दैनिक जागरण, १८ नवम्बर २००८, नासिक : मालेगांव धमाका मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने आरोप लगाया है कि एटीएस साध्वी को यातनाएं दे रही है। अदालत ने सोमवार को साध्वी और सात अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत 29 नवंबर तक बढ़ा दी। नासिक की जिला व सत्र अदालत ने आरोपियों से पूछताछ की गुजरात पुलिस की अपील खारिज कर दी। महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने मामले के आठों आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने के लिए उन्हें नासिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। साध्वी के वकील गणे सवानी ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा कि एटीएस ने हाल ही में साध्वी को शारीरिक यातनाएं दीं। वकील ने यह भी कहा कि साध्वी के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। अतिरिक्त मजिस्ट्रेट एच. के. गणत्र की अदालत इस दौरान खचाखच भरी थी। एटीएस ने आगे पूछताछ के लिए आरोपियों की रिमांड बढ़ाने की अपील की। एटीएस के विशेष वकील अजय मिसर ने दलील दी कि विस्फोट मामले की जांच अभी जारी है, ऐसे में आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़नी चाहिए। उनकी दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने साध्वी समेत सभी आरोपियों को 29 नवंबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस बीच गुजरात पुलिस द्वारा दस में से नौ आरोपियों से पूछताछ के लिए दायर याचिका अदालत ने आज खारिज कर दी। अदालत में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान गुजरात पुलिस के उपाधीक्षक के. के. मैसूरवाला मौजूद थे। पेशी के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने अदालत से अपने वकीलों की ओर से दिए गए वक्तव्य का हिंदी अनुवाद उपलब्ध कराने को कहा। प्रज्ञा ने कहा कि अंग्रेजी में होने के कारण वह इसे समझ नहीं सकती। साध्वी ने अदालत में कहा, मुझे मालूम नहीं मेरा कसूर क्या है? इस मामले में एक अन्य आरोपी पूर्व सैन्य अधिकारी रमेश उपाध्याय ने अदालत को बताया कि उसे कानूनी मदद मांगने के लिए पुणे में अपने परिजनों को पत्र नहीं भेजने दिए गए। उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उसे अपने परिवार से बात नहीं करने दी जा रही, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। उसने एटीएस पर जेल नियमों के तहत मिलने वाली सुविधाएं नहीं दिए जाने का भी आरोप लगाया। इससे पहले साध्वी, अभिनव भारत के सदस्य समीर कुलकर्णी और पूर्व सैन्य अधिकारी रमेश उपाध्याय को अन्य आरोपियों के साथ कड़ी सुरक्षा में अदालत लाया गया। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि साध्वी ने 29 सितंबर को मालेगांव धमाके के बाद मुख्य आरोपी रामजी से लंबी बातचीत की थी। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि साध्वी ने रामजी से पूछा कि पुलिस ने धमाके में इस्तेमाल हुई उसकी मोटरसाइकिल जब्त तो नहीं कर ली है और धमाके में इतने कम लोग क्यों मरे? साध्वी की पेशी के दौरान अदालत के बाहर शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और हिंदू एकता आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी और प्रदर्शन किया।
जब अब्दुल करीम तेलगी ने नार्को टेस्ट में कई नेताओं के नाम उगले तब महाराष्ट्र सरकार ने नार्को टेस्ट प्रक्रिया को नामंजूर कर उन नेताओं के खिलाफ़ जांच कराने से मना कर दिया था। उस वक्त सरकार ने तर्क दिया था कि नार्को टेस्ट की प्रामाणिकता नहीं है। आज वही सरकार और उसके अधीन काम करने वाली एटीएस एक के बाद एक कई नार्को कराकर प्रज्ञा समेत दूसरे आरोपियों को निशाना बना रही है। ये बाद की बात है कि प्रज्ञा दोषी है या नहीं, लेकिन एक बात साफ़ है कि दोहरे मापदंड अपनाए जा रहै हैं। देश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ है?
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