बीबीसी न्यूज़, 06 अक्तूबर, २००८. असम के बोडो आदिवासियों और बांग्लादेशी मुसलमानों के बीच शुक्रवार से भड़की हिंसा अब पाँच ज़िलों में फैल गई है. अबतक 35 लोग मारे जा चुके हैं.
सोमवार को स्थिति और गंभीर होती नज़र आ रही है क्योंकि बोडो आदिवासियों और मुसलमानों के बीच जारी संघर्ष में अब राभा आदिवासी भी शामिल हो गए हैं.
दो दिनों से जारी इस संघर्ष का दायरा बढ़ता जा रहा है. पश्चिमी असम इसमें शामिल हो गया है जहाँ राभा आदिवासियों के साथ संघर्ष में 10 लोग घायल हो गए हैं.
अभी तक कि हिंसा में 100 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए हैं. इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
ताज़ा हिंसा की इन घटनाओं और व्याप्त तनाव को देखते हुए प्रभावित इलाकों में सेना तैनात कर दी गई है.
इस संघर्ष में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है असम का उदालगुड़ी ज़िला जहाँ 24 लोग मारे गए हैं. इसके अलावा दरांग में नौ लोगों के मारे जाने की और बक्सा में एक व्यक्ति के मारे जाने की ख़बर है.
हालांकि सोनितपुर ज़िले से किसी के मारे जाने की अभी तक ख़बर नहीं मिली है पर वहाँ हिंसक झड़पों के बाद तनाव व्याप्त है.
चिंताजनक स्थिति
सोमवार को असम के पश्चिमी ज़िले गोलपारा में मुस्लिम और राभा आदिवासियों के बीच संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं.
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक इस संघर्ष में क़रीब 10 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है.
राज्य पुलिस ने दंगे की स्थिति से निपटने के लिए कड़ा रुख़ भी अपनाया है. इसके बावजूद राज्य में संघर्ष का दायरा बढ़ता जा रहा है.
पुलिस ने शनिवार और रविवार को हिंसक घटनाओं को रोकने और नियंत्रित करने के लिए 12 जगहों पर गोलियाँ भी चलाईं जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई.
पुलिस का कहना है कि ये लोग आगजनी और लूटपाट कर रहे थे.
क्यों भड़की हिंसा..?
दरअसल, तनाव की स्थिति तब पैदा हुई जब बोडो आदिवासियों ने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने उनके मवेशी चुराए हैं. इसके बाद मुसलमानों के कुछ गाँवों पर हमला हुआ और कई घरों को आग लगा दी गई.
इसके बाद अगले दिन यानी शनिवार की सुबह एक मुसलमान व्यक्ति का शव उदालगुड़ी में कलेक्टर कार्यालय के सामने मिला. शव मिलने के बाद मुसलमानों में असंतोष व्याप्त हो गया और हिंसा फैल गई। घटना से नाराज़ मुसलमानों ने बोडो आदिवासियों के कई गाँवों पर हमला कर दिया.
पुलिस को रौता पुलिस थाने में दो जगहों और डेरागाँव पुलिस थाने में एक जगह गोलियाँ चलानी पड़ीं. इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई. रात तक रौता और सिमालगुड़ी गाँव से आठ और शव बरामद हुए.
इसके बाद दरांग ज़िले में हिंसा फैल गई, जहाँ बेसिमारी और बालाबाड़ी गाँवों में 30 घरों को आग लगा दी गई. सोनितपुर ज़िला भी हिंसा प्रभावित है. सोमवार तक बक्सा और गोलपुरा ज़िले भी इस हिंसा की चपेट में आ गए.
स्थिति तनावपूर्ण
दो दिनों की हिंसा को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं पर हिंसा प्रभावित इलाकों की स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.
प्रभावित इलाकों में प्रशासन की ओर से स्थानीय स्कूलों में राहत शिविर भी लगाए गए हैं. सरकारी हवाले से बताया गया है कि इन शिविरों में 80 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों ने शरण ले रखी है.
राज्य के मुख्यमंत्री ने सभी समुदायों से अपील की है कि वे शांति और अमन की स्थिति बहाल करने में अपनी मदद दें.
वहीं तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित न कर पाने की वजह से उदालगुड़ी के जिलाधिकारी का तबादला भी कर दिया गया है.
हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करके लौटे पत्रकारों के मुताबिक अभी भी स्थिति चिंताजनक है और पुलिस की तैनाती कम होने की वजह से हिंसक घटनाएं पूरी तरह से रोकी नहीं जा सकी हैं.