मौलाना शौकत व जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के उपाध्यक्ष बशीर भट्ट ने रंगरेथ जाकर पीड़ित सिख समुदाय से मुलाकात की। उन्होंने दोनों समुदाय की एक साझी समिति भी बनवाई। बाद में दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर शांतिमार्च निकाला। शांति मार्च में डीसी बड़गाम, एसएसपी अफादुल मुजतबा भी शामिल हुए। रंगरेथ के पुलिस थाना प्रभारी फिरोज अहमद के मुताबिक, दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

कौन लगाएगा जख्मों पर मरहम

श्रीनगर : वादी में सुख-दुख के हर मौके पर स्थानीय लोगों के साथ रहने वाले सिख रंगरेथ में हुए घटनाक्रम के बाद बेहद आहत महसूस कर रहे हैं। खौफ से आहत हरजीत सिंह ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि उन्होंने हमला क्यों किया। हम सभी ने खुद को एक कमरे में बंद करके अपनी जान बचाई है। पुलिस को फोन किया, लेकिन वह एक घंटे के बाद पहुंची। सरदार सेवा सिंह ने कहा कि उन्होंने सुना था कि दिन में कहीं क्रिकेट खेलते हुए लड़कों की आपस में बंद को लेकर बहस हुई थी। उस समय उनमें मारपीट भी हुई थी, लेकिन मामला सुलझा लिया गया था। रात होते ही मुस्लिम समुदाय के लोगों का सैलाब नारेबाजी करते हुए यहां आ गया। हुकुम सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह को भागने का मौका नहीं मिला और वह दंगा कर रहे लोगों के हत्थे चढ़ गया। इस समय वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।

वहीं, सड़क किनारे अपने नीड़ के तिनके बुन रही जसबीर कौर ने गुस्से में अपने घर के सामने स्थित दुकान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह रोज हमारे यहां पानी लेने आता था, लेकिन कल जब हमला हुआ तो वह भी उनके साथ था। उसके पास ही खडे़ 22 वर्षीय तेजपाल सिंह ने कहा कि ऐसे हालात में कौन यहां रहेगा। कल रात जो हुआ, उसके बाद नहीं लगता कि हमें यहां रहना चाहिए। इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आज यहां एमएलए, डीसी और एसएसपी सभी आए है। हमें मुआवजे का यकीन दिला रहे है, लेकिन जो जख्म लगा है उस पर मरहम कौन लगाएगा।

Thursday, June 4, 2009

Jazia

Daily news analysis, June 4, 2009, Islamabad: In May, dozens of Sikhs living in the Orakzai agency were forced to move out after the Taliban demanded Rs50 million as jazia, or security tax, from them। Locals said the families were impoverished and left the area to avoid any Taliban action.