Wednesday, June 3, 2009

सिब्बल के गले नहीं उतरी केजीबीवी की यह पढ़ाई

दैनिक जागरण , जून ०२, २००९, नई दिल्ली, संप्रग की पिछली सरकार ने बीते पांच वर्षो में मुस्लिम समुदाय की तालीमी [शिक्षा] तरक्की के लिए भले ही लाख शोर मचाया हो, लेकिन जमीनी तस्वीर लगभग जस की तस है। खासकर, लड़कियों की पढ़ाई के मामले में तो लगता है कि सरकार कागजों में ही ज्यादा गंभीर रही है। तभी तो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पढ़ रही ढाई लाख लड़कियों में से सिर्फ 15 हजार ही मुस्लिम समुदाय से हैं। शायद यही वजह है कि यह तालीमी तरक्की नए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के भी गले नहीं उतरी।

मंत्रालय का काम संभालने के बाद सिब्बल के एजेंडे पर जो कुछ खास मसले हैं, उनमें मुसलमानों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर जस्टिस सच्चर की सिफारिशों पर अब तक हुई कार्रवाई भी अहम है। तभी तो उन्होंने काम शुरू करने के महज दो दिनों के भीतर ही इस पर रिपोर्ट तलब कर ली। अफसरों को भी मुंह जबानी ब्यौरा देने की छूट नहीं थी, लिहाजा सोमवार को उन्होंने सच्चर की सिफारिशों पर अमली कार्रवाई को लेकर सोमवार को प्रेजेंटेशन भी दिया।

सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने सिब्बल को बताया कि दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की लड़कियों की पढ़ाई पर खास फोकस के तहत देश भर में चलाए जा रहे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों [केजीबीवी] में कुल ढाई लाख लड़कियां पढ़ रही हैं। लेकिन उनमें मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 15 हजार ही हैं।

बताते हैं कि यह आंकड़ा सिब्बल के भी गले नहीं उतरा। उन्होंने इस स्थिति को कतई असंतोषजनक माना, लेकिन किसी को कोई हिदायत नहीं दी। सूत्रों की मानें तो सिब्बल अभी मंत्रालय से जुड़े विभिन्न मसलों को गहराई से समझने में जुटे हैं। यही वजह है कि वे अफसरों को सतही तौर पर कुछ भी हिदायत देने से बच रहे हैं।

बताते हैं कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा और सच्चर की सिफारिशों को लेकर अफसरों ने सिब्बल के मंत्रालय का रोडमैप रख दिया है। अब उन्हें मंत्री के अगले निर्देश का इंतजार है। अफसरों के मुताबिक मंत्रालय 2004 से अब तक लगभग ढाई हजार केजीबीवी को मंजूरी दे चुका है, जिनमें से 427 मुस्लिम बहुल आबादी वाले विकास खंडों में खोले जाने हैं। उनमें भी 94 शहरी क्षेत्रों की मुस्लिम आबादी वाले मुहल्लों में खुलेंगे।

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