सिमी ने अपने मुखपत्र 'इस्लामिक मूवमेंट' में साफ किया था,''कोई भी राजनीतिक दल अपनी सेकुलरवादी घटिया विचारधारा के जरिए ठोस और सकारात्मक बदलाव नहीं ला सकता। असली बदलाव का एकमात्र रास्ता इस्लामी जीवन पद्धति है।'' सिमी के महामंत्री सफदर नागौरी गुजरात रक्तपात के जरिये दोबारा चर्चा में हैं। नागौरी ने ओसामा बिन लादेन को आतंकवादी नहीं, 'सच्चा मुसलमान' बताया था। उनके मुताबिक जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। सिमी ने 2004 में भारत के लिए एक और महमूद गजनी की जरूरत बताई थी। महमूद गजनी ने भारत पर 17 हमले किए, सिमी भी उसी तर्ज पर हमलावर है। उतवी हमलावर महमूद गजनी का सहायक और इतिहासकार था। उतवी ने 'तारीखे यामिनी' में सन 1000 से लेकर ज्यादातर हमलों का आंखों देखा वर्णन किया है,''..नदी का रंग काफिरों के खून से लाल हो गया, सुल्तान बेहिसाब दौलत लाया। अल्लाह इस्लाम और मुसलमानों को सम्मान देता है। गुलामों की तादाद के कारण बाजार भाव गिर गया।'' गजनी जोरजबर से गुलाम ले गया था, सो बाजारभाव गिरा। आज सिमी की खिदमत में खुशी-बखुशी गुलाम हाजिर हैं। यहां गुलामों की बहुतायत है, सिमी समर्थक दल नेता घटे दर पर गुलाम हैं। अबुल बशर और प्रतिभाशाली युवकों का सिमी में होना खतरे की घंटी है। अहमदाबाद बमकांड के आरोपी तथा आजमगढ़ के निवासी बशर को अपने किए पर कोई मलाल नहीं। उसने अहमदाबाद, वाराणसी, फैजाबाद और जयपुर की आतंकी कार्रवाई को 'इस्लामिक काम' ठहराया है।
सिमी प्रमुख शहिद बद्र पर बहराइच में राष्ट्रद्रोह सहित कई जघन्य आरोपों के मुकदमे दर्ज हुए। बद्र गुजरात रक्तपात में हुई गिरफ्तारियों को सिमी की बदनामी की साजिश बताते हैं। उनकी मानें तो सिमी पाक-साफ है। साबरमती एक्सप्रेस बम कांड के आरोप सिमी पर हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने जलगांव कोर्ट में अक्टूबर 2001 में 11 सिमी कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंकवादी आरोप-पत्र दाखिल किया था। 2001 में ही मध्य प्रदेश पुलिस ने 9 और दिल्ली पुलिस ने भी कई सिमी कार्यकर्ता पकड़े। हावड़ा ब्रिज उड़ाने की तैयारी में आरडीएक्स सहित सिमी के नेता हासिब रजा गिरफ्तार हुए। पश्चिम बंगाल में सिमी के कार्यकर्ता रेलवे लाइन उड़ाने के आरोप में पकड़े गए। मुंबई पुलिस ने आधुनिक शस्त्रों और रसायनों से लैस सिमी के आधा दर्जन कार्यकर्ता मई 2003 में पकड़े। 2005 के श्रीराम जन्मभूमि परिसर हमले में भी सिमी के लोग गिरतार हुए। सिमी के रक्तपात, राज्यद्रोह और राष्ट्रद्रोह की कथा लंबी है। बावजूद इसके ट्रिब्यूनल में केंद्र सिमी को खतरनाक संगठन घोषित करने लायक साक्ष्य भी नहीं जुटा पाया। सर्वोच्च न्यायालय स्टे न देता तो देश की छाती पर सवार सिमी के लोग देश की गर्दन दबोच लेते। गुजरात पुलिस ने केरल के जंगल में सिमी ट्रेनिंग कैंप का ताजा खुलासा किया है। केरल सरकार ने जून 2006 में ही सिमी पर प्रतिबंध की वैधता जांच रहे ट्रिब्यूनल के समक्ष तमाम खतरनाक सूचनाएं दी थीं। केरल राज्य की विशेष पुलिस शाखा ने कई स्थानीय मजहबी संगठनों/केंद्रों को भी सिमी सहायक पाया था। केरल के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, इस्लामिक यूथ सेंटर और तमिलनाडु के तमिल मुस्लिम मुनेत्र कजगम जैसे संगठन सिमी से संबंधित बताए जाते हैं। सिमी देश के तमाम विश्वविद्यालयों में भी सक्रिय है।
सिमी और बांग्लादेशी संगठन हरकत-उल जेहाद अल इस्लाम (हुजी) मिलकर काम करते आए हैं। सिमी ने हुजी के लिए उत्तर प्रदेश के जौनपुर, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, अंबेडकरनगर, अलीगढ़, सोनौली, फिरोजाबाद, हाथरस और आजमगढ़ में नवयुवक प्रशिक्षित किए हैं। मध्य प्रदेश में प्रतिबंध के पहले ही विभिन्न जिलों में सांप्रदायिक शत्रुता बढ़ाने वाले 35 मुकदमे सिमी कार्यकर्ताओं पर दर्ज हुए थे। उसके बाद से 2006 तक 180 से ज्यादा सिमी कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। संप्रति मध्य प्रदेश भी सिमी का गढ़ है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद, मालेगांव, जलगांव और थाणे सिमी के सघन कार्यक्षेत्र हैं। नासिक, शोलापुर, कोल्हापुर, गड़चिरौली, नांदेड़, औरंगाबाद, जलगांव और पुणे खुफिया एजेंसियों के लिए सिरदर्द हैं। राज्य में 3000 से ज्यादा मदरसे हैं और सिमी गतिविधियों के के लिए अच्छा-खासा कच्चा माल हैं। पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में 2003 के अगस्त-सितंबर में दो दिवसीय प्रशिक्षण हुआ। सिमी ने 2004 के चुनाव में 'इंडियन नेशनल लीग' के 6 उम्मीदवारों को जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, डायमंड हार्बर, बशीरहाट, जादवपुर और पश्चिमोत्तर कोलकाता सीटों पर समर्थन भी दिया। तमाम नेता स्वाभाविक ही सिमी का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष समर्थन करते हैं।
जिस प्रकार सिमी का घोषित मकसद भारत विरोध और जेहादी आतंकवाद है उसी प्रकार सिमी समर्थक राजनीतिक दलों का घोषित मकसद चुनावी जीत है। दोनों परस्पर सहयोगी हैं। भारत आंतरिक सुरक्षा के संकट से जूझ रहा है। माओवादी नक्सलपंथी हिंसा है, राष्ट्रव्यापी जेहादी आतंकवाद है, कश्मीर घाटी में अलगाववाद है, पूर्वोत्तर अशांत है, नेपाल और बांग्लादेशी सीमाएं असुरक्षित हैं। सिमी के देशी आतंकवाद से पूरे देश में थरथराहट है। आतंकवाद के खिलाफ पड़ोसी बांग्लादेश में भी कड़े कानून हैं और मृत्युदंड का प्रावधान है। ब्रिटेन के आतंक विरोधी कानून में संदिग्ध को 42 दिन तक पुलिस हिरासत में रखने की व्यवस्था है। फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, अमेरिका, फिलीपींस में भी कड़े कानून हैं, लेकिन भारत आतंकवाद पर मुलायम है। यहां रक्तपात, हमला और बमबारी नहीं, बल्कि हमलावर का मजहब देखा जाता है। सिमी ने 'सागा आफ स्ट्रगल' (वार्षिक रिपोर्ट 1998-2000) में कहा था,''दीन के लिए उठो, खड़े हो, मुस्लिम युवक इस्लाम की श्रेष्ठता की पुनस्र्थापना के लिए जेहाद करें।'' अर्थात अपने ही देशवासियों, भाई-बंधुओं का कत्ल करें। अचरज है कि सवा अरब भारतवासियों को 4-5 हजार उन्मादी मार रहे हैं और राष्ट्र-राज्य की सारी संस्थाएं चुप हैं।
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