अब हर आतंकी घटना के बाद आंखें बंद करके पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम लेने से काम नहीं चलेगा। उत्तर प्रदेश की अदालतों में बम धमाके हों, जयपुर का बम कांड या फिर अब अहमदाबाद में सीरियल धमाके आतंकी संगठन 'इंडियन मुजाहिदीन' ने जिस ढंग से इन्हें अंजाम दिया है उससे भारतीय खुफिया एजेंसियों के होश फाख्ता हैं।
इनका मानना है कि जिस बेखौफ ढंग से सीरियल धमाके किए गए वह स्थानीय युवकों और उनके सुरक्षित ठिकानों के संभव ही नहीं है। आतंक को 'इंडियन' नाम देने वाले इस आतंकी संगठन की योजना भले पाकिस्तान में तैयार हुई है और लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद ने इसे प्रशिक्षण दिया है। लेकिन हुजी व सिमी के मिलन से जन्मे इस संगठन से एक बात साफ हो चुकी है कि इनमें बड़े पैमाने पर भारत के ही गुमराह मुस्लिम युवकों का हाथ है। आतंकी संगठन पूरे देश में अपने 'स्लीपर सेल' बना चुका हैं जिसे कभी भी एक इशारे भर से सक्रिय कर दिया जाता है।
आतंकवाद मामलों के जानकार बी रमन के मुताबिक बेंगलूर व अहमदाबाद बम धमाकों के पहले इंडियन मुजाहिदीन के नाम से आए ई-मेल में इन घटनाओं का जो कारण बताया है वह 'ठोस इंडियन' है। इसमें अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को गिराया जाना, मुंबई दंगों में मुस्लिम अभियुक्तों को कठोर सजाएं पर दंगाइयों के खिलाफ श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालना व गुजरात दंगों का हवाला दिया गया है। यही वह कारण है जिनके आधार पर भारतीय मुस्लिम युवकों का गुमराह किया जा रहा है। भाजपा शासित प्रदेशों को ही निशाना बनाया जाना खालिस इंडियन कारण माना जा रहा है।
खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त निदेशक एमके धर ने अपनी पुस्तक खुले रहस्यों में लिखा है कि विवादास्पद ढांचा विध्वंस के बाद 1992-93 से ही इस्लामीकरण की प्रक्रिया भारत के हृदय प्रदेश में सशस्त्र माड्यूल स्थापित करने का काम शुरू हो गया था। गुजरात दंगों के बाद आतंकी संगठनों के लिए मुस्लिमों युवकों को बहकाना और आसान हुआ है।
आतंकवाद से खुद लहुलूहान होने के बावजूद आईएसआई ने भारत पर अपना फोकस नहीं छोड़ा है। लेकिन आतंकियों की फौज भारतीय मुस्लिमों से ही खड़ी की जा रही है। आतंकी संगठन के नाम में अंग्रेजी के 'इंडियन' लफ्ज इस्तेमाल करने का उद्देश्य यही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश जाए कि यह कोई भारतीय आतंकी संगठन है।
खुफिया विभाग के मुताबिक कर्नाटक में पकड़े गए सिमी के सात कार्यकर्ताओं ने खुलासा किया था कि जब हुजी ने सिमी को आतंकी वारदातों के लिए साजो-सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया तो दो फर्जी आतंकी संगठन भी खड़े किए गए। एक था 'इंडियन मुजाहिदीन' और दूसरा 'गुरु अल हिंदी'। यही वजह है कि हैदराबाद, अजमेर, वाराणसी बम धमाकों में हुजी का नाम आने के बाद अब आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने लेनी शुरू कर दी है। सिमी के उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में व्यापक आधार का इस्तेमाल कर स्थानीय गुमराह युवकों को इसके साथ जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि आतंकियों का अगला निशाना मध्य प्रदेश बताया जा रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)
इनका मानना है कि जिस बेखौफ ढंग से सीरियल धमाके किए गए वह स्थानीय युवकों और उनके सुरक्षित ठिकानों के संभव ही नहीं है। आतंक को 'इंडियन' नाम देने वाले इस आतंकी संगठन की योजना भले पाकिस्तान में तैयार हुई है और लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद ने इसे प्रशिक्षण दिया है। लेकिन हुजी व सिमी के मिलन से जन्मे इस संगठन से एक बात साफ हो चुकी है कि इनमें बड़े पैमाने पर भारत के ही गुमराह मुस्लिम युवकों का हाथ है। आतंकी संगठन पूरे देश में अपने 'स्लीपर सेल' बना चुका हैं जिसे कभी भी एक इशारे भर से सक्रिय कर दिया जाता है।
आतंकवाद मामलों के जानकार बी रमन के मुताबिक बेंगलूर व अहमदाबाद बम धमाकों के पहले इंडियन मुजाहिदीन के नाम से आए ई-मेल में इन घटनाओं का जो कारण बताया है वह 'ठोस इंडियन' है। इसमें अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को गिराया जाना, मुंबई दंगों में मुस्लिम अभियुक्तों को कठोर सजाएं पर दंगाइयों के खिलाफ श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालना व गुजरात दंगों का हवाला दिया गया है। यही वह कारण है जिनके आधार पर भारतीय मुस्लिम युवकों का गुमराह किया जा रहा है। भाजपा शासित प्रदेशों को ही निशाना बनाया जाना खालिस इंडियन कारण माना जा रहा है।
खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त निदेशक एमके धर ने अपनी पुस्तक खुले रहस्यों में लिखा है कि विवादास्पद ढांचा विध्वंस के बाद 1992-93 से ही इस्लामीकरण की प्रक्रिया भारत के हृदय प्रदेश में सशस्त्र माड्यूल स्थापित करने का काम शुरू हो गया था। गुजरात दंगों के बाद आतंकी संगठनों के लिए मुस्लिमों युवकों को बहकाना और आसान हुआ है।
आतंकवाद से खुद लहुलूहान होने के बावजूद आईएसआई ने भारत पर अपना फोकस नहीं छोड़ा है। लेकिन आतंकियों की फौज भारतीय मुस्लिमों से ही खड़ी की जा रही है। आतंकी संगठन के नाम में अंग्रेजी के 'इंडियन' लफ्ज इस्तेमाल करने का उद्देश्य यही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश जाए कि यह कोई भारतीय आतंकी संगठन है।
खुफिया विभाग के मुताबिक कर्नाटक में पकड़े गए सिमी के सात कार्यकर्ताओं ने खुलासा किया था कि जब हुजी ने सिमी को आतंकी वारदातों के लिए साजो-सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया तो दो फर्जी आतंकी संगठन भी खड़े किए गए। एक था 'इंडियन मुजाहिदीन' और दूसरा 'गुरु अल हिंदी'। यही वजह है कि हैदराबाद, अजमेर, वाराणसी बम धमाकों में हुजी का नाम आने के बाद अब आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने लेनी शुरू कर दी है। सिमी के उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में व्यापक आधार का इस्तेमाल कर स्थानीय गुमराह युवकों को इसके साथ जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि आतंकियों का अगला निशाना मध्य प्रदेश बताया जा रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)
No comments:
Post a Comment