Saturday, July 25, 2009

हिंदू होने का खामियाजा भुगत रहे हैं कनेरिया

I B N ७ , २४ जुलाई २००९ नई दिल्ली। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खिचीं। जहां भारतीय समाज के हर पहलू में धर्मनिरपेक्षता को सलीके के साथ पिरोया गया वहीं पाकिस्तान उग्रवाद और अलगाववाद के रास्ते पर चलता गया। क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं जहां भारत में मंसूर अली खान पटौदी से लेकर मोहम्मद अजहरुद्दीन कामयाब कप्तान में शुमार हुए, वहीं पाकिस्तान में यूसुफ योहाना से लेकर दानिश कनेरिया के साथ जो कुछ हुआ उससे कई सवाल उठते हैं।
दानिश कनेरिया मौजूदा समय में पाकिस्तान टीम के सबसे कामयाब स्पिनर हैं लेकिन हर समय टीम से अंदर-बाहर होते रहते हैं। दरअसल मुस्लिम टीम में इकलौते हिंदू होने की कीमत कनेरिया को चुकानी पड़ रही है। पाकिस्तानी क्रिकेट में इस मुद्दे पर हमेशा खामोशी रही है लेकिन आईबीएन 7 को मिली जानकारी के अनुसार कनेरिया खुद इस भेद-भाव से अक्सर परेशान रहते हैं। वो चाहकर भी न तो इसकी आलोचना कर सकते हैं और न ही कुछ कह सकते हैं।
टेस्ट क्रिकेट में लगातार अच्छा खेल दिखाने के बावजूद कनेरिया को कभी भी वन-डे क्रिकेट में ज़्यादा मौके नहीं दिये गए और ना ही कभी उन्हें टी-20 के लायक समझा गया। भारत में खेल की दुनिया में धर्म बेमानी रहा है मंसूर अली खां पटौदी से लेकर मोहम्मद अजहरुद्दीन तक टीम इंडिया की कप्तानी कर चुके हैं। यहीं नहीं जहीर खान, मुनाफ पटेल, पठान भाइयों को कभी भी इस मुल्क में धोनी या सहवाग से कम मौका नहीं मिलता।
सवाल सिर्फ कनेरिया का नहीं है। पूर्व पाकिस्तानी विकेट कीपर अनिल दलपत को भी ज्यादा मौके नहीं मिले। यहां तक कि पिछले एक दशक में पाकिस्तान के सबसे कामयाब बल्लेबाज मोहम्मद यूसुफ को भी इसका खामियजा भुगतना पड़ा। मोहम्मद यूसुफ बनने से पहले ये जनाब यूसुफ योहाना थे। लेकिन, पाकिस्तान में जितनी मुश्किल एक हिंदू को होती है उतनी ही कठिनाई क्रिश्चियन खिलाड़ी को भी होती है। मो. यूसुफ को कभी कप्तानी नहीं मिली। माना जाता है कि इसका कारण उनका क्रिश्चियन होना था?
दानिश कनेरिया पाकिस्तान में जाने-माने अल्पसंख्यक क्रिकेटरों में से एक हैं। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान ने तो यहां तक कहा था कि अगर वो कप्तान होते तो कनेरिया को हर फॉर्मेट में खिलाते। लेकिन इसके बावजूद कनेरिया पाकिस्तान टीम से अंदर बाहर होते रहे हैं।

Thursday, July 23, 2009

छोड़ आए जलालत का देश

दैनिक भास्कर, २२ जुलाई २००९, अटारी बार्डर. पाकिस्तान के तालिबान प्रभावित इलाकों से हिंदू-सिखों का पलायन जारी है। इसका मुख्य कारण उन पर ढाए जाए रहे जुल्म व बहू-बेटियों की अस्मत से खिलवाड़ है। जो सामथ्र्यवान हैं, वह तो भारत की तरफ भाग कर आ रहे हैं और जो नहीं हैं, वे परिस्थितियों का शिकार हो रहे हैं। तालीबानी कहर का शिकार एक हिंदू परिवार अटारी बार्डर के माध्यम से भारत पहुंचा। यह परिवार सिंध प्रांत के लरकाना जिले का रहने वाला है।
परिवार के चार सदस्य सुरेश कुमार (50), कंचन (45), प्रिया (21) व प्रत्यक्ष (13) वर्ष शामिल हैं। परिवार के मुखिया सुरेश कुमार व उनकी पत्नी कंचन ने बताया कि उनका वहां पर अच्छा-खासा कारोबार है, लेकिन तालिबानी आतंकियों के कारण सब तबाह हो गया है। कंचन के अनुसार वह परिवार सहित पुणो में रहने वाले अपने भाई के पास शरण लेने आए हैं। उनका भाई दो साल पहले उन्हीं की तरह से हिंदोस्तान आ गया था।
सुरेश कुमार के अनुसार पाक सरकार कुछ भी कहे, लेकिन सिंध जैसे इलाके में हिंदू-सिखों की हिफाजत करने को कोई तैयार नहीं है। उनकी संपत्ति तो लूटी ही जाती है, बल्कि दिन-दहाड़े उनकी बहू-बेटियों को भ उठा लिया जाता है। कंचन का कहना है कि वह लोग अपनी संपत्ति तो गवां ही चुके हैं, लेकिन बेटी की इज्जत नहीं गंवाना चाहते। इसलिए वे भारत की शरण में आए हैं।
सुरेश व कंचन ने बताया कि उनके लिए बच्चे ही दौलत हैं। वह उन्हें किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहते। इज्जत रहेगी तो धन-दौलत फिर से आ जाएगी। इन लोगों का कहना है कि भारत की शरण में आए हैं, वह चाहे तो रखे या फिर मार दे, लेकिन वह पाक जैसे जलालत भरे देश नहीं लौटेंगे। हिंदोस्तान की मिट्टी में मिल जाने में ही भलाई समझेंगे।
छात्राओं को उठा ले गए तालिबानी
प्रिया ने बताया कि उसने इस साल 12वीं क्लास में दाखला लेना था। इसी बीच जो हादसा हुआ उसने उन सबकी चैन छीन लिया। प्रिया के अनुसार उसी की क्लास की तीन सहेलियां पूनम, सपना और कोमल थीं। रोज की तरह वह लोग साथ-साथ स्कूल जाया करती थीं। एक दिन वह साथ नहीं गई और उसी दिन तालिबानी आतंकियों ने उनको रास्ते से जबरन उठा लिया। पहले तो उनके साथ दुष्कर्म किया फिर उनसे जबरन निकाह करके उनको अपनी बीवी बना लिया। परिवार वालों ने बेटियों को बचाने के लिए काफी भागदौड़ की, लेकिन उनको भी जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया गया।

गौकश दबोचा, धुनाई कर पुलिस को सौंपा

दैनिक जागरण, १५ जुलाई २००९, आगरा। डौकी के गांव मेद का नगला में ग्रामीणों ने एक गौकश को दबोच जमकर मरम्मत करने के बाद पुलिस को सौंप दिया। आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई को लेकर भीड़ काफी देर तक थाने पर जमी रही।
घटनाक्रम के अनुसार, बताया जाता है कि सुबह नगला मेद, डौकी निवासी डौकी ओमप्रकाश पुत्र भगवानदास ने मैक्स गाड़ी में दो गायों को लादकर गौकशी के लिए आगरा भेज दिया। शक होने पर आसपास क्षेत्र के लोगों ने ओमप्रकाश को घर से दबोच लिया। जानकारी होने पर विश्व हिंदू परिषद के जिलामंत्री अशोक लवानियां तथा बजरंग दल के पूर्व जिला संयोजक मुकेश दीक्षित भी मौके पर पहुंच गये। आक्रोशित हिंदूवादियों और क्षेत्रीय ग्रमाीणों का कहना था कि ओमप्रकाश गौकशी के लिए आगरा गाय भेजता है। उसकी जमकर मरम्मत करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया गया। थाने पर जमा भीड़ ने पुलिस से आरोपी को गैंगस्टर में निरुद्ध करने की मांग की। थानाध्यक्ष द्वारा कार्यवाही का आश्वासन देने पर भीड़ वहां से हटी।

गौ वंश की हत्या के रोषस्वरूप बंद का ऐलान

दैनिक जागरण, १२ जुलाई २००९, बठिंडा-विगत दिवस समीपवर्ती मंडी डबवाली में गौ वंश की हत्याओं से उद्वेलित हुए हिंदू संगठनों ने मंगलवार, 14 जुलाई को बठिंडा बंद का ऐलान किया है।
विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत विभिन्न हिंदू संगठनों ने रविवार शाम को एक हंगामी बैठक कर इस कुकर्म की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सरकार की नीतियों के प्रति रोष जताया। उन्होंने बताया कि गौ वंश के हत्यारों को कड़ाई से न निबटने की वजह से ही इनके हौसले बुलंद है और वे निर्ममतापूर्वक हिंदू की मां गऊ का वध कर अपना व्यापार चला रहे है।
विगत दिवस भी लोगों की सक्रियता से ही गौ वंश हत्यारों के गैंग का खुलासा हुआ जिसके पास से तीन दर्जन गऊओं की लाशें बरामद हुई। विहिप के प्रांतीय उपाध्यक्ष सुखपाल सिंह सरां ने कहा कि जिसे प्रत्येक हिंदू अपने मां के समान पूजा करता है, उसे चंद लोग रुपयों की खातिर बलि पर चढ़ा रहे है। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला रुकने वाला नहीं जब तक कि समूह जनता ऐसे तत्वों के खिलाफ एकजुट नहीं होती।
उन्होंने प्रशासन से गौ वंश के हत्यारों को कड़ी सजा देने की मांग करते हुए ऐलान किया कि समूह संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के अनुसार 14 जुलाई को बठिंडा बंद किया जाएगा जिसमें उन्होंने लोगों से गौ माता के प्रति अपनी धार्मिक आस्था रखते हुए इस बंद में सहयोग देने की अपील की। उन्होंने सरकार व प्रशासन से अपील की कि ऐसे अपराधियों को कम से कम दस साल की सजा हो, वहीं गाय माता को धार्मिक प्राणी घोषित किया जाए ताकि कोई व्यक्ति गौ वध करने का दुस्साहस न कर सके।

शिवलिंग क्षतिग्रस्त किये जाने से तनाव

दैनिक जागरण, २३ जुलाई २००९, लावड़ (मेरठ)। ग्राम चिंदौड़ी में मंगलवार रात प्राइमरी स्कूल स्थित शिवलिंग व वहां रखी मूर्ति को अराजक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिये जाने से गांव में आक्रोश फैल गया। घटना की जानकारी पाकर काफी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गये। गांव में तनाव की जानकारी पाकर एसपी देहात, एसडीएम व सीओ कई थानों की फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंचे तथा दोषी का पता लगाकर कड़ी कार्रवाई किये जाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत किया। उन्होंने शिवलिंग की दोबारा स्थापना करायी।
ग्रामीणों के अनुसार ग्राम चिंदौड़ी के प्राइमरी स्कूल स्थित शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग व गणेश जी की मूर्ति रात में अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दी। घटना का बुधवार सुबह पता तब चला जब मंदिर की देखरेख करने वाला ग्रामीण जितेन्द्र वहां पहुंचा। घटना से गांव में रोष फैल गया तथा काफी संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गये।
घटना की जानकारी पाकर थाना प्रभारी जितेन्द्र सिंह चौहान फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े थे। एसपी देहात शरद सचान, सीओ सत्यपाल सिंह व एसडीएम सरधना सतीश पाल भी फलावदा व दौराला पुलिस के साथ वहां पहुंचे।
एसपी देहात शरद सचान व एसडीएम सतीश पाल ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत किया तथा दोषियों का पता लगाकर कड़ी सजा दिलाने के आश्वासन दिया। बाद में ग्रामीणों से बातचीत के पश्चात अधिकारियों ने शिवलिंग को यथा स्थान पर स्थापित कराया। सीओ सत्यपाल सिंह ने बताया कि फिलहाल किसी ग्रामीण ने रिपोर्ट दर्ज नही करायी है। गांव में स्थिति शांतिपूर्ण है, इसलिए एक दरोगा व आधा दर्जन सिपाहियों तैनात किये हैं।

Saturday, July 11, 2009

छात्रा को भगाने के मामले में दो समुदायों में तनाव

दैनिक जागरण, ११ जुलाई २००९, एटा। सहावर थाना क्षेत्र में छात्रा को नामजद आरोपी भगा ले गये। घटना के बाद दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। जबकि पुलिस ने नामजद आरोपियों के विरुद्ध अभियोग दर्ज कर छात्रा की बरामदगी के प्रयास शुरू कर दिये है।

घटनाक्रम के अनुसार सहावर के मोहल्ला काजी निवासी खालिद पुत्र बाबू खाँ कस्बे में टेलरिंग का कार्य करता है। साथ ही कपड़ों पर कढ़ाई आदि के कार्य भी मजदूरी पर कराता है और इस कार्य के सिलसिले में खालिद का सहावर थाना क्षेत्र के ग्राम बोंदर में आना-जाना था और इसी आने-जाने के क्रम में खालिद का गाँव बोंदर में राकेश (नाम काल्पनिक) के घर में भी आना-जाना शुरू हो गया था। इसी दौरान खालिद की आंख राकेश की तकरीबन 16 वर्षीय युवती से लड़ गई।

उक्त युवती 4 जुलाई को प्रात: करीब 10 बजे अपनी दादी के साथ कुछ सामान खरीदने सहावर आई थी कि तभी सहावर स्थित बोंदर वाली पुलिया पर राकेश की माँ कुछ सामान खरीदने लगी कि इसी दौरान खालिद अपने साथियों के साथ आया और राकेश की उक्त पुत्री को बहला-फुसलाकर भगा ले गया। मामले की जानकारी होने पर पहले तो परिजनों ने अपने स्तर से ही पुत्री को तलाशा, किन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद भी उसका पता नहीं चला तो घटना की तहरीर खालिद, आसिफ पुत्रगण बाबू खाँ तथा खालिद की अविवाहित बहन सहित शाब व जमीर के विरुद्ध थाना पुलिस को तहरीर दी, जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश में दविशें दी, किन्तु पुलिस की दविश से पूर्व ही नामजद आरोपी घर से फरार हो गए।

चूंकि उक्त प्रकरण दो समुदायों के मध्य का है फलत: प्रकरण को लेकर गाँव बोदर में दो समुदायों के मध्य तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसकी धमक कस्बा सहावर तक आ पहुंची है और समझा जाता है कि उक्त प्रकरण में पुलिस को शीघ्र ही कोई सफलता नहीं मिली तो सहावर क्षेत्र में दो समुदायों के मध्य बवाल भी हो सकता है।

Friday, July 10, 2009

मंदिर क्षतिग्रस्त करने के विरोध में बंद रहे नेपाल के प्रमुख कस्बे

दैनिक जागरण, बढ़नी (सिद्धार्थनगर), 08 जुलाई २००९ । पड़ोसी मुल्क नेपाल में मंदिर तोड़ने व पुजारी की पिटाई के विरोध में कपिलवस्तु जिले के बाजार बुधवार को बंद रहे। इसे लेकर भारतीय सीमाई क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। अंत में आंदोलनकारियों ने सीडीओ कपिलवस्तु को ज्ञापन सौंपा।

आंदोलनकारियों का आरोप था कि पखवारे भर दो अज्ञात नागरिकों ने ग्राम गुगौली में एक पुराने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा पुजारी को मारा पीटा। उन्होंने इसकी सूचना कपिलवस्तु पुलिस को दी थी, मगर अभी तक कोई कार्रवाई संभव नहीं हो सकी। इसके विरोध में बुधवार को विश्व हिन्दू महासंघ के पश्चिम सुदूर संगठन अध्यक्ष तथा अन्तर्राष्ट्रीय सदस्य शिव नारायण गिरी, सचिव सुधीर चौधरी, जिलाध्यक्ष डा.ब्रजेश कुमार गुप्ता, प्रेम चन्द्र शुक्ला, अजय थापा आदि लोगों ने विश्व हिन्दू महासंघ द्वारा बुधवार को जिला कपिलवस्तु बंद का आह्वान किया, जिसमें चनौटा, बहादुरगंज, तौलिहवा, कृष्णानगर कस्बे की सभी दुकानें शाम 5 बजे तक बंदी रहीं। इस दौरान स्थानीय बढ़नी चौकी में भी सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त रहे। अंत में सीडीओ कपिलवस्तु को आंदोलनकारियों ने प्रकरण से संबंधित ज्ञापन सौंपा। थानाध्यक्ष रमेश हमराहियों के साथ समय-समय पर स्थिति का जायजा लेते रहे।

इस संबंध में बढ़नी के हियुवा नगर अध्यक्ष सुनील अग्रहरि ने नेपाल के युवा वर्ग से अनुरोध किया कि मित्र राष्ट्र नेपाल में शांति की जरूरत है। इसलिए सभी शांति बनाये रखने में सहयोग दें।

Thursday, July 9, 2009

नॉनवेज बर्गर पर लक्ष्मी की फोटो का विरोध

IBN ख़बर, ८ जुलाई २००९, वॉशिंगटन। अमेरिका में रह रहे हिंदुओं ने मांग की है कि अमेरिकी फूड चैन बर्गर किंग द्वारा विज्ञापन में इस्तेमाल की गई देवी लक्ष्मी की आपत्तिजनक तस्वीर हटाई जाए। इस सिलसिले में स्थानीय हिंदू संगठन ने कहा कि विज्ञापन में देवी लक्ष्मी की तस्वीर का इस्तेमाल आपत्तिजनक है और इससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

वॉशिंगटन के एक हिंदू-अमेरिकन फाउंडेशन ने बताया कि बर्गर किंग ने अपने विज्ञापन को स्पेन में भी रिलीज किया है। जिसमें ये दिखाया गया है कि देवी लक्ष्मी नॉनवेज सैंडविच के ऊपर बैठी हुईं हैं औऱ साथ ही स्पैनिश में एक फ्रेज भी लिखा है। जिसमे कहा गया है कि ‘एक स्नैक जो पवित्र’ है।

फाउंडेशन के कानूनी सलाहकार औऱ प्रबंध निदेशक के मुताबकि बर्गर किंग ने इस पवित्र साबित करने के लिए देवी लक्ष्मी की तस्वीर का इस्तेमाल जान बूझकर अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए किया है। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन ने मंगलवार को एक पत्र के जरिए बर्गर किंग को अपनी आपत्ति जता दी। जबकि बर्गर किंग ने फिलहाल इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उधर, स्पेन में भी हिंदुओं ने बर्गर किंग के सभी विज्ञापनों को हटाने की मांग की है। इस सिलसिले में स्पेन के फ्यूनगिरोला में स्थानीय स्तर पर हिंदुओं को काफी हद तक सफलता भी मिली है।

हालांकि अभी तक ये पता नहीं लग पाया है कि विज्ञापन कितने देशों में रिलीज किया गया है।

नॉनवेज बर्गर पर लक्ष्मी की फोटो का विरोध

IBN ख़बर, ८ जुलाई २००९, वॉशिंगटन। अमेरिका में रह रहे हिंदुओं ने मांग की है कि अमेरिकी फूड चैन बर्गर किंग द्वारा विज्ञापन में इस्तेमाल की गई देवी लक्ष्मी की आपत्तिजनक तस्वीर हटाई जाए। इस सिलसिले में स्थानीय हिंदू संगठन ने कहा कि विज्ञापन में देवी लक्ष्मी की तस्वीर का इस्तेमाल आपत्तिजनक है और इससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

वॉशिंगटन के एक हिंदू-अमेरिकन फाउंडेशन ने बताया कि बर्गर किंग ने अपने विज्ञापन को स्पेन में भी रिलीज किया है। जिसमें ये दिखाया गया है कि देवी लक्ष्मी नॉनवेज सैंडविच के ऊपर बैठी हुईं हैं औऱ साथ ही स्पैनिश में एक फ्रेज भी लिखा है। जिसमे कहा गया है कि ‘एक स्नैक जो पवित्र’ है।

फाउंडेशन के कानूनी सलाहकार औऱ प्रबंध निदेशक के मुताबकि बर्गर किंग ने इस पवित्र साबित करने के लिए देवी लक्ष्मी की तस्वीर का इस्तेमाल जान बूझकर अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए किया है। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन ने मंगलवार को एक पत्र के जरिए बर्गर किंग को अपनी आपत्ति जता दी। जबकि बर्गर किंग ने फिलहाल इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उधर, स्पेन में भी हिंदुओं ने बर्गर किंग के सभी विज्ञापनों को हटाने की मांग की है। इस सिलसिले में स्पेन के फ्यूनगिरोला में स्थानीय स्तर पर हिंदुओं को काफी हद तक सफलता भी मिली है।

हालांकि अभी तक ये पता नहीं लग पाया है कि विज्ञापन कितने देशों में रिलीज किया गया है।

Wednesday, July 8, 2009

वजीरबाग के उपद्रवियों पर लगा गैंगस्टर

दैनिक जागरण, बहराइच, 7 जुलाई २००९, : नगर के वजीरबाग में हुए सांप्रदायिक संघर्ष में वांछित आठ आरोपियों पर प्रशासन ने गैंगेस्टर एक्ट तामील कर दिया है। इनमें चार अभियुक्त जिला कारागार में निरुद्ध हैं, जबकि चार अभियुक्तों को पुलिस विवेचना के दौरान प्रकाश में लाई है। याद रहे कोतवाली नगर क्षेत्र के मछली मण्डी में मंसूरगंज निवासी एक युवक से लेनदेन को लेकर हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया और तीन-चार दिनों तक दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने होते रहे। इस दौरान पथराव व फायरिंग भी की। पुलिस कर्मी भी जख्मी हुए थे। इस प्रकरण में पुलिस ने चार लोगों को नामजद करते हुए अन्य पर रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना शुरू की। नामजद अभियुक्त रेहान पुत्र बराती, मन्ना पुत्र सत्तन, कल्लू पुत्र रसीद व बहऊ पुत्र खादिम जिला कारागार में निरुद्ध है। पुलिस अधीक्षक लालजी शुक्ला की रिपोर्ट पर डीएम सुभाष चन्द शर्मा ने जिला कारागार में निरुद्ध व प्रकाश में आए सभी आठ अभियुक्तों पर गैंगेस्टर एक्ट लगाने की संस्तुति दी। इस पर पुलिस ने आरोपियों पर गैंगेस्टर एक्ट तामील करा दिया है।

Tuesday, July 7, 2009

अमेरिकी कंपनी ने बीयर की बोतल से हटाया गणेश का चित्र

भाषा , नई दिल्ली, रविवार, जुलाई 5, 2009 , बीयर की बोतल के लेबल पर गणेश की तस्वीर छापने वाली अमेरिकी कंपनी ने माफी मांग ली है और बोतल तथा इंटरनेट से वह तस्वीर हटा ली है।
बीयर बनाने वाली अमेरिका की कैलीफोर्निया स्थित ‘लॉस्ट कॉस्ट व्रेवरी’ कंपनी ने ‘इंडिका इंडिया पेल अले’ ब्रांड की बीयर की बोतल पर गणेश का चित्र छापा था, जिसका देश के हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध किया था। शुक्रवार को यह मामला लोकसभा में भी उठाया गया।
शिवसेना के सांसद दुधगांवकर राव गणेश राव नागाराव ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे दुनियाभर के करोड़ों हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं और सरकार को अमेरिकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
भारत में कड़े विरोध के चलते कंपनी ने बीयर की बोतल और अपनी वेबसाइट से गणेश का चित्र हटा दिया है तथा साथ ही माफी भी मांगी है।
विहिप के मीडिया प्रभारी विनोद बंसल ने बताया कि कंपनी महाप्रबंधक तथा विपणन निदेशक ब्रियार बुश ने ई-मेल के जरिए माफी मांगते हुए लिखा है ‘‘हमें यह नहीं पता था कि हमने बीयर की बोतल पर जो तस्वीर छापी है वह हिन्दुओं के आराध्य की है। इससे हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को जो ठेस पहुंची, उसके लिए हम माफी मांगते हैं।’’

Saturday, July 4, 2009

मैसूर में थमी नहीं हिंसा, तीन घायल

दैनिक जागरण, ४ जुलाई २००९, मैसूर। मदरसे को कथित तौर पर अपवित्र करने को लेकर मैसूर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। शहर में छुरेबाजी की घटनाओं में बृहस्पतिवार रात तीन अन्य लोग घायल हो गए। हिंसाग्रस्त इलाकों में शुक्रवार को रैपिड एक्शन फोर्स [आरएएफ] ने फ्लैग मार्च किया।

पुलिस के मुताबिक बृहस्पतिवार रात मोटरसाइकिल पर सवार तीन हथियारबंद लोग तीन राहगीरों को चाकू मारकर फरार हो गए। घायलों को शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हिंसा थामने के लिए सुरक्षाबलों ने शुक्रवार को उन क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया, जहां धारा 144 लागू है।

गौरतलब है कि मैसूर के उदयगिरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में बृहस्पतिवार को भड़की सांप्रदायिक हिंसा में एक बच्चे सहित तीन लोग मारे गए। यह हिंसा तब भड़की जब मदरसे को कथित तौर पर अपवित्र करने से नाराज एक समुदाय के लोगों ने काम पर जा रहे 47 वर्षीय मजदूर की हत्या कर दी।

Thursday, June 25, 2009

खतना कर 11 साल के रवि को बना दिया सलमान

दैनिक जागरण, २५ जून २००९, मेरठ। परतापुर थाना क्षेत्र के एक बच्चे को अगवा कर जबरन खतना कर दिया और नाम भी बदलकर रवि से सलमान कर दिया। बच्चे को चार माह तक बंधक बनाकर रखा गया। मंगलवार को वह किसी तरह वहां से भाग निकला और घर आकर पूरा प्रकरण बताया तो परिजनों व स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने कार्रवाई की मांग को लेकर परतापुर थाने पर हंगामा किया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

अछरौंडा गांव में प्रेमवीर का परिवार रहता है। चार माह पूर्व उसका 11 वर्षीय पुत्र रवि अचानक गायब हो गया। काफी तलाश के बाद भी जब उसका पता नहीं लगा तो परतापुर थाने पर गुमशुदगी दर्ज कराई गई। मंगलवार देर रात रवि अचानक लौट आया और जो कहानी बताई उसे सुन परिजनों के होश उड़ गये। रवि ने पिता को बताया कि उसे गांव का ही लियाकत अली पुत्र वहीद समेत चार लोग अपहरण कर हापुड़ में स्थित एक मस्जिद में ले गए। वहीं उसका जबरन खतना कर दिया और धर्म परिवर्तन कर सलमान नाम रख दिया। इसके बाद समाज के बच्चों के साथ मुस्लिम तालीम देनी शुरू कर दी। उसे नमाज पढ़ने के लिए भी बाध्य किया जाता था। रवि ने बताया कि उसने दो बार भागने की कोशिश की तो उसकी पिटाई करते हुए जान से मारने की धमकी दी गई। रवि ने दावा किया कि उसकी तरह के कई और बच्चे भी आरोपियों की कैद में हैं। प्रेमवीर ने तत्काल इसकी जानकारी परतापुर पुलिस को दी। बुधवार को जब इस घटना की जानकारी आसपास के लोगों को लगी तो उनमें रोष फैल गया और समाज सेविका ब्रिजेश कौशिक व बबीता सहरावत के नेतृत्व में दर्जनों लोग थाने पहुंच गये और घेराव कर नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने मामले को गंभीरता को देखते हुए रवि की जिला अस्पताल में डाक्टरी कराई और रिपोर्ट दर्ज कर मुख्य आरोपी लियाकत अली को गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर ने बताया कि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम हापुड़ गई है।

दबंगई से चल रहा था अवैध चर्बी कारोबार

दैनिक जागरण, 25 जून 2009, आगरा। झरना नाले के निकट अवैध रूप से चर्बी निकालने और उससे देशी घी बनाने के लिए सप्लाई करने का कारोबार दबंगई से चल रहा था। किराये पर जमीन देने के बाद जब किसानों को इस धंधे की भनक लगी तो उन्होंने अपनी भूमि खाली कराने को कहा लेकिन कारोबार में लिप्त लोगों ने उनको डरा- धमकाकर शांत कर दिया।

इस आशय के शपथ पत्र झरना नाले के जंगल में स्थित उस जमीन के मालिक किसानों ने न्यायालय और पुलिस के समक्ष दिये हैं, जहां चर्बी का अवैध ठिकाना संचालित था। नगला रामबल के कवेला निवासी काश्तकार देवीराम, बच्चू सिंह, रमेश चंद, दिनेश चंद पुत्र परसादी लाल ने अपने अधिवक्ता बंशो बाबू के जरिए यह शपथ पत्र दिये हैं। इंस्पेक्टर एत्मादपुर को इसके लिए अवगत कराया है कि करीब सवा दो साल पहले मंगल खां नामक व्यक्ति उनके पास आया था। उसके साथ मेरठ निवासी नौशाद, ग्यास, फारुख निवासी रेलवे क्वाटर छलेसर, पप्पू खां निवासी पीला खार एत्माद्दौला थे। मंगल खां के कहने पर ही उन्होंने मुर्गी का दाना बनाने के लिए जमीन किराये पर दी। किसानों का कहना है कि उपजाऊ भूमि न होने के कारण हमने उसे किराए पर दे दिया। करीब आठ माह पहले जब क्षेत्र में बदबू फैलने लगी तो दूसरे ग्रामीणों ने आकर बताया कि वहां चर्बी निकालने का धंधा हो रहा है। किसानों के मुताबिक उन्होंने मंगल खां और पप्पू आदि से जमीन खाली करने को कहा था उन्होंने डरा-धमकाकर शांत करा दिया। साथ ही कहा कि हमारी बहुत ऊपर तक पहुंच है। इसके बाद ही क्षेत्रीय नागरिकों के सहयोग से अधिकारियों के यहां शिकायत की गयीं। फिर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव नेतराम यहां आये तो उनको अवगत कराया गया। किसानों का कहना है कि उनका इस अवैध कारोबार से कोई सम्बन्ध नहीं था। न ही वह जमीन किराये पर देने के बाद कभी खेतों की तरफ गये।

Monday, June 22, 2009

दिनदहाड़े मुख्य बाजार में फायरिंग से हड़कम्प

दैनिक जागरण, बहराइच, 20 जून 2009: शहर के मुख्य बाजार में आज पैसे के लेनदेन को लेकर दो पक्षों के बीच हुई फायरिंग की घटना से हड़कम्प मच गया। दिनदहाड़े हुई इस घटना में दोनों पक्षों की ओर से लगभग आधे घंटे तक पथराव होता रहा। मामला विशेष समुदाय से जुड़ा होने के कारण तनाव के साथ दहशत का आलम बना हुआ है। हालांकि पुलिस तनाव, दहशत और फायरिंग की घटना से इनकार कर रही है। घटना की सूचना पाकर पुलिस उपाधीक्षक नगर के साथ नगर व दरगाह थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गयी। सीओ की सतर्कता से बड़ा मामला होने से बच गया।

कोतवाली नगर क्षेत्र के वजीरबाग मोहल्ले में रिंकू की परचून की दुकान है। शुक्रवार को इस दुकान से मंसूरगंज के रेहान ने पान-मसाला खरीदा था। दुकानदार द्वारा पैसा मांगने पर उसे गालीगलौज देते हुए धमकी भी दी और पैसा न देकर दबंगई दिखाते हुए वापस लौट गया था। बताया जाता है कि शनिवार को पुन: रेहान कुछ लोगों के साथ उसी दुकान के पास पहुंचा और कुछ लड़कियों को देखकर छींटाकशी करने लगा। इससे मोहल्ले वाले आक्रोशित हो गए। दोनों पक्षों के बीच विवाद होने लगा। विवाद ने तूल पकड़ लिया और देखते ही देखते दोनों पक्षों की ओर से पथराव होने लगा। इसी बीच फायरिंग भी की गयी। दोनों पक्षों के बीच हो रही फायरिंग की सूचना पुलिस को दी गयी। पुलिस उपाधीक्षक नगर रामकेवल के अलावा नगर व दरगाह शरीफ की पुलिस भी घटना स्थल पर पहुंच गयी। पुलिस को देखकर हमलावर फरार हो गए। दिनदहाड़े आज हुई इस घटना से शहर में हड़कम्प मच गया। हालांकि इस घटना में किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं है। शुक्रवार को हुए घटना की पुलिस को जानकारी दी गयी थी लेकिन पुलिस द्वारा इस घटना को बहुत ही हल्के ढंग में लेकर मामले को दबा दिया था।

पुलिस यदि लेनदेन की घटना पर सक्रिय हो जाती तो ऐसी घटना होने से बच सकती थी। पुलिस उपाधीक्षक नगर ने फायरिंग, तनाव व छींटाकशी की घटना से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए कई घरों पर दबिश दी गयी है लेकिन मौके से सभी फरार हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि लगभग दस लोगों को चिह्नित कर लिया गया है जिन्हें शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। घटना के बाद मौके पर दहशत के साथ तनाव की स्थिति बनी हुई है।

Sunday, June 21, 2009

पशुवध के विरोध में कोतवाली पर प्रदर्शन

दैनिक जागरण, २१ जून २००९, सादाबाद (हाथरस)। इलाके से पालतू जानवरों की चोरी कर उन्हें काट देने की घटना से लोगों में रोष है। शनिवार को ऊंचा गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने भाजपा नेता सुभाष चौधरी के साथ कोतवाली पर प्रदर्शन किया और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में ये लोग सीओ के पास गये। लोगों ने पशु काटने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
पुलिस ने ऊंचा गांव से दो दिन पूर्व तीन भैंस चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। रिपोर्ट में विनोद कुमार ने कहा है कि गत 16-17 जून की रात्रि को उनकी तीन भैसें चोरी हो गई। सबेरे जब विनोद अन्य ग्रामीणों के साथ खोज में निकले तो सादाबाद से पहले जयराम कोल्ड के निकट खून व पशुवध के निशान देखे। वहां मैक्स गाड़ी के टायरों के निशान भी थे। खून की धार सादाबाद के मोहल्ला कसाईपाड़ा के नफीस उर्फ बाबा, अकील, वकील, शाहिद, मोहम्मद व शब्बीर के घरों तक दिखी।
बता दें कि आर्य समाज के लोग 17 जून को खून के निशानों के आधार पर मोहल्ला कसाईपाड़ा गये थे। वहां आर्य समाजियों और कसाई पाड़ा के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था। रिपोर्टकर्ता विनोद कुमार के पिता व आर्य समाज नेता महाशय चरन सिंह व सर्वदेशिक आर्य महासभा के पदाधिकारी सत्यप्रिय आर्य आदि का कहना है कि अभी तक अपराधी आवारा गायों को काट रहे थे। अब उन्होंने पालतू जानवरों को चुराकर काटना शुरू कर दिया है। उन्होंने अवैध कटान रोकने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि इस मामले को गंभीरता से न लिया गया आन्दोलन किया जाएगा।

सहारनपुर के बच्चों को बिजनौर में धर्मांतरण की शिक्षा

दैनिक जागरण, २१ जून २००९, सहारनपुर। सहारनपुर के जनकपुरी थानाक्षेत्र में तीन बच्चों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने को शिक्षा-दीक्षा देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित ने अपनी ही पत्‍‌नी के प्रेमी व भाई पर उसके दो बच्चों व एक बेटी को बहला-फुसलाकर ले जाने और बिजनौर के मदरसे में धर्मांतरण की शिक्षा-दीक्षा देने का आरोप लगाया है।

शनिवार को एसएसपी कार्यालय पहुंचे मिर्जापुर थानाक्षेत्र के गांव आलमपुर निवासी कलीराम ने बताया कि सड़क दूधली निवासी शकील नामक युवक ने पहले तो उसकी पत्‍‌नी रेखा को अपने चंगुल में फंसा लिया। यही नहीं उसे मृत दिखाकर समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत 20 हजार रुपये हड़प लिए। इसके बाद उसके तीन बच्चों सन्नी , बॉबी (7) व एक बेटी (16) को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। काफी तलाश करने के बाद उसने 24 दिन पहले दोनों के विरुद्ध जनकपुरी थाना क्षेत्र में मुकदमा भी दर्ज कराया था। दो दिन पहले पुलिस ने पत्‍‌नी रेखा व शकील को राकेश केमिकल चौकी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन उसके बच्चों को कुछ पता नहीं चल सका था। जनकपुरी पुलिस ने 19 जून को पति को मृत दिखा फर्जी तरीके से योजना का लाभ उठाने के आरोप में जेल भेज दिया था और तीनों बच्चों की तलाश में जुट गई। कलीराम ने बताया कि रात एक बजे पुलिस ने उन्हें थाने बुलाकर तीनों बच्चों को उनके सुपुर्द कर दिया। पूछताछ में बच्चों सन्नी व बॉबी ने बताया कि उन्हें यहां से ले जाकर बिजनौर के एक मदरसे में रखा गया था और उन्हें ले जाने वाले राजेश मामा थे। राजेश के बारे में पूछने पर कलीराम ने बताया कि वह उसकी पत्‍‌नी रेखा का भाई है और अब अपने को उस्मान बताता है। एसएसपी के न मिलने पर कलीराम ने एसपी देहात पूरन सिंह को प्रार्थना-पत्र सौंपकर दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी व की मांग की है। साथ ही अपने बच्चों की भी सुरक्षा की मांग की है। एसपी देहात पूरन सिंह ने मामले को गंभीरता से जांच कराने और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

Friday, June 19, 2009

धार्मिक स्थल का निर्माण शुरू होने से लोग नाराज

Dainik Jagran, 18 Jun 2009, बाहरी दिल्ली, जागरण संवाददाता : रोहिणी के सेक्टर-16 में धार्मिक स्थल का निर्माण शुरू होते ही क्षेत्रवासी डीडीए से खासे नाराज हो गए हैं। सेक्टर की डेढ़ दर्जन से ज्यादा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन निर्माण के विरोध में बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण के आयुक्त से मुलाकात करने गए। संगठनों ने धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। जबकि निगम पार्षद ने इस संबंध में उप राज्यपाल से मांग की है कि स्थिति तनावपूर्ण होने से बचाएं और उक्त धार्मिक स्थल का आवंटन निरस्त करने का आदेश जारी करें।

बृहस्पतिवार को सेक्टर-16 स्थित ब्लॉक बी-1 के नजदीक नगर निगम के स्टोर से सटे स्थल पर एक मस्जिद निर्माण के लिए नींव की खुदाई शुरू हुई। ये देख इलाके की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने ऐतराज जताया। कर्मयोगी परिषद रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सतीश गुप्ता ने बताया कि पूर्व में अप्रैल माह में क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से ज्यादा संगठनों ने डीडीए उपाध्यक्ष अशोक कुमार निगम को पत्र लिखकर विरोध जताया था कि यहां मस्जिद का आवंटन निरस्त किया जाए, क्योंकि 500 मीटर दूर एक मस्जिद पहले से है। साथ ही आस-पास मुस्लिम समुदाय की आबादी भी नगण्य है। बावजूद इसके आरडब्ल्यूए की अनदेखी की गई। गुप्ता ने कहा कि डीडीए का संबंधित आयुक्त ने जान-बूझकर मस्जिद निर्माण को मंजूरी देते हुए हिंदू भावनाओं की बेकद्री की। बहुत जल्द उक्त स्थल पर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के सैकड़ों कार्यकर्ता धरना देते हुए डीडीए के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इस संबंध मे ंनिगम पार्षद हरीश अवस्थी ने उप राज्यपाल को पत्र लिख कर उक्त आवंटन को रद करवाने का अनुरोध किया है।

Wednesday, June 17, 2009

मेरठ में हिंसा, दो थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू

दैनिक जागरण, मेरठ, 16 जून 2009 : उड़ीसा से 40 दिन की जमात से लौटे लोगों की फल विक्रेताओं से हुई कहासुनी ने ऐसा गंभीर रूप धारण किया कि दो समुदायों के लोग आमने सामने आ गये। उत्तेजित लोगों ने आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर पथराव, फायरिंग और आगजनी की। डीआईजी की गाड़ी को भी नहीं बख्शा। हालात काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। देर रात तनाव को देखते दो थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू लगा दिया गया। मंगलवार शाम साढ़े चार बजे कंकरखेड़ा क्षेत्र के सिंघावली गांव के लोग उड़ीसा के जसपुर में सात मई को जमात के लिए गये थे। इनमें 16 लोग सिंघावली के और मौलाना नईम मुरलीपुर गांव के थे। नईम ही जमात के अमीर थे। इन्होंने दोपहर डेढ़ बजे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ी और शाम चार बजे सिटी स्टेशन पर उतरे।

18 मवेशियों के साथ दो तस्कर गिरफ्तार

दैनिक जागरण, १६ जून २००९, कमालपुर (चंदौली) । धीना पुलिस ने सोमवार को पूर्वाह्न 9.30 बजे पिपरदहां गांव के समीप ट्रक संख्या यूपी 52एफ 0329 से वध हेतु ले जाये जा रहे 18 पशुओं के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

धीना थानाध्यक्ष बीके सिंह को मुखबिर से सूचना मिली कि पशु तस्कर उक्त ट्रक से पशुओं को वध हेतु बिहार ले जा रहे है। मुखबिर के सूचना पर धीना थानाध्यक्ष अपने हमराह सिपाहियों के साथ धीना वाया जमानियां मार्ग पर जा रहे थे। उसी बीच उक्त ट्रक तिरपाल से ढकी गुजर रही थी। ट्रक चालक पुलिस की जीप देखकर गाड़ी रोककर भागने लगा। पुलिस ने दौड़ाकर पिपरदहा गांव से उसे पकड़ लिया। दूसरा व्यक्ति तुफैल दिलदारनगर का निवासी भी पकड़ा गया। ट्रक का तिरपाल खोलकर देखा गया तो उसमें 18 पशु लदे थे। इसमें 10 पड़वा व 8 पडि़या थे। दोनों को पुलिस ने पशु वध अधिनियम के तहत जेल भेज दिया।

घड़े को लेकर दो समुदाय आमने-सामने

दैनिक जागरण, १५ जून २००९, मेरठ। ब्रह्मापुरी की सैनियों वाली गली में बच्चे से घड़ा क्या टूटा दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। इस दौरान कहासुनी के बाद जमकर मारपीट हुई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों के चार लोगों को हिरासत में ले लिया। इसको लेकर भाजपाइयों ने थाने पर जमकर हंगामा किया। इस दौरान एसओ से उनकी तीखी झड़पें भी हुई।

सैनियों वाली गली में नवाब की मिट्टी के बर्तन की दुकान है। शाम को खेलते समय एक बच्चे से घड़ा टूट गया। इस पर नवाब ने बच्चे को भला बुरा कहते हुए पिटाई कर दी। उसी दौरान बच्चे की मां आ गई और उसने नवाब से कहा कि बच्चे को क्यों पीटा, घड़ा टूट गया था तो वह पैसा दे देती। इसी बात को लेकर हुई कहासुनी इतनी बढ़ी की सैनी बिरादरी के लोगों ने नवाब की पिटाई कर दी। इसके चलते हंगामा खड़ा हो गया और दूसरे समुदाय के भी काफी लोग मौके पर जमा हो गए। दोनों के बीच तनातनी की सूचना पर पहुंची पुलिस सैनी पक्ष की तरफ से बबलू, नीरज और राजेश और दूसरे पक्ष से नवाब को पकड़कर थाने ले गई और हवालात में डाल दिया। सूचना मिलने पर भाजयुमो के ब्रह्मापुरी वार्ड के अध्यक्ष अमित सैनी कार्यकर्ताओं के संग पहुंच गए और पुलिस कार्रवाई को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। अमित सैनी ने एसओ से कहा कि अगर कार्रवाई ही करनी थी तो दोनों पक्षों की तरफ से बराबर लोगों को बंद किया जाता। यह एकतरफा कार्रवाई है। इसको लेकर अमित और एसओ के बीच कहासुनी हुई। सूचना मिलने पर भाजयुमो के महानगर अध्यक्ष कमलदत्त शर्मा भी पहुंच गए और कहा कि ऐसी कार्रवाई कर पुलिस खुद माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। इस दौरान पुलिस की भायजुमो कार्यकर्ताओं से नोक-झोंक भी हुई। बाद में थाने पर दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाने पर पुलिस ने सभी को छोड़ दिया।

धर्म परिवर्तन के मामले में 226 लोगों के विरुद्ध मुकदमा

दैनिक जागरण, १६ जून २००९, अंबहेटा (सहारनपुर)। रविवार को धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर हुए बवाल के बाद दूसरे दिन कस्बे की स्थिति सामान्य रही। पुलिस ने 226 लोगों के विरुद्ध के मामला दर्ज किया है।

बार-बार अफवाहों के दौर चलने के बाद सोमवार को आम दिनों की तरह खुले, लेकिन चहल-पहल ज्यादा नहीं थी। देहात क्षेत्र के लोग बहुत कम संख्या में खरीदारी करने आए। घटना के बाद से ही कस्बे में पुलिस व पीएसी को तैनात कर दिया गया था, जो लगातार गश्त कर रही है।

कप्तान के निर्देश पर धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी लुकमान, जुलफान व फैजान के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। वहीं, पुलिस ने हंगामा करने के आरोप में दोनों पक्षों के 23 लोगों को नामजद व 200 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कर लिया है। एक पक्ष के अंबेहटा निवासी चरण सिंह आदि के अलावा 50 अज्ञात जबकि दूसरे पक्ष के अम्बेहटा निवासी इनामआदि के अलावा 150 अज्ञात लेगों पर मुकदमा कायम कर लिया है।

Tuesday, June 16, 2009

अस्थि विसर्जन के लिए भी वीजा नहीं

Dainik Jagran, 15 Jun 2009, नई दिल्ली, पाकिस्तान के कई श्मशान घाटों में सैकड़ों अस्थि-कलश तीन दशकों से भी अधिक समय से गंगा में विसर्जन के लिए रखे हुए है। वीजा जारी करने की कठिन प्रक्रिया के कारण इन अस्थियों को उनके परिजन भारत आकर गंगा में प्रवाहित नहीं कर पाते हैं।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के श्मशान घाटों में जिनकी अस्थियां रखी हैं, उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाए। मगर इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग तभी वीजा जारी करता है, जब आवेदक का कोई रिश्तेदार या जान-पहचान वाला हरिद्वार में हो। जाहिर है ऐसे लोग नगण्य हैं और वे वीजा के लिए बार-बार इस्लामाबाद आने-जाने का खर्च बर्दाश्त कर पाने में असमर्थ हैं। इस वजह से भारत का वीजा पाने के इंतजार में ही परिजनों के सालों गुजर जाते हैं।

ज्यादातर गरीब लोग तो सिंध नदी में ही अस्थि-कलश प्रवाहित कर देते हैं, लेकिन जो गंगा में प्रवाहित करना चाहते हैं वे वीजा के इंतजार में अस्थि-कलश संजोकर रखते हैं। सिंध के श्मशान घाट प्रशासन की सूचना के अनुसार सैकड़ों के करीब ऐसी अस्थि कलश वहां रखे हैं, जिनके बारे में अब यह पता लगाना भी कठिन हो गया है कि उनका संबंध आखिर किस परिवार से था? अधिकांश अस्थि-कलशों पर मृतक का नाम मिट चुका है।

गौरतलब है कि 1998 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 24 लाख 33 हजार हिंदू हैं और पिछले एक दशक में हिंदुओं की संख्या में वहां अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। सुप्रसिद्ध गांधीवादी निर्मला देशपांडे और सिंध के हिंदू परिषद की पहल से कुछ अस्थियों का तो विसर्जन संभव हुआ था, मगर यह प्रक्रिया आज भी आसान नहीं हो पाई है। इस वजह से पाकिस्तान के अधिकतर हिंदू भारत स्थित पवित्र तीर्थ स्थानों की यात्रा का सपना भी पूरा नहीं कर पाते हैं।

सूरत रेप केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में

CNBC-IBN,14 June 2009, सूरत। गुजरात के सूरत में पिछले दिनों एक किशोरी के साथ हुए दुष्कर्म मामले के सभी तीन आरोपियों के खिलाफ अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होगी। गुजरात सरकार ने रविवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।

इस मामले के तीनों आरोपियों में से शाहिद सैयाद और तारिक सैयाद पुलिसकर्मियों के बेटे हैं। इस मामले में तीसरा आरोपी अबू बक्र शेष नाम का युवक है।

विगत 12 जून को एक 17 वर्षीय छात्रा के साथ चलते वाहन में दुष्कर्म करने का तीनों पर आरोप है। एक स्थानीय अदालत ने तीनों आरोपियों को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों को उम्रकैद दिए जाने की अनुशंसा की जाएगी। तीनों आरोपियों को जब अस्पताल में चिकित्सा जांच के लिए लाया गया था तो वहां मौजूद अग्र भीड़ ने तीनों आरोपियों की पिटाई कर दी थी।

इसी मामले में कथित तौर पर गलत बयान देने के कारण सूरत के पुलिस आयुक्त दीपक स्वरूप का शनिवार रात तबादला कर दिया गया था।

Saturday, June 13, 2009

कब्रिस्तान बताकर खोद दी गयी सड़क!

दैनिक जागरण, अम्बेडकरनगर, 12 जून २००९ : टाण्डा तहसील अन्तर्गत उतरेथू में कब्रिस्तान बताकर खोदी गयी सड़क को लेकर हिन्दू जागरण मंच ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंच के प्रांतीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश वर्मा ने सड़क खोदकर क्षतिग्रस्त करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग जिलाधिकारी से की है। उन्होंने कहा कि वर्ग विशेष के कतिपय लोग सड़क खोदने के बाद उल्टे डीएम से शिकायत कर दूसरों पर आरोप मढ़ा, जो जांच में शिकायत झूठी पायी गयी।

ज्ञात हो कि गत वर्ष ग्राम पंचायत निधि उतरेथू द्वारा कब्रिस्तान के बगल से एक कच्ची सड़क का निर्माण किया गया था। इस वर्ष उक्त सड़क की रिपेयरिंग करायी गयी। गत रात्रि में वर्ग विशेष के सैकड़ों लोग पाटी गयी सड़क को खोदकर फेंक दिये।

मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री वर्मा ने कहा कि सड़क खोदने वाले जिलाधिकारी से झूठी शिकायत करते हुए प्रशासन को गुमराह करने का कार्य किया। अतिक्रमणकर्ताओं का आरोप था कि सड़क कब्रिस्तान की भूमि में जबरन पटायी गयी है। जिलाधिकारी मधुकर द्विवेदी ने एसडीएम टाण्डा को प्रकरण की जांच करने का निर्देश दिया। मौके पर एसडीएम टाण्डा, तहसीलदार, थानाध्यक्ष इब्राहिमपुर, राजस्व निरीक्षक व चार लेखपालों स्थल को पैमाइश किया तो सड़क कब्रिस्तान की भूमि में नहीं पायी गयी। जबकि ग्राम पंचायत निधि द्वारा पटायी गयी लगभग 500 मीटर सड़क को खोदकर नष्ट कर दिया गया।

दूसरी तरफ ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ग विशेष के कतिपय भू माफिया अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हड़वार, खलिहान व आतिशबाजी की भूमि पर अवैध कब्जा जमाये हुए हैं। ग्रामवासी राजेश पाठक, सहदेव वर्मा व शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सड़क खोदकर फेंक देने से हजारों रुपये राजस्व की क्षति हुई है। इसमें दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। ग्राम प्रधान उतरेथू रंजना देवी ने तहसील प्रशासन से ग्राम समाज की भूमि पर किए गए सभी अवैध कब्जों को शीघ्र ही हटवाये जाने की मांग की है। समझा जाता है कि इस दिशा में प्रशासन सक्रिय भी होगा।

Thursday, June 11, 2009

अमेरिकी हिंदू संगठन को मिला मुआवजा

दैनिक जागरण, १० जून २००९, वाशिंगटन। कैलिफोर्निया के शिक्षा बोर्ड पर मुकदमा करने वाले हिंदू अमेरिकी अभिभावकों के एक संगठन ने अदालत के बाहर समझौता हो जाने के बाद मामला वापस लेने का निर्णय किया है।

इस संगठन ने पाठ्यपुस्तकों में हिंदुत्व के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने का आरोप लगाते हुए बोर्ड के खिलाफ मामला दायर किया था। समझौते के बाद कैलिफोर्निया का शिक्षा विभाग और प्रांतीय शिक्षा बोर्ड कैलिफोर्निया पैरेंट्स फार द इक्वलाइजेशन आफ एजुकेशनल मैटेरियल्स [कापीम] को एक लाख 75 हजार डालर का मुआवजा देने को तैयार हो गया है।

कापीम ने अपने बयान में कहा कि कैलिफोर्निया का शिक्षा बोर्ड मुद्दे को स्पष्ट तरीके समझ गया है, इसलिए कापीम ने मुकदमे को और लंबा न खींचने का निर्णय किया है। प्रांत ने कापीम के साथ समझौता किया और स्वच्च्छिक तौर पर मुकदमा वापस लेने के बदले कापीम को एक लाख 75 हजार का जुर्माना देने का निर्णय किया है।

कापीम ने वर्ष 2006 में कैलिफोर्निया के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट की अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट अदालत में मुकदमा दायर किया था।

संगठन ने सार्वजनिक विद्यालयों की पाठ्यपुस्तकों में धार्मिक तथ्यों को शामिल करने की प्रक्रिया और साथ ही पाठ में धर्म के बारे में की गई टिप्पणी को चुनौती दी थी।

कापीम ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि हम कैलिफोर्निया प्रांत में रहने वाले अभिभावकों के समूह हैं। हमारे प्रांत की इतिहास और समाज विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में हिंदुत्व के बारे में नकारात्मक तथ्यों पर हम गंभीर रूप से चिंतित हैं।

कापीम ने आरोप लगाया कि जहां ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म को उसमें आस्था रखने वाले लोगों के परिप्रेक्ष्य में पेश किया जाता है, वहीं हिंदुत्व को उसमें आस्था न रखने वाले लोगों के परिप्रेक्ष्य में पेश किया जाता है। इसने आरोप लगाया कि कैलिफोर्निया का शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड हिंदू चिंताओं को दूर करने में विफल रहा। हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव किया जा रहा है।

गोमांश सहित पुलिस के हत्थे चढ़ा एक गोकश, साथी फरार

दैनिक जागरण, ११ जून २००९, कानपुर देहात। अकबरपुर थाना क्षेत्र के बारा गांव में बुधवार को पुलिस ने छापा मारकर पचास किलो गोमांस सहित एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसका साथी भाग गया। पुलिस गोवध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर फरार आरोपी की तलाश कर रही है।

पुलिस के अनुसार बजरंग दल के प्रांतीय गोरक्षा प्रमुख अतुल दुबे की सूचना पर बारा चौकी प्रभारी नरेश सिंह ने पुलिस के साथ बारा गांव निवासी जाबिर के मकान में छापा मारा। पुलिस को देख जाबिर मौके से भाग गया जबकि बोरियों में गोमांस रखते अकबरपुर के इटैली मोहाल निवासी अरशद को पुलिस ने दबोच लिया। कोतवाल आरके पाराशर ने बताया कि पकड़े गये अरशद के पास से पचास किलो गोमांस बरामद हुआ है। गोवध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जाबिर की तलाश की जा रही है।

Wednesday, June 10, 2009

वध के लिए जा रहे दो दर्जन गाय व बछड़े बरामद

दैनिक जागरण, १० जून २००९, प्रतापगढ़ । कंधई कोतवाली पुलिस ने गोकसी के लिए ले जाये जा रहे लगभग डेढ़ दर्जन गाय एवं बछड़ों को मुखबिर की सूचना पर बरामद किया है।

लगभग आठ लोग मंगलवार को गोकसी के लिए गाय एवं बछड़ों को लेकर कंधई ताला संपर्क मार्ग से जा रहे थे। इतनी बड़ी संख्या में पशुओं को ले जाते देख कर क्षेत्रवासियों को शक हुआ और उन्होंने इसकी जानकारी कंधई कोतवाली पुलिस को दी।

सूचना पर कंधई पुलिस ने उन्हे मीसपुर के तरैया नाला के पास घेर लिया। मवेशियों को ले जा रहे आठ में से छह आरोपी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गये लेकिन दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। एक अब्दुल सलाम और दूसरा दिलशाद है। सख्ती करने पर इन लोगों ने छह अन्य लोगों के नाम बताए। पुलिस ने आठ लोगों पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया है।

अब सरकार से नतीजे चाहते हैं मुसलमान

दैनिक जागरण, ९ जून २००९, नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मुसलमानों की तालीम और तरक्की, खासकर रोजगार के मौके दिलाने के वादे पर सरकार कितना खरा उतरेगी, यह तो समय बताएगा, लेकिन कांग्रेस और संप्रग के फिर से सत्ता में आने से उनकी आंखों में एक चमक जरूर दिखने लगी है। शायद यही वजह है कि वह अब अपने मसलों को और भी पुरजोर तरीके से उठाने लगे हैं। राज्यसभा में मुस्लिम सांसदों ने लगभग साफ तरीके से कौम की सूरत-ए-हाल बदलने की बात की, चाहे वह आरक्षण से या फिर बिना आरक्षण के हो।

मौका था राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद पर अंतिम दिन वह भी अंतिम दौर में का चर्चा का। शायद इत्तेफाक था कि तीन मुस्लिम सांसदों को सिलसिलेवार ढंग से एक के बाद एक बोलने का मौका मिला। अभिभाषण के विभिन्न मसलों पर तो उन्होंने अपनी बात तो रखी ही, लेकिन कौम की दिक्कतों और भविष्य की जरूरतों पर उन्होंने खासतौर से सरकार का ध्यान खींचा।

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य मो. अदीब ने अपने तजुर्बे और मांगों का इजहार कुछ यूं किया। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद गिरने के बाद मुसलमानों ने कांग्रेस को छोड़ा तो छोटी पार्टियों ने उन्हें कंधा दिया। जाति-पाति की राजनीति की। भाजपा का डर दिखाया और वोट लिया, लेकिन उनकी तरक्की की कोई ठोस योजना नहीं बनाई। पिछले लोकसभा चुनाव में लगभग 20-25 साल बाद मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन भाजपा के जीतने के डर से नहीं, बल्कि काम की वजह से। लिहाजा अब अल्पसंख्यकों को विश्वास में लिया जाना चाहिए और उनकी तरक्की की व्यापक योजनाएं बननी चाहिए।

मो.अदीब के बाद पश्चिम बंगाल से निर्दलीय सदस्य अहमद सईद मलिहाबादी ने कहा कि मुसलमान इस देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुसंख्यक है। पिछली सरकार में सच्चर की रिपोर्ट पर कार्यक्रम बनाने में ही समय बीत गया। इसलिए अब मौका आया है तो मुसलमानों को खैरात नहीं, बल्कि उनका हक मिलना ही चाहिए और जब तक आरक्षण नहीं देंगे, लोग उसे उन्हें उनका हक देने नहीं देंगे।

रालोद के महमूद मदनी ने भी इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि 60 साल से मुसलमानों को नजरअंदाज किया गया। मुल्क को बदअमनी से बचाना है, तो जो भी यहां रहते हैं, उन्हें एक साथ आना होगा। सभी को समान अवसर दिए मुल्क एक नहीं बन सकता। संविधान यदि मजहब के नाम पर आरक्षण की इजाजत नहीं देता तो मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दीजिए। उन्होंने सवाल उठाया कि समान अवसर आयोग की सिफारिश करने वाली रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट आखिर संसद में क्यों नहीं पेश की गई।

आठ कुंतल गोमांस बरामद, तीन पकड़े

दैनिक जागरण, १० जून २००९, कैराना (मुजफ्फरनगर)। पुलिस ने खुरगान बाईपास तिराहे पर छापा मारकर दो कारों से करीब आठ कुंतल गोमांस बरामद किया तथा मुठभेड़ के बाद तीन लोगों को धर दबोचा।

प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी के नेतृत्व में एसएसआई योगेन्द्र पाल ने पुलिस टीम के साथ मुखबिर की सूचना पर बाईपास खुरगान तिराहे से दो मारुति कारों को रोका तो उसमें लगभग आठ कुंतल गोमांस भरा हुआ था। इस दौरान कार रुकने के बाद उसमें बैठे हुए लोग पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागने लगे, लेकिन प्रभारी निरीक्षक व एसएसआई ने उक्त लोगों को पकड़ लिया। पकड़े गये लोगों में सलीम पुत्र शरीफ निवासी गढ़ीपुख्ता, जाहिद पुत्र मुंशी निवासी बोढ़पुर थाना गंगोह तथा वासिद पुत्र जबरदीन निवासी खुरगान थाना कैराना को एक तमंचा व छूरी के साथ बंदी बना लिया, जबकि दो लोग भागने में सफल हो गए। प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि इस मामले में और कई नाम सामने आए हैं, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस के मुताबिक गोमांस हरियाणा से लाया जा रहा था।

Saturday, June 6, 2009

सिख युवती के निकाह पर बवाल

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, सहारनपुर। घर से भागकर और फिर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह रचाने वाली सिख युवती के परिजनों ने कुछ वकीलों और हिंदूवादी संगठनों के साथ मिलकर सिविल कोर्ट में जबरदस्त बवाल किया। पुलिस और अफसरों की मौजूदगी में जमकर तोड़-फोड़ हुई। परिजन लड़की को जबरन उठाकर ले जाने पर आमादा थे, पुलिस ने बमुश्किल लड़की को सुरक्षित निकालकर अन्यत्र भेजा। बाद में कोर्ट ने सिविल कोर्ट में उपद्रव का कारण बनी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को कड़ी सुरक्षा में वहीं वापस भेजने के निर्देश दिये, जहां से वह आयी थी।

घटनाक्रम के मुताबिक देवबंद के मोहल्ला किला निवासी विजय कुमार जौली की पुत्री दीपिका जौली 25 मार्च को पड़ोस के युवक जिया उल्ला खां के साथ घर से भाग गयी थी। इस मामले में 27 मार्च को विजय ने दीपिका को बहला-फुसला कर भगाने की रिपोर्ट जिया के खिलाफ दर्ज करायी। इस दौरान दीपिका ने धर्म परिवर्तन कर जिया से निकाह कर लिया और हाईकोर्ट के निर्देश पर शुक्रवार को यहां सीजेएम कोर्ट में बयान दर्ज कराने के वास्ते आयी थी। इसी दौरान उसके परिजनों को जानकारी हुई तो उन्होंने दोपहर 12 बजे सिविल कोर्ट में कुछ अधिवक्ताओं तथा हिंदूवादी नेताओं के साथ मिलकर वह अधिवक्ता जांनिसार के चैंबर पर बैठी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को घसीटना चाहा। इसी दौरान वहां पुलिस फोर्स पहुंच चुकी थी। दीपिका ने खुद को चैंबर में बंद कर लिया तो परिजनों ने फोर्स की मौजूदगी में वकील का चैंबर तोड़ डाला।

बवाल बढ़ता देखकर पुलिस अफसरों ने सुरक्षा घेरे में लड़की को पिछले दरवाजे से बाहर निकाला तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया। यहां पुलिस अफसरों और सिपाहियों से हाथापाई हुई। वकीलों ने पुलिस वाहन को तोड़ने का भी प्रयास किया। बहरहाल पुलिस दीपिका लेकर निकल गयी तो वकीलों और हिंदूवादी संगठनों ने सिविल कोर्ट तिराहे पर जाम लगा दिया।

बाद में कोर्ट ने कोर्ट ने सिविल कोर्ट में उपद्रव का कारण बनी दीपिका जौली उर्फ सारिया अंजुम को कड़ी सुरक्षा में वहीं वापस भेजने के निर्देश दिये, जहां से वह आयी थी। कोर्ट ने पुलिस की वह अर्जी भी ठुकरा दी जिसमें शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए दीपिका को नारी निकेतन भेजने की मांग की गयी थी।

गोकशी में आधा दर्जन के विरुद्ध मामला दर्ज

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, गंगोह (सहारनपुर)। कोतवाली पुलिस ने सार्वजनिक स्थल पर ही गोकशी कर रहे लोगों को पकड़ने के लिए छापा मारा, लेकिन वे पुलिस को देख भाग खड़े हुए। आधा दर्जन लोगों के विरुद्ध गोवध अधिनियम में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मौके से पकड़े गोमांस को गड्ढे में दबवा दिया।

गोकशी करने वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब सार्वजनिक स्थल पर ही गोकशी होने लगी है।

पुलिस को शुक्रवार तड़के लगभग 2 बजे दूधला रोड पर सार्वजनिक स्थान पर गोवंश की हत्या किए जाने की सूचना मिली। पुलिस ने दल-बल के साथ जाकर मौके पर छापा मारा। पुलिस को आता देख वहां मौजूद आधा दर्जन लोग भाग खड़े हुए। पुलिस को मौके से चार बैल व दो गाय काटी जाती मिलीं। पुलिस ने पशु चिकित्सक को रात में ही बुलवाकर मांस का सैंपल भरवा जांच को भिजवाया। पुलिस ने तड़के ही जेसीबी मंगवा कर मांस आदि अवशेषों को वहां दफन करवा दिया। पुलिस ने गोहत्यारों की पहचान कर आधा दर्जन लोगों को नामजद करते हुए गोवध अधिनियम में मामला दर्ज कर लिया है।

एक अन्य मामले में पुलिस ने बाढ़ीमाजरा मार्ग से 2 बैल पकड़े हैं। बैलों को ले जा रहे झबीरन निवासी सोमवीर पुत्र ब्रह्मापाल तथा मैनपुरा निवासी रज्जाक पुत्र शफीक को भी पकड़कर हवालात भिजवा दिया गया।

गोवध करते चार दबोचे, हंगामा

दैनिक जागरण, ६ जून २००९, जलालाबाद (मुजफ्फरनगर)। गांव हसनपुर लुहारी में दो दर्जन से अधिक गाय व बैलों को काटने वाले चार आरोपियों को ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पकड़ लिया, जबकि अन्य आठ भाग गये। ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। मौके से डीसीएम, चार बाइक व मारुति बरामद कर 12 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है।

गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे गांव हसनपुर लुहारी में अवैध कमेले के पास विधवा पिंकी के खेत में बड़े पैमाने पर गाय, बैल, बछड़े काटे जा रहे थे। सूचना पर ग्राम प्रधान पुत्र संजय सैनी के नेतृत्व में लोग मौके पर पहुंचे, तो दर्जनों लोग गोवंश काट रहे थे। इनकी सूचना पर थानाभवन एसओ मुनेन्द्र पाल सिंह दल-बल के साथ पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से गोवंश काट रहे लोगों को घेर लिया। पर मात्र चार आरोपी डीसीएम चालक रामपुर मनिहारन निवासी आफताब, हसनपुर लुहारी निवासी अकरम, असलम व सगीर ही पकड़ में आये और बाकी भाग गये।

पुलिस ने गोमांस ले जाने के लिए लाया गया डीसीएम, चार बाइक व एक मारुति बरामद की है। गोमांस को गड्ढे में दबाने के प्रयास का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया तो कई थानों की पुलिस बुला ली गयी।

शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे भाजपा नेता ठाकुर सुरेश राणा की अध्यक्षता में हुई पंचायत की मांग पर आरोपियों पर गैंगस्टर व रासुका लगाने आदि पर एसपी देहात व एसडीएम शामली ने सहमति जतायी और इसके बाद पुलिस ने गोमांस को मिट्टी में दबा दिया। इस मामले में पकड़े गए चार आरोपियों समेत 12 के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है। एसएसपी विजय प्रकाश ने बताया कि गोकसी के सभी आरोपियों के विरुद्ध गैंगस्टर व रासुका की कार्रवाई की जाएगी।

Friday, June 5, 2009

गाय काटते हुए पांच बंदी, तीन फरार

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, रायबरेली। दिनदहाड़े गाय का वध करने के दौरान पांच लोगों को पुलिस ने बंदी बना लिया। उनके तीन सहयोगी मौके से भागने में सफल रहे। घटना शहर कोतवाली क्षेत्र के खतराना मोहल्ले की है।
प्रभारी कोतवाल सुर्खाब खां ने बताया कि गुरुवार को प्रात: मुखबिर से सूचना मिली कि खतराना मोहल्ले में पुराने स्लाटर हाउस के पीछे साड़ियों में कुछ लोग एक गाय का वध कर रहे हैं। सूचना पर तुरंत दबिश दी गयी तो वहां आठ लोग गाय काटते मिले। लेकिन पकड़ में पांच ही लोग आ सके। तीन अन्य भागने में सफल हो गये। मौके से काटी गयी गाय का मांस, औजार तथा तराजू-बांट बरामद हुआ। पकड़े गये लोगों में खतराना मोहल्ले के शहजादे उसका भाई राशिद व रफीक, नदीतीर मोहल्ला निवासी मोनू उर्फ कौआ तथा अमरनगर निवासी रामूपाल शामिल हैं। सभी को गोवध निवारण अधिनियम में बंदी बनाकर जेल भेज दिया गया। पुलिस अधीक्षक डीसी मिश्र ने पुलिस दल को ढाई हजार रूपये का नगद पुरस्कार दिये जाने की घोषणा कर दी है। उधर गाय काटे जाने की सूचना से शहर में आक्रोश फैल गया है। विश्व हिंदु परिषद के जिलाध्यक्ष हरिशचंद्र शर्मा के नेतृत्व में लोग एकत्र होकर तुरंत कोतवाली की ओर चल पड़े। जनाक्रोश को देखते हुए भदोखर व मिलएरिया थानों का फोर्स भी बुला लिया गया। पुलिस उपाधीक्षक रविशंकर निम ने लोगों को आश्वस्त किया कि गोहंताओं को गैंगस्टर एक्ट में निरूद्ध करने के साथ ही उन पर रासुका भी तामील की जायेगी। इस पर लोगों का गुस्सा शांत हो गया।

मामूली कहासुनी पर दो समुदायों के लोग आमने सामने

दैनिक जागरण, ५ जून २००९, गुलावठी (बुलंदशहर)। मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में मामूली कहासुनी को लेकर दो समुदायों के लोगों में तनाव फैल गया। मौके पर पहुंचे सीओ सिकंदराबाद और तीन थानों की पुलिस ने स्थिति को बेकाबू होने से बचाया और क्षेत्र के सम्मानित बुजुर्गो की मार्फत दोनों पक्षों के बीच समझौता कराकर क्षेत्र में शांति कायम कराई।

मोहल्ला रामनगर ईदगाह क्षेत्र में बुधवार रात को ईदगाह मस्जिद के इमाम इश्तयाक अहमद की बाइक की टक्कर से मोहल्ले के ही जाटव परिवार का एक बच्चा चोटिल हो गया। इसे लेकर जाटव और दूसरे समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। मामले को क्षेत्र के ही लोगों ने शांत करा दिया था। गुरुवार को उस समय फिर विवाद खड़ा हो गया जब एक राजनैतिक पार्टी से जुड़े दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने जाटव परिवार के लोगों से बुधवार की घटना को लेकर मारपीट कर दी। इससे दोनों पक्षों में तनाव बन गया और जाटव परिवार के दर्जनों लोगों ने थाने में पहुंचकर करीब नौ लोगों के खिलाफ मारपीट करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। दूसरे पक्ष के लोग भी थाने पहुंच गए और पुलिस के सामने ही दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए।

दो समुदायों के बीच तनाव की सूचना पाकर सीओ सिकंदराबाद डीके गौतम गुलावठी थाने आ पहुंचे और उन्होंने थाना बीबीनगर, अगौता, सिकंदराबाद कोतवाली पुलिस को बुलाकर रामनगर क्षेत्र में तैनात कर दिया। जानकारी जिला प्रशासन को भी दे दी गई। इसी बीच दोनों समुदाय के अमनपसंद लोग विवाद को समाप्त कराने के लिए फैसला कराने मे जुट गए। पुलिस ने दोनों समुदायों के सभ्रांत लोगों की मदद से लिखित फैसला कराकर मामला निपटाया।

दरगाह मेले की पाकीजगी हुई तार-तार

दैनिक जागरण, बहराइच, 4 जून 2009 : गुरुवार की सुबह दरगाह शरीफ के मेले के इतिहास में बदनुमा दाग बनकर रह गयी। मेले की पाकीजगी तो तार-तार हुई ही दरगाह शरीफ प्रबंधतंत्र के दामन पर जो दाग लगा उसने यहां की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप बेहद संगीन है।

रात के सर्कस की थकान उतारकर यहां के कर्मचारी पूरी तरह जग भी नहीं पाए थे कि यह धमाका हो गया। दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि कई दिनों से सर्कस के मालिक रजा खां एवं गोली लगने से घायल हुए बसंत अग्निहोत्री से दरगाह प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सर्कस की लड़कियों को मांग करते थे, मगर सर्कस के मालिक इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद प्रबंध समिति के पदाधिकारी द्वारा सर्कस के पास अधिक संख्या में मांग की गयी और सर्कस के लिए जमीन अधिक घेर लेने का आरोप लगाकर उन्हें परेशान कर रहे थे।

इसी बात को लेकर आज सुबह आठ बजे लगभग दस लोगों ने सर्कस परिसर में उस पर गोली चला दी और लूटपाट भी की। आरोप तो यह भी है कि संबंधित पदाधिकारी द्वारा दो लाख रुपए की मांग की गयी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। थानाध्यक्ष दरगाह अजीत कुमार सिंह लूटपाट की घटना को सिरे से खारिज कर रहे हैं वे गोली चलने की घटना को भी संदिग्ध मान रहे हैं।

अब सिखों को घाटी से निकालने की साजिश!

५ जून २००९, श्रीनगर, जागरण ब्यूरो : अल्पसंख्यकों के प्रति सौहार्द की कश्मीर के कट्टरपंथियों के दावों की पोल बुधवार रात खुल गई। आजादी और निजाम-ए -मुस्तफा के नारे लगाती भीड़ ने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र रंगरेथ में सिख समुदाय के मकानों पर हमला कर उनकी संपत्ति को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचाया। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उन्हें घाटी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।

सड़क के किनारे स्थित सिख समुदाय का कोई भी मकान ऐसा नहीं था, जिसमें तोड़फोड़ न हुई हो। रसोई घरों में बिखरा सामान, टूटे दरवाजे व खिड़कियां और क्षतिग्रस्त वाहन हमले की कहानी बयां कर रहे हैं। हमले का कारण सूमो टैक्सी स्टैड विवाद बताया जा रहा है। हमले में बाल-बाल बचे भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सूमो टैक्सी स्टैड के दस्तावेज उनके संगठन के नाम पर है। इसलिए वह बाहर के किसी चालक को यहां से सवारियां नहीं उठाने देते। दूसरे स्टैड पर उन्हें भी सवारियां नहीं भरने दी जाती हैं। इस स्टैड को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कई बार ऐतराज जताया और इस पर कब्जे का प्रयास किया। जब कुछ नहीं बन पाया तो फिर यह हरकत कर डाली। उन्होंने बताया कि उन्हें यहां से भागने के लिए भी कहा गया।

दूसरी ओर, जमायत-ए-अहल-ए-हदीस के प्रमुख मौलाना शौकत व जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के उपाध्यक्ष बशीर भट्ट ने रंगरेथ जाकर पीड़ित सिख समुदाय से मुलाकात की। उन्होंने दोनों समुदाय की एक साझी समिति भी बनवाई। बाद में दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर शांतिमार्च निकाला। शांति मार्च में डीसी बड़गाम, एसएसपी अफादुल मुजतबा भी शामिल हुए। रंगरेथ के पुलिस थाना प्रभारी फिरोज अहमद के मुताबिक, दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

कौन लगाएगा जख्मों पर मरहम

श्रीनगर : वादी में सुख-दुख के हर मौके पर स्थानीय लोगों के साथ रहने वाले सिख रंगरेथ में हुए घटनाक्रम के बाद बेहद आहत महसूस कर रहे हैं। खौफ से आहत हरजीत सिंह ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि उन्होंने हमला क्यों किया। हम सभी ने खुद को एक कमरे में बंद करके अपनी जान बचाई है। पुलिस को फोन किया, लेकिन वह एक घंटे के बाद पहुंची। सरदार सेवा सिंह ने कहा कि उन्होंने सुना था कि दिन में कहीं क्रिकेट खेलते हुए लड़कों की आपस में बंद को लेकर बहस हुई थी। उस समय उनमें मारपीट भी हुई थी, लेकिन मामला सुलझा लिया गया था। रात होते ही मुस्लिम समुदाय के लोगों का सैलाब नारेबाजी करते हुए यहां आ गया। हुकुम सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह को भागने का मौका नहीं मिला और वह दंगा कर रहे लोगों के हत्थे चढ़ गया। इस समय वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।

वहीं, सड़क किनारे अपने नीड़ के तिनके बुन रही जसबीर कौर ने गुस्से में अपने घर के सामने स्थित दुकान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह रोज हमारे यहां पानी लेने आता था, लेकिन कल जब हमला हुआ तो वह भी उनके साथ था। उसके पास ही खडे़ 22 वर्षीय तेजपाल सिंह ने कहा कि ऐसे हालात में कौन यहां रहेगा। कल रात जो हुआ, उसके बाद नहीं लगता कि हमें यहां रहना चाहिए। इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आज यहां एमएलए, डीसी और एसएसपी सभी आए है। हमें मुआवजे का यकीन दिला रहे है, लेकिन जो जख्म लगा है उस पर मरहम कौन लगाएगा।

Thursday, June 4, 2009

Jazia

Daily news analysis, June 4, 2009, Islamabad: In May, dozens of Sikhs living in the Orakzai agency were forced to move out after the Taliban demanded Rs50 million as jazia, or security tax, from them। Locals said the families were impoverished and left the area to avoid any Taliban action.

Chicken injected with beef waste sold in UK

The Independent, 4 June २००९, Cafes and restaurants across Britain have been selling chicken secretly injected with beef and pork waste, The Independent can reveal today.

In a hi-tech fraud run by firms in three EU states, food manufacturers are making bulking agents out of porcine and bovine gristle and bones that help inflate chicken breasts, so that they fetch a higher price.

The swindle was only detected by the Food Standards Agency (FSA) using new scientific techniques because the non-chicken material had been so highly processed it passed standard DNA tests.

Thousands of restaurateurs and cafe owners are likely to have been conned into buying chicken containing the powder – which binds water into chicken breasts – while diners have been unwittingly consuming traces of other animals when eating out.

Britain's two million Muslims, Jews and Hindus are forbidden from eating either pork or beef. Muslims would ordinarily eat halal chicken and Jews kosher chicken sold through approved caterers and butchers.

The Hindu Forum of Britain described news of the adulteration, which will be confirmed publicly today, as "shocking and potentially very distressing". Its secretary general, Bharti Tailor, said: "Eating beef is expressly forbidden because cows are considered to be sacred as they are a representation of the bounty of the gods, even unknowingly. The fact that the protein powders injected into chickens served in restaurants and cafes contain even traces of beef or pork is horrific. And [the fact] that Hindus will have been eating beef contaminated chickens will be mentally agonising. Many will feel that they have broken their religious code of conduct."

The food regulator acknowledged the serious consequences of its findings. "Use of these proteins does not make chicken products unsafe, but it is important that people are given accurate information about their food," the FSA said.

The fraud has been taking place for at least the past two years, and still continues because of inaction by the authorities in three EU states, believed to be Germany, Netherlands and Spain.

The European Commission rebuffed British demands to ban beef and pork proteins from being added to chicken when first detected in the UK and Ireland in 2001 and 2003. Then, action was taken against a chicken company in the Netherlands and the authorities thought the problem had gone away.

When complaints began to surface again last year, the FSA launched a secret investigation to ascertain whether chicken – the most eaten meat in the UK – was being adulterated again. At first, scientists could not find any non-chicken protein because the meat had been "de-natured" (made unrecognisable). The Central Science Laboratory in York and York University developed special DNA market tests.

"It's like Olympic drug tests; they stay one step ahead of the testers," said a source close to the investigation.

Manufacturers in Germany and Spain are thought to be making the protein powders; Dutch firms inject them into chickens sold on to UK wholesalers supplying the catering trade.

Using a new DNA marker technique, the FSA tested five protein powders from three companies. All five were found to contain a non-poultry material identified as bovine collagen. Further tests found the presence of porcine material in two powders.

Tests picked up traces of beef in one of three chicken breasts.

In a report passed to The Independent, the FSA noted: "The study of a small number of injection powders used in chicken breast products has indicated the presence of undeclared, mammalian peptides, i.e., from a non-poultry source in the samples analysed. The analyses applied indicate the presence of bovine collagen in all the powders sampled and suggest the presence of porcine collagen in some of the powders."

It added: "Certification accompanying the powders claim they are produced only from a poultry source, however, the analytical results suggest this claim could not be substantiated."

Manufacturers can legally add water to chicken, for instance to improve succulence, but must declare water content of above 5 per cent. Fresh chicken meat sold by supermarkets or butchers cannot have any added ingredients. When the FSA alerted its continental counterparts, the factories involved were inspected but no legal action has been taken.

Some chicken products state on the label whether they contain hydrolised (chicken) proteins. The FSA advised consumers that they "may wish" to avoid such chicken. "If you are eating food from a restaurant or takeaway you should ask if the chicken served contains hydrolysed animal proteins," the FSA will say today. "Restaurants and catering establishments will have this information available to them."

Sue Davies, chief policy adviser at the consumer group Which?, said: "It's bad enough that when you think you're buying chicken what you're paying for is an awful lot of water and other animal proteins but if you want to avoid beef or pork for religious reasons it's going to be particularly shocking and annoying. There's a need for better enforcement action, or people will carry on doing this."

Religious views: Sacred products

Judaism

Jews are forbidden from eating pork as pigs are considered unclean animals. The Jewish dietary laws are the laws of kashrut (keeping kosher). Hence food in accord with Jewish law is termed kosher, food not in accord is treifah or treif.

Hinduism

Observant Hindus who eat meat almost always abstain from beef. The cow is sacred and beef has been forbidden in the Hindu religion and diet. Hindu society honours the cow and cow-slaughter is banned legally in almost Indian states. The largely pastoral Vedic people and subsequent generations relied heavily on it for dairy products and tilling the fields.

Maoist threat to BJP legislator in Orissa’s Kandhamal

ThaIndian News , June 4th, 2009 , Bhubaneswar, least two posters warning a Bharatiya Janata Party (BJP) legislator and Bajrang Dal activists of dire consequences for having allegedly fuelled last year’s communal violence have been found in Orissa’s Kandhamal district

The posters are suspected to have been put up by Maoist rebels, police said Thursday.


The posters warning that BJP’s Manoj Pradhan and three Bajrang Dal workers would be killed soon were found Wednesday in the Raikia area of Kandhamal, about 200 km from here, District Superintendent of Police S. Praveen Kumar told IANS.

Police have tightened security at the jail in G. Udayagiri, where Pradhan is imprisoned for his alleged involvement in the communal violence.

The district witnessed widespread communal violence after the murder of Vishwa Hindu Parishad (VHP) leader Swami Laxmanananda Saraswati and four of his aides at his ashram Aug 23 last year.

While the police blamed Maoists for the killings, some Hindu organisations alleged Christians were behind the crime and launched attacks on the community.

At least 38 people were killed and over 25,000 Christians forced to flee after their houses were attacked by rampaging mobs in the aftermath of the attack on Saraswati. Nearly 2,500 people are still living in government relief camps.

Although no violence has been reported from the region since October last year, police believe the posters may have been plastered by the rebels to disturb peace.

The BJP Thursday said the rebels had attacked Dilu Pradhan, a Bajrang Dal activist, a few days ago.

“The rebels have prepared a hit list that has the names of at least 14 people associated with the BJP and VHP,” a BJP leader said.

Wednesday, June 3, 2009

मस्जिद निर्माण को लेकर दो समुदाय आमने-सामने

दैनिक जागरण, ३ जून २००९, सहारनपुर। कुतुबशेर थाना क्षेत्र के मोहल्ला पटेल नगर स्थित एक पुरानी मस्जिद में हो रहे निर्माण को लेकर दो समुदायों के लोग आमने सामने आ गए। मामला बिगड़ता देख पुलिस आला अधिकारी भारी फोर्स के साथ वहां पहुंच गए और किसी तरह दोनों पक्षों को समझाया। बाद में पुलिस की मौजूदगी में दो पक्षों की बीच हुई वार्ता में मामला का निपटारा कर दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पुलिस फोर्स तैनात है।

मंगलवार को दोपहर थाना क्षेत्र के मोहल्ला पटेल नगर स्थित पुरानी मस्जिद में कुछ लोग निर्माण कर रहे थे। इस निर्माण का क्षेत्र के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। कुछ देर में ही दोनों समुदाय के लोग आमने सामने आ गए। सूचना मिलते ही कुतुबशेर एसओ मय फोर्स मौके पर पहुंच और किसी तरह मामला शांत कराया। दोपहर बाद दोनों समुदाय के बीच एसओ बीएन पराशर की मध्यस्तता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मस्जिद की स्थिति पहले जैसी बनी रहेगी और उसमें कोई नया निर्माण नहीं हो सकता। गर्मी और बरसात के दौरान उसमें केवल टीन शेड डालने की अनुमति दी गई है। एसओ ने बताया कि इस पर दोनों समुदाय के लोगों ने अपनी सहमति जताई है।

सिब्बल के गले नहीं उतरी केजीबीवी की यह पढ़ाई

दैनिक जागरण , जून ०२, २००९, नई दिल्ली, संप्रग की पिछली सरकार ने बीते पांच वर्षो में मुस्लिम समुदाय की तालीमी [शिक्षा] तरक्की के लिए भले ही लाख शोर मचाया हो, लेकिन जमीनी तस्वीर लगभग जस की तस है। खासकर, लड़कियों की पढ़ाई के मामले में तो लगता है कि सरकार कागजों में ही ज्यादा गंभीर रही है। तभी तो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पढ़ रही ढाई लाख लड़कियों में से सिर्फ 15 हजार ही मुस्लिम समुदाय से हैं। शायद यही वजह है कि यह तालीमी तरक्की नए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के भी गले नहीं उतरी।

मंत्रालय का काम संभालने के बाद सिब्बल के एजेंडे पर जो कुछ खास मसले हैं, उनमें मुसलमानों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर जस्टिस सच्चर की सिफारिशों पर अब तक हुई कार्रवाई भी अहम है। तभी तो उन्होंने काम शुरू करने के महज दो दिनों के भीतर ही इस पर रिपोर्ट तलब कर ली। अफसरों को भी मुंह जबानी ब्यौरा देने की छूट नहीं थी, लिहाजा सोमवार को उन्होंने सच्चर की सिफारिशों पर अमली कार्रवाई को लेकर सोमवार को प्रेजेंटेशन भी दिया।

सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने सिब्बल को बताया कि दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की लड़कियों की पढ़ाई पर खास फोकस के तहत देश भर में चलाए जा रहे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों [केजीबीवी] में कुल ढाई लाख लड़कियां पढ़ रही हैं। लेकिन उनमें मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 15 हजार ही हैं।

बताते हैं कि यह आंकड़ा सिब्बल के भी गले नहीं उतरा। उन्होंने इस स्थिति को कतई असंतोषजनक माना, लेकिन किसी को कोई हिदायत नहीं दी। सूत्रों की मानें तो सिब्बल अभी मंत्रालय से जुड़े विभिन्न मसलों को गहराई से समझने में जुटे हैं। यही वजह है कि वे अफसरों को सतही तौर पर कुछ भी हिदायत देने से बच रहे हैं।

बताते हैं कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा और सच्चर की सिफारिशों को लेकर अफसरों ने सिब्बल के मंत्रालय का रोडमैप रख दिया है। अब उन्हें मंत्री के अगले निर्देश का इंतजार है। अफसरों के मुताबिक मंत्रालय 2004 से अब तक लगभग ढाई हजार केजीबीवी को मंजूरी दे चुका है, जिनमें से 427 मुस्लिम बहुल आबादी वाले विकास खंडों में खोले जाने हैं। उनमें भी 94 शहरी क्षेत्रों की मुस्लिम आबादी वाले मुहल्लों में खुलेंगे।

Saturday, May 30, 2009

लड़कियों के गायब होने से गरमाया धर्मातरण का मामला

दैनिक जागरण, २९ मई २००९, महाराष्ट्र के उत्तरी हिस्से में हिंदुओं के ईसाई बनने की घटनाएं अक्सरप्रकाश में आती रहती हैं। लेकिन पिछले वर्ष पुणे में इस्लाम स्वीकार करने की एक घटना अब पुलिस विभाग के लिए सिरदर्द बनती दिख रही है, क्योंकि इस घटना में इस्लाम स्वीकार करने वाली कुछ युवतियों के गायब होने की रिपोर्ट उनके अभिभावकों ने दर्ज कराई है । धर्मातरण की यह घटना पिछले वर्ष अक्टूबर माह की है। पुणे के पूर्वी हिस्से में स्थित एक शैक्षणिक संस्थान आ़जम कैम्पस में मुस्लिमों के एक सम्मेलन के दौरान छह युवतियों एवं तीन युवकों ने इस्लाम ग्रहण किया था। इस सम्मेलन का आयोजन प्रसिद्ध इस्लामी वक्ताडा. जाकिर नाईक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने किया था। बताया जाता है कि तीन दिन चले इस सम्मेलन के अंतिम दिन प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान उक्त नौ लोगों ने अपनी मर्जी से इस्लाम ग्रहण करने एवं कलमा पढ़ने की इच्छा जताई। इसके बाद उसी समारोह के दौरान उन्हें इस्लाम धर्म में दीक्षित कर दिया गया। इस्लाम ग्रहण करने वाले इन युवक-युवतियों की उम्र 17 से 25 वर्ष के बीच बताई जाती है । इस घटना की रिपोर्ट पुलिस को दिए जाने पर राज्य एवं केंद्रीय खुफिया ब्यूरो ने घटना की जांच उसी समय शुरू कर दी थी। अब इनमें से कुछ धर्मातरित युवतियों के गायब होने के कारणयह मामला फिर तूल पकड़ने लगा है। लड़कियों के गायब होने की सूचना पुलिस को उनके अभिभावकों द्वारा ही दी गई है। मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस प्रकार के धर्मातरण अक्सर युवावर्ग द्वारा विवाह के लिएकिये जाते हैं। चूंकि पुणे में शिक्षा के लिएदेश भर से युवा आते हैं। इसलिए धर्मातरण के लिए प्रेरित करने वाली संस्थाएं यहां आसानी से सफलता हासिल कर लेती हैं।

Tuesday, May 5, 2009

पाकिस्तान:सिखों के घर तोड़ गए

Check SpellingBBC,  01 मई, 2009, पाकिस्तान के औरकज़ई ऐजेंसी इलाक़े में तालेबान चरमपंथियों ने जज़िया (सुरक्षा कर) नहीं चुकाने पर सिख धर्म के अनुयाइयों के कई घरों को तोड़ दिया है.

ख़बरें हैं कि तालेबान ने सिखों के कई घरों को आग के हवाले भी किया. इस घटना के बाद सिख सुमदाय के लोग इलाक़ा छोड़ रहे हैं.

इन इलाक़ों में सिख समुदाय के लोग सदियों से रहते आ रहे हैं और औरकज़ई एजेंसी में मोरज़ोई के नज़दीक फ़िरोज़खेल में लगभग 35 घर सिखों के हैं.

पाकिस्तान में बीबीसी उर्दू के पेशावर संवाददाता रिफ़तउल्लाह औरकज़ईने इन ख़बरों की पुष्टि की है. हालाँकि उनका कहना है कि कितने घरों को तोड़ा गया है कि सही संख्या इस समय बता पाना संभव नहीं है.

उनका कहना है, "तालेबान ने सिख समुदाय से इलाक़े में रहने के लिए जज़िया की माँग की थी. यह रक़म कितनी थी इसके बारे में पुख़्ता जानकारी नहीं है. लेकिन जो ख़बरें आ रही हैं उसके अनुसार ये यह रक़म काफ़ी अधिक थी."

जज़िया तय हुआ था

 तालेबान ने सिख समुदाय से इलाक़े में रहने के लिए जज़िया की माँग की थी. यह रक़म कितनी थी इसके बारे में पुख़्ता जानकारी नहीं है. लेकिन जो ख़बरें आ रही हैं उसके अनुसार ये यह रक़म काफ़ी अधिक थी
 
रिफ़तउल्लाह औरकज़ई

उनका कहना है कि तालेबान और सिख समुदाय के बीच जज़िया तय भी हुआ था, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि रक़म के बहुत अधिक होने के वजह से सिख समुदाय इसे नहीं दे सके.

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इन इलाक़ों में पाकिस्तान सरकार की पकड़ बहुत ही कमज़ोर है, इसलिए तालेबान चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है और किसी कार्रवाई की उम्मीद भी नहीं की जा सकती.

तालेबान का कहना है कि इस इलाक़े में शरिया क़ानून लागू हो चुका है, ऐसे में यहाँ ग़ैर-मुस्लिमों को रहने के लिए सुरक्षा के रुप में पैसे देने होंगे.

सेकुलर राजनीति की सच्चाई

गुजरात दंगों के संदर्भ में विशेष जांच दल की रपट से कथित सेकुलर वर्ग का झूठ उजागर होता देख रहे हैं तरुण विजय

Dainik Jagran, 19 April 2009, जिस समय प्राय: हर रोज सैनिकों और नागरिकों की आतंकवादियों द्वारा बर्बर हत्याओं के समाचार छप रहे हों उस समय यह देखकर लज्जा होती है कि भारतीय राजनेता परिवारवाद तथा मजहबी तुष्टीकरण के दलदल में फंसे हास्यास्पद बयान देने में व्यस्त है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि 'स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह' अर्थात् अपने धर्म पर अडिग रहते हुए मृत्यु भी प्राप्त हो तो वह श्रेयस्कर है। आज सत्ता का भोग करने वाले यदि अपने मूल राजधर्म के पथ से अलग रहते है तो एक दिन ऐसा आता है जब न तो उनका यश शेष रहता है और न ही पाप कर्म से अर्जित संपदा। लोकसभा चुनावों में अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप, मिथ्या भाषण तथा गाली-गलौज का जो वातावरण बना है वह राजनीतिक कलुश का अस्थाई परिचय ही कराता है।

आजादी के बाद से अब तक देश में ऐसे अनेक मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने अपने-अपने कार्यकाल में विवादों, चर्चाओं और अकूत संपत्तिका आनंद लिया, परंतु उन सब में हम ऐसे किन्हीं दो-चार व्यक्तियों का स्मरण करते है जो अपनी संपत्तिनहीं, बल्कि कर्तव्य के कारण जनप्रिय हुए। पैसा कभी वास्तविक सम्मान नहीं दिलाता, इस बात को वे राजनेता भूल जाते है जो भारत की मूल हिंदू परंपरा सभ्यता और संस्कृति के प्रवाह पर चोट करना अपनी सेकुलर राजनीति का आधार बना बैठे है कि इस देश को हमेशा धर्म ने बचाया है सेकुलर सत्ता ने नहीं। अब तक कई हजार सांसद और विधायक बन गए है, परंतु उनमें से ऐसे कितने होंगे जिन्होंने पैसा नहीं, यश कमाया है? क्या वजह है कि सरदार पटेल और लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस नेता होते हुए भी शेष दलों में भी आदर और सम्मान पाते है और भाजपा के हिंदुत्वनिष्ठ राजनीति के पुरोधा डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हों अथवा दीनदयाल उपाध्याय, उनके प्रति कभी कोई आघात नहीं कर पाया। वे संपदा और राजनीतिक प्रभुता न होते हुए भी दायरों से परे सम्मान के पात्र हुए।

गुजरात में दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम के प्रमुख एवं पूर्व सीबीआई निदेशक ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की, जिसमें कहा गया कि गुजरात दंगों के बारे में कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने अपने कुछ नेताओं के कहने पर एक जैसे प्रारूप पर रौंगटे खड़े करने वाले जो आरोप लगाए थे वे सरासर झूठ और मनगढ़ंत थे। इसमें तीस्ता जावेद सीतलवाड़ का नाम सामने आया, जिन्होंने इस प्रकार के आरोप उछाले थे कि गर्भवती मुस्लिम महिला से हिंदुओं ने दुष्कर्म के बाद बर्बरतापूर्वक उसकी हत्या कर दी। विशेष जांच टीम ने स्पष्ट रूप से ऐसे चार उदाहरण प्रस्तुत किए है जिनमें एक कौसर बी की हत्या, दूसरा नरौडा पाटिया में कुएं में मुस्लिमों की लाशें फेंकने, तीसरा एक ब्रिटिश दंपत्तिकी हत्या का था। ये तीनों घटनाएं सैकड़ों मुसलमानों द्वारा एक जैसी भाषा और एक जैसे प्रारूप पर जांच टीम को दी गई थीं और तीनों ही झूठी साबित हुईं। हालांकि तीस्ता ने इस खबर का तीव्र खंडन किया है, लेकिन इस पर विशेष जांच टीम ने कोई टिप्पणी नहीं की है। अत: खंडन के दावों की भी जांच जरूरी है। ध्यान रहे, इसी प्रकार अरुंधती राय ने भी गुजरात दंगों के एक पक्ष का झूठा चित्रण किया था। यह कैसा सेकुलरवाद है जो अपने ही देश और समाज को बदनाम करने के लिए झूठ का सहारा लेने से भी नहीं हिचकता? यह कैसे प्रधानमंत्री हैं जो परमाणु संधि न होने की स्थिति में इस्तीफा देने के लिए तैयार रहते है, लेकिन नागरिकों को सुरक्षा देने में असमर्थ रहते हुए भी पद पर बने रहते हैं।

इस देश में एक ऐसा सेकुलर वर्ग खड़ा हो गया है जिसने हिंदुओं की संवेदना तथा प्रतीकों पर चोट करना अपना मकसद मान लिया है। इन दिनों विशेषकर जिस प्रकार उर्दू के कुछ अखबारों में जहर उगला जा रहा है वह 1947 से पहले के जहरीले माहौल की याद दिलाता है। ऐसी किसी संस्था या नेता पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इस स्थिति में केवल देशभक्ति और राष्ट्रीयता के आधार पर एकजुटता ही अराष्ट्रीय तत्वों को परास्त कर सकती है। दुर्भाग्य से इस देश में हिंदुओं का पहला शत्रु हिंदू ही होता है। इसी स्थिति को बदलने के लिए डा. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, ताकि हिंदू एकजुटता स्थापित हो और इस देश का सांस्कृतिक प्रवाह सुरक्षित रह सके। भारत में हिंदू बहुलता संविधान सम्मत लोकतंत्र और बहुलवाद की गारंटी है। जिस दिन हिंदू अल्पसंख्यक होंगे या उनका मनोबल सेकुलर आघातों से तोड़ दिया जाएगा उस दिन भारत न सिर्फ अपनी पहचान खो देगा, बल्कि यहां भी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी मजहबी मतांधता छा जाएगी। पानी, बिजली, सड़क, रोजगार, गरीबी उन्मूलन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास, ग्रामीण सम्मान की पुनस्र्थापना राजधर्म के अंतर्गत अनिवार्य कर्तव्य है, लेकिन यही सब स्वयं में कभी भी राष्ट्र की पहचान नहीं बन सकते। अगर भौतिकता राष्ट्र की पहचान होती तो तिरंगे झंडे और यूनियन जैक में फर्क ही नहीं रहता।

आज देश की राजनीति को वह दृष्टि देने की जरूरत है जो भारतीयता की रक्षा कर सके। देश आज विदेशी विचारधाराओं और नव उपनिवेशवादी प्रहारों से लहूलुहान हो रहा है। जिहादी हमलों में साठ हजार से भी अधिक भारतीय मारे गए है। नक्सलवादी-माओवादी हमलों में 12 हजार से अधिक भारतीय मारे जा चुके है। इन आतंकवादियों के पास हमारे सैनिकों से बेहतर उपकरण और हथियार होते है। भारत सरकार पुलिस और अर्धसैनिक बलों को घटिया हथियार, सस्ती बुलेट प्रूफ जैकेट और अपर्याप्त प्रशिक्षण देकर अमानुषिक आतंकवादियों का सामना करने भेज देती है। राजधर्म का इससे बढ़कर और क्या पतन होगा? जिस राज में सैनिक अपने वीरता के अलंकरण वापस करने लगें और संत अपमानित व लांछित किए जाएं वहां के शासक अनाचार को ही प्रोत्साहित करने वाले कहे जाएंगे।





झूठी कहानी की सच्चाई

विशेष जांच दल की रपट से गुजरात दंगों की कहानियों का झूठ उजागर होता हुआ देख रहे हैं एस. शंकर

Dainik Jagran, 23 April 2009, पिछले सात वर्र्षो से मीडिया में मानो एक धारावाहिक चल रहा है, जिसमें गोधरा, बेस्ट बेकरी, जाहिरा शेख, नरेंद्र मोदी, नरोड़ा पटिया, अरुंधती राय, मानवाधिकार आयोग और तीस्ता सीतलवाड़ आदि शब्द बार-बार सुनने को मिलते हैं। नाटक के आरंभ से ही नरेंद्र मोदी को खलनायक के रूप में पेश किया गया, किंतु जैसे-जैसे नई परतें खुलती गईं, पात्रों की भूमिकाएं बदलती नजर आईं। नवीनतम कड़ी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसने गुजरात दंगे पर सबसे अधिक सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जघन्य हत्याओं और उत्पीड़न की झूठी कहानियां गढ़ने, झूठे गवाहों की फौज तैयार करने, अदालतों में झूठे दस्तावेज जमा करवाने और पुलिस पर मिथ्या आरोप लगाने का दोषी बताया है। चूंकि नई सच्चाई सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से आई है अत: तीस्ता और उनके शुभचिंतक मौन रहकर इसे दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह अब तक जो अभियोजक थे अब वे आरोपी के रूप में कठघरे में दिखाई देंगे। वैसे इन वषरें में गुजरात दंगों से संबंधित हर नया पहलू इसी तरह बदलता रहा है। जाहिरा शेख का बार-बार गवाही-पलटना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा उतावलापन दिखाना, तहलका के पासे उलटा पड़ना, नानावती आयोग की वृहत रिपोर्ट, तीस्ता के अत्यंत निकट सहयोगी रईस खान द्वारा तीस्ता के भय से पुलिस सुरक्षा की मांग करने से लेकर अरुंधती राय द्वारा काग्रेस नेता अहसान जाफरी की बेटी के दुष्कर्म-हत्या की लोमहर्षक झूठी कथा लिखने और लालू प्रसाद यादव द्वारा नियुक्त मुखर्जी आयोग द्वारा गोधरा को महज दुर्घटना बताने तक सभी कड़ियों ने प्रकारातर में एक ही चीज दिखाई कि गुजरात सरकार पर लगाए गए आरोप मनगढ़ंत थे।

बेस्ट बेकरी मामला मात्र जाहिरा शेख के बयान बदलने से चर्चित हुआ। मानवाधिकार आयोग ने उसी जाहिरा की छह सौ पन्नों की याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट पर सार्वजनिक रूप से लाछन लगाया। उन पन्नों को देखने की भी तकलीफ नहीं की, जिन पर कहीं भी जाहिरा के दस्तखत तक नहीं थे! पर चूंकि उसे तीस्ता ने जमा किया था इसलिए आयोग अधीर होकर सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगा बैठा कि बेस्ट बेकरी की सुनवाई गुजरात से बाहर हो। इस प्रकार आयोग ने न केवल अपनी मर्यादा का उल्लंघन किया, बल्कि गुजरात की न्यायपालिका पर कालिख भी पोती। यहां तक कि गुहार सुनते हुए स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात हाई कोर्ट और वहां के मुख्यमंत्री के विरुद्ध कठोर टिप्पणियां कर दीं। किस आधार पर? एक ऐसे व्यक्ति के बयान पर, जो स्व-घोषित रूप से एक बार शपथ लेकर अदालत में झूठा बयान दे चुका था।

इस प्रकार हमारे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक ही गवाह के एक बयान को मनमाने तौर पर गलत और दूसरे को सही मान लिया। इसी आधार पर गुजरात हाईकोर्ट की खुली आलोचना की, जिसने बेस्ट बेकरी केआरोपियों को दोषमुक्त किया था। उस निर्णय को 'सच्चाई का मखौल' बताकर सर्वोच्च न्यायपालकों ने नरेंद्र मोदी को भी 'राजधर्म' निभाने या 'गद्दी छोड़ देने' की सलाह दे डाली। साथ ही मामला मुंबई हाई कोर्ट को सौंप दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने यह सब तब किया जब जाहिरा की मां और ननद ने कहा था कि सारा खेल तीस्ता करवा रही है और जाहिरा ने पैसे लेकर बयान बदला है। जाहिरा के वकील ने भी यही कहा था। फिर भी, सच्चाई की अनदेखी कर केवल कुछ उग्र, साधन-संपन्न मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से प्रभावित होकर हमारे न्यायपालकों ने अपने को हास्यास्पद स्थिति में डाल लिया।

बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह देखकर 'अपने को विचित्र स्थिति' में पाया कि जाहिरा के नाम पर प्रस्तुत किए गए भारी-भरकम दस्तावेजों में जाहिरा के दस्तखत ही नहीं हैं। यह सब तो अब स्पष्ट हो रहा है। इस बीच तीस्ता भारतीय न्यायपालिका को दुनिया भर में बदनाम कर चुकी थीं और उन्हें न्यूरेनबर्ग ह्यूमन राइट अवार्ड, ग्राहम स्टेंस इंटरनेशनल अवार्ड फार रिलीजियस हारमोनी, पैक्स क्रिस्टी इंटरनेशनल पीस प्राइज, ननी पालकीवाला अवार्ड से लेकर पद्मश्री तक कई देशी-विदेशी पुरस्कार मिल चुके हैं। न्यायाधीशों ने जाहिरा शेख को झूठे बयान देने के लिए सजा दी। अमेरिकी संसद की 'यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन आन इंटरनेशनल रिलीजस फ्रीडम' के सामने भी तीस्ता ने मनगढ़ंत गवाही दी थी। क्या हमारे न्यायाधीश उन सारी झूठी गवाहियों की असल सूत्रधार को कोई सजा देंगे? तीस्ता को इसलिए सजा मिलनी चाहिए ताकि आगे न्यापालिका और मीडिया का दुरुपयोग कर अपना उल्लू साधने वालों को चेतावनी मिले। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में वही बातें लिखी थीं जिन्हें अब सुप्रीम कोर्ट के विशेष जांच दल ने जांच में सही पाया है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि जाहिरा का 'कुछ लोगों को बदनाम करने का षड्यंत्र' दिखता है और यह भी कि वह कुछ समाज-विरोधी और देश-विरोधी तत्वों के गंदे हाथों में खेल रही हैं। हाईकोर्ट ने ऐसे लोगों और कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा पूरे राज्य प्रशासन और न्यायपालिका को निशाना बनाने तथा एक समानातर जांच चलाने की भी आलोचना की थी, पर उस निर्णय को निरस्त करके सर्वोच्च न्यायालय ने कठोर टिप्पणियां कर दीं। उसी से देश-विदेश में गुजरात हाई कोर्ट की छवि धूमिल हुई। क्या आज गुजरात हाईकोर्ट के वे न्यायाधीश सही नहीं साबित हुए, जिन्हें पक्षपाती समझ कर उन न्यायिक मामलों को राज्य से बाहर ले जाया गया था? आशा की जा सकती है कि अपने ही द्वारा गठित विशेष जांच दल की इस रिपोर्ट के बाद सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करेगा। गुजरात धारावाहिक की अंतिम कड़ियां आनी अभी बाकी हैं।


Thursday, March 19, 2009

उड़ीसा में संघ नेता की हत्या

दैनिक जागरण, 19 मार्च 2009, फुलबनी। पिछले वर्ष ईसाई विरोधी दंगे में गिरफ्तार किए गए आरएसएस नेता की गुरुवार की सुबह सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील उड़ीसा के कंधमाल जिले में संदिग्ध माओवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

पुलिस ने बताया कि यहां से 145 किलोमीटर दूर रुडीगुमा गांव में आज सुबह करीब 15 हथियारबंद उग्रवादियों ने हमला किया और प्रभात पाणिग्रही को गोली मार दी। पाणिग्रही आरएसएस के एक कार्यकर्ता के यहां ठहरे हुए थे। हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए व्यापक खोज अभियान चलाया जा रहा है।

किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर गांव में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। पुलिस ने बताया कि माओवादियों ने कोटागाडा और रूडीगुमा के बीच सड़क पर पेड़ काट कर गिरा दिया जिससे पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई।

सूत्रों ने बताया कि पाणिग्रही को विहिप नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगे के मामले में गिरफ्तार किया गया था। वह 14 मार्च को बालीगुडा जेल से जमानत पर रिहा हुए थे।

Tuesday, January 27, 2009

Indonesia: Yoga Ban for Muslims

THE ASSOCIATED PRESS, 27 January , 2009, Indonesia’s top Islamic body, the Ulema Council, barred Muslims from practicing yoga that contains Hindu rituals like chanting, the chairman of the group said Monday, citing concerns that it would corrupt their faith. The council issued the ruling after weekend talks by hundreds of theological experts in Padang Panjang, in West Sumatra. A similar ruling was made in Malaysia last year.

Thursday, January 22, 2009

Hindu group demands ban on 'Slumdog Millionaire'

Times of India, 22 Jan 2009,PANAJI: The Goa unit of a Hindu organisation has demanded a ban on the release of `Slumdog Millionaire', saying the award-winning film hurts the religious sentiments of the majority community।Hindu Janjagruti Samiti (HJS) will approach various governments, including that in Goa, insisting the movie should not be released, Jayesh Thali, state spokesman of the group, said.


There were a few scenes in the movie that denigrated Lord Ram, he alleged.

Thali said a HJS delegation had met Central Board of Film Certification officials in Mumbai, demanding a ban on the film which is slated for release tomorrow.

'Slumdog Millionaire', which tells the rags-to-riches tale of an orphan from a Mumbai slum, won four Golden Globe awards, including one for music composer A R Rahman.

Wednesday, January 21, 2009

Hindu outrage over fundraising con job

Fijilive, २० जनवरी, २००९, Fiji’s largest Hindu organization wants police to stop a group of people who are using its name to swindle money from members of the public.

Shree Sanatan Dharam Pratinidhi Sabha of Fiji secretary Vijendra Pratap told Fijlive, “that somebody had tried to use the name of a Hindu temple to get money out of people” recently.

“What we are worried about is that there could be so many people out there who will be using the name of religion to take money from people,” he said.

“We will be going to the police to find out how this could be stopped.”

Pratap said they were called yesterday by a concerned person asking them about a temple which according to the Sabha listing does not exist.

“What had happened is that a group of people are using letterheads and fictitious temple names to make money saying they are organizing fund drives. What we are going to do is give a list of registered temples to the Provincial Council Offices, which then can be used as a reference by the Councils to issue permits.

“This is also considered blasphemy, when you use the god and religion to con people, god will punish these people.”

Police are advising the general public to check permits of those collecting funds in the name of those affected by the recent floods.

Police spokeswoman Ema Mua said people collecting donations should carry with them a permit.

“People will also be aware that corporate bodies such as the Hibiscus Committee and radio stations are collecting money. It is advisable that people who want to help donate money into these bank accounts instead of giving it to people who come knocking on their doors,” she said.

अस्मिता पर आघात

तरुण विजय

दैनिक जागरण, १२ जवारी 2००९, नेपाल के माओवादी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने पशुपतिनाथ मंदिर को निशाने पर लेकर 'जनवादी क्रांति' शुरू करने का जो प्रयास किया वह तीव्र जनरोष के कारण विफल रहा और उन्हे भारतीय मूल के पुजारियों को पुन: बहाल करने पर विवश होना पड़ा। तात्कालिक रूप से यह भले ही हिंदू समाज के लिए राहत की बात हो, लेकिन इसके दूरगामी संकेत चिंताजनक है। प्रचंड के नेतृत्व में माओवादी नेपाल के अन्य गणतंत्रात्मक दलों को प्रभा हीन कर नए संविधान निर्माण के तुरंत बाद होने वाले चुनावों में अपने बल पर बहुमत प्राप्त करना चाहते है। मुख्य उद्देश्य है चीन की भांति नेपाल में एकतंत्रात्मक कम्युनिस्ट शासन स्थापित करना। इसके लिए उन्हे जिस प्रकार के तंत्रात्मक सहयोग एवं शासकीय उपकरणों की सहायता आवश्यक होगी उन सब साधनों को अपने कब्जे में करने के लिए उनके कदम उठ चुके हैं। सेना में माओवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के गुरिल्ला लड़ाकों की भर्ती, पुलिस पर माओवादी झुकाव वाले अधिकारियों की नियुक्ति द्वारा नियंत्रण, न्यायपालिका और मीडिया में निचले स्तर से माओवादियों की भर्ती और प्रभाव वृद्धि के बाद उन्होंने हिंदू नेपाल के प्रतीक पशुपतिनाथ मंदिर की मर्यादा हनन कर राष्ट्रवादी हिंदुओं का उसी प्रकार तेज भंग करने का सुविचारित कदम उठाया जैसे बाबर तथा औरंगजेब ने अयोध्या में रामजन्मभूमि एवं मथुरा में गोविंद देव के मंदिर ध्वस्त कर किया था। जहां विभिन्न शासकीय अंगों पर माओवादी संगठनात्मक नियंत्रण से पार्टी को अगले चुनाव में मनमाफिक परिणाम हासिल करने में मदद मिलेगी वहीं हिंदू श्रेष्ठता और उच्चता के सभी प्रतिमान खंडित कर नेपाल को भारत से दूर करने की दिशा में निर्णायक अध्याय रचा जा सकेगा, जिसे प्रचंड के लोग 'नए नेपाल' का मूल मुद्दा मानते हैं। पिछले दिनों प्रचंड ने यह कहकर चौंका दिया था कि नेपाल के लिए भारत से संबंधों को संतुलित करने के लिए चीन तथा पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना जरूरी है।

पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की हिंदू अस्मिता और राष्ट्रीयता की पहचान के रूप में विश्व में मान्य है। वहां हिंदुओं को प्रभावहीन दिखाकर वे 'नए नेपाल' के लाल-स्वप्न को साकार करने के लिए वैसे ही बढ़ सकते है जैसे अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविक छा गए थे। गत वर्ष सितंबर में जब प्रचंड अपनी प्रथम राजनीतिक यात्रा पर भारत आए थे तो मुझे उनसे कुछ देर वार्ता का अवसर मिला था। बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कहा-'भाई, हम भी तो हिंदू हैं, हम हिंदू धर्म के खिलाफ क्यों काम करेगे?' भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के यहां एक कार्यक्रम में वह बोले कि जब तक अयोध्या और जनकपुर है तब तक भारत-नेपाल संबंध कोई बिगाड़ नहीं सकता। ऐसा लगता है माओवादी अपनी राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ होने तक राजनयिक विनय ओढ़ना जरूरी समझते है। उनकी वास्तविक मंशा का परिचय यंग कम्युनिस्ट लीग के कार्यो और सरकार की हिंदुओं के प्रति संवेदनहीनता से मिलता है। आश्चर्य की बात यह है कि जिन माओवादियों ने चीन को अपना प्रेरक देश माना, जिन्होंने 15 हजार नेपालियों की हत्या की, जिसके निशाने पर गत डेढ़ दशक में केवल हिंदू प्रतीक के प्रतिमान रहे, जिन्होंने सबसे पहले नेपाल के हिंदू राष्ट्र वाले संवैधानिक अलंकरण को हटाया उन पर भारत के नेता तुरंत कैसे विश्वास कर लेते है? यदि विश्व के हिंदू संगठनों और समाज ने एकजुट होकर नेपाल में बहुलतावादी लोकतंत्र के गैर-कम्युनिस्ट स्वरूप को बचाने तथा नेपाल की सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान बनाए रखने के लिए दबाव नहीं बनाया तो यह स्वाभिमानी धर्मनिष्ठ देश भारत के लिए वैसा ही भू-राजनीतिक सिरदर्द बन जाएगा जैसे बांग्लादेश व पाकिस्तान हैं। चीन की मंशा यही है। वह भारत के तीव्र गति से बढ़ रहे विकास को बांधने के लिए जैसे पाकिस्तान का उपयोग करता है वैसे ही अब नेपाल उसका परोक्ष सामरिक उपकरण बन गया है। पशुपतिनाथ मंदिर की व्यवस्था अपने नियंत्रण में लेने के लिए माओवादियों का प्रहार पूरे परिदृश्य का छोटा, परंतु महत्वपूर्ण संकेत है। असल में नेपाल के कम्युनिस्टों की नजर मंदिर की आय पर है। 1800 वर्ष पूर्व स्थापित यह प्राचीन मंदिर भारत-नेपाल प्रगाढ़ संबंधों की सबसे शक्तिशाली गारंटी है। यहां के पुजारी भारत के हों अथवा नेपाल के, यह प्रश्न सदा गौण रहा, क्योंकि पुजारी की नियुक्ति की एकमात्र कसौटी उसका तंत्र विद्या में निष्णात होना और ऋग्वेद संपूर्णत: कंठस्थ होने के साथ-साथ पारिवारिक परंपरा से शुद्ध शाकाहारी होनी मानी जाती है। विधि-विधान से पूजन की परंपरा को माओवादियों ने खंडित किया है। कम्युनिस्टों का यह कलुष दोनों देशों के प्राचीन संबंधों पर काली छाया न डाले, इसके लिए भारत सरकार और समाज के सभी वर्गों को दृढ़ता दिखानी होगी।