Tuesday, July 29, 2008

मौलाना को क्लीनचिट नहीं, इंट्रोगेशन फिर

दो दिनों तक जयपुर पुलिस की हिरासत में रहने के बाद रविवार की रात रिहा हुए जामिया सल्फिया विश्वविद्यालय के शिक्षक मौलाना अब्दुल मतीन को अभी क्लीनचिट नहीं दी गई है। उन्हें कई सवालों के जवाब के लिए मंगलवार को पुलिस ने फिर तलब किया है। मौलाना को सवाल लिखित दिए गए हैं। आईबी, एलआईयू, एटीएस, स्थानीय पुलिस के साथ जयपुर पुलिस पुन: उनसे ज्वाइंट इंट्रोगेशन कर सकती है। यह जानकारी एसएसपी विजय प्रकाश ने दी। जयपुर पुलिस अब भी शहर में मौजूद हंै। वहीं मौलाना के हिरासत में लिए जाने के बाद मदनपुरा, रेवड़ीतालाब आदि क्षेत्रों में प्रदर्शन तथा चक्का जाम करने वालों के खिलाफ पुलिस ने कड़ाई से निबटने का मन बना लिया है। इसी क्रम में भेलूपुर में 20 नामजद समेत 150 अज्ञात तथा दशाश्वमेध थाने में 10 नामजद समेत 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149 समेत 7 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दूसरी ओर मौलाना अब्दुल मतीन को राजस्थान पुलिस क्यों ले गई थी? ज्वाइंट इंट्रोगेशन में आखिर क्या पूछताछ हुई? उन पर क्या आरोप हैं? ऐसे सवाल लोगों के जेहन में कौंधते रहे। इसे लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा में मशगूल थे। सूत्रों के अनुसार रविवार को हुए ज्वाइंट इंट्रोगेशन में जयपुर पुलिस मौलाना से जानना चाह रही थी कि पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले में आईएसआई द्वारा संचालित कैंप में अपने किन साथियों के साथ उन्होंने छह माह तक प्रशिक्षण लिया था? वह कई बार पाकिस्तान व बांग्लादेश क्यों गए? अब तक वे कितनी बार विदेश यात्रा कर चुके हैं? उन्हें जारी तीन पासपोर्ट कहां है? उनके पास असलहा लाइसेंस है कि नहीं? वह कौन-कौन से असलहा चला सकते हैं? सन् 97 से 2000 के बीच कहां थे? बताते हैं कि मौलाना ने किसी भी कैंप में ट्रेनिंग लिये जाने समेत पाकिस्तान व बांग्लादेश जाने की बात सख्ती से खारिज कर दिया। साथ ही असलहों के जानने व चलाने के बारे में भी अनभिज्ञता प्रकट की। पासपोर्ट के बाबत मौलाना का जवाब रहा कि दूसरा पासपोर्ट उनका खो चुका है। इसके चलते उन्होंने तीसरा पासपोर्ट बनवाया था। तीनों पासपोर्ट अलग-अलग नाम से लिये जाने के बाबत भी सवाल दागे गए थे। सूत्रों के अनुसार जन दबाव तथा जयपुर पुलिस के पास ठोस साक्ष्य न होने की स्थिति में अंतत: मौलाना को कुछ शर्तो पर रिहा किया गया। बताते चलें कि शनिवार को दिन में राजस्थान पुलिस मौलाना को अपने साथ ले गई थी। जानकारी पाकर लोगों ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया था। दबाव पर वाराणसी पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो मौलाना को रविवार की सुबह वापस लाया गया। शाम को जयपुर पुलिस का दो सदस्यीय दल भी पहुंचा। स्थानीय पुलिस के साथ उसने तीन चक्रों में इंट्रोगेशन किया। बाद में रात लगभग दो बजे मौलाना को चार लोगों की सिपुर्दगी में कुछ शर्तो पर रिहा कर दिया गया। उन शर्तो में एक शर्त यह भी है कि भविष्य में पूछताछ के दौरान मौलाना को पुलिस की मदद करनी होगी।(दैनिक जागरण, २९ जुलाई २००८)

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