Friday, August 10, 2012

त्रासदी पर विचित्र खामोशी

इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रीय खबरों के क्रम में पूर्वोत्तर भारत को सबसे निचला दर्जा हासिल है। जबानी जमाखर्च में तो खूब जोर दिया जाता है कि भारत के इस उपेक्षित भाग को मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए, किंतु क्षेत्र की विलक्षण जटिलता और पहुंच में अपेक्षाकृत कठिनाई से यह सुनिश्चित हो जाता है कि यह तीसरी दुनिया में चौथी दुनिया है। पिछले दिनों असम के कोकराझाड़ और धुबड़ी जिलों में हुई हिंसा में पचास से अधिक लोग मारे गए तथा चार लाख से अधिक घर-द्वार छोड़ने को विवश हुए हैं। इस मुद्दे पर मीडिया का गढ़ा हुआ नया जुमला-मानवता पर संकट टीवी पर चर्चाओं में छा जाना चाहिए था और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों में एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ मच जानी चाहिए थी। ओडिशा के कंधमाल जिले में 2009 का संकट इससे हल्का होते हुए भी कहीं अधिक ध्यान खींच ले गया था। 2002 के गुजरात दंगों के बारे में तो कुछ कहना ही बेकार है, जो अब तक मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ है। दुर्भाग्य से ब्रंापुत्र नदी के उत्तरी किनारे के हालात इतने जटिल हैं कि यहां अच्छे और बुरे के बीच भेद करना मुश्किल है। क्या यह हिंदू बोडो और मुस्लिम घुसपैठियों के बीच टकराव है, जो बांग्लादेश से आकर यहां बस गए हैं? या फिर यह मूल निवासी बोडो और बंगाली भाषी अप्रवासियों के बीच संघर्ष है? अहम बात यह है कि सांप्रदायिक दंगे अस्वीकार्य हैं और जातीय संघर्ष इतनी भ?र्त्सना के काबिल नहीं है। धीरे-धीरे टीवी चैनलों पर कुछ सवाल उभरने शुरू हुए। क्या दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई में असम सरकार ने देरी की? छह जुलाई को कोकराझाड़ में दो मुसलमानों की हत्या और 20 जुलाई को बदले की कार्रवाई में चार बोडो कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद तरुण गोगोई सरकार ने हालात को काबू करने के त्वरित उपाय क्यों नहीं किए? क्या तरुण गोगोई के इस बयान में सच्चाई है कि सेना ने रक्षामंत्री एके एंटनी की अनुमति मिलने से पहले कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया था और इस कारण कार्रवाई में दो दिन की देरी हुई? क्या बोडो ट्राइबल काउंसिल के प्रमुख के इस कथन का कोई आधार है कि अंतरराष्ट्रीय सीमापार से आकर हथियारबंद बांग्लादेशियों ने हिंसा को भड़काया? इनमें से अधिकांश सवाल आधिकारिक जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी अनुत्तरित रह जाएंगे। हालांकि यह स्पष्ट है कि इस पूर्वनियोजित हिंसा पर प्रशासन की दोषसिद्धि पर मीडिया और राजनीतिक तबका लीपापोती पर उतर आया है। कोकराझाड़ और धुबड़ी में हुई जातीय-सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ा एक असहज पहलू यह है कि निर्णायक शक्तियां इस त्रासदी पर कुछ नहीं करेंगी, उनके पास पेशकश के लिए कुछ है ही नहीं। असम में हिंसा की जड़ पिछले सौ वर्षो से निरंतर जारी जनसांख्यिकीय बदलाव में निहित है। बांग्लादेश से अप्रवासियों के रेले यहां बसते रहे और 1901 में 32.9 लाख की आबादी वाले असम की जनसंख्या 1971 में 1.46 करोड़ हो गई। इस कालखंड में असम की जनसंख्या 343.7 फीसदी बढ़ गई, जबकि इस दौरान भारत में जनसंख्या वृद्धि मात्र 150 फीसदी हुई। इसमें भी मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार स्थानीय मूल निवासियों की वृद्धि दर से कहीं अधिक रही। पिछले सप्ताह चुनाव आयुक्त एमएस ब्रंा ने कहा कि 2011 की जनगणना से पता चल सकता है कि असम के 27 जिलों में से 11 जिले मुस्लिम बाहुल्य वाले हो गए हैं। बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ ब्रंापुत्र घाटी के असमभाषी हिंदुओं में चर्चा का विषय बन गई है, जबकि अविभाजित गोलपाड़ा जिले के बोडो भाषी अल्पसंख्यकों के लिए तो यह मुद्दा जीवन-मरण का सवाल बन गया है। बोडो भाषी अल्पसंख्यकों की आबादी असम की कुल आबादी का महज पांच प्रतिशत है। उन्हें असमभाषी बहुसंख्यक आबादी से सांस्कृतिक चुनौती मिल रही है, जबकि बांग्लादेशी मुसलमानों से उन्हें अपने अस्तित्व पर संकट नजर आ रहा है। नब्बे के दशक में हिंसक बोडो आंदोलन इस दोहरी चुनौती से निपटने का प्रयास था। इस आंदोलन के कारण ही 1993 में बोडो टेरिटोरियल काउंसिल की अ?र्द्ध स्वायत्ताता स्थापित हुई। हालांकि इस हिंसक आंदोलन से हासिल अधिकांश लाभ मुस्लिम समुदाय के फैलाव से अब हाथ से फिसल गए हैं। मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में अखिल भारतीय संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा आल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन और असमिया परिषद के उदय के कारण बोडो-मुस्लिम टकराव शुरू हो गया। एआइयूडीएफ की इस मांग से तनाव और बढ़ गया कि बोडो टेरिटोरियल काउंसिल द्वारा शासित अधिकांश भागों में अब बोडो का बहुमत नहीं रह जाने के कारण इसे भंग कर दिया जाना चाहिए। पिछले सप्ताह तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि अब असम में विभिन्न समुदायों के लोग रह रहे हैं। इन सबको शांति के साथ रहना सीखना होगा। उन्होंने सीमा पर बाड़ लगाने अथवा अवैध घुसपैठ के खिलाफ बनाए गए लचर कानून में संशोधन पर एक शब्द नहीं बोला। दिसपुर में बोडो समर्थन और पूरे देश में मुस्लिम समर्थन को लेकर दुविधाग्रस्त कांग्रेस के पास बोडो गुत्थी सुलझाने के लिए अधिक उपाय नहीं हैं। अतीत में भारत के उदारवादी बुद्धिजीवी तथाकथित सांप्रदायिक सवाल पर बहुत मुखर थे, खासतौर पर अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना पर। असम में हिंसक घटनाओं पर इस तबके ने आश्चर्यचकित करने वाली चुप्पी ओढ़ रखी है। इसके कारण स्पष्ट हैं। बहुसंख्यकों की कथित बर्बरता तथा अल्पसंख्यकों की कमजोरी का चिरपरिचित फार्मूला धुबड़ी और कोकराझाड़ में फिट नहीं बैठता। असम में बोडो जाति चारो तरफ से घिर गई है। यहां बोडो एक अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की सांप्रदायिकता का शिकार है, जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूती का लाभ क्षेत्रीय स्तर पर उठा रहा है। 2004 में, जब 2001 की जनगणना में असम में जनसांख्यिकीय बदलाव दृष्टिगोचर हुए तो खुफिया विभाग ने अपना सिर रेत में धंसा लिया और सुनिश्चित किया कि इस मुद्दे पर कोई सार्थक चर्चा न हो। एक बार फिर असम में यही प्रक्रिया दोहराई जा रही है। 1947 में मुस्लिम डरा-सहमा समुदाय था। 2012 में भारतीय पंथनिरपेक्षता ने अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं और उसने पंथिक अल्पसंख्यकों की गरिमा व राजनीतिक सशक्तीकरण सुनिश्चित किया है। हालांकि इससे एक समस्या उठती नजर आ रही है कि अल्पसंख्यकों का सशक्तीकरण कहीं अन्य लोगों के लिए अन्यायपूर्ण न हो जाए। असम के बोडो अल्पसंख्यकों के लिए पंथनिरपेक्ष राजनीति में उनकी पहचान और अस्तित्व का संकट निहित है। [लेखक स्वप्न दासगुप्ता, वरिष्ठ स्तंभकार हैं]
http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-opinion1-9542584.html

4 comments:

  1. यहां यह भी खास बात है कि हजारों वर्षो से साथ साथ रह रहे गारो राभा जनजातियों द्वारा बनायी शान्ति समिति के अध्यक्ष श्री सिकराम संगमा और महासचिव श्री जितेन्द्र राभा ने भी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को 22 जनवरी 2011 को दिये ज्ञापन में गारो और राभा जनजातियों के बीच हजारों वर्षो से चले आ रहे रोटी-बेटी के सम्बन्धों का हवाला देते हुए राभा हिन्दुओं और गारो ईसाईयों के बीच हुए इस दंगे और राभा हिन्दुओं के घरों को जलाने के लिये चर्च और उसके ईसाई आतंकवादी गिरोहो गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को जिम्मेदार बताया था। और राष्ट्रीय इन्वेस्टिगेशन एजेंसी से इसकी जांच की मांग की थी।
    जिस ईसाई पी.ए.संगमा को भाजपा ने राष्ट्रपति पद का अपना उम्मीद्वार बनाया था,मेघालय के राभा जनजाति के हिन्दुओं ने उसे और उसके गारों ईसाई आतंकवादी संगठनों को लूटपाट और आगजनी के लिये जिम्मेदार ठहराया था।आक्रोशित लुटे पिटे हिन्दुओं ने पी ए संगमा उसकी बेटी अगाथा संगमा और दो विधायक बेटों कोणार्ड और जेम्स को जिन्दा जलाकर हिन्दू विधि से दाह संस्कार करने का भी पूरा भरकस प्रयास किया था। जो मौके पर तत्काल पहुंची पुलिस ने गोली बारी चला कर विफल कर दिया। श्री मुकेश जैन ने राभा हिन्दुओं के गुस्से को गुस्सा नही गुस्से का सैलाब बताया।राभा हिन्दू देख रहे थे कि किस तरह ईसाई पी. ए. संगमा और उसका ईसाई परिवार गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह, गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स, और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल, के ईसाई आतंकवाद के खिलाफ एक भी शब्द नही बोलकर इन ईसाइ आतंकवादी गिरोहो को फल फूलने दे रहे हैं? कैसे पी.ए. संगमा का नागालैन्ड के खूंखार ईसाइ आतंकवादी गिरोहो से याराना है? कैसे नागालैन्ड के खूंखार ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को पी. ए. संगमा के संसदीय इलाके में खुलेआम हथियार और गोला बारूद की सप्लाई कर रहे हैं कैसे गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह राज्य में राभा हिन्दुओं और सरकारी कर्मचारियों तक से जबरदस्ती बंदूक की नोंक पर उगाही कर रहे हैं,
    श्री जैन ने कहा कि अपने आपको हिन्दुत्व का झण्डा थामें बताने वाले इन बड़े हिन्दू नेताओं की चर्च के ईसाई आतंकवाद को छुपाने की गैर जिम्मेदारिनी हरकत के कारण पूर्वोत्तर आज दक्षिण सूडान और पूर्वी तिमोर की तरह एक अलग ईसाई देश बनने के कगार पर खड़ा है।श्री जैन ने आरोप लगाया कि अमेरीकी सरकार द्वारा दिये पैसे पर पल रहे ये बडे़ हिन्दू संगठन चर्च के ईसाई आतंकवाद से जानबूझकर इस लिये आखे बन्द किये हुए हैं क्यों कि इन्हे डर है कि कही अमेरिका इनके अमेरकिी दान पर रोक न लगा दे।
    दारा सेना ने सरकार से मांग की कि पूर्वोत्तर से सभी विदेशी मिश्निरियों को वहां से निकाल बाहर करे और विदेशों से सेवा के नाम पर आ रहे और हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट करनें के गैरकानूनी काम और चर्च की ईसाई आतंकवादी फौज को बनाने में खर्च हो रहे विदेशी धन पर तुरन्त रोक लगायी जाये।
    दारा सेना ने पूर्वोत्तर के निवासियों की सलामती के लिये मांग की कि वहां के निवासियों से की जा रही अवैध उगाही 10 प्रतिषत ईसाई जजिया टैक्स वसूलने वाले अंग्रेजी चर्च के नागा,मिजो,बोड़ो,गारों,त्रिपुरा वाइलेन्टर फोर्स आदि ईसाई आतंकवादियो को नेस्तनाबूत किया जाये। और हथियारों के बल पर मुसलमानों के घरों में आग लगवाने वाले बोड़ो लिब्रेषन टाइगर फोर्स के आंका आतंकवादी अंग्रेज पादरियों को मौत की सजा दिलवाई जाये। दारा सेना ने बैपटिस्ट चर्च में उसके ईसाई आतंकवादियों के लिये छिपाकर रखे गये गोला बारूद की बरामदगी की भी सरकार से मांग की।

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  2. श्री जैन ने कहा कि पूर्वोत्तर के एक- एक इलाके जबरदस्ती बंदूक की नोक पर ईसाई बनाये जा रहे हैं यह एक खतरनाक और देश की अखण्डता के लिये एक बहुत बड़ा खतरा है। कोकराझार मे मुसलमानों के घरों के जलाने और उन्हें वहां से भगाने के पीछे बोडो इलाके को पृथक ईसाई राज्य बोडो़ लैण्ड बनाने की आतंकवादी चर्च की साजिश बताया।श्री जैन ने बताया कि कोकराझार के इलाके में ईसाई की लिखित और अनलिखित आबादी अनुमानतः 22 प्रतिशत है।और यहां मुस्लिम आवादी 33 प्रतिशत है। इन मुस्लिमों ने आतंकवादी अंग्रेज मिश्निरियों की लाख कौशिशों के बाद भी ईसाई बनना ठीक उसी प्रकार से स्वीकार नही किया जैसे मेधालय के राभा हिन्दुओं ने अपना धर्म नही छोड़ा।आतंकवादी चर्च ने अपने बोड़ो ईसाई आतंकवादी गिरोहों द्वारा इनको ठिकाने लगाने का फैसला किया।श्री जैन ने स्पष्ट किया कि कोकराझार में मुस्लिमों के घरों में आग लगाने वाले चर्च के बोड़ो ईसाई आतंकवादी ही है,ताकि कोकराझार से मुस्लिमों को भगाकर वहां की ईसाई आबादी आनन - फानन में 22प्रतिशत से 35 प्रतिशत की जा सके।
    श्री जैन ने कुछ हिन्दू नेताओं द्वारा इस मामलें में बंगला देशी मुसलमानों की अवैध घुसपेठ को जिम्मेदार बताना इन हिन्दू नेताओं द्वारा चर्च की आतंकवादी गतिविधियों से जानबूझ कर आखें बन्द करना बताया।इन हिन्दू संगठनों नें पिछलें साल राभा हिन्दुओं के जनसंहार और उनके घरों में चर्च के ईसाई आतंकवादियों द्वारा आग लगाये जाने पर भी भयंकर चुप्पी साधी थी।मेघालय में चर्च के ईसाई आतंकवादियों ने सबसे पहले 35 साल पहले नेपालियों के घरों में आग लगाकर उन्हे वहां से भगाया। उसके बाद खासी लड़की से छेड़छाड़ का बहाना बताकर बंगालियों को जान से मारा गया और उनके घरों में आग लगायी गयी। उसके बाद मारवाडि़यों पर भयंकर 30 प्रतिशत ईसाई जजिया टैक्स लगाया गया तो मारवाडी भी मेघालय से भाग गये। ऐसे मेघालय की आबादी हो गयी 67 प्रतिशत ईसाई।इसमें बाधा बने ईसाईयत के अधर्म को किसी भी कीमत पर न अपनाने वाले मेघालय के मूलनिवासी राभा जन जाति के हिन्दू तो पिछले साल चर्च की ईसाई आतंकवादी गारो फौज ने इनके भी घरों में आग लगा दी, ताकि मेघालय को भी मिजोरम की तरह 100 प्रतिशत ईसाई आबादी का राज्य बनाया जा सके ।
    श्री मुकेश जैन ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए बताया कि गत वर्ष जनवरी 2011 में मेघालय में हिन्दू विरोधी दंगों में 30 से अधिक राभा जनजाति के हिन्दुओं का कत्लेआम, दर्जन भर हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के साथ-साथ 40 हजार से अधिक हिन्दुओं के घरों में आग लगाई गई थी। उल्लेखनीय है कि मिजोरम को वहां के हिन्दू रियांग मूल निवासियों को मार भगा कर ही 100 प्रतिशत ईसाई आबादी का राज्य बनाया गया था।

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  3. धर्मरक्षक श्री दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने सालों से पूर्वोत्तर मसलों पर भयानक चुप्पी साधे बैठे भाजपा नेताओ की अचानक कोकराझार मसले पर आंख खुलने पर आष्चर्य व्यक्त किया। भाजपा नेत्री और प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को आड़े हाथों लेते हुए श्री मुकेश जैन ने कहा कि जब पिछले साल मेघालय में राभा हिन्दुओं को मारा जा रहा था,और उनके मन्दिरों में चर्च के गारो ईसाई आतंकवादी आग लगा रहे थे,तब वो कहां सो रही थी? जब 3-3 महीने तक नागालैण्ड के चर्च के ईसाई आतंकवादी मणिपुर की नाकाबन्दी करते है तो तब आड़वानी जी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी क्यों मारे होते हैं?पूर्वोत्तर की एक ईसाई लड़की से दिल्ली में बलात्कार के मसले पर पिछले साल दो-दो प्रदर्षन करने वाली सुषमा स्वराज की जबान को पूर्वोत्तर के ईसाई आतंकवादीं गिरोह उल्फा द्वारा बिहारी हिन्दुओ को मारे जाने पर लकवा क्यों मार जाता है? आतंकवादी बैपटिस्ट चर्च द्वारा पूर्वोत्तर के हिन्दुओं पर लगाये गये 10 प्रतिशत चर्च के ईसाई जजिया टैक्स पर सुषमा स्वराज और आड़वानी जी खामोष क्यों हैं? जिसे वहां के सरकारी कर्मचारी तक दे रहे हैं और जिसे बुराड़ी में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी ने भी स्वीकार किया है।
    धर्म रक्षक श्री दारा सेना ने असम के कोकराझार में चर्च के बोड़ो ईसाई आतंकवादी गिरोहों द्वारा मुसलमानो को मार मार के भगाने और लाखों मुस्लिमों के घरों में आग लगाने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की।और इसे पूर्वोत्तर से हिन्दुओं और मुसलमानों को मार भगाकर एक अलग ईसाई देश बनाने की आतंकवादी अंग्रेज मिश्निरियों की भयानक साजिश बताया। श्री जैन ने पूवो्र्रत्तर के 3 राज्यों नागालैण्ड, मिजोरम और मेघालय से आजादी के बाद हिन्दुओं का पूर्ण सफाया करके ईसाई बहुल बनाने की आतंकवादी अंग्रेज मिष्निरियों की सफल साजिष के विरूद्ध भाजपा नेताओं की भयानक चुप्पी पर आष्चर्य व्यक्त किया।
    दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कोकराझार के मुस्लिमों की इस बात के लिये दाद दी कि उन्होनें आतंकवादी बैप्टिस्ट चर्च द्वारा वहां के हिन्दुओं और मुसलमानों पर लगाये गये 10 प्रतिशत ईसाई टैक्स की अवैध उगाही देने से इन्कार किया।और चर्च का ईसाई जजिया टैक्स लेने आये अंग्रेजी चर्च द्वारा बनायी बोड़ो आतंकवादी फौज के गोला बारूद से लैस 4 बोड़ो ईसाई आतंकियों को पीट- पीट कर मार डाला। श्री जैन ने कहा कि यह वह बहादुरी है जो पूर्वोत्तर के ईसाई इलाकों में आज तक कोई नही दिखा सका। उल्लेखनीय है कि बुराड़ी में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी ने भी पूर्वोत्तर के नागालैन्ड मिजोरम-मेघालय-त्रिपुरा आदि राज्यों में हो रही ईसाई आतंकवादियों द्वारा अवैध उगाही को स्वीकार किया था। और यह भी किसी से छुपा नही है कि आज पूर्वोत्तर में सरकारी कर्मचारी तक अंग्रेजी चर्च के गुलाम बन कर 10 प्रतिशत ईसाई टैक्स देने के लिये बाध्य है। पिछले दिनो अरूणाचल के छात्र संगठनों ने भी श्री चिदम्बरम के अरूणाचल दोरे के दौरान इसाई आतंकवादी गिरोह एन एस सी एन के आतंकवादियों द्वारा की जा रही इस अवैध उगाही ।10 प्रतिशत ईसाई टैक्स। की शिकायत करते हुए इससे निजात दिलाने की प्रार्थना की थी ।

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  4. यहां यह भी खास बात है कि हजारों वर्षो से साथ साथ रह रहे गारो राभा जनजातियों द्वारा बनायी शान्ति समिति के अध्यक्ष श्री सिकराम संगमा और महासचिव श्री जितेन्द्र राभा ने भी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को 22 जनवरी 2011 को दिये ज्ञापन में गारो और राभा जनजातियों के बीच हजारों वर्षो से चले आ रहे रोटी-बेटी के सम्बन्धों का हवाला देते हुए राभा हिन्दुओं और गारो ईसाईयों के बीच हुए इस दंगे और राभा हिन्दुओं के घरों को जलाने के लिये चर्च और उसके ईसाई आतंकवादी गिरोहो गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को जिम्मेदार बताया था। और राष्ट्रीय इन्वेस्टिगेशन एजेंसी से इसकी जांच की मांग की थी।
    जिस ईसाई पी.ए.संगमा को भाजपा ने राष्ट्रपति पद का अपना उम्मीद्वार बनाया था,मेघालय के राभा जनजाति के हिन्दुओं ने उसे और उसके गारों ईसाई आतंकवादी संगठनों को लूटपाट और आगजनी के लिये जिम्मेदार ठहराया था।आक्रोशित लुटे पिटे हिन्दुओं ने पी ए संगमा उसकी बेटी अगाथा संगमा और दो विधायक बेटों कोणार्ड और जेम्स को जिन्दा जलाकर हिन्दू विधि से दाह संस्कार करने का भी पूरा भरकस प्रयास किया था। जो मौके पर तत्काल पहुंची पुलिस ने गोली बारी चला कर विफल कर दिया। श्री मुकेश जैन ने राभा हिन्दुओं के गुस्से को गुस्सा नही गुस्से का सैलाब बताया।राभा हिन्दू देख रहे थे कि किस तरह ईसाई पी. ए. संगमा और उसका ईसाई परिवार गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह, गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स, और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल, के ईसाई आतंकवाद के खिलाफ एक भी शब्द नही बोलकर इन ईसाइ आतंकवादी गिरोहो को फल फूलने दे रहे हैं? कैसे पी.ए. संगमा का नागालैन्ड के खूंखार ईसाइ आतंकवादी गिरोहो से याराना है? कैसे नागालैन्ड के खूंखार ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह गारो नैशनल लिब्रेशन फोर्स और आचिक नैशनल वाइलेन्टर कौन्सिल को पी. ए. संगमा के संसदीय इलाके में खुलेआम हथियार और गोला बारूद की सप्लाई कर रहे हैं कैसे गारो ईसाई आतंकवादी गिरोह राज्य में राभा हिन्दुओं और सरकारी कर्मचारियों तक से जबरदस्ती बंदूक की नोंक पर उगाही कर रहे हैं,
    श्री जैन ने कहा कि अपने आपको हिन्दुत्व का झण्डा थामें बताने वाले इन बड़े हिन्दू नेताओं की चर्च के ईसाई आतंकवाद को छुपाने की गैर जिम्मेदारिनी हरकत के कारण पूर्वोत्तर आज दक्षिण सूडान और पूर्वी तिमोर की तरह एक अलग ईसाई देश बनने के कगार पर खड़ा है।श्री जैन ने आरोप लगाया कि अमेरीकी सरकार द्वारा दिये पैसे पर पल रहे ये बडे़ हिन्दू संगठन चर्च के ईसाई आतंकवाद से जानबूझकर इस लिये आखे बन्द किये हुए हैं क्यों कि इन्हे डर है कि कही अमेरिका इनके अमेरकिी दान पर रोक न लगा दे।
    दारा सेना ने सरकार से मांग की कि पूर्वोत्तर से सभी विदेशी मिश्निरियों को वहां से निकाल बाहर करे और विदेशों से सेवा के नाम पर आ रहे और हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट करनें के गैरकानूनी काम और चर्च की ईसाई आतंकवादी फौज को बनाने में खर्च हो रहे विदेशी धन पर तुरन्त रोक लगायी जाये।
    दारा सेना ने पूर्वोत्तर के निवासियों की सलामती के लिये मांग की कि वहां के निवासियों से की जा रही अवैध उगाही 10 प्रतिषत ईसाई जजिया टैक्स वसूलने वाले अंग्रेजी चर्च के नागा,मिजो,बोड़ो,गारों,त्रिपुरा वाइलेन्टर फोर्स आदि ईसाई आतंकवादियो को नेस्तनाबूत किया जाये। और हथियारों के बल पर मुसलमानों के घरों में आग लगवाने वाले बोड़ो लिब्रेषन टाइगर फोर्स के आंका आतंकवादी अंग्रेज पादरियों को मौत की सजा दिलवाई जाये। दारा सेना ने बैपटिस्ट चर्च में उसके ईसाई आतंकवादियों के लिये छिपाकर रखे गये गोला बारूद की बरामदगी की भी सरकार से मांग की।

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