Friday, October 31, 2008

फिर खून से लाल हुआ असम, 66 मरे

दैनिक जागरण, ३० अक्टूबर २००८ । एक बार फिर असम खून से लाल हो गया। यहां लगभग 13 जगहों पर हुए सीरियल ब्लास्टों में कम से कम 66 लोगों की मौत हो गई और दो सौ से अधिक लोग घायल हो गए। सभी विस्फोट बृहस्पतिवार सुबह ११:३० से ११:४० बजे के बीच हुए। कोकराझाड़ में तीन जगहों पर, गुवाहाटी में पांच जगहों पर और बोंगाईगांव तीन व बरपेटा में दो जगहों में धमाके हुए। इसे लेकर असम में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है और लोगों को घरों से नहीं निकले के लिए कहा गया है। वहीं, गणेशगुड़ी में धमाके के बाद गुस्साएं लोग पुलिस से भिड़ गए, जिसमें कई लोग घायल हो गए। जिसके बाद दिसपुर, गणेशगुड़ी व गुवाहाटी में क‌र्फ्यू लगा दिया गया।

वहीं, केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने कहा कि असम में हुए सिलसिलेवार धमाकों में बाह्य संपर्को वाले पूर्वोत्तार के उग्रवादी गुटों को हाथ हो सकता है। इस बीच, उल्फा इन विस्फोटों की जिम्मेदार लेने से इनकार कर दिया। उधर, केंद्र ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की सहायता दिए जाने की मंजूरी दी। इधर, मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इन धमाकों की कड़ी निंदा की। इस बीच, केंद्र का एक उच्चस्तरीय दल स्थिति का जायजा लेने के लिए असम आएगा। दल में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।

जानकारी के अनुसार आज सुबह 11.30 बजे कोकराझाड़ में बड़ाबाजार, रेलवे गेट व एक होटल के पास नाले में विस्फोट हुआ। यहां तीनों धमाकोंमें लगभग 15 लोगों की मरने व बीस से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है। यहां विस्फोट एक से दो मिनट के अंतराल पर हुए। बड़ाबाजार व रेलवे गेट इलाके में मोटरसाइकिल में ग्रेनेड बम रखा गया था। इन विस्फोटों से इलाके में अफरा-तफरी मच गई है। पुलिस प्रशासन व सुरक्षाकर्मी राहत कार्य में जुटे हैं। उधर, गुवाहाटी सीजेएम कोर्ट परिसर, फैंसी बाजार, पान बाजार, गणेशगुड़ी स्थित सचिवालय जनता भवन के समीप व एक फ्लाईओवर के नीचे आटोस्टैंड में विस्फोट हुए। यहां एक कार व आटो में बम छिपाकर रखे गए थे।

यहां धमाके सुबह 11.30 बजे के आसपास हुए। उल्लेखनीय है कि गुवाहाटी सीजेएम कोर्ट परिसर में ही डीसी कार्यालय भी है। यहां विस्फोट में छह लोगों की और गणेशगुड़ी में दोनों स्थानों पर लगभग 29 लोगों की मौत हुई है और काफी संख्या में लोग घायल हुए हैं। गणेशगुड़ी फ्लाईओवर के नीचे का विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि वहां खड़ी कारें खाक हो गई। इतना ही नहीं, आसपास 500 मीटर के दायरे में स्थिति इमारतों के शीशे चटक गए। घायलों को गुवाहाटी कालेज में भर्ती कराया गया है। कई लोगों की हालत गंभीर बताई गई है।

उल्लेखनीय है कि आतंकियों ने सभी भीड़भाड़ वाले इलाके को ही अपना निशाना बनाया है। कोकराझाड़ में आज बाजार का दिन था और भइयादूज को लेकर काफी भीड़ भाड़ थी, क्योंकि दीपावली को लेकर दो दिन की बंदी के बाद बाजार आज ही खुले थे। यही आलम गुवाहाटी के फैंसी बाजार व पान बाजार में भी था। उधर बोंगाईगांव में तीन स्थानों पर विस्फोट में मरने वालों की सूचना नहीं मिली है, जबकि बरपेटा में दो स्थानों पर विस्फोट हुए, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई। घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। बरपेटा में कई स्थानों से बम भी बरामद किए गए हैं, जिसे निष्क्रिय कर दिया गया है।

वहीं, गणेशगुड़ी फ्लाईओवर के नीचे विस्फोट से आक्रोशित जनता व पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प हुई, जिसमें चार पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गया। स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग करनी पड़ी। लोगों के आक्रोश को देखते हुए दिसपुर व गणेशगुड़ी, गुवाहाटी में क‌र्फ्यू लगाया दिया गया है। इलाके में जवान गश्त लगा रहे हैं और लोगों को घरों से नहीं निकले को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि विस्फोट के बाद यहां प्रशासन की लेटलतीफी के कारण स्थानीय जनता आक्रोशित होकर सड़क पर उतर आई और विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। आरोप है कि विस्फोट के काफी समय बाद फायरबिग्रेड के इंजन मौके पर पहुंचे। इससे स्थानीय लोगों ने पुलिस व फायरबिग्रेड कर्मियों पर पर हमला कर दिया और दमकल व पुलिस वाहनों को फूंक दिया। स्थिति से निपटने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग की। इलाके में भीड़ को हटाने के लिए अनिश्चितकाल के लिए क‌र्फ्यू लगा दिया गया है। इलाके में तनाव है। उधर, दमकल के विभाग सूत्रों ने बताया कि धमाके के कारण सड़क जाम हो गई, जिससे मौके पर पहुंचने में समय अधिक लगा।

उधर, पुलिस ने हमलों के पीछे उग्रवादी गुट उल्फा के हाथ होने की आशंका जताई है, लेकिन कुछ पुलिस अधिकारियों ने कट्टर इस्लामिक गुटों का हाथ होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है। पुलिस ने विस्फोट में आरडीएक्स के इस्तेमाल करने का भी अनुमान लगाया है।

इस बीच, नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने बताया कि विस्फोटों के स्थलों पर एनएसजी का एक दल भी भेजा जाएगा। विस्फोट की प्रवृत्तिके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अपराध विज्ञान विशेषज्ञ विस्फोट स्थलों पर जांच कर रहे हैं। क्या अतिरिक्त अ‌र्द्धसैनिक बल राज्य में भेजे जाएंगे इस पर उन्होंने कहा कि वहां पहले ही काफी बल तैनात है। गुप्ता ने कहा कि हम उन्हें कुछ समय तक वहीं रखेंगे और शायद चुनाव की ड्यूटी में [छह राज्यों में] उन्हें नहीं लगाया जाएगा। विस्फोट के पीछे किसका हाथ हो सकता है इस पर उन्होंने कहा कि समूह की पहचान करना अभी जल्दबाजी होगी।

इधर, असम में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद मुंबई सहित महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों में सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है। विस्फोट के बाद समूचे मेघालय में हाई एलर्ट घोषित कर दिया गया है।

इस बीच, उल्फा की ओर से जारी एक ई-मेल वक्तव्य में विस्फोटों में किसी तरह की भागीदारी से इनकार करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार के अधिकारियों द्वारा जानबूझकर शांति प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए गुट पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं।

Friday, October 24, 2008

मलेशिया: हिंड्राफ के 12 कार्यकर्ता गिरफ्तार

दैनिक जागरण, २४ अक्टूबर २००८, कुआलालंपुर। मलेशिया में पुलिस ने हिंदू राइट्स एक्शन फोर्स [हिंड्राफ] के 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

मलेशियाई मीडिया के अनुसार पुलिस ने प्रतिबंधित हिंदू संगठन हिंड्राफ के 12 सदस्यों को उस समय गिरफ्तार किया जब वे प्रधानमंत्री कार्यालय में जेल में बंद हिंड्राफ कार्यकर्ताओं को रिहा करने की याचिका दाखिल करने जा रहे थे। गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में हिंड्राफ के निर्वासित अध्यक्ष पी वायथा मूर्ति की पत्नी और उनकी सात वर्षीय बेटी भी है।

हिंड्राफ कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हे गैर कानूनी तरीके से एकत्र होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जबकि वे तो केवल प्रधानमंत्री कार्यालय में याचिका दाखिल करने जा रहे थे।

गौरतलब है कि मलेशिया में गत वर्ष हिंड्राफ पर सरकार विरोधी रैली करने का आरोप लगाकर सरकार ने उसके छह कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाकर जेल में बंद कर दिया था। हिंड्राफ ने मलेशिया सरकार द्वारा हिंदू मंदिर तोड़ने का आरोप लगाकर रैली आयोजित की थी।

Wednesday, October 22, 2008

प्रतिमा विसर्जन के दौरान माहौल बिगड़ा, संघर्ष में कई जख्मी

दैनिक जागरण , १० अक्तूबर २००८, रायबरेली/कानपुर देहात/लखनऊ। देवी प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान शुक्रवार को रायबरेली, कानपुर देहात, श्रावस्ती और बहराइच में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई जिसमें दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष में कई लोग घायल हो गये। रायबरेली के जायस कस्बे में कुछ अराजक तत्वों ने हड्डी फेंककर विसर्जन को जाती देवी प्रतिमाओं को अपवित्र करने का प्रयास किया। विरोध में देवी भक्तों और हिंदू संगठनों ने मौके पर जमकर नारेबाजी करते हुए मूर्तियों के साथ धरना शुरू कर दिया। डीएम-एसपी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली तथा भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है।

दूसरी ओर कानपुर देहात में सिकंदरा से प्रतिमा विसर्जन को यमुना के बैजामऊ घाट जा रहे युवकों का हरिहरपुर गांव के पास दूसरे समुदाय के लोगों से विवाद होने पर दोनों पक्ष आमने सामने आ गए और उत्तेजक नारेबाजी के बाद संघर्ष हो गया जिसमें महिला सहित आठ लोग घायल हो गये। गांव सहित कस्बे में तनाव का महौल है। एसपी ने मारपीट की पुष्टि करते हुये स्थिति नियंत्रण में होने की बात कही है। जबकि श्रावस्ती जिले के नासिरगंज कस्बे में मार्ग-विवाद को लेकर ग्रामीणों तथा प्रशासन के बीच जमकर संघर्ष हुआ। ग्रामीणों ने पुलिस व प्रशासन के आधा दर्जन वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और एक में आग लगा दी। उग्र भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलाईं। इस दौरान पथराव व लाठीचार्ज में चार अधिकारियों समेत सवा सौ लोग जख्मी हो गए। दुर्गा प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए भेजने के बाद नासिरगंज व आसपास के इलाके में क‌र्फ्यू लगा दिया गया है। बहराइच में भी तनाव है।

शुक्रवार को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन करने के लिए देवी भक्त नाचते-गाते वहाबगंज से सैदाना व कजियाना होकर कंचाना मोहल्ले में पहुंचे। वहां बस स्टैंड के पास मुस्लिम कमेटी के लोग विसर्जन यात्रा का स्वागत करने के लिए खड़े थे। यात्रा यहां पहुंचती, इससे पहले कुरेशी परिवार के कुछ लड़के देवी प्रतिमाओं की ओर हड्डी फेंककर भाग निकले। इस घटना से आवाक भक्तों ने मौके पर नारेबाजी करते हुए प्रतिमाओं को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। कुछ लोगों ने सांप्रदायिक बवाल की अफवाह फैलायी तो रायबरेली सदर तक सनसनी फैल गयी। हिंदू संगठनों के नेता भी घटनास्थल पर पहुंचने लगे और मामला तूल पकड़ने लगा। स्थिति विस्फोटक होती, इससे पहले मौके पर पहुंचे डीएम और एसपी के साथ जायस के बुद्धिजीवियों ने उग्र लोगों को शांत कराया। आला अफसरों ने हड्डी फेंकने वालों की शिनाख्त कराने के बाद गिरफ्तारी का आश्वासन देकर प्रतिमा विसर्जन कराना चाहा, लेकिन देवी भक्त पहले कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। तनाव को देखते हुए कई थानों की फोर्स तथा पीएसी को तैनात कर दिया गया है।

उधर पुलिस के अनुसार पटेल चौक सिकंदरा से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिये ट्रैक्टरों व मोटरसाइकिलों से लोग बैजामऊ स्थित यमुना नदी घाट जा रहे थे। थानाध्यक्ष जयकरन सिंह ने बताया कि बाइकसवार युवकों का हरिहरपुर गांव में धार्मिक स्थल के पास लघुशंका करने को लेकर दूसरे समुदाय के लोगों से विवाद हाने के बाद दोनों पक्षों में मारपीट हो गयी। इस बीच शोर सुनकर गांव के अन्य लोग यहां पहुंच गए इधर विसर्जन जुलूस में शामिल लोग भी घटना स्थल पर पहुंच गए। दोनों तरफ से जुटी भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने उत्तेजक नारेबाजी कर दी। राजपुर अंप्र के अनुसार दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर ईट पत्थर व लाठी डंडों से हमला कर दिया। करीब आधा घंटे तक हुए पथवार व संघर्ष में ढिकची के अनिल, नसीरपुर के राहुल व सिकंदरा के जितेंद्र, सतेंद्र व राजीव तथा हरिहरपुर गांव के मुश्ताक, मुस्तकीम व मुबीना गंभीर रूप से जख्मी हो गये। हरिहरपुर व सिकंदरा में तनाव की स्थिति बन गई है। सीओ डीके सिंह, सिकंदरा थानाध्यक्ष जयकरन सिंह, अमराहट थानाध्यक्ष राकेश तिवारी, राजपुर थानाध्यक्ष आरबी सिंह परिहार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए थे। इधर माती मुख्यालय पर मौजूद एसडीएम सुभाष चौधरी घटना स्थल के लिये रवाना हो गये। पुलिस ने घायलों को अस्पताल भिजवाया। एसपी एन. रविंदर ने बताया कि घटना युवकों के बीच साधारण मारपीट की है। जुलूस के साथ सीओ डीके सिंह, राजपुर सिकंदरा, अमराहट के थानाध्यक्ष पुलिस बल के साथ मौजूद थे। एसपी ने तनाव की बात से इनकार कर स्थिति नियंत्रण में बताया।

अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था बृजलाल ने बताया कि श्रावस्ती के नासिरगंज कस्बे के लिए गोंडा से एक कंपनी पीएसी रवाना कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि वादे के बाद भी प्रतिबंधित मार्ग से जुलूस ले जाने से रोकने पर लोगों ने उपद्रव किया जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। बताया जाता है कि खलीफतपुर में न्यायालय के आदेश पर मूर्ति रखी गई थी जिसका विसर्जन जिला प्रशासन गांव के ही तालाब पर कराना चाहता था लेकिन लोग इसे नासिरगंज के जुलूस में शामिल करना चाहते थे। प्रशासन दुर्गापूजा समिति को समझाने की कोशिश में था कि नासिरगंज से लगभग दस हजार लोगों की भीड़ पहुंची और पुलिस की चौकसी को धता बताते हुए दुर्गा प्रतिमाएं उठाकर नासिरगंज ले आयी। पुलिस के रोकने पर लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे दर्जनों लोग घायल हो गए। इससे आक्रोशित भीड़ ने सरकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त करना शुरू कर दिया जिसपर पुलिस ने गोलियां चला दीं। जिलाधिकारी एनजी रवि कुमार के मुताबिक स्थिति को नियंत्रित करने के लिये हवा में पांच राउंड गोलियां चलानी पड़ी और हल्का बल प्रयोग किया गया। उनके मुताबिक अपर पुलिस अधीक्षक लल्लन राय, एसडीएम कलीमुल्ला, एसओ सोनवा पलटूराम व पुलिस उपाधीक्षक के अलावा छह पुलिसकर्मी गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। उन्होंने भीड़ पर सीधी फायरिंग की बात से इनकार किया लेकिन लोगों का आरोप है कि पुलिस ने निशाना लेकर गोलियां चलायीं, जिससे धनदेई नामक महिला व एक बालक जख्मी हो गये। तीन अन्य लोगों को भी गोली लगी है जिन्हें पुलिस ने मौके से हटा दिया। जिलाधिकारी ने बताया कि क‌र्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गए हैं। इधर बहराइच के फखरपुर कस्बे में मार्ग विवाद को लेकर विसर्जन रोक दिया गया है। विवाद के चलते फखरपुर से भिलौरा बांसू तक 37 दुर्गा प्रतिमाओं की कतार लगी हुई है।

लौह पुरुष के प्रति अपमानजनक टिप्पणी से उबाल

दैनिक जागरण, २२ अक्टूबर २००८, मऊ । आजमगढ़ में बीते दिनों आयोजित आतंक विरोधी जलसे में एक वक्ता द्वारा देश के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं भारत रत्‍‌न से विभूषित लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल को आतंकवादी कहे जाने की खबर से यहां के लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। मंगलवार को विभिन्न स्थानों पर मसले को लेकर हुई बैठक में कड़ी प्रतिक्रिया जतायी गयी और देश के एकीकरण में अहम भूमिका अदा करने वाले वाले लौह पुरुष के विरुद्ध ऐसी टिप्पणी करने वाले को देशद्रोही की संज्ञा देते हुए उसकी गिरफ्तारी की मांग की गयी।

स्थानीय जीवन राम इंटर कालेज में दोपहर एक बजे अध्यापकों की हुई बैठक में निंदा प्रस्ताव पास किया गया और सरदार पटेल को आतंकी बताने वाले मजहबी नेता को विक्षिप्त मानसिकता का राष्ट्रविरोधी करार दिया गया। शिक्षकों ने ऐसे तत्वों को तत्काल गिरफ्तार कर देशद्रोह के आरोप में जेल भेजे जाने की भी मांग उठायी। साथ ही ऐसे तत्वों का मुखर या मौन समर्थन करने वालों को भी हवालात की हवा खिलाते हुए कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। अध्यक्षता प्रधानाचार्य स्वामीनाथ पाण्डेय ने की।

उधर चिरैयाकोट बाजार में भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अविनाश लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सरकार पटेल को आतंकी बताये जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी गयी। अध्यक्षीय भाषण में श्री लाल ने कहा कि देश का एकीकरण करने वाले महापुरुष किसी देशद्रोही की नजर में ही आतंकी हो सकते है। ऐसे देशद्रोही तत्वों को गिरफ्तार कर उन्हे सजा देनी चाहिये। इस मौके पर आशुतोष मिश्र, अभिमन्यु पाण्डेय, मनीष सोनी, मोनू वर्मा, महेन्द्र, रणंजय सिंह आदि उपस्थित थे।

Tuesday, October 21, 2008

पक्षपातपूर्ण बौद्धिकता

एस.शंकर
दैनिक जागरण, 20 अक्टूबर 2008। जामिया मिलिया के कुलपति प्रो. मुशीर उल हसन उदारवादी मुसलमानों के बड़े प्रतिनिधि माने जाते रहे है, लेकिन संदिग्ध आतंकियों को कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए सरकारी धन से सहायता देने की उत्कंठा दिखाने पर उनकी यह छवि धूमिल हो गई है। यह अकारण नहीं कि हिंदू लोग मुस्लिम बंधुओं से बातचीत करने में ध्यान रखते है कि विषय इस्लाम या मुस्लिम राजनीति की ओर न मुड़े। इससे असहज स्थिति पैदा हो सकती है। मुस्लिम भी हिंदू सहकर्मियों से तमाम विषय पर चर्चा करते है, पर इस्लाम पर नहीं। उन्हे भी डर रहता है कि हिंदू किसी बिंदु पर स्वाभाविक ही इस्लाम से असहमति व्यक्त कर सकता है। आखिर किसी विषय पर इस्लाम की आलोचना स्वीकार करना या सुनना मुसलमानों के लिए सहज नहीं होगा। जिन्हे यह सत्य न लगे वे इस सवाल पर विचार कर सकते हैं कि क्या कारण है कि बुद्धिजीवी कभी इस्लाम से जुड़े मुद्दे पर कोई सम्मेलन, व्याख्यान, प्रदर्शनी, अभियान या बहस नहीं करते?
दिल्ली के बुद्धिजीवी वर्ग ने इस्लाम और इस्लाम से जुड़े सभी असुविधाजनक प्रश्नों को सदैव पर्दे में रखा। क्यों? ये कैसे बुद्धिजीवी है, जो दस वर्ष से सारी दुनिया में चर्चित विषय-इस्लामी आतंकवाद पर सीधी गोष्ठी करने से भी बचते है? राजनीति या भय, कारण जो भी हो, एक बात तो स्पष्ट है कि हिंदू या मुस्लिम प्रगतिशील इस्लाम से जुड़े किसी प्रसंग के सामने छुई-मुई हो जाते है। उनका सारा आक्रोश व उत्साह हिंदुत्व, संघ परिवार अथवा 'सरकारी आतंकवाद' की लानत-मलानत करने में ही दिखता है। इसीलिए उन्होंने कभी जेहाद, द्विराष्ट्र सिद्धांत, शरीयत कोर्ट, फतवे, तीन तलाक, सलमान रुश्दी, अयातुल्ला खुमैनी, ओसामा बिन लादेन, इब्न बराक, तालिबान, देवबंद, इंतिफादा, अलकायदा, जमाते इस्लामी, सिमी, दीनदार अंजुमन, कश्मीरी हिंदुओं का विस्थापन, पूर्वी तिमोर, शिया-सुन्नी संघर्ष, जबरन मतांतरण, हज सब्सिडी, इस्लाम में स्त्री आदि विषयों पर कोई सभा-सम्मेलन नहीं किया, जबकि ये सब विषय लोगों को उद्वेलित करते रहे है। इमराना, पैगंबर मोहम्मद के कार्टून, डेनमार्क विरोधी मुस्लिम हिंसा, तस्लीमा नसरीन का प्रकरण या सिमी के कारनामे हाल के उदाहरण है। इन विषयों पर दिल्ली में सेमिनार क्यों नहीं होते, यह हिंदू और मुस्लिम बुद्धिजीवी जानते है। कारण यह है कि इन बिंदुओं पर सच कहने का साहस नहीं है। इससे या तो इस्लाम की अवमानना होने का डर रहता है या फिर मुस्लिम नेता धमकियां देने लगते हैं। बहस से इसलिए बचा जाता है, क्योंकि सारे बुद्धिजीवियों की असलियत सामने आ जाएगी। जाहिर हो जाएगा कि इनकी बौद्धिकता हिंदू विरोधी और एक हद तक राष्ट्र विरोधी भी है। इसीलिए चाहे विषय पूरे देश को मथ रहा हो,यदि इसमें इस्लाम की दुर्बलता या आलोचना की संभावना हो तब उस पर हमारे प्रगल्भ वामपंथी-पंथनिरपेक्षवादी गोष्ठी करने के बजाय सामूहिक छुट्टी पर चले जाते है, किंतु यदि मौन रहना संभव न रहे तब उनकी नीति भटकाने की होती है। यदि इस्लामी आतंक की घटना हुई हो तो पहले उसके बारे में संदेह जताया जाता है। बड़ी संख्या में दुनिया भर के मुस्लिम कहते है कि 11 सितंबर को अमेरिका पर आतंकी हमले अलकायदा ने नहीं, बल्कि अमेरिका ने खुद ही करवाए थे। अभी दिल्ली के जामियानगर में आतंकवादियों के साथ पुलिस मुठभेड़ को फर्जी कहना वही अदा है, पर जब संदेह करना कठिन हो तो कहा जाता है कि मुस्लिमों के साथ लंबे समय से अन्याय हो रहा है। आक्रोश में कुछ भटके हुए मुस्लिम हिंसा करते है तो आक्रोश का 'मूल कारण' समझने की कोशिश करनी चाहिए। एक तरह से यह इस्लामपंथियों का श्रम-विभाजन है। कुछ जेहाद करते है तो दूसरे उनका वैचारिक बचाव।
छद्म बुद्धिजीवी पहले तो इस्लामी आतंकवाद के अस्तित्व से ही इनकार करते हैं। वे कहते हैं कि इस्लाम में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। फिर भारत, इंग्लैंड जैसे देशों में मुस्लिम नेता विशेषाधिकारों की मांग करते है। इसकी तुलना मुस्लिम देशों में गैर-मुस्लिमों की दुर्दशा से करने पर वे बौखला जाते हैं और रटा-रटाया फिकरा कहते हैं कि यह 'इस्लाम-विरोधी प्रचार' है। तीसरे, किसी भी प्रसंग में हिंदू संगठनों की निंदा अनिवार्य रस्म है। किसी भी सूरत में उदारवादी मुस्लिम आत्म-चिंतन करने या अपने समुदाय की गलती को ईमानदारी से स्वीकार करने का कष्ट नहीं करते। यही कारण है कि जब कई वर्षो से विश्व के बौद्धिक पटल पर इस्लाम की सीमाएं और आधुनिकता संबंधी बहस चल रही है तो उसमें भारतीय मुस्लिम कहीं नहीं दिखते। कारण उनमें सच्चाई को नकारने और दूसरों को दोष देने का स्थायी भाव घर कर चुका है। अंतत: इससे मुसलमानों का ही नुकसान होगा। बीमारी को छिपा कर उसका इलाज नहीं किया जा सकता।

Monday, October 20, 2008

Right wing organisations call for Goa Bandh

19 October 2008 Panaji (PTI): The Hindu right wing organisations in the state have given a call for Goa bandh on Monday to protest the recent incidence of desecration of idols in the state.

Grouped under the banner of Mandir Suraksha Samiti, the organisations including Bajrang Dal and Hindu Jangaruti Samiti have flayed the state government for its failure to arrest people behind such acts.

Over 500 places places of religious significance were desecrated in the recent past.

"We appeal to the people to participate wholeheartedly in the bandh and make it successful," the organisers had said earlier this week during a press conference.

Goa government has taken the strike call seriously and promulgated Section 144 of CrPc prohibiting processions, demonstrations, bandh, strikes, road closures and forcible closure of shops and other establishments on October 20 between 6 am and 6 pm.

"We appeal people to desist from participating in the bandh. Government will provide adequate security to all the shops and establishments, which would not respond to the bandh," Goa Chief Minister Digamber Kamat told a press conference yesterday.

"These shrines are in the isolated places. There is a systematic effort to tamper communal harmony in the state," Kamat said.

अल्पसंख्यक युवकों को कोचिंग करायेगी प्रदेश सरकार

दैनिक जागरण, २० अक्तूबर २००८, लखनऊ: अल्पसंख्यक युवकों को नौकरी के लिए प्रदेश सरकार कोचिंग करायेगी। मुख्यमंत्री मायावती ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को निर्देश दिये हैं कि कोचिंग की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिये जिससे वे पुलिस, सुरक्षा बल, पब्लिक सेक्टर, रेलवे, बैंक, बीमा कम्पनियों और स्वायत्तशासी संस्थाओं में ज्यादा से ज्यादा संख्या में नौकरी पा सकें। मुख्यमंत्री ने निर्देशों में कहा है कि इंटरमीडिएट, डिग्री अथवा पीजी की शिक्षा पूरी करने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के युवकों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए कोचिंग की जरूरत होती है, पर फीस अत्यधिक होने के कारण गरीब बच्चे इसे हासिल नहीं कर पाते। ऐसे में सरकार का दायित्व है कि वह इन बच्चों को यह सुविधा उपलब्ध कराये। मुख्यमंत्री ने निर्देशों में कहा है कि अल्पसंख्यक बच्चों को इंजीनियरिंग, लॉ, मेडिकल, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और आईटी कालेजों में प्रवेश दिलाने के लिए भी कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाय। कहा गया है कि अल्पसंख्यक युवकों को उनके ही जिलों में उस कोचिंग से परीक्षा की तैयारी करने की सुविधा दी जायेगी जिसके माध्यम से लगातार तीन वर्षो तक 15 प्रतिशत सफलता रिकार्ड रहा हो। अल्पसंख्यक छात्रों को कोचिंग की सुविधा दिये जाने में सहयोग देने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी, जिसमें जिलाधिकारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्था के प्रतिनिधि विश्र्वविद्यालय अथवा महाविद्यालय के प्रोफेसर या प्रधानाचार्य प्रतिष्ठित समाजसेवी तथा शिक्षाविद शामिल होंगे। कोचिंग संस्थाओं के चयन हेतु शासन स्तर पर समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष, सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ होंगे। इस योजना के तहत ऐसी कोचिंग संस्थाएं जो राष्ट्रीय अथवा राज्य स्तर पर प्रतिष्ठा पा चुकी हैं, चाहे वे अन्य राज्यों में हों, इस योजना में आच्छादित मानी जायेंगी। अल्पसंख्यक छात्रों को इन कोचिंग में भेजा जायेगा और अनुदान भी दिया जायेगा।

Sunday, October 19, 2008

जामिया मुठभेड़: प्रधानमंत्री से मिले नेता

18 अक्टूबर 2008 ,वार्ता , नई दिल्ली। कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें जामिया नगर के बाटला हाउस मुठभेड़ कांड को लेकर उठ रही शंकाओं से अवगत कराया तथा इन्हें दूर करने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की।

कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल इन नेताओं ने डॉ. सिंह को ताजा हालत की जानकारी दी और उनसे आग्रह किया कि गत 19 सितंबर को हुई इस मुठभेड़ को लेकर मुसलमानों में तरह-तरह के प्रश्न उठ रहे हैं, उनका जवाब दिया जाना चाहिए।

प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस महासचिव मोहसिना किदवई, पूर्व केंद्रीय मंत्री सीके. जाफर शरीफ और सलमान खुर्शीद, राज्यसभा के उपसभापति के रहमान खान, अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान किदवई तथा अनीस दुर्रानी शामिल थे।

दुर्रानी ने बताया कि हमने इस मुठभेड़ की न्यायिक जांच कराने की मांग नहीं की लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार की ओर से शंकाओं को दूर करने का जल्द से जल्द प्रयास किया जाना चाहिए।

आधा घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में नेताओं ने सांप्रदायिक आधार पर समाज को बांटने के चल रहे प्रयासों तथा देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर उड़ीसा और कर्नाटक में इसाइयों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई।

नेताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं से अल्पसंख्यकों में दहशत और अविश्वास की भावना पैदा हो रही है, जो देश के लिये बहुत खतरनाक है।

इन नेताओं ने मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने की कार्यवाही में तेजी लाने का भी आग्रह किया।

दुर्रानी ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को ध्यान से सुना है और कहा है कि अल्पसंख्यकों में विश्वास पैदा करने के लिए जरुरी कदम उठाए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी ने बाटला मुठभेड कांड की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

कांग्रेस ने इस मांग का समर्थन तो नहीं किया है लेकिन उसने साफतौर पर कहा कि इस मुठभेड के बारे में स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।

पार्टी ने इसके लिए सरकार पर दवाब बनाना भी शुरु कर दिया है। पार्टी के कई नेताओं ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर इसी तरह की मांग की थी। पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग की सलाहकार परिषद की पिछले दिनों हुई बैठक में यही मुद्दा छाया रहा।

क्रिमिनल की गिरफ्तारी पर पब्लिक ने किया बवाल

दैनिक जागरण, १८ अक्तूबर २००८, मऊ। नगर में शुक्रवार की आधी रात को प्रशासनिक तत्परता ने स्थिति को विस्फोटक होने से बचा लिया। मामला था दक्षिण टोला थाना क्षेत्र के डोमनपुरा निवासी एक युवक की गिरफ्तारी के विरोध का। दरअसल जमशेद नामक युवक को पिस्टल एवं 16 कारतूस के साथ एसओजी ने भीड़भाड़ वाले मिर्जाहादीपुरा क्षेत्र से उठा लिया। इससे आक्रोशित होकर काफी संख्या में इकट्ठे हुए लोगों ने थाने का घेराव कर अभियुक्त को छोड़े जाने की मांग की। सफल न होने पर पथराव शुरू कर दिया गया। इसमें थानाध्यक्ष आरडी शुक्ल घायल हो गये। पुलिस द्वारा इस घटना में डेढ़ सौ लोगों के विरुद्ध भादंसं के तहत 147, 148, 149, 332, 352, 353, 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

पुलिस के अनुसार दक्षिण टोला थाना क्षेत्र के डोमनपुरा मुहल्ला निवासी जमशेद के पास पिस्टल एवं 16 कारतूस होने की सूचना पर एसओजी टीम के सदस्यों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। चूंकि पुलिस टीम के सदस्य सादे वेश में थे इसलिये आसपास के लोगों को गलतफहमी हो गयी। लोग थाने पर सूचना देने पहुंच गये कि बदमाशों ने जमदेश का अपहरण कर लिया है। पुलिस के सेट भी घनघनाने लगे। थोड़ी ही देर में नगर की नाकेबंदी भी कर दी गयी लेकिन जब पुलिस अधिकारियों को वास्तविकता मालूम हुई तो उन्होंने लोगों को जानकारी दी कि जमशेद को बदमाश नहीं पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लोग इस जानकारी से संतुष्ट नहीं हुए और बड़ी संख्या में दक्षिण टोला थाना पहुंचकर घेराव प्रारंभ कर दिया। सूचना पाकर सीओ सीटी विद्या सागर मिश्र व प्रभारी निरीक्षक जेपी तिवारी भारी फोर्स लेकर मौके पर पहुंच गये। उधर पुलिस द्वारा अभियुक्त को न छोड़े जाने को लेकर उग्र भीड़ द्वारा थाना भवन पर पथराव शुरू कर दिया गया। पुलिस ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिये हल्का बल प्रयोग करते हुए लोगों को खदेड़ दिया। इस संबंध में जहां गिरफ्तार जमशेद का 25 आ‌र्म्स एक्ट के तहत चालान कर दिया गया वहीं डेढ़ सौ अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

Friday, October 17, 2008

Historic Hindu temple burnt

17-Oct-2008 , FIJI DAILY POST। A HINDU temple built in 1905 by Indian indenture labourers has burnt in what is alleged by some to be another act of sacrilege which is becoming common in the country।

The Kendrit Sanatan Dharm Shiv Mandhir at the premises of the Nadi Primary School in Narewa was set ablaze by some unknown people early yesterday morning.

The temple was one the oldest in the country and was a popular spot for many Hindu devotees from Fiji and abroad.

According to temple manager Prem Sharma at around 3am yesterday some people noticed smoke coming out of the temple and the National Fire Authority (NFA) Nadi was alerted.

Sharma said that by the time the firefighters arrived on the scene the corrugated iron, timber and concrete building was completely ablaze.

“All belongings inside the temple was completely burnt along with extensive damage done to the temple exterior,” he said.

“We believe someone entered the temple with the intention of burning it as fire started from a wooden box inside the temple.”

“Also this is a sure case of sacrilege because the idol of Lord Shiva was damaged prior to the temple being set alight,” said Sharma.

He added that those people who had committed the crime were “religious fanatics and have no love for other religions.”

Sharma has urged the authorities teach people to respect each other’s religions.

“It’s very sad that only the Hindu places of worship are being targeted while we hardly see any Indians showing any form of disrespect or damaging churches or other places of worship.

The Shree Sanatan Dharm Brahman Purohit Sabha of Fiji also strongly condemned the action.

Sabha national secretary Umeshwar Ram Sharma said such acts were only carried out by “cowards”.

Sharma who used to perform the Holy Ramayan at the temple every Monday said they would work hard to rebuild it soon with the help of members of the temple and the community there.

Meanwhile, Deputy Divisional Crime Officer Western ASP Waisea Kadawa said yesterday that police were still investigating the case and no arrests were made.