Tuesday, June 16, 2009

अस्थि विसर्जन के लिए भी वीजा नहीं

Dainik Jagran, 15 Jun 2009, नई दिल्ली, पाकिस्तान के कई श्मशान घाटों में सैकड़ों अस्थि-कलश तीन दशकों से भी अधिक समय से गंगा में विसर्जन के लिए रखे हुए है। वीजा जारी करने की कठिन प्रक्रिया के कारण इन अस्थियों को उनके परिजन भारत आकर गंगा में प्रवाहित नहीं कर पाते हैं।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के श्मशान घाटों में जिनकी अस्थियां रखी हैं, उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाए। मगर इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग तभी वीजा जारी करता है, जब आवेदक का कोई रिश्तेदार या जान-पहचान वाला हरिद्वार में हो। जाहिर है ऐसे लोग नगण्य हैं और वे वीजा के लिए बार-बार इस्लामाबाद आने-जाने का खर्च बर्दाश्त कर पाने में असमर्थ हैं। इस वजह से भारत का वीजा पाने के इंतजार में ही परिजनों के सालों गुजर जाते हैं।

ज्यादातर गरीब लोग तो सिंध नदी में ही अस्थि-कलश प्रवाहित कर देते हैं, लेकिन जो गंगा में प्रवाहित करना चाहते हैं वे वीजा के इंतजार में अस्थि-कलश संजोकर रखते हैं। सिंध के श्मशान घाट प्रशासन की सूचना के अनुसार सैकड़ों के करीब ऐसी अस्थि कलश वहां रखे हैं, जिनके बारे में अब यह पता लगाना भी कठिन हो गया है कि उनका संबंध आखिर किस परिवार से था? अधिकांश अस्थि-कलशों पर मृतक का नाम मिट चुका है।

गौरतलब है कि 1998 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 24 लाख 33 हजार हिंदू हैं और पिछले एक दशक में हिंदुओं की संख्या में वहां अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। सुप्रसिद्ध गांधीवादी निर्मला देशपांडे और सिंध के हिंदू परिषद की पहल से कुछ अस्थियों का तो विसर्जन संभव हुआ था, मगर यह प्रक्रिया आज भी आसान नहीं हो पाई है। इस वजह से पाकिस्तान के अधिकतर हिंदू भारत स्थित पवित्र तीर्थ स्थानों की यात्रा का सपना भी पूरा नहीं कर पाते हैं।

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