तिलखाना। आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर उत्तरप्रदेश में हाई अलर्ट जारी है लेकिन यहां प्रतिबंधित संगठन सिमी की गतिविधियां जारी है। सिमी लगातार राज्य में अपने पैर प्रसार रहा हैं। सिमी पर आतंकवादी संगठनों को मदद किए जाने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। सिमी राज्य में अपना प्रसार कर रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण नेपाल सीमा के पास तिलखाना में देखने को मिला। यहां की दीवारों पर पेंट से लिख कर सिमी खुले आम निमंत्रण दे रहा है कि ‘सिमी से जुड़ें’। सिमी से जुड़ने का यह निमंत्रण हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में आसानी से देखने को मिल रहा है। इन इश्तहारों से साफ है कि सिमी अपने संगठन में भर्ती का अभियान चला रहा है।
सीएनएन-आईबीएन के जांच दल ने नेपाल सीमा के पास सिद्धार्थनगर जिले में अल-जामईतुल-इस्लामिया मदरसे का दौरा किया। यहीं से वर्ष 2001 में सिमी से सांठगांठ रखने वाले चार लोगों को पकड़ा गया था। यहां के नए मैनेजर मुश्ताक अहमद और अरबी के अध्यापक अख्तर फलाही से बातचीत की गई। यह एक प्रकार की जांच थी जो छुप कर की जा रही थी। वर्ष 2001 में जिन्हें यहां से गिरफ्तार किया गया था उनमें फलाही और उसका एक साथी अब्दुल अवाल भी शामिल थे। फलाही ने देखते ही कहा कि आशा है कि आप लोग तहलका से तो नहीं है, जैसा गुजरात में हुआ था। फलाही ने बताया कि पुलिस ने हमें फर्जी मामले में गिरफ्तार किया और कहा कि हम सिमी से जुड़े हैं। आज फलाही औऱ अवाल इस मदरसे में फिर से पढ़ा रहे हैं और उनकी वापसी के साथ ही यहां पर सिमी के नारों की वापसी भी हो गई है। भले ही वे अपने आप को गुनहगार नहीं बताए लेकिन सिमी के नारों की वापसी उनके साथ ही हुई है।
तिलखाना के एक निवासी ने बताया कि सिमी के नारे मदरसे के दरवाजों पर, दीवारों पर और यहां तक की गांव के चौराहों पर भी लिखे हुए हैं। जिन अध्यापकों को यहां से गिरफ्तार किया गया था वे आज भी यहां पढ़ा रहे है। कुछ यहां के अध्यापक हिरासत में भी हैं। मदरसे के पूर्व मैनेजर मोहम्मद रउफ ने सिमी की गतिविधियों की चलते यहां से इस्तीफा दे दिया था। सीएनएन-आईबीएन के उनसे बात भी की।
सीएनएन-आईबीएन- कौन- कौन मास्टर शामिल थे?
रउफ- एक मास्टर अब्दुल अवाल है, बताया गया है कि वहीं इसका मुख्य कर्ताधर्ता है और कुछ लड़के शामिल हैं। गांव के अनेक लोग मदरसे के बारे में कुछ भी कहने से डरते है। तिलखाना के एक निवासी अकरम (बदला हुआ नाम) ने बताया कि हम भी मुस्लिम है, लेकिन उन्हें रोकने की ताकत हममें नहीं है क्योंकि हम जानते है कि वे अच्छे लोग नहीं है। भारत नेपाल सीमा पर लगभग 600 मदरसे और मस्जिदें हैं। खुफिया विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से कई मदरसों को पाकिस्तान और पश्चिमी एशिया से आर्थिक सहायता मिल रही है। संघर्ष प्रबंधन संस्थान के निदेशक अजय सहानी का कहना है कि पाकिस्तान के हबीब बैंक, सउदी अरब के इस्लामिक बैंक, कराची के अल-फलाह बैंक जैसे कई इस्लामिक संस्थानों और बैंकों से इन मदरसों को आर्थिक सहायता मिलती है। (सीएनएन-आईबीएन,12 जनवरी २००८)
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