भोपाल। भारत में आतंकवाद को बढावा देने में भूमिका निभा रहा प्रतिबंधित मुस्लिम छात्र संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) बदले हुए सुरक्षा माहौल में दूसरा नाम रख सकता है। उच्च पदस्थ पुलिस सूत्रों ने यह आशंका जताई है। सूत्रों ने बताया कि यह संगठन तहरीक-ए-मिल्लत या आवाज-ए-सूरा नाम से अपनी गतिविधियां चला सकता है। खासकर मध्य प्रदेश में यह संगठन अपना नेटवर्क बढ़ाने के प्रयास में लगा हुआ है। सिमी की मध्य प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख इमरान अंसारी और एक अन्य कार्यकर्ता अब्बदुल रज्जाक पिछले सप्ताह पुलिस धोखा देने में कामयाब निकल गए। बाद में अंसारी को एक होटल में सिमी समर्थकों और कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए पाया गया। पुलिस ने उस ठिकाने पर छापे मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये दोनों एक खतरनाक साजिश में संलिप्त थे। इंदौर के पुलिस प्रमुख अंशुमन यादव ने बताया कि अंसारी और रज्जाक को हम पकडने में सफल रहे, लेकिन गुलरेज और अख्तर उर्फ चांद जैसे सिमी कार्यकर्ता भागने में सफल रहे।
खबरे अब ऐसी आ रही है कि सिमी दूसरा नाम रखने की तैयारी में है। सितंबर 2001 में प्रतिबंधित किए जाने से लेकर अब तक सिमी बुरहानपुर, गुना, नीमच और शाजापुर जैसे जिलों में अपना नेटवर्क फैला चुका है। प्रतिबंध से पहले इस संगठन की गतिविधियां इंदौर, उज्जैन, खंडवा और भोपाल तक ही सीमित थीं। सिमी का राज्य मुख्यालय इंदौर में है।( इंडो-एशियन न्यूज सर्विस, 07 नवम्बर २००६)
खबरे अब ऐसी आ रही है कि सिमी दूसरा नाम रखने की तैयारी में है। सितंबर 2001 में प्रतिबंधित किए जाने से लेकर अब तक सिमी बुरहानपुर, गुना, नीमच और शाजापुर जैसे जिलों में अपना नेटवर्क फैला चुका है। प्रतिबंध से पहले इस संगठन की गतिविधियां इंदौर, उज्जैन, खंडवा और भोपाल तक ही सीमित थीं। सिमी का राज्य मुख्यालय इंदौर में है।( इंडो-एशियन न्यूज सर्विस, 07 नवम्बर २००६)
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