Tuesday, September 9, 2008

उड़ीसा दंगों में ईसाई संगठन दोषी: रिपोर्ट

5 सितम्बर 2008, वार्ता, नई दिल्ली। एक स्वयंसेवी संगठनजस्टिस ऑन ट्रायलने अपनी जांच के आधार पर आरोप लगाया है कि उड़ीसा के कंधमाल जिले में साम्प्रदायिक हिंसा के लिए ईसाई मिशनरियों की धर्मपरिवर्तन की गतिविधियां दोषी हैं।

जस्टिस ऑन ट्रायलकी जांच समिति के अध्यक्ष और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता सरदार जीएस. गिल ने आज यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि उड़ीसा में धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए सन 1967 में बनाए गए सख्त कानून के बावजूद ईसाई मिशनरी संस्थाएं प्रलोभन से भोलेभाले आदिवासियों का धर्मपरिवर्तन करा रही हैं, जिससे समय-समय पर तनाव पैदा होता रहता है।

उन्होंने कहा कि उड़ीसा के हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती ने एक साक्षात्कार में स्वंय कहा था कि मिशनरी तत्व उन पर आठ बार हमला कर चुके हैं। नौवें हमले में गत महीने उनकी मौत हो गई थी।

जांच समिति ने हिन्दू नेता पर हुए हमले के लिए माओवादियों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बारे में कहा कि ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है कि माओवादी स्वामी जी की जान लें।

जांच समिति ने कहा कि इस बात की छानबीन होनी चाहिए कि क्या हिन्दू विरोधी ताकतों ने माओवादियों के जरिए इस अपराध को अंजाम दिया है।

जांच समिति में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीसी. डोगरा, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य नफीसा हुसैन, सामाजिक कार्यकर्ता कैप्टन एमके. अंधारे और रामकिशोर पसारी शामिल थे।

कंधमाल में पिछले वर्ष भी दिसम्बर में हुई घटनाओं की जांच के लिए समिति के सदस्यों ने विभिन्न स्थानों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट जारी की थी। समिति के सदस्यों का मानना है कि इस रिपोर्ट में साम्प्रदायिक और सामाजिक तनावों के मूल कारणों का उल्लेख है, जिन्हें दूर करके ही इस क्षेत्र में शांति और सद्भाव कायम किया जा सकता है।

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