नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले विशेष न्यायाधिकरण ने मंगलवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया [सिमी] पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। केंद्र सरकार न्यायाधिकरण के इस फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देगा। भाजपा ने प्रतिबंध हटने के लिए केंद्र सरकार की अक्षमता को दोषी ठहराया है।
एक शीर्ष कानून अधिकारी के मुताबिक न्यायाधिकरण की अध्यक्षता कर रहीं न्यायाधीश गीता मित्तल ने कहा कि सरकार ने सिमी के खिलाफ ऐसे कोई नए साक्ष्य पेश नहीं किए हैं जिससे प्रतिबंध बढ़ाने को न्यायोचित ठहराया जा सके। सरकार ने संगठन की गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाने के लिए सिर्फ वर्ष 2006 में मालेगांव में हुए विस्फोटों का सबूत दिया जो इस पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी करने के लिए पर्याप्त नहीं था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि प्रतिबंध हटाने के न्यायाधिकरण के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले फैसले का गहन अध्ययन किया जाएगा और इसके बाद प्राथमिकता के आधार पर आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी।
भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संप्रग सिमी पर लगे प्रतिबंध को जारी रखने में अक्षम रहा है। इससे सरकार का वास्तविक चेहरा और आतंकवाद के प्रति इसका नरम रवैया दिखता है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस फैसले का विरोध करेगी क्योंकि वह इस मुद्दे को देश की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मानती है। उन्होंने कहा कि सिमी आतंकवाद है और आतंकवाद सिमी। इस सह संबंध का सबको पता है। सरकार हकीकत से मुंह मोड़ रही है और आतंकवाद के प्रति नरम रुख अपना कर नागरिक समाज को खतरे में डाल रही है। (दैनिक जागरण, ६ अगस्त २००८)
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