जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुशरुल हसन शुक्रवार को अर्जुन सिंह से मिले और दिल्ली बम विस्फोटों के मामले में आरोपी दो छात्रों को विश्वविद्यालय के कानूनी सहायता देने के फैसले से अवगत कराया। भाजपा ने कुलपति के इस फैसले का विरोध किया है।
अर्जुन सिंह ने कहा कि इस मामले में छात्रों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने में कोई हर्ज नहीं है और मुझे पूरा ब्यौरा मिल गया है। कुलपति ने मुझे जो कुछ बताया है, उससे मुझे ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय का यह फैसला देश के हित में है।
वहीं, भाजपा ने कुलपति के इस फैसले को बर्बर, राष्ट्र विरोधी और बेहद आपत्तिजनक बताते हुए कुलपति की बर्खास्तगी की मांग की है।
अर्जुन सिंह से मुलाकात के बाद हसन ने कहा कि भाजपा का यह आरोप बेबुनियाद है कि विश्वविद्यालय छात्रों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है। हसन ने कहा कि दोनों छात्रों को कानूनी सहायता देने का फैसला विश्वविद्यालय की शैक्षिक परिषद द्वारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता हासिल करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। हम अपने फैसले पर अडिग हैं और मेरे इस्तीफा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में कक्षाएं सामान्य रूप से चल रही हैं और हाल की घटनाओं से छात्रों का विश्वास प्रभावित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि उनके संबोधन और उसके बाद शांति मार्च निकालने से छात्रों का विश्वास और बढ़ा है। हसन से सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे को राजनीतिक रूप नहीं दें। अगर यह राजनीतिक मुद्दा हो गया तो यह अच्छा नहीं होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या उनको कोई धमकी मिली है हसन ने कहा कि इससे सिद्धांत प्रभावित नहीं होने चाहिए।
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