हिंदू हितों (सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक) को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली घटनाओं से सम्बंधित प्रमाणिक सोत्रों ( राष्ट्रिय समाचार पत्र, पत्रिका) में प्रकाशित संवादों का संकलन।
Monday, August 4, 2008
बहराइच में बवाल के बाद विधायक गिरफ्तार
Saturday, August 2, 2008
अमरनाथ विवाद: जम्मू में सेना तैनात
जमीन की जंग में दो और कुर्बान
सांबा में प्रदर्शनकारियों पर हुई फायरिंग से भड़ककर लोगों ने तहसील मुख्यालय को जला दिया। रात को प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाई गई आग में पहले दरवाजे जले और फिर आग मुख्यालय के भीतर रखे रिकार्ड तक पहुंच गई जिससे काफी रिकार्ड राख हो गया। इसके बाद डीसी ने कर्फ्यू लगा दिया। इसके बावजूद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी रात को सड़कों पर उतर आए। राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित मेन चौक पर उन्होंने टायर जलाकर प्रदर्शन किए और बम-बम भोले के जयकारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने डीसी के खिलाफ नारेबाजी भी की।
आईजी जम्मू के राजेंद्रा ने इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस का हाथ होने से इंकार करते हुए कहा कि जिस समय यह घटना घटी पुलिस उस समय मौके पर मौजूद नहीं थी। गोलीबारी सांबा में शुक्रवार शाम उस समय हुई जब प्रशासन ने क्षेत्र में कर्फ्यू लगाए जाने की घोषणा की। कर्फ्यू की सूचना मिलते ही सांबा के मेन चौक पर धरने पर बैठे लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और वहां पुलिस व रैपिड एक्शन फोर्स के जवान भी पहुंच गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया। पुलिस ने भी पहले हवा में गोलियां चलाई और बाद में उनपर आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस पर भी जब वे पीछे हटने को तैयार न हुए तो पुलिस ने उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं जिसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 35 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में घायलों को सांबा के जिला अस्पताल ले जाया गया जहां गंभीर रूप से घायल छह लोगों को जीएमसी अस्पताल रेफर कर दिया गया। इनमें दो लोगों को जीएमसी में मृत लाया घोषित कर दिया गया जबकि बाकी चार लोगों का उपचार जीएमसी में चल रहा है। तनाव को देखते हुए जीएमसी में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
इस बीच प्रदर्शनकारियों ने डीसी सांबा सौरभ भगत के आवास का घेराव किया। उन्होंने पहले गेट पर लगी नेमप्लेट तोड़ दी और फिर गेट पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी डीसी के घर में घुसने का प्रयास कर रहे थे कि इतने में ही वहां सेना के जवान आ गए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रोका। प्रदर्शनकारियों ने डीसी आवास के बगल में स्थित रेस्ट हाउस का सामान सड़क पर फेंककर उसे आग लगा दिया। इस झड़प के दौरान प्रदर्शनकारियों के हत्थे चढ़े पुलिसकर्मियों पीटा गया। एक सीआरपीएफ का जवान भी प्रदर्शनकारियों के हत्थे चढ़ गया जिसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया कि फिर कभी सांबा के शूरवीरों पर हाथ न उठाना। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों ने सांबा पुलिस स्टेशन को भी जलाने का प्रयास किया। वहां भी कुछ गोलियां हवा में चलाई गई जिसके बाद प्रदर्शनकारी पीछे हट गए। इस घटना के बाद सांबा के मुख्य चौक पर एकत्र होकर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाना शुरू कर दिए। डीसी सांबा को सेना ने सुरक्षित वहां से निकाल लिया।(दैनिक जागरण , २ अगस्त २००८ )
Friday, August 1, 2008
बम रखने में स्थानीय लोग शामिल
सूरत। दो दिन में एक के बाद एक 23 बम मिलने की जांच में जुटी पुलिस ने दावा किया है इस साजिश में काफी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हैं। कुछ सुराग मिलने की भी बात कही जा रही है जिसका अभी खुलासा नहीं किया गया है। पुलिस का यह भी मानना है कि अहमदाबाद और सूरत दोनों जगह की साजिश का मास्टर माइंड एक ही व्यक्ति हो सकता है।
पुलिस ने बृहस्पतिवार को दोनों मामलों में कई लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की। उधर, अहमदाबाद में घायल 12 वर्षीय बच्चे रोहन व्यास की गुरुवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। विस्फोट में उसके पिता की मौत हो गई थी जबकि उसका भाई अभी भी अस्पताल में भर्ती है।
मुंबई में पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि चुंगी [टोल टैक्स] नाका पर स्थापित क्लोज टीवी सर्किट कैमरे से प्राप्त वीडियो फुटेज से नवी मुंबई से कार चोरी कर अहमदाबाद के श्रृंखलाबद्ध विस्फोट में इस्तेमाल करने वाले लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी गैस सिलेंडर में विस्फोटकों को बांधकर नए तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सूरत के पुलिस आयुक्त आरएमएस बरार ने कहा कि स्थानीय मदद के बिना इस कदर व्यापक पैमाने पर आतंकी कार्रवाई को अंजाम दे पाना संभव नहीं है। बमों को रखना, जगहों का चुनाव और विस्फोटकों को एक से दूसरी जगह तक ले जाना स्थानीय लोगों की मदद के बिना संभव नहीं है।
पुलिस को यह भी पता चला है कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में विस्फोट के लिए इस्तेमाल की गई कार से पिछले महीने अहमदाबाद और वडोदरा के अनेक चक्कर काटे गए थे। दोनों शहरों के बीच टोल बूथों के रिकार्ड से यह जानकारी मिली है। इस कार को नवी मुंबई से चुराया गया था जिस पर जाली नंबर प्लेट थी। यह कार पिछले महीने दोनों शहरों के बीच करीब पांच बार आई-गई।
दिल्ली में एनएसजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छर्रे, पेचों, बाल बियरिंग और थैलों का इस्तेमाल तो पहले भी होता रहा है लेकिन बमों के साथ गैस सिलेंडर लगाना नया तरीका है। 27 जुलाई को सूरत में विस्फोटकों और गैस सिलेंडर से भरी दो वैगनआर कारें बरामद की गईं थीं। हालांकि बमों को निष्क्रिय कर दिया गया था। विस्फोटों के मामले में जांच कर रहे स्थानीय अधिकारियों की मदद के लिए एनएसजी के विशेषज्ञों को कर्नाटक ओर गुजरात भेजा गया।
इस बीच चेन्नई में पुलिस ने कहा कि तमिलनाडु में बम लगाने की हाल ही में बेपरदा की गई साजिश में प्रतिबंधित संगठनों स्टूडेट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया [सिमी] और लश्कर-ए-तैयबा का सीधा संबंध नहीं है। (दैनिक जागरण, १ अगस्त २००८ )
Wednesday, July 30, 2008
मौलाना से दूसरे चरण की पूछताछ शुरू
वाराणसी। यातायात पुलिस लाइन स्थित संगोष्ठी कक्ष में मंगलवार को अपराह्न साढ़े तीन बजे जामिया सल्फिया के शिक्षक मौलाना अब्दुल मतीन से संयुक्त पूछताछ शुरू हुई। इस दौरान दो दिन पहले की तरह मौलाना के शुभेच्छुओं की संख्या नदारद रही।
सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा पूछे गए सवालों के संबंध में मौलाना के जवाबों से पुलिस अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। इसके चलते उनसे देर शाम तक पूछताछ होती रही। बताते हैं कि जो सवाल जयपुर पुलिस ने रविवार की शाम किए थे उसे उसने पुन: दोहराया गया। इस बार जयपुर पुलिस ने कुछ तैयारी भी कर रखी है। उसके रहस्यों की गुत्थी अभी नहीं सुलझी है इसलिए कयास लगाया गया कि भविष्य में पुन: मौलाना से पूछताछ होगी। इसके लिए जयपुर पुलिस ने नगर में कुछ दिनों तक रहने का मन बना लिया है। वहीं दूसरी ओर शासन के निर्देश पर प्रदेश पुलिस समेत आईबी भी इस प्रकरण में सक्रिय हो गई है। 'ज्वाइंट इंट्रोगेशन' में आईबी, एटीएस, एलआईयू, स्थानीय पुलिस के अलावा जयपुर पुलिस का दो सदस्यीय विशेष दल भी शामिल है।(दैनिक जागरण, ३० जुलाई २००८)
Tuesday, July 29, 2008
मौलाना को क्लीनचिट नहीं, इंट्रोगेशन फिर
साड़ी में मेरी, पगड़ी में जोसेफ
Monday, July 28, 2008
विदेशी दिमाग, देशी मोहरे और देशी बारूद
क्या हुआ, अगर धमाके आरडीएक्स जितने शक्तिशाली नहीं हैं। क्या हुआ कि एक धमाके से उतनी जानें नहीं गई! धमाकों की संख्या बढ़ाकर आतंक और मौत का मकसद आसानी हासिल किया जा सकता है। सिलसिलेवार धमाकों की संख्या एक दो से बढ़कर अब दर्जनों में जा पहुंची है। एक साथ दर्जनों धमाके कुछ देर के लिए पूरे सुरक्षा तंत्र को सुन्न कर देते हैं और इस दौरान गुनाहगारों के लिए भागने व पनाह का इंतजाम हो जाता है।
खुफिया तंत्र और गृह मंत्रालय दोनों ही आतंक के इस नए रूप को देखकर जितने परेशान हैं उससे ज्यादा भौचक्के। रविवार को बुलाई गई गृह मंत्रालय की आपात बैठक में भी अधिकारियों ने माना कि आतंकी जड़े गहरी होती जा रही हैं और आतंक फैलाने वाले बेखौफ। आतंकी गतिविधियों के संचालन में उनकी दक्षता, सहजता और सटीकता लगातार बढ़ रही व खुफिया एजेंसियां किसी अदना से प्यादे को पकड़ने के आगे नहीं जा पातीं।
जयपुर विस्फोट के बाद सुने गए आतंकी संगठन अलगुरु हिंदी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठन दरअसल सिमी के प्रभाव वाले इलाकों में बेधड़क गतिविधियां संचालित करते हैं। गृह मंत्रालय यह भी मान रहा है कि नाम भले ही बदल लिए हों, लेकिन फिलहाल सारे आतंकी संगठन चाहे हुजी हो या फिर इंडियन मुजाहिदीन सभी का संबंध लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद व अलकायदा से ही है।
खुफिया तंत्र यह बात पहले ही जान चुका था कि अब आतंकी संगठन कई स्तरों पर गतिविधियां संचालित करते हैं। अंजाम देने वाले लोग पूरी तरह स्थानीय होते हैं जिन्हें ऊपर के तंत्र का कोई पता नहीं होता। लेकिन बेंगलूर और अहमदाबाद के धमाकों के बाद इसमें जो एक नया पहलू जुड़ा है वह है देशी विस्फोटकों का इस्तेमाल।
इस नई रणनीति ने जांच एजेंसियों को और मुश्किल में डाल दिया है। आरडीएक्स को बाहर से लाने में जोखिम को देखते हुए आतंकियों ने देशी विस्फोटकों से बड़े धमाके करने में महारथ हासिल कर ली है। इन विस्फोटकों का कच्चा माल बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इनके इस्तेमाल में पकड़े जाने का जोखिम बेहद कम है। यानी अब आतंकियों ने देशी लोगों के हाथ में देशी विस्फोटक भी पकड़ा दिए हैं जिन्हें वे अपने ही लोगों पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
अपनी कार्रवाइयों में आतंकियों की दक्षता और सहजता भी बढ़ रही है। कारों और बाइकों की पहचान के खतरे व सुराग की संभावनाओं को खत्म करने के लिए आतंकी साइकिल जैसे आसान कैरियर पर लौट आए हैं। साइकिल की पहचान और उससे कोई सूत्र निकालना असंभव है। अहमदाबाद, बंगलूर और इससे पहले उत्तर प्रदेश के कुछ विस्फोटों में गरीबों की इस सवारी का जमकर इस्तेमाल हुआ है।
आतंकियों की इस बढ़ती दक्षता के बीच खुफिया नाकामी उन्हें निडर बना रही है। खुफिया एजेंसियों के सूत्र यह मानते हैं पहले विस्फोटों का निशाना बन चुके शहरों में दोबारा विस्फोट होना यह साबित करता है कि स्थानीय सतर्कता तंत्र ने कोई सबक नहीं सीखा है। कुछ वक्त बीत जाने के बाद आतंकी पुन: अपने काम में जुट जाते हैं और दहशत व तबाही के बाद खुफिया तंत्र उसी तरह लकीर पीटता नजर आता है, जैसा कि अहमदाबाद और बेंगलूर में नजर आ रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)
आतंक का नया नाम इंडियन मुजाहिदीन
इनका मानना है कि जिस बेखौफ ढंग से सीरियल धमाके किए गए वह स्थानीय युवकों और उनके सुरक्षित ठिकानों के संभव ही नहीं है। आतंक को 'इंडियन' नाम देने वाले इस आतंकी संगठन की योजना भले पाकिस्तान में तैयार हुई है और लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद ने इसे प्रशिक्षण दिया है। लेकिन हुजी व सिमी के मिलन से जन्मे इस संगठन से एक बात साफ हो चुकी है कि इनमें बड़े पैमाने पर भारत के ही गुमराह मुस्लिम युवकों का हाथ है। आतंकी संगठन पूरे देश में अपने 'स्लीपर सेल' बना चुका हैं जिसे कभी भी एक इशारे भर से सक्रिय कर दिया जाता है।
आतंकवाद मामलों के जानकार बी रमन के मुताबिक बेंगलूर व अहमदाबाद बम धमाकों के पहले इंडियन मुजाहिदीन के नाम से आए ई-मेल में इन घटनाओं का जो कारण बताया है वह 'ठोस इंडियन' है। इसमें अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को गिराया जाना, मुंबई दंगों में मुस्लिम अभियुक्तों को कठोर सजाएं पर दंगाइयों के खिलाफ श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालना व गुजरात दंगों का हवाला दिया गया है। यही वह कारण है जिनके आधार पर भारतीय मुस्लिम युवकों का गुमराह किया जा रहा है। भाजपा शासित प्रदेशों को ही निशाना बनाया जाना खालिस इंडियन कारण माना जा रहा है।
खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त निदेशक एमके धर ने अपनी पुस्तक खुले रहस्यों में लिखा है कि विवादास्पद ढांचा विध्वंस के बाद 1992-93 से ही इस्लामीकरण की प्रक्रिया भारत के हृदय प्रदेश में सशस्त्र माड्यूल स्थापित करने का काम शुरू हो गया था। गुजरात दंगों के बाद आतंकी संगठनों के लिए मुस्लिमों युवकों को बहकाना और आसान हुआ है।
आतंकवाद से खुद लहुलूहान होने के बावजूद आईएसआई ने भारत पर अपना फोकस नहीं छोड़ा है। लेकिन आतंकियों की फौज भारतीय मुस्लिमों से ही खड़ी की जा रही है। आतंकी संगठन के नाम में अंग्रेजी के 'इंडियन' लफ्ज इस्तेमाल करने का उद्देश्य यही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश जाए कि यह कोई भारतीय आतंकी संगठन है।
खुफिया विभाग के मुताबिक कर्नाटक में पकड़े गए सिमी के सात कार्यकर्ताओं ने खुलासा किया था कि जब हुजी ने सिमी को आतंकी वारदातों के लिए साजो-सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया तो दो फर्जी आतंकी संगठन भी खड़े किए गए। एक था 'इंडियन मुजाहिदीन' और दूसरा 'गुरु अल हिंदी'। यही वजह है कि हैदराबाद, अजमेर, वाराणसी बम धमाकों में हुजी का नाम आने के बाद अब आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने लेनी शुरू कर दी है। सिमी के उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में व्यापक आधार का इस्तेमाल कर स्थानीय गुमराह युवकों को इसके साथ जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि आतंकियों का अगला निशाना मध्य प्रदेश बताया जा रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)
धमाकों से दहला अहमदाबाद, 45 मरे
हाल के दिनों में आतंकियों ने उन्हीं राज्यों के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया है जहां भाजपा की सरकार है। इससे पहले 13 मई को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 65 लोग मारे गए थे।
अहमदाबाद में पहला धमाका शाम 6.41 पर हुआ। इसके बाद 90 मिनट के भीतर एक के बाद एक 13 स्थानों पर धमाके हुए। विस्फोट के बाद अहमदाबाद रेलवे स्टेशन सील कर दिया गया। गुजरात के पड़ोसी राज्यों समेत पूरे देश में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। दिल्ली में हाई अलर्ट के साथ-साथ सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
जिन स्थानों पर धमाके हुए उनमें मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र मणिनगर भी शामिल है। मणिनगर और सरखेज में दो धमाके हुए। सरखेज में राज्य परिवहन निगम की सीएनजी बस और संगम थिएटर को निशाना बनाया गया। एक धमाका मणिनगर के सिविल अस्पताल के ट्रामा वार्ड में हुआ। यहां हुए विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। पहले धमाके के करीब 40 मिनट के बाद अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में विस्फोट से आतंकियों की यह मंशा साफ है कि उनकी यह कार्रवाई सुनियोजित तौर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को हताहत करने की थी। जाहिर है कि घायलों को अस्पताल लाए जाने के क्रम में बचावकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों की भारी भीड़ वहां जुट गई थी।
पुलिस के मुताबिक कई बम साइकिलों पर टिफिन में रखे गए थे। जयपुर में भी आतंकियों ने धमाकों के लिए साइकिल का इस्तेमाल किया था। टिफिन बाक्स का इस्तेमाल पिछले साल लखनऊ में कोर्ट के बाहर हुए विस्फोट में किया गया था। धमाकों के बाद अहमदाबाद में हर कहीं अफरातफरी का माहौल था। विस्फोटस्थलों पर बस, साइकिलों, मोटरसाइकिलों और आटोरिक्शा के उड़े हुए परखच्चे दिख रहे थे। चारों तरफ खून बिखरा पड़ा था। लोग बदहवास भाग रहे थे।
विस्फोट की खबर फैलते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। एक धमाका राज्य सरकार की सीएनजी बस में भी हुआ। धमाका इतना शक्तिशाली था कि बस बीच से फट गया और इसके भीतर खून ही खून फैला था।
सभी धमाके भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए, जिससे इलाकों में दहशत और अफरातफरी का माहौल है। शहर के नौ थाना इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने शहर में सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती भी कर दी गई है। उधर, देर रात गुजरात की राजधानी गांधीनगर के कलोल इलाके में एक टाइम बम मिला जिसे निष्क्रिय कर दिया गया। बम को रात बारह बजे फटना था।
पुलिस ने बताया कि घायलों को सिविल अस्पताल, एलजी अस्पताल तथा शहर के कुछ अन्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इनमें से कुछ घायलों की हालत अत्यंत नाजुक है।
जांच एजेंसी आईबी के सूत्रों के मुताबिक उनके हाथ शनिवार को भेजा गया इंडियन मुजाहिदीन का एक ईमेल लगा है, जिसमें यह धमकी दी गई है कि कुछ शहरों में जल्द ही विस्फोट को अंजाम दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को एक लाख और हर घायल को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। वहीं मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये दिए जाएंगे और घायलों का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
उधर, गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह ने । प्राथमिक जानकारी के अनुसार तीन धमाकों की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया है। अहमदाबाद से बाहर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बम विस्फोटों की निंदा करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने देश में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा के लिए रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने बताया कि एनएसजी और बम विशेषज्ञों का एक दल अहमदाबाद पहुंच चुका है। दूसरा दल रविवार को रवाना होगा। (दैनिक जागरण , २७ जुलाई २००८)