Wednesday, July 30, 2008

मौलाना से दूसरे चरण की पूछताछ शुरू

वाराणसी। यातायात पुलिस लाइन स्थित संगोष्ठी कक्ष में मंगलवार को अपराह्न साढ़े तीन बजे जामिया सल्फिया के शिक्षक मौलाना अब्दुल मतीन से संयुक्त पूछताछ शुरू हुई। इस दौरान दो दिन पहले की तरह मौलाना के शुभेच्छुओं की संख्या नदारद रही।

सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा पूछे गए सवालों के संबंध में मौलाना के जवाबों से पुलिस अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। इसके चलते उनसे देर शाम तक पूछताछ होती रही। बताते हैं कि जो सवाल जयपुर पुलिस ने रविवार की शाम किए थे उसे उसने पुन: दोहराया गया। इस बार जयपुर पुलिस ने कुछ तैयारी भी कर रखी है। उसके रहस्यों की गुत्थी अभी नहीं सुलझी है इसलिए कयास लगाया गया कि भविष्य में पुन: मौलाना से पूछताछ होगी। इसके लिए जयपुर पुलिस ने नगर में कुछ दिनों तक रहने का मन बना लिया है। वहीं दूसरी ओर शासन के निर्देश पर प्रदेश पुलिस समेत आईबी भी इस प्रकरण में सक्रिय हो गई है। 'ज्वाइंट इंट्रोगेशन' में आईबी, एटीएस, एलआईयू, स्थानीय पुलिस के अलावा जयपुर पुलिस का दो सदस्यीय विशेष दल भी शामिल है।(दैनिक जागरण, ३० जुलाई २००८)

Tuesday, July 29, 2008

मौलाना को क्लीनचिट नहीं, इंट्रोगेशन फिर

दो दिनों तक जयपुर पुलिस की हिरासत में रहने के बाद रविवार की रात रिहा हुए जामिया सल्फिया विश्वविद्यालय के शिक्षक मौलाना अब्दुल मतीन को अभी क्लीनचिट नहीं दी गई है। उन्हें कई सवालों के जवाब के लिए मंगलवार को पुलिस ने फिर तलब किया है। मौलाना को सवाल लिखित दिए गए हैं। आईबी, एलआईयू, एटीएस, स्थानीय पुलिस के साथ जयपुर पुलिस पुन: उनसे ज्वाइंट इंट्रोगेशन कर सकती है। यह जानकारी एसएसपी विजय प्रकाश ने दी। जयपुर पुलिस अब भी शहर में मौजूद हंै। वहीं मौलाना के हिरासत में लिए जाने के बाद मदनपुरा, रेवड़ीतालाब आदि क्षेत्रों में प्रदर्शन तथा चक्का जाम करने वालों के खिलाफ पुलिस ने कड़ाई से निबटने का मन बना लिया है। इसी क्रम में भेलूपुर में 20 नामजद समेत 150 अज्ञात तथा दशाश्वमेध थाने में 10 नामजद समेत 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149 समेत 7 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दूसरी ओर मौलाना अब्दुल मतीन को राजस्थान पुलिस क्यों ले गई थी? ज्वाइंट इंट्रोगेशन में आखिर क्या पूछताछ हुई? उन पर क्या आरोप हैं? ऐसे सवाल लोगों के जेहन में कौंधते रहे। इसे लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा में मशगूल थे। सूत्रों के अनुसार रविवार को हुए ज्वाइंट इंट्रोगेशन में जयपुर पुलिस मौलाना से जानना चाह रही थी कि पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले में आईएसआई द्वारा संचालित कैंप में अपने किन साथियों के साथ उन्होंने छह माह तक प्रशिक्षण लिया था? वह कई बार पाकिस्तान व बांग्लादेश क्यों गए? अब तक वे कितनी बार विदेश यात्रा कर चुके हैं? उन्हें जारी तीन पासपोर्ट कहां है? उनके पास असलहा लाइसेंस है कि नहीं? वह कौन-कौन से असलहा चला सकते हैं? सन् 97 से 2000 के बीच कहां थे? बताते हैं कि मौलाना ने किसी भी कैंप में ट्रेनिंग लिये जाने समेत पाकिस्तान व बांग्लादेश जाने की बात सख्ती से खारिज कर दिया। साथ ही असलहों के जानने व चलाने के बारे में भी अनभिज्ञता प्रकट की। पासपोर्ट के बाबत मौलाना का जवाब रहा कि दूसरा पासपोर्ट उनका खो चुका है। इसके चलते उन्होंने तीसरा पासपोर्ट बनवाया था। तीनों पासपोर्ट अलग-अलग नाम से लिये जाने के बाबत भी सवाल दागे गए थे। सूत्रों के अनुसार जन दबाव तथा जयपुर पुलिस के पास ठोस साक्ष्य न होने की स्थिति में अंतत: मौलाना को कुछ शर्तो पर रिहा किया गया। बताते चलें कि शनिवार को दिन में राजस्थान पुलिस मौलाना को अपने साथ ले गई थी। जानकारी पाकर लोगों ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया था। दबाव पर वाराणसी पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो मौलाना को रविवार की सुबह वापस लाया गया। शाम को जयपुर पुलिस का दो सदस्यीय दल भी पहुंचा। स्थानीय पुलिस के साथ उसने तीन चक्रों में इंट्रोगेशन किया। बाद में रात लगभग दो बजे मौलाना को चार लोगों की सिपुर्दगी में कुछ शर्तो पर रिहा कर दिया गया। उन शर्तो में एक शर्त यह भी है कि भविष्य में पूछताछ के दौरान मौलाना को पुलिस की मदद करनी होगी।(दैनिक जागरण, २९ जुलाई २००८)

साड़ी में मेरी, पगड़ी में जोसेफ

लंदन, प्रेट्र : धर्म व धार्मिक ग्रंथों को देश-काल की सीमा से परे बताया जाता रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है। ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबिल को भारतीयों के लिए खास अंदाज में पेश किया गया है। इस बाइबिल में वर्जिन मेरी को साड़ी और जोसेफ को पगड़ी पहने दर्शाया गया है। धर्मातरण पर नजर : बाइबिल का यह भारतीयकरण खास मकसद से किया गया है। पश्चिमी देशों में भक्तों की कम होती संख्या को देखते हुए वेटिकन ने अपना ध्यान भारत की ओर केंद्रित किया है। उसे उम्मीद है कि यहां लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। बाइबिल का भारतीय संस्करण जारी किए जाने के मौके पर मुंबई के आर्कबिशप ओसवाल्ड ग्रेसियास ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में और भारतीयों के लिए बनी यह बाइबिल हमारे लाखों लोगों को ईश्र्वर के शब्दों के और करीब ले जाएगी। बाइबिल में रामायण-महाभारत की बात : बाइबिल का यह भारतीय संस्करण रोमन कैथोलिक चर्च ने पिछले महीने प्रकाशित की है। इस पवित्र पुस्तक में कुल 27 स्केच ऐसे हैं, जो पूर्ण रूप से भारतीय दृश्यों व प्रतिमाओं से संबंधित हैं। इस धार्मिक ग्रंथ में महात्मा गांधी व मदर टेरेसा जैसी महान हस्तियों की तस्वीरें इस्तेमाल की गई हैं। लोगों को ईसाई धर्म समझाने के लिए इस बाइबिल में रामायण और महाभारत जैसे हिंदू धर्मग्रंथों के उद्धरण शामिल किए गए हैं। आर्क बिशप के प्रवक्ता फादर टोनी का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि हम हिंदू व ईसाई धर्म के मूल भाव की समानता दिखा सकें।

Monday, July 28, 2008

विदेशी दिमाग, देशी मोहरे और देशी बारूद

देशी बारूद, देशी लोग और दिमाग विदेशी! बेंगलूर फिर 24 घंटे के अंदर अहमदाबाद के अंदर हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद आतंक की नई कार्यपद्धति सामने आ रही है। मजहब के नाम पर गुमराह युवक, बाजार में आसानी से उपलब्ध देशी विस्फोटक और कमजोर खुफिया तंत्र। इसके बाद तो आतंकियों के लिए सत्रह क्या एक साथ सत्तर विस्फोट भी करना भी कोई मुश्किल काम नहीं है।
क्या हुआ, अगर धमाके आरडीएक्स जितने शक्तिशाली नहीं हैं। क्या हुआ कि एक धमाके से उतनी जानें नहीं गई! धमाकों की संख्या बढ़ाकर आतंक और मौत का मकसद आसानी हासिल किया जा सकता है। सिलसिलेवार धमाकों की संख्या एक दो से बढ़कर अब दर्जनों में जा पहुंची है। एक साथ दर्जनों धमाके कुछ देर के लिए पूरे सुरक्षा तंत्र को सुन्न कर देते हैं और इस दौरान गुनाहगारों के लिए भागने व पनाह का इंतजाम हो जाता है।
खुफिया तंत्र और गृह मंत्रालय दोनों ही आतंक के इस नए रूप को देखकर जितने परेशान हैं उससे ज्यादा भौचक्के। रविवार को बुलाई गई गृह मंत्रालय की आपात बैठक में भी अधिकारियों ने माना कि आतंकी जड़े गहरी होती जा रही हैं और आतंक फैलाने वाले बेखौफ। आतंकी गतिविधियों के संचालन में उनकी दक्षता, सहजता और सटीकता लगातार बढ़ रही व खुफिया एजेंसियां किसी अदना से प्यादे को पकड़ने के आगे नहीं जा पातीं।
जयपुर विस्फोट के बाद सुने गए आतंकी संगठन अलगुरु हिंदी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठन दरअसल सिमी के प्रभाव वाले इलाकों में बेधड़क गतिविधियां संचालित करते हैं। गृह मंत्रालय यह भी मान रहा है कि नाम भले ही बदल लिए हों, लेकिन फिलहाल सारे आतंकी संगठन चाहे हुजी हो या फिर इंडियन मुजाहिदीन सभी का संबंध लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद व अलकायदा से ही है।
खुफिया तंत्र यह बात पहले ही जान चुका था कि अब आतंकी संगठन कई स्तरों पर गतिविधियां संचालित करते हैं। अंजाम देने वाले लोग पूरी तरह स्थानीय होते हैं जिन्हें ऊपर के तंत्र का कोई पता नहीं होता। लेकिन बेंगलूर और अहमदाबाद के धमाकों के बाद इसमें जो एक नया पहलू जुड़ा है वह है देशी विस्फोटकों का इस्तेमाल।
इस नई रणनीति ने जांच एजेंसियों को और मुश्किल में डाल दिया है। आरडीएक्स को बाहर से लाने में जोखिम को देखते हुए आतंकियों ने देशी विस्फोटकों से बड़े धमाके करने में महारथ हासिल कर ली है। इन विस्फोटकों का कच्चा माल बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इनके इस्तेमाल में पकड़े जाने का जोखिम बेहद कम है। यानी अब आतंकियों ने देशी लोगों के हाथ में देशी विस्फोटक भी पकड़ा दिए हैं जिन्हें वे अपने ही लोगों पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
अपनी कार्रवाइयों में आतंकियों की दक्षता और सहजता भी बढ़ रही है। कारों और बाइकों की पहचान के खतरे व सुराग की संभावनाओं को खत्म करने के लिए आतंकी साइकिल जैसे आसान कैरियर पर लौट आए हैं। साइकिल की पहचान और उससे कोई सूत्र निकालना असंभव है। अहमदाबाद, बंगलूर और इससे पहले उत्तर प्रदेश के कुछ विस्फोटों में गरीबों की इस सवारी का जमकर इस्तेमाल हुआ है।
आतंकियों की इस बढ़ती दक्षता के बीच खुफिया नाकामी उन्हें निडर बना रही है। खुफिया एजेंसियों के सूत्र यह मानते हैं पहले विस्फोटों का निशाना बन चुके शहरों में दोबारा विस्फोट होना यह साबित करता है कि स्थानीय सतर्कता तंत्र ने कोई सबक नहीं सीखा है। कुछ वक्त बीत जाने के बाद आतंकी पुन: अपने काम में जुट जाते हैं और दहशत व तबाही के बाद खुफिया तंत्र उसी तरह लकीर पीटता नजर आता है, जैसा कि अहमदाबाद और बेंगलूर में नजर आ रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)

आतंक का नया नाम इंडियन मुजाहिदीन

अब हर आतंकी घटना के बाद आंखें बंद करके पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम लेने से काम नहीं चलेगा। उत्तर प्रदेश की अदालतों में बम धमाके हों, जयपुर का बम कांड या फिर अब अहमदाबाद में सीरियल धमाके आतंकी संगठन 'इंडियन मुजाहिदीन' ने जिस ढंग से इन्हें अंजाम दिया है उससे भारतीय खुफिया एजेंसियों के होश फाख्ता हैं।
इनका मानना है कि जिस बेखौफ ढंग से सीरियल धमाके किए गए वह स्थानीय युवकों और उनके सुरक्षित ठिकानों के संभव ही नहीं है। आतंक को 'इंडियन' नाम देने वाले इस आतंकी संगठन की योजना भले पाकिस्तान में तैयार हुई है और लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद ने इसे प्रशिक्षण दिया है। लेकिन हुजी व सिमी के मिलन से जन्मे इस संगठन से एक बात साफ हो चुकी है कि इनमें बड़े पैमाने पर भारत के ही गुमराह मुस्लिम युवकों का हाथ है। आतंकी संगठन पूरे देश में अपने 'स्लीपर सेल' बना चुका हैं जिसे कभी भी एक इशारे भर से सक्रिय कर दिया जाता है।
आतंकवाद मामलों के जानकार बी रमन के मुताबिक बेंगलूर व अहमदाबाद बम धमाकों के पहले इंडियन मुजाहिदीन के नाम से आए ई-मेल में इन घटनाओं का जो कारण बताया है वह 'ठोस इंडियन' है। इसमें अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को गिराया जाना, मुंबई दंगों में मुस्लिम अभियुक्तों को कठोर सजाएं पर दंगाइयों के खिलाफ श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालना व गुजरात दंगों का हवाला दिया गया है। यही वह कारण है जिनके आधार पर भारतीय मुस्लिम युवकों का गुमराह किया जा रहा है। भाजपा शासित प्रदेशों को ही निशाना बनाया जाना खालिस इंडियन कारण माना जा रहा है।
खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त निदेशक एमके धर ने अपनी पुस्तक खुले रहस्यों में लिखा है कि विवादास्पद ढांचा विध्वंस के बाद 1992-93 से ही इस्लामीकरण की प्रक्रिया भारत के हृदय प्रदेश में सशस्त्र माड्यूल स्थापित करने का काम शुरू हो गया था। गुजरात दंगों के बाद आतंकी संगठनों के लिए मुस्लिमों युवकों को बहकाना और आसान हुआ है।
आतंकवाद से खुद लहुलूहान होने के बावजूद आईएसआई ने भारत पर अपना फोकस नहीं छोड़ा है। लेकिन आतंकियों की फौज भारतीय मुस्लिमों से ही खड़ी की जा रही है। आतंकी संगठन के नाम में अंग्रेजी के 'इंडियन' लफ्ज इस्तेमाल करने का उद्देश्य यही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश जाए कि यह कोई भारतीय आतंकी संगठन है।
खुफिया विभाग के मुताबिक कर्नाटक में पकड़े गए सिमी के सात कार्यकर्ताओं ने खुलासा किया था कि जब हुजी ने सिमी को आतंकी वारदातों के लिए साजो-सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया तो दो फर्जी आतंकी संगठन भी खड़े किए गए। एक था 'इंडियन मुजाहिदीन' और दूसरा 'गुरु अल हिंदी'। यही वजह है कि हैदराबाद, अजमेर, वाराणसी बम धमाकों में हुजी का नाम आने के बाद अब आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने लेनी शुरू कर दी है। सिमी के उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में व्यापक आधार का इस्तेमाल कर स्थानीय गुमराह युवकों को इसके साथ जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि आतंकियों का अगला निशाना मध्य प्रदेश बताया जा रहा है। (दैनिक जागरण , २८ जुलाई २००८)

धमाकों से दहला अहमदाबाद, 45 मरे

अहमदाबाद। आईटी सिटी बेंगलूर में बीते शुक्रवार को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की गूंज अभी शात भी नहीं हुई थी कि शनिवार शाम गुजरात का प्रमुख औद्योगिक शहर अहमदाबाद भी सीरियल बम धमाकों से दहल उठा। एक के बाद बाद एक हुए 17 सीरियल बम विस्फोटों में 45 लोगों की मौत हो गई जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए। ये विस्फोट शहर के मणिनगर, इसनपुर, नरोल सर्किल, बापूनगर, हाटकेश्वर, सरनागपुर ब्रिज, सरखेज, रायपुर, जुहापुर, कोरियर मंदिर, ओधव आदि इलाके में हुए। धमाकों में टिफिन का इस्तेमाल किया गया जो साइकिल पर रखे हुए थे। जांच सूत्रों के अनुसार धमाकों में जिलेटिन और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया है।
हाल के दिनों में आतंकियों ने उन्हीं राज्यों के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया है जहां भाजपा की सरकार है। इससे पहले 13 मई को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 65 लोग मारे गए थे।
अहमदाबाद में पहला धमाका शाम 6.41 पर हुआ। इसके बाद 90 मिनट के भीतर एक के बाद एक 13 स्थानों पर धमाके हुए। विस्फोट के बाद अहमदाबाद रेलवे स्टेशन सील कर दिया गया। गुजरात के पड़ोसी राज्यों समेत पूरे देश में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। दिल्ली में हाई अलर्ट के साथ-साथ सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
जिन स्थानों पर धमाके हुए उनमें मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र मणिनगर भी शामिल है। मणिनगर और सरखेज में दो धमाके हुए। सरखेज में राज्य परिवहन निगम की सीएनजी बस और संगम थिएटर को निशाना बनाया गया। एक धमाका मणिनगर के सिविल अस्पताल के ट्रामा वार्ड में हुआ। यहां हुए विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। पहले धमाके के करीब 40 मिनट के बाद अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में विस्फोट से आतंकियों की यह मंशा साफ है कि उनकी यह कार्रवाई सुनियोजित तौर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को हताहत करने की थी। जाहिर है कि घायलों को अस्पताल लाए जाने के क्रम में बचावकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों की भारी भीड़ वहां जुट गई थी।
पुलिस के मुताबिक कई बम साइकिलों पर टिफिन में रखे गए थे। जयपुर में भी आतंकियों ने धमाकों के लिए साइकिल का इस्तेमाल किया था। टिफिन बाक्स का इस्तेमाल पिछले साल लखनऊ में कोर्ट के बाहर हुए विस्फोट में किया गया था। धमाकों के बाद अहमदाबाद में हर कहीं अफरातफरी का माहौल था। विस्फोटस्थलों पर बस, साइकिलों, मोटरसाइकिलों और आटोरिक्शा के उड़े हुए परखच्चे दिख रहे थे। चारों तरफ खून बिखरा पड़ा था। लोग बदहवास भाग रहे थे।
विस्फोट की खबर फैलते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। एक धमाका राज्य सरकार की सीएनजी बस में भी हुआ। धमाका इतना शक्तिशाली था कि बस बीच से फट गया और इसके भीतर खून ही खून फैला था।
सभी धमाके भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए, जिससे इलाकों में दहशत और अफरातफरी का माहौल है। शहर के नौ थाना इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने शहर में सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ अ‌र्द्धसैनिक बलों की तैनाती भी कर दी गई है। उधर, देर रात गुजरात की राजधानी गांधीनगर के कलोल इलाके में एक टाइम बम मिला जिसे निष्क्रिय कर दिया गया। बम को रात बारह बजे फटना था।
पुलिस ने बताया कि घायलों को सिविल अस्पताल, एलजी अस्पताल तथा शहर के कुछ अन्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इनमें से कुछ घायलों की हालत अत्यंत नाजुक है।
जांच एजेंसी आईबी के सूत्रों के मुताबिक उनके हाथ शनिवार को भेजा गया इंडियन मुजाहिदीन का एक ईमेल लगा है, जिसमें यह धमकी दी गई है कि कुछ शहरों में जल्द ही विस्फोट को अंजाम दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को एक लाख और हर घायल को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। वहीं मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये दिए जाएंगे और घायलों का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
उधर, गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह ने । प्राथमिक जानकारी के अनुसार तीन धमाकों की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया है। अहमदाबाद से बाहर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बम विस्फोटों की निंदा करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने देश में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा के लिए रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने बताया कि एनएसजी और बम विशेषज्ञों का एक दल अहमदाबाद पहुंच चुका है। दूसरा दल रविवार को रवाना होगा। (दैनिक जागरण , २७ जुलाई २००८)

धमाकों से थर्राया बेंगलूर, दो की मौत

बेंगलूर। देश की आईटी राजधानी शुक्रवार को धमाकों से थर्रा गई। दोपहर डेढ़ बजे के बाद 15 मिनट के अंतराल पर लगातार नौ धमाके हुए। धमाकों में एक महिला समेत दो लोग मारे गए। एक दर्जन से अधिक लोग घायल भी हुए हैं। विस्फोटों के बाद देश के कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इन धमाकों ने 2005 में यहां के भारतीय विज्ञान संस्थान पर हुए आतंकी हमले की याद दिला दी। इस हमले में दिल्ली आईआईटी के एक प्रोफेसर मारे गए थे।
धमाकों में देसी बमों का इस्तेमाल किया गया। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इन विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ली है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार विस्फोटों के पीछे प्रतिबंधित संगठन सिमी के स्थानीय कार्यकर्ताओं का हाथ हो सकता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने धमाकों की कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री ने मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने इस घटना को राज्य की शांति को प्रभावित करने का प्रयास बताया। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उधर, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी विस्फोटों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह आतंकवाद के प्रति संप्रग सरकार की नरम नीति का नतीजा है।
पुलिस ने बताया कि विस्फोट मडीवाला, अडुगोडी, नयनदाहाल्ली, मैसूर रोड, रिचमंड सर्किल, पंथारापाल्या और विट्ठल माल्या रोड पर हुए। मडीवाला के बस स्टैंड पर पति के साथ बस का इंतजार कर रही एक महिला श्रीमती श्रीरवि की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना में महिला का पति रवि और पुत्र घायल हो गया। विस्फोट के पांच मिनट बाद एक अन्य विस्फोट अडुगोडी इलाके में हुआ जहां एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया।
बेंगलूर के पुलिस आयुक्त शंकर एम बिदारी ने बताया कि एक बम विस्फोट फुटपाथ पर हुआ। विस्फोटों को अंजाम देने के लिए शक्तिशाली विस्फोटक और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया। फोरेंसिक विशेषज्ञ और बम निरोधक दस्ता तुरंत मौके पर पहुंच गया और पुलिस ने इलाकों में नाकेबंदी कर दी। विस्फोटक सामग्री में नट और बोल्ट भी थे। उन्हें शरणार्थी शिविरों के पास और सड़क किनारे छिपाकर रखा गया था। उन्होंने बताया कि दो जगहों के अलावा विस्फोटों में कम तीव्रता वाली विस्फोटक सामग्री इस्तेमाल की गई। विस्फोट कुछ मिनटों के अंतराल पर हुए। पुलिस को एक विस्फोट स्थल से जिलेटिन की छडें़ भी मिली हैं।
राज्य की पंचायतराज मंत्री राजशोभा करनदलाजे ने एक विस्फोट स्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि घायलों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। उन्होंने इन विस्फोटों की निंदा करते हुए कहा कि सरकार लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाएगी। एक अन्य विस्फोट स्थल पर गए राज्य के सूचना मंत्री कट्टा सुब्रमण्यम नायडू ने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो राज्य सरकार शहर में अद्धसैनिक बलों की तैनाती पर विचार करेगी।(दैनिक जागरण, २५ जुलाई २००८)

Friday, July 25, 2008

अवैध निर्माण रुकवाने पर फायरिंग, पुलिस चौकी फूंकी

खन्ना नगर में एक विवादित स्थल पर अवैध निर्माण रुकवाने को लेकर बृहस्पतिवार को एक वर्ग विशेष और पुलिस के बीच गोलीबारी व पथराव से तीन पुलिस अधिकारी समेत दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। सूत्र बताते हैं कि उपद्रव में दो लोगों की मौत हो गई, हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है। उपद्रवियों ने इस दौरान लोनी थाने की निठौरा पुलिस चौकी भी आग के हवाले कर दिया। रोडवेज बस समेत आधा दर्जन से ज्यादा वाहनों में आग लगा दी और कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए। समाचार लिखे जाने तक पावी सादकपुर से लेकर लोनी बार्डर तक के आठ किलोमीटर के रास्ते में एक वर्ग विशेष के लोग जमा थे। पुलिस अनियंत्रित भीड़ को काबू करने में लगी हुई थी। बेकाबू हालात को देखते हुए लोनी में अघोषित क‌र्फ्यू लगा है व लोगों के घरों से निकलने पर रोक लगा दी गई है।

पुलिस अधिकारी हालात के बारे में कुछ भी कहने से देर रात तक कतराते रहे, पर डीएम दीपक अग्रवाल ने बताया कि हालात पर काबू पाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि पर दीवार खड़ी करने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था, जिसे सुलझा लिया गया, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने माहौल खराब कर दिया। उन्होंने कहा कि दो लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है और तीन वाहनों में आग लगाने की। उन्होंने दावा किया कि उपद्रव के दौरान किसी मौत की सूचना नहीं है। देर रात तक जिलाधिकारी के साथ ही एसएसपी दीपक रतन समेत कई थानों की पुलिस व पीएसी हालात पर काबू पाने का प्रयास कर रहे थे। जिले के अतिरिक्त आसपास के जनपदों से भी पुलिस बल बुलाया जाता रहा।

जानकारी के मुताबिक लोनी के खन्ना नगर में एलएमसी की खाली पड़ी जमीन पर कुछ लोग बृहस्पतिवार को अवैध निर्माण करा रहे थे। दोपहर करीब चार बजे सूचना मिलने पर नायब तहसीलदार जय प्रकाश यादव के नेतृत्व में पहुंची प्रशासनिक टीम ने निर्माण कार्य को रुकवा दिया। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में गहमा-गहमी बढ़ गई। मौके पर पहुंची पुलिस पांच लोगों को उठाकर थाने ले गई। इसके विरोध में वर्ग विशेष के लोगों ने खन्ना नगर में मुख्य सड़क पर जाम लगाकर हंगामा किया। आरोप है कि उन्होंने आसपास के घरों में घुसकर तोड़-फोड़ भी की। इसके बाद छह बजे के करीब एक वर्ग विशेष के सैकड़ों लोग लोनी थाने पहुंचे और जमकर हंगामा किया व पकड़े गए पांचों लोगों को थाने से जबरदस्ती छुड़ा ले गए। उपद्रवियों ने दिल्ली-सहारनपुर स्थित राशिद गेट पर भी जाम लगाकर हंगामा किया। जाम के दौरान फायरिंग होने से लोनी थाने के एसएसआई प्रेम शंकर, उप निरीक्षक एचपी सिंह, तीन बच्चे व एक महिला समेत दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। सभी को लोनी व दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। देर रात तक घायलों को अस्पताल में पहुंचाया जाता रहा।

उपद्रवियों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने सीओ बार्डर सत्यपाल सिंह को बंधक बनाने का प्रयास किया और एसडीएम सदर विशाल सिंह को एक घर में कई घंटे जान बचाने के लिए छिपना पड़ा। लोनी तिराहे स्थित शंकर पैलेस [मैरिज होम], खन्ना नगर स्थित अशोका नर्सिंग होम समेत अनेक जगह घुसकर तोड़फोड़ की। देर रात तक लोनी में तनाव था। पावी सादिकपुर से लेकर लोनी बार्डर के आठ किलोमीटर के रास्ते में कई जगह वाहन जल रहे थे। चारों ओर वाहनों से आग की लपटें तथा सड़कों पर पत्थर दिखाई दे रहे थे। पुलिस उपद्रवियों की धरपकड़ में लगी हुई थी। क्षेत्र में बिजली नहीं होने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई थी। अंधेरा होने के कारण पुलिस प्रशासन को उपद्रवियों पर काबू पाने दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कई जगह से किसी को चाकू तो किसी को गोली मारे जाने की चारों तरफ अफवाहे फैली हुई थीं। खेकड़ा क्षेत्र से रालोद विधायक मदन भैया ने लोनी की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।(दैनिक जागरण २५ जुलाई २००८)

घाटी में बाहरी मजदूरों पर हमला, पांच मरे

श्रीनगर, जागरण संवाददाता : पहले सुरक्षाबलों, फिर पर्यटकों व श्रद्धालुओं और अब बाहरी राज्यों के मजदूर आतंकियों के निशाने पर आ गए हैं। गुरुवार को बटमालू बस स्टैंड पर आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला कर दिया। इसमें बिहार निवासी एक महिला व उसके चार बच्चों की मौत हो गई। वे अपने घर वापस लौटने के लिए यहां बस का इंतजार कर रहे थे। विस्फोट की चपेट में आने से 21 अमरनाथ यात्रियों समेत 28 लोग घायल हो गए। इस हमले को घाटी से बाहरी लोगों को खदेड़ने की अलगाववादियों की साजिश का हिस्सा माना जा रहा है। इस वारदात को दोपहर पूर्व करीब पौने बारह बजे अंजाम दिया गया। उस समय बस स्टैंड पर बसों के इंतजार में बाहरी कामगारों और अमरनाथ गुफा के दर्शन कर वापस लौट रहे श्रद्घालुओं की भीड़ लगी हुई थी। हमले में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। मृतकों में बिहार के अररिया जिला निवासी मुहम्मद फिरोज की पत्नी रूबीना (34) व उसके चार बच्चे खुशबू (12), अयूब (8), कय्यूम (7) व आदिल (4) शामिल हैं। फिरोज घाटी में मजदूरी कर परिवार को पाल रहा था। अलगाववादियों की धमकी के डर से अब वह घाटी छोड़ वापस अपने गांव लौट रहा था कि इसी बीच आतंकी हमला हो गया। श्रीनगर के एसएसपी ने कहा कि हमला किसी समुदाय विशेष के बजाय भीड़ को निशाना बनाने के इरादे से किया गया। उन्होंने बताया हमले में घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि कश्मीर में बाहरी मजदूरों की मौजूदगी अलगाववादियों को खटक रही है। हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी समेत अन्य अलगाववादी संगठन बाहरी राज्यों के लोगों को घाटी छोड़ने की कई बार धमकी दे चुके हैं। इसके लिए वे बाहरी मजदूरों को काम न देने और मारपीट जैसे हथकंडे भी अपना चुके हैं।(दैनिक जागरण , २५ जुलाई २००८)

Thursday, July 24, 2008

मुस्लिम तुष्टिकरण: अब मौलाना आजाद का जन्मदिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

Government to commemorate birthday of Maulana Abul Kalam Azad as National Education day

क्या इस देश मैं एक भी हिंदू शिक्षाविद नही बचा था या फिर केन्द्र की अंधी सरकार को पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे महान व्यक्तित्व दीखाई नही दीये।


There have been consistent demands from various sections of the society to observe 11th November, the birthday of Maulana Abul Kalam Azad, a great freedom fighter, an eminent Educationist and the first Union Minister of Education as National Education Day in a befitting manner. Several State Governments have also supported such a demand. Accordingly the Central Government has decided to observe 11th November, every year as the ‘National Education Day’ without declaring it as a holiday.

Ministry of Human Resource Development has decided to commemorate the birthday of this great son of India by recalling his contribution to the cause of education in India. Educational institutions at all levels would be involved in organizing seminars, symposia, essay-writing, elocution competitions, workshops and rallies with banners, cards and slogans on the importance of literacy and nation’s commitment to all aspects of education. The focus of activities on the ‘National Education Day’ would be on the various initiatives taken in Sarva Shiksha Abhiyan (SSA), in setting up of model schools in secondary education, on initiatives taken in higher secondary education, vocational education and higher education sectors by the Central Government on its own, as well as through Private-Public Partnership. These initiatives would be projected in association with various industry bodies, whose fullest cooperation also would be sought in the development of human resources in the country.

(Press Release, Government of India, Friday, July 18, 2008)