13 अक्टूबर 2008 ,वार्ता, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों से घिरे इस्लामिक स्टूडेंट्स मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगे प्रतिबंध को सोमवार अगले आदेश तक बढ़ा दिया।
न्यायमूर्ति एसबी. सिन्हा और न्यायमूर्ति सी. जोसेफ की पीठ ने मामले को उचित पीठ में स्थानांतरित कर दिया, जो पहले से ही संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त 2008 को सिमी से प्रतिबंध हटाते हुए कहा था कि इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा पेश साक्ष्य गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत संगठन पर प्रतिबंध को जायज ठहराने के लिए ना काफी हैं।
केन्द्र ने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में भी अपील दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश केजी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ, दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर पहले ही रोक लगा चुकी है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि सिमी के कार्यकर्ता हाल में हुए कई बम धमाकों में शामिल थे और 89 मामलों में संगठन के 1900 कार्यकर्ता देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं। लेकिन उच्च न्यायालय ने इन सबूतों को पर्याप्त नहीं माना था।
सरकार का आरोप है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के विशेष न्यायाधिकरण ने सिमी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से सांठगांठ के बारे में केन्द्रीय खुफिया और जांच एजेंसियों से मिली जानकारी को भी नजरअंदाज किया।
सरकार का कहना है कि सिमी के अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल-कायदा और अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहीम से भी संबंध हैं। सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध को सात फरवरी 2008 को दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया था।
न्यायमूर्ति एसबी. सिन्हा और न्यायमूर्ति सी. जोसेफ की पीठ ने मामले को उचित पीठ में स्थानांतरित कर दिया, जो पहले से ही संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त 2008 को सिमी से प्रतिबंध हटाते हुए कहा था कि इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा पेश साक्ष्य गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत संगठन पर प्रतिबंध को जायज ठहराने के लिए ना काफी हैं।
केन्द्र ने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में भी अपील दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश केजी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ, दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर पहले ही रोक लगा चुकी है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि सिमी के कार्यकर्ता हाल में हुए कई बम धमाकों में शामिल थे और 89 मामलों में संगठन के 1900 कार्यकर्ता देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं। लेकिन उच्च न्यायालय ने इन सबूतों को पर्याप्त नहीं माना था।
सरकार का आरोप है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के विशेष न्यायाधिकरण ने सिमी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से सांठगांठ के बारे में केन्द्रीय खुफिया और जांच एजेंसियों से मिली जानकारी को भी नजरअंदाज किया।
सरकार का कहना है कि सिमी के अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल-कायदा और अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहीम से भी संबंध हैं। सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध को सात फरवरी 2008 को दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया था।
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