Saturday, November 15, 2008

अब मधुशाला पर फतवा

दैनिक जागरण, १५ नवम्बर, २००८, लखनऊ: शहर काजी मौलाना अबुल इरफान मियां ने साहित्यकार हरिवंशराय बच्चन की कृति मधुशाला की कुछ पंक्तियों पर ऐतराज जताकर फतवा जारी किया है। वहीं राजधानी के एक शायर ने इस कदम को गैर जरूरी करार दिया है। शहर काजी मौलाना अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति के जरिए जानकारी दी कि मधुशाला में लिखी कुछ पंक्तियां इस्लाम की दृष्टि से निहायत गलत हैं। साथ ही धर्म के अनुकूल नहीं हैं। उन्हें इस बात की जानकारी एक पाठक द्वारा दी गई थी। इसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया। उधर शायर खुशबीर सिंह शाद ने कहा है कि शायरों और साहित्यकारों की अपनी अलग पहचान है। वे किसी खास मजहब को तहजीब नहीं देते हैं, बल्कि उनका नाता सर्वसमाज से होता है। उन्होंने कहा कि कबीर और मशहूर शायर असदउल्ला खां गालिब ने भी इस प्रकार की रचनाएं लिखी हैं। ऐसे में इतने दिनों बाद इस प्रकार की आपत्तियां उठाना बेमानी है।

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