दैनिक जागरण, ३१ अक्टूबर २००८, कुआलालंपुर। मलेशिया में योग पर प्रतिबंध को लेकर विभिन्न धर्मो के विद्वानों में बहस छिड़ गई है। इस बहस में चिकित्सक और योगकर्मी भी शामिल हो चुके है।
संभावना इस बात की है मलेशिया की 'नेशनल फतवा काउंसिल' मुसलमानों के योग करने पर प्रतिबंध लगा सकती है। हालांकि इस संबंध में अब तक कोई ऐलान नहीं हुआ है।
केबांगसान विश्वविद्यालय में इस्लामिक अध्ययन केंद्र के प्राध्यापक जकारिया स्तपा के मुताबिक योग का मूल संबंध हिंदू धर्म से है इसलिए इसका अभ्यास करने से मुसलमान इस्लाम की शिक्षा से विमुख हो सकते हैं।
हिंदू विद्वानों का कहना है कि योग को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। इसके साथ ही चिकित्सक और योगकर्मी भी योग को धर्म से जोड़े जाने को उचित नहीं मानते।
'मलेशियन मुस्लिम सोलिडेरिटी मूवमेंट' के अध्यक्ष जुल्किफली मोहम्मद का कहना है कि योग एक व्यायाम है और इससे दिमाग को शांति मिलती है। इसमें इस्लाम से विमुख करने वाली कोई बात नहीं है।
समाचार पत्र 'न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स' में सुलेहा मेरिकवन नामक एक मुस्लिम महिला ने कहा है कि जब उनका इस्लाम में गहरा यकीन है तो वह योग से कैसे खत्म हो सकता है। वह कई वर्षो से योगाभ्यास कर रही है। 'मलेशिया हिंदू संगम' के अध्यक्ष ए. वैथलिंगम का कहना है कि योग को कई देशों में धर्म और संस्कृति से अलग स्वीकार किया गया है।
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