दैनिक जागरण, १९ सितम्बर २००८, नई दिल्ली । इराक में पड़ रही अमेरिकी मार के चलते अलकायदा अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हो गया है। पिछले दिनों अलकायदा के नंबर दो अयमान अल जवाहिरी को दुनिया भर में फैले अपने अनुयायियों से आह्वान करना पड़ा कि जब, जहां और जैसे भी हो; 'वैश्विक जेहाद' के लिए संघर्ष करें। वैसे फलस्तीनी उग्रवादी इसका पहले से ही अनुसरण कर रहे हैं। भारत में सक्रिय सिमी भी इसका अपवाद नहीं है।
रणनीति में बदलाव क्यों
- 9/11 के बाद अंतरराष्ट्रीय चौकसी के कारण विस्फोटक सामग्री भेजने व आतंकियों को सीमा पार कराने में दिक्कत, भारत में भी बाड़बंदी और चौकसी के कारण सीमा पार से आतंकियों का प्रवेश कठिन
क्या है रणनीति
- छोटे-छोटे समूह बनाकर स्थानीय स्तर पर काम करना, ताकि गिरफ्तारी से पूरा नेटवर्क नष्ट न हो और भावी आतंकी गतिविधि पर असर न पड़े
- स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल, जैसे नाइट्रोजन उर्वरक। सबसे पहले 1993 में पाक के रम्जी युसूफ द्वारा यूरिया नाइट्रेट से न्यूयार्क वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उड़ाने का प्रयास, 1994 में फलस्तीनी उग्रवादियों द्वारा नाइट्रोजन उर्वरक का इस्तेमाल, पश्चिमी देशों की सरकारों की निगरानी के कारण वहां नाइट्रोजन उर्वरक का आतंकी कार्रवाई में कम उपयोग, लेकिन भारत में 2004 से वृद्धि, अब बेंगलूर से दिल्ली धमाके तक अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग
- स्थानीय स्तर पर सिमी द्वारा प्रशिक्षण की व्यवस्था, अब पाकिस्तान पर उसकी निर्भरता घटती जाएगी
- संचार के लिए फोन या मोबाइल का कम इस्तेमाल। इसकी जगह पर इंटरनेट का बहुतायत उपयोग, ताकि बीच में संवाद को पकड़ा न जा सके
- शक की नजरों से बचने के लिए आकर्षक वस्तुओं के उपयोग से परहेज
आगे क्या
- पश्चिमी देशों में नाइट्रोजन उर्वरकों की खरीद-बिक्री पर बढ़ती निगरानी के कारण अलकायदा द्वारा आतंकी संगठनों को विस्फोटक पदार्थो की जगह ज्वलनशील पदार्थो जैसे गैस सिलेंडर, गैसोलीन आदि के इस्तेमाल की सलाह, 2007 में समझौता एक्सप्रेस में आग लगाने और ब्रिटेन के ग्लासगो एयरपोर्ट को उड़ाने के लिए ज्वलनशील पदार्थो का उपयोग
- पेरोक्साइड युक्त तरल पदार्थ का उपयोग। कास्मेटिक वस्तुओं, सफाई की सामग्री आदि में पेरोक्साइड मौजूद, आसानी से कम दाम में बाजार से उपलब्ध, 25 डालर से कम खर्च, जुलाई 2005 में लंदन की परिवहन व्यवस्था पर हमले के लिए पेरोक्साइड आधारित आईईडी का इस्तेमाल, फलस्तीनी उग्रवादी अस्सी के दशक से ही इसका इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं, केरल प्रशिक्षण शिविर में सिमी द्वारा परीक्षण, खामियां -तैयारी के दौरान विस्फोट की संभावना और अमोनियम नाइट्रेट की तरह लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता
अब तक क्या
- गन : एके-47/56/74, 9 एमएम पिस्टल, कारबाइन, एलएमजी/एसएलआर, .303 राइफल, स्निपर राइफल आदि का इस्तेमाल
- विस्फोटक : हैंड ग्रेनेड, आईईडी, बारूदी सुरंग, राकेट, आरडीएक्स, कार बम
- संचार उपकरण : मोबाइल फोन
रणनीति में बदलाव क्यों
- 9/11 के बाद अंतरराष्ट्रीय चौकसी के कारण विस्फोटक सामग्री भेजने व आतंकियों को सीमा पार कराने में दिक्कत, भारत में भी बाड़बंदी और चौकसी के कारण सीमा पार से आतंकियों का प्रवेश कठिन
क्या है रणनीति
- छोटे-छोटे समूह बनाकर स्थानीय स्तर पर काम करना, ताकि गिरफ्तारी से पूरा नेटवर्क नष्ट न हो और भावी आतंकी गतिविधि पर असर न पड़े
- स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल, जैसे नाइट्रोजन उर्वरक। सबसे पहले 1993 में पाक के रम्जी युसूफ द्वारा यूरिया नाइट्रेट से न्यूयार्क वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उड़ाने का प्रयास, 1994 में फलस्तीनी उग्रवादियों द्वारा नाइट्रोजन उर्वरक का इस्तेमाल, पश्चिमी देशों की सरकारों की निगरानी के कारण वहां नाइट्रोजन उर्वरक का आतंकी कार्रवाई में कम उपयोग, लेकिन भारत में 2004 से वृद्धि, अब बेंगलूर से दिल्ली धमाके तक अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग
- स्थानीय स्तर पर सिमी द्वारा प्रशिक्षण की व्यवस्था, अब पाकिस्तान पर उसकी निर्भरता घटती जाएगी
- संचार के लिए फोन या मोबाइल का कम इस्तेमाल। इसकी जगह पर इंटरनेट का बहुतायत उपयोग, ताकि बीच में संवाद को पकड़ा न जा सके
- शक की नजरों से बचने के लिए आकर्षक वस्तुओं के उपयोग से परहेज
आगे क्या
- पश्चिमी देशों में नाइट्रोजन उर्वरकों की खरीद-बिक्री पर बढ़ती निगरानी के कारण अलकायदा द्वारा आतंकी संगठनों को विस्फोटक पदार्थो की जगह ज्वलनशील पदार्थो जैसे गैस सिलेंडर, गैसोलीन आदि के इस्तेमाल की सलाह, 2007 में समझौता एक्सप्रेस में आग लगाने और ब्रिटेन के ग्लासगो एयरपोर्ट को उड़ाने के लिए ज्वलनशील पदार्थो का उपयोग
- पेरोक्साइड युक्त तरल पदार्थ का उपयोग। कास्मेटिक वस्तुओं, सफाई की सामग्री आदि में पेरोक्साइड मौजूद, आसानी से कम दाम में बाजार से उपलब्ध, 25 डालर से कम खर्च, जुलाई 2005 में लंदन की परिवहन व्यवस्था पर हमले के लिए पेरोक्साइड आधारित आईईडी का इस्तेमाल, फलस्तीनी उग्रवादी अस्सी के दशक से ही इसका इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं, केरल प्रशिक्षण शिविर में सिमी द्वारा परीक्षण, खामियां -तैयारी के दौरान विस्फोट की संभावना और अमोनियम नाइट्रेट की तरह लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता
अब तक क्या
- गन : एके-47/56/74, 9 एमएम पिस्टल, कारबाइन, एलएमजी/एसएलआर, .303 राइफल, स्निपर राइफल आदि का इस्तेमाल
- विस्फोटक : हैंड ग्रेनेड, आईईडी, बारूदी सुरंग, राकेट, आरडीएक्स, कार बम
- संचार उपकरण : मोबाइल फोन
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